18-05-2024, 11:28 AM
कह के उन्होंने मेरी जींस के बटन खोले और उसे नीचे करके मेरा खड़ा लंड बाहर निकाल दिया और उसे अपने हाथ से ऊपर नीचे करने लगी मैं भी उनके बोबे दबाने लगा फिर शिप्रा दीदी भी अपनी सीट से नीचे अपने घुटनों के बल बैठ गयी और उन्होंने मेरा लंड अपने मुह में ले लिया क्योंकि हॉल में पूरा अँधेरा तो प्रीती दीदी को कुछ नहीं दिखता शिप्रा दीदी नीचे बैठ के मेरा लंड चूसने लगी और मैं कभी उनके बालो में अपने हाथ फेरता तो कभी उनके नंगे बोबो को अपने दोनों हाथो से पकड़ के मसल देता शिप्रा दीदी मेरे पूरे लंड को अपने मुह के अंदर बाहर करने लगी मुझे बहुत मजा आने लगा फिर उन्होंने मेरे लंड के टोपे पे अपनी जीभ गोल गोल घुमाई एसा उन्होंने थोड़ी देर तक किया और फिर वापस मेरा लंड अपने मुह के अंदर लेके उसे चूसने लगी
मैं भी उनके बोबे दबाने लगा और फिर शिप्रा दीदी मेरे लंड के टोपे को चूसने लगी उसे चाटने उसे अपने होंठो से जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगी वो जल्दी जल्दी मेरे पूरे लंड को चूसने लगी और थोड़ी ही देर में मेरा मुट निकल गया जिसे शिप्रा दीदी ने पूरा अपने मुह में ले लिया फिर उन्होंने मेरा लैंड अपने मुह से निकाला और नीचे बैठे बैठे ही अपनी ब्रा नीचे की उसका हुक बंद किया टॉप नीचे किया फिर धीरे से सीट पे आ गयी हम दोनों ने फिर एक किस किया और थोड़ी ही देर में मूवी स्टार्ट हो गयी आज हम दोनों को बहुत मजा आया था मूवी खत्म करके हम लोग शाम को घर पहुंचे प्रीती दीदी जाके बिस्तर पे लेट गयी और मैं और शिप्रा दीदी एक दुसरे की आँखों में देख के मुस्कुरा रहे थे ..........
मैं भी उनके बोबे दबाने लगा और फिर शिप्रा दीदी मेरे लंड के टोपे को चूसने लगी उसे चाटने उसे अपने होंठो से जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगी वो जल्दी जल्दी मेरे पूरे लंड को चूसने लगी और थोड़ी ही देर में मेरा मुट निकल गया जिसे शिप्रा दीदी ने पूरा अपने मुह में ले लिया फिर उन्होंने मेरा लैंड अपने मुह से निकाला और नीचे बैठे बैठे ही अपनी ब्रा नीचे की उसका हुक बंद किया टॉप नीचे किया फिर धीरे से सीट पे आ गयी हम दोनों ने फिर एक किस किया और थोड़ी ही देर में मूवी स्टार्ट हो गयी आज हम दोनों को बहुत मजा आया था मूवी खत्म करके हम लोग शाम को घर पहुंचे प्रीती दीदी जाके बिस्तर पे लेट गयी और मैं और शिप्रा दीदी एक दुसरे की आँखों में देख के मुस्कुरा रहे थे ..........
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.