18-05-2024, 11:19 AM
शिप्रा दीदी भी अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी फिर मैंने अपना हाथ नीचे से शिप्रा दीदी के टॉप के अंदर डाल दिया और ब्रा पे से उनके बोबे दबाने लगा शिप्रा दीदी ने अपना मुह मेरी तरफ किया और अँधेरे में हम दोनों ने एक दुसरे को किस करना शुरू कर दिया मैं शिप्रा दीदी के होंठो को चूसते हुए उनके बोबे दबा रहा था फिर शिप्रा दीदी ने मेरी जीन्स की चैन खोली और मेरा लंड बाहर निकाल दिया और अपने हाथ से मेरा नंगा लंड सहलाने लगी मुझे और मजा आने लगा मैंने शिप्रा दीदी की ब्रा के दोनों कप नीचे कर दिए और उनके नंगे बोबे दबाने लगा फिर शिप्रा दीदी नीचे झुक गयी मुझे समझ नहीं आया और फिर उन्होंने वो किया जिसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी उन्होंने मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और उसे चूसने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन आज पहली बार मुझे डर भी लग रहा था की कहीं प्रीती दीदी कुछ देख ना ले लेकिन शिप्रा दीदी के लैंड चूसने के तरीके से मैं सारा डर भूल गया और उनके बालो को सहलाने लगा और उनके बोबे दबाने लगा मैं इतना ज्यादा मदहोश हो चूका था की भूल ही गया था की मेरे पास प्रीती दीदी बैठी है मेरी आँखें बंद थी मैं मदहोश था और इसी मदहोशी में मेरा हाथ प्रीती दीदी की झांग पे चला गया मैं अपना हाथ प्रीती दीदी की झांग पे फेरने लगा ...
मेरा लंड शिप्रा दीदी के मुह में था वो कभी जीभ मेरे लंड के टोपे पे घुमा रही थी तो कभी अपने होंठो से मेरा लंड चूस रही थी इसी मदहोशी में मुझे ध्यान ही नहीं रहा और मेरा हाथ प्रीती दीदी की जांघ पे चला गया और मैं उनकी जींस के ऊपर से उनकी जांघ पे हाथ फेरने लगा मैं इसी मदहोशी में अपना हाथ प्रीती दीदी की जांघ पे फेरते फेरते ऊपर उनकी दोनों जांघो के बीच में लेके जाने लगा तभी हॉल में लाइट चली गयी मूवी बंद हो गयी और गेट कीपर ने टोर्च जलाई मैं होश में आया और मुझे एहसास हुआ की मेरा हाथ प्रीती दीदी की चूत से थोडा ही दूर है मैं डर गया मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया शिप्रा दीदी भी जल्दी से उठ के अपनी सीट पे बैठ गयी मैंने अपना लंड अंदर किया और मैंने शिप्रा दीदी के कान में बोला "यार दीदी एक प्रॉब्लम हो गयी " शिप्रा दीदी ने पूछा "क्या हुआ ....रुक तो जा चूस रही हू ना मूवी तो स्टार्ट होने दे "
मैंने कहा " नहीं दीदी यार वो बात नहीं है जब आप चूस रही थी ना तो मैं इतना मदहोश हो गया की गलती से मेरा हाथ प्रीती दीदी की झांग पे चला गया मैं अपना हाथ उनकी झांग पे फेरा काफी देर तक अब बहुत डर लग रहा है " तो शिप्रा दीदी बोली "यार सोनू तू भी ना हम दोनों को मरवाएगा रुक मैं कुछ करती ह " फिर कुछ देर सोच के वो बोली " एक काम कर अभी पूरा अँधेरा है तू मेरी सीट पे आजा मैं तेरी सीट पे आ जाती हु जल्दी कर " फिर हम दोनों ने अपनी सीट बदल ली मैंने अब जाके थोड़ी रहत की सांस ली और मन में सोचने लगा की यर आज तो प्रीती की नरम नरम झांगो पे मेरा हाथ था और उनकी चूत पे पहुँचने ही वाला था आज प्रीती दीदी ने कौन से कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई होगी ये सब सोच सोच के मैं बहुत उत्तेजित हो गया था मैंने शिप्रा दीदी के कान मैं कहा "दीदी करो ना चूसो ना " शिप्रा दीदी बोली "ओये अब कुछ नहीं हो सकता स्टुपिड दिमाग तो लगा अगर यहाँ से झुकुंगी तो प्रीती को पता नहीं चलेगा क्या अब तो बैठा रह और पिक्चर देख हा हा हा हा हा हा "
मेरा लंड शिप्रा दीदी के मुह में था वो कभी जीभ मेरे लंड के टोपे पे घुमा रही थी तो कभी अपने होंठो से मेरा लंड चूस रही थी इसी मदहोशी में मुझे ध्यान ही नहीं रहा और मेरा हाथ प्रीती दीदी की जांघ पे चला गया और मैं उनकी जींस के ऊपर से उनकी जांघ पे हाथ फेरने लगा मैं इसी मदहोशी में अपना हाथ प्रीती दीदी की जांघ पे फेरते फेरते ऊपर उनकी दोनों जांघो के बीच में लेके जाने लगा तभी हॉल में लाइट चली गयी मूवी बंद हो गयी और गेट कीपर ने टोर्च जलाई मैं होश में आया और मुझे एहसास हुआ की मेरा हाथ प्रीती दीदी की चूत से थोडा ही दूर है मैं डर गया मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया शिप्रा दीदी भी जल्दी से उठ के अपनी सीट पे बैठ गयी मैंने अपना लंड अंदर किया और मैंने शिप्रा दीदी के कान में बोला "यार दीदी एक प्रॉब्लम हो गयी " शिप्रा दीदी ने पूछा "क्या हुआ ....रुक तो जा चूस रही हू ना मूवी तो स्टार्ट होने दे "
मैंने कहा " नहीं दीदी यार वो बात नहीं है जब आप चूस रही थी ना तो मैं इतना मदहोश हो गया की गलती से मेरा हाथ प्रीती दीदी की झांग पे चला गया मैं अपना हाथ उनकी झांग पे फेरा काफी देर तक अब बहुत डर लग रहा है " तो शिप्रा दीदी बोली "यार सोनू तू भी ना हम दोनों को मरवाएगा रुक मैं कुछ करती ह " फिर कुछ देर सोच के वो बोली " एक काम कर अभी पूरा अँधेरा है तू मेरी सीट पे आजा मैं तेरी सीट पे आ जाती हु जल्दी कर " फिर हम दोनों ने अपनी सीट बदल ली मैंने अब जाके थोड़ी रहत की सांस ली और मन में सोचने लगा की यर आज तो प्रीती की नरम नरम झांगो पे मेरा हाथ था और उनकी चूत पे पहुँचने ही वाला था आज प्रीती दीदी ने कौन से कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई होगी ये सब सोच सोच के मैं बहुत उत्तेजित हो गया था मैंने शिप्रा दीदी के कान मैं कहा "दीदी करो ना चूसो ना " शिप्रा दीदी बोली "ओये अब कुछ नहीं हो सकता स्टुपिड दिमाग तो लगा अगर यहाँ से झुकुंगी तो प्रीती को पता नहीं चलेगा क्या अब तो बैठा रह और पिक्चर देख हा हा हा हा हा हा "
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.