18-05-2024, 11:50 AM
तभी मम्मी के सेल पे फोन आया ये प्रीती दीदी का था मम्मी ने फोन उठाया "हाँ प्रीती बेटा कहाँ है तू अभी तक आई नहीं , ओहो इसलिए मना करती हूँ मैं की शाम के टाइम मत निकला करो अटक गयी ना अब और मौसम वैसे ही ख़राब है रुक मैं तेरे पापा को भेजती हूँ " मम्मी ने फोन रखा मैंने पूछा "क्या हुआ मम्मी" मम्मी ने कहा "अरे प्रीती की स्कूटी स्टार्ट नहीं हो रही उसको लेके आना है" फिर मम्मी ने पापा से कहा "अजी सुनो आप जरा प्रीती को लेकर आ जाओ उसकी स्कूटी अटक गयी है " पापा ने कहा "तो चलना तो तुम्हें भी पड़ेगा मेरे साथ " मम्मी बोली "मुझे क्यों " तो पापा ने कहा की " अगर मैं स्कूटी ठीक करा के लाऊंगा तो कार कौन ड्राइव करेगा तुम ही तो करोगी तुम कार से प्रीती के साथ घर आ जाना मैं स्कूटी ठीक करा के स्कूटी से घर आ जाऊंगा" मम्मी ने कहा की "हाँ ये बात भी सही है चलो मैं तैयार हो जाती हूँ " पापा ने कहा "वो छाता और रेनकोट रख लेना " मम्मी ने कहा "हाँ रख लेती हूँ " ये सब सुन के शिप्रा दीदी ने मुझे देखा और मैंने उन्हें देखा हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही देखते रहे क्योंकि अब थोड़ी देर बाद हम इस घर में अकेले होने वाले थे और हमें पता था की आज आगे क्या होने वाला है मैंने शिप्रा दीदी को मेसेज किया "शिप्रा दीदी आज तो मैं आपको चोदूंगा" शिप्रा दीदी का रिप्लाई आया "हाँ भाई मैं खुद तुझसे चुदना चाहती हूँ , तुझसे चुदवाना चाहती हूँ ".....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.