18-05-2024, 11:21 AM
उनके बोबे दबाते दबाते मैं अपना हाथ नीचे लेके जाने लगा और शिप्रा दीदी की जींस का बेल्ट खोलने लगा शिप्रा दीदी ने अपने होंठ छुडाये और अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा "नहीं "मैंने उनका हाथ हटाया और उनका बेल्ट खोलने लगा शिप्रा दीदी ने फिर मेरा हाथ पकड़ा और कहा "नहीं सोनू क्या कर रहा है पागल है क्या " मैंने कहा "दीदी हाथ हटाओ अपना मुझे आपकी जींस उतारनी है " शिप्रा दीदी बोली "यार यहाँ पे सबके सामने नंगी करेगा क्या " मैंने कहा "दीदी हाथ हटाओ बस आपकी जींस आपके घुटनों तक ही उतार रहा हूँ किसी को पता नहीं चलेगा " शिप्रा दीदी ने अपना हाथ हटा लिया और मुझे किस करने लगी मैं भी उन्हें किस करने लगा
और किस करते करते मैंने उनकी जींस का बेल्ट खोल दिया और उनकी जींस का बटन भी खोल दिया शिप्रा दीदी ने मेरे होंठ छोड़े और मुझसे कहा "सोनू आराम से सोच बहुत बड़ा रिस्क है तू मेरी जींस उतार रहा है यहाँ हॉल में कुछ सोच तो सही प्रीती पास में ही है और किसी को कुछ दिख गया तो समझ यार बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी जल्दी जल्दी में मैं जींस को ऊपर भी नहीं कर पाऊँगी कितनी प्रॉब्लम होती है जींस पहनने में मत कर यार तू बटन खोल के अंदर हाथ डाल ले ना मैं चेन भी खोल देती हूँ तेरा हाथ आसानी से अंदर चला जाएगा लेकिन पूरी जींस मत उतार " मुझे शिप्रा दीदी की बात सही लगी मैंने उनसे कहा "ठीक है दीदी आप अपनी जींस का बेल्ट और बटन खुला ही रखना और चैन भी खोल दो और ऊपर पर्स रख लो " शिप्रा दीदी ने वेसे ही किया और फिर मैंने उन्हें वापस किस करना स्टार्ट किया और उन्हें किस करते मैंने अपना हाथ उनकी जींस के अंदर डाल दिया और उनकी पेंटी पे से उनकी चूत को सहलाने लगा मेरा हाथ शिप्रा दीदी की चूत पे लगते ही शिप्रा दीदी को करंट सा लगा और वो अपने दोनों हाथ मेरे बालो में घुमाने लगी और मेरे होंठ चूसने लगी
मैं अपने हाथ से शिप्रा दीदी कि पेंटी पे से उनकी चूत सहला रहा था उनकी पेंटी बहुत ही गीली थी जिस से मुझे पता चल चुका था की शिप्रा दीदी कितनी उत्तेजित थी मैं अपना पूरा हाथ उनकी चूत पे घुमाने लगा मैं बस एक ही हाथ शिप्रा दीदी की जींस में डाल सकता था इस वजह से उनकी चूत पे हाथ फेरने में काफी दिक्कत आ रही थी फिर भी मैं अपनी उंगलियाँ उनकी चूत पे घुमाने लगा फिर मैंने अपना हाथ शिप्रा दीदी की पेंटी में डाल दिया अब मेरी उँगलियाँ शिप्रा दीदी की नंगी चूत पे थी शिप्रा दीदी की चूत पे थोड़े थोड़े से बाल आ गये थे शिप्रा दीदी बैठी हुई थी और ना मैं उनकी जींस उतार सकता था ना पेंटी इसी लिए मैं उनकी चूत पे ढंग से अपना हाथ नहीं फेर पा रहा था शिप्रा दीदी की चूत के होल तक तो मेरा हाथ पहुँच ही नहीं रहा था
मैंने उनकी चूत पे हाथ फेरते हुए उनके कान मैं कहा "दीदी टांगें चौड़ी करो ना " शिप्रा दीदी ने अपनी टांगें चौड़ी कर दी अब उनकी पूरी चूत पे मेरा हाथ जाने लगा मैंने अपने हाथ से शिप्रा दीदी का हाथ पकड़ा और अपने लंड पे लगा दिया शिप्रा दीदी मेरा अपने हाथ से लंड सहलाने लगी और मैं उनकी चूत सहलाने लगा तभी हॉल में एक अनाउंसमेंट हुई " प्लीज आप लोग शांति बनाये रखे लाइट अभी नहीं आई है बेक उप पॉवर से हमने एसी तो ओन कर दिया है लेकिन मूवी और हॉल लाइट्स स्टार्ट नहीं हो पाएंगी आप प्लीज 15 मिन वेट करिए और प्लीज हॉल में शांति बनाये रखे
और किस करते करते मैंने उनकी जींस का बेल्ट खोल दिया और उनकी जींस का बटन भी खोल दिया शिप्रा दीदी ने मेरे होंठ छोड़े और मुझसे कहा "सोनू आराम से सोच बहुत बड़ा रिस्क है तू मेरी जींस उतार रहा है यहाँ हॉल में कुछ सोच तो सही प्रीती पास में ही है और किसी को कुछ दिख गया तो समझ यार बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी जल्दी जल्दी में मैं जींस को ऊपर भी नहीं कर पाऊँगी कितनी प्रॉब्लम होती है जींस पहनने में मत कर यार तू बटन खोल के अंदर हाथ डाल ले ना मैं चेन भी खोल देती हूँ तेरा हाथ आसानी से अंदर चला जाएगा लेकिन पूरी जींस मत उतार " मुझे शिप्रा दीदी की बात सही लगी मैंने उनसे कहा "ठीक है दीदी आप अपनी जींस का बेल्ट और बटन खुला ही रखना और चैन भी खोल दो और ऊपर पर्स रख लो " शिप्रा दीदी ने वेसे ही किया और फिर मैंने उन्हें वापस किस करना स्टार्ट किया और उन्हें किस करते मैंने अपना हाथ उनकी जींस के अंदर डाल दिया और उनकी पेंटी पे से उनकी चूत को सहलाने लगा मेरा हाथ शिप्रा दीदी की चूत पे लगते ही शिप्रा दीदी को करंट सा लगा और वो अपने दोनों हाथ मेरे बालो में घुमाने लगी और मेरे होंठ चूसने लगी
मैं अपने हाथ से शिप्रा दीदी कि पेंटी पे से उनकी चूत सहला रहा था उनकी पेंटी बहुत ही गीली थी जिस से मुझे पता चल चुका था की शिप्रा दीदी कितनी उत्तेजित थी मैं अपना पूरा हाथ उनकी चूत पे घुमाने लगा मैं बस एक ही हाथ शिप्रा दीदी की जींस में डाल सकता था इस वजह से उनकी चूत पे हाथ फेरने में काफी दिक्कत आ रही थी फिर भी मैं अपनी उंगलियाँ उनकी चूत पे घुमाने लगा फिर मैंने अपना हाथ शिप्रा दीदी की पेंटी में डाल दिया अब मेरी उँगलियाँ शिप्रा दीदी की नंगी चूत पे थी शिप्रा दीदी की चूत पे थोड़े थोड़े से बाल आ गये थे शिप्रा दीदी बैठी हुई थी और ना मैं उनकी जींस उतार सकता था ना पेंटी इसी लिए मैं उनकी चूत पे ढंग से अपना हाथ नहीं फेर पा रहा था शिप्रा दीदी की चूत के होल तक तो मेरा हाथ पहुँच ही नहीं रहा था
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.