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Adultery यादों के झरोखे से
#54
Heart 
उसका गाउन खिसक कर कमर तक आ चुका था जिसे मैंने उठा कर गर्दन तक खींच दिया। अब उसकी नंगी संगमरमरी चूचियां मेरी आँखों के सामने थीं। गुलाबी रंगकी बड़ी-बड़ी बम्बइया आम जैसी मांसल चूचियां उस पर लगभग ढेड इंच व्यास का कत्थई कलर का गोल घेरा जिसमे Wi - Fi एंटीना के माफिक सीधीं तनीं हुईं निप्पलस...।

दोस्तों ऊपर वाले ने हम लंड वालों को तो सिर्फ बचा मटेरियल आगे टांगो के जोड़ पर चिपका कर छुट्टी पा ली लेकिन उसने इन चूत वालियों को पूरी कायनात में सबसे खूबसूरत बनाने में अपनी सारी काबिलियत लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

मेरा लंड अभी भी मेरी चड्डी में बिलकुल पिटारे में बंद नाग के माफ़िक फनफना रहा था। मैंने उसकी एक चूची को मसलते हुये दूसरी के निप्पल को मुंह में लेकर चुभलाते हुए चूसना शुरू कर दिया।

"सी S S S S S आह... हां... हां... और मसलो भैय्या... ज़रा और कस कस के मसलो"
सायरा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी, उसके नथुनों से सांस की जगह जैसे फुंफकार निकल रही थी।

"आओ ना भैय्या"

"मैं तो तेरे बगल में ही लेटा हूँ, मैं गया कब था"

मेरी बात सुनकर वह एक झटके से उठी और अपना गाउन गले से निकाल कर पूरी नंगी हो गयी। मैंने भी अपनी टाँगे फैला कर चड्डी में तम्बू बनाये लंड को थोड़ा और उभार दिया। उसने आगे बढ़ कर मेरी लुंगी एक तरफ फैंक कर चड्डी उतार दी। मेरा लंड भी मेरी तरह ही पता नहीं कब से इसी पल इंतज़ार कर रहा था, वो एक दम से फुंफकार मारता हुआ तन के खड़ा हो गया। हम दोनों इस वक़्त पूरी तौर से नंगे हो चुके थे।

"आ...ह कितना मोटा और लंबा है भैय्या तुम्हारा और कितना टाइट हो रहा है" -सायरा ने मेरे लंड को मुट्ठी में ले के दबाते हुए कहा।

मेरे लंड का सुपाड़ा उसके हाथों की नरमी पा कर सुर्ख टमाटर जैसा फूल कर कुप्पा हो चुका था। वह उचक कर मेरे मुंह को अपनी दोनों टांगो के बीच लेकर मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में लेट गयी जिससे उसकी चूत ठीक मेरे मुंह पर आ गयी और मेरा लंड उसके हाथों में बिलकुल होठों के नज़दीक था। 

उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी ऐसा लग रहा था कि उसने आज ही हेयर रिमूवर का इस्तेमाल किया था। मैंने दोनों हाथो से उसकी रस छोड़ती चूत की दोनों फांकों को अलग किया और गप्प से अपनी जीभ उसकी गुलाबी गुफा में घुसा दी। उसका बदन उत्तेज़ना में बुरी तरह काँप रहा था। 

हम दोनों की हालत तकरीबन एक जैसी ही हो रही थी। उसने मेरे लंड की खाल को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया फिर अपनी जीभ निकाल कर सुपाड़े पर फिराने लगी। मेरी हालत बहुत पतली हो रही थी, उसके मुंह में जाते ही मेरे लंड की सारी नसें तन गयीं थीं। मैं नीचे से कमर उचका उचका कर उसका मुंह चोद रहा था तो वह अपनी चूत में मेरी जीभ को ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेकर चुदवा रही थी।

मैं उसकी चूत की मोटी मोटी संतरे जैसी फांको को चूसते हुए उसकी गांड में गपागप उंगली कर रहा था। वह उ... म्म हूं हूं... की आवाजे निकालती हुई मेरे लंड को चूस रही थी। उसने मारी उत्तेज़ना के अपनी टांग को मेरी गर्दन पर लपेट कर अपनी चूत बिलकुल मेरे मुंह में घुसा दी।

वो अपने एक हाथ से मेरी बाल्स को भी मसल रही थी, मैं जल्दी ही झड़ने के कगार पर पहुँच गया और जोर -२ से साँसे लेने लगा, वो समझ गयी और जोर से चूसने लगी, तभी मेरे लंड ने पिचकारी मार दी जो सीधे उसके गले के अन्दर टकराई, वो रुकी नहीं और हर पिचकारी को अपने पेट में समाती चली गयी, इधर उसकी चूत से भी फिर से फव्वारे छूटने लगे थे। हम दोनों ही मुस्कराते हुए विजयी मुस्कान के साथ बेड पर पड़े हांफ रहे थे।

उधर दीदी बिना हिले डुले हमारी तरफ पीठ किये लेटीं थीं। मैं जानता था कि वह जग रहीं है लेकिन उनकी सूजी और घायल चूत को कम से कम चौबीस घंटे का रेस्ट मिलना बहुत ज़रूरी था। और फिर मेरे लिए रात काटने के लिए सायरा की चूत तो चुदने के लिए तैयार थी ही सो मैंने दीदी को डिस्टर्ब न करना ही मुनासिब समझा।

सायरा अब सीधी होकर किसी नागिन के मानिंद मेरे से चिपकी लेटी थी। जाहिर था कि उसकी चूत की खुजली मेरी जीभ से शाँत नहीं हुई थी और वह अब बिना लंड पिलवाये मानने वाली नहीं थी।

मेरा लंड भी बिना चूतरस पिए कहां शांत होने वाला था सो मैंने बिना ज़्यादा वक़्त गंवाये उसे फ़टाफ़ट चोदने के लिए अपने नीचे दबोच लिया।

"आराम से भैय्या! मेरी चूत कहीं भागी नहीं जा रही है" -सायरा अपनी टाँगे चौड़ी करके मेरी कमर पर लपेटती हुई बोली।

"अब तो बिना चुदे अगर भागना चाहेगी तब भी नहीं भाग पायेगी… आज तो तेरी चूत और गांड दोनों में अपना लंड पेलूँगा" -मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को कस के मसलते हुए कहा।

"हा…… य, अभी तक यही सुना था कि गांड मरवाने में थोडा दर्द ज़रूर होता है लेकिन मज़ा चूत मरवाने से कम नहीं आता, आज ये भी ट्राई करके देखती हूँ"

"मेरे लंड को तो हर टाइट छेद में अन्दर बाहर होने में मज़ा आता है"

"तो फिर करो ना, टाइम क्यों वेस्ट कर रहे हो… अब बस पेल दो भैय्या… बहुत दिन से मेरी चूत ऐसे ही किसी लंड की चाहत में तड़प रही थी, आज कहीं वो मौका हाथ लगा है"

"चिंता मत कर, मैं केवल चूतों की प्यास बुझाने के लिए ही लुधियाने आया हूँ"

"क्या मतलब? किसी और की चूत पर भी निगाह है क्या?"

"अरे! लुधियाने आकर तो आँख बंद करके भी कमर हिलाओ तो लंड सीधा चूत से टकराता है, मज़ा आ गया लुधियाने में तो"

"फिलहाल तो इस चूत पर ध्यान लगाओ भैय्या, बहुत कुलबुला रही है"

"तो फिर देर किस बात की, चल बन जा घोड़ी… मेरा लंड कब मना कर रहा है"

"हाय हाय कैसा काले नाग सा फुंफकार रहा है... म्म म्म uuuu आह"

कह कर सायरा ने मेरे लंड के सुपाडे पर एक पप्पी जड़ दी।

उसकी पावरोटी जैसी फूली हुई चूत देख कर मेरा लंड तो बुरी तरह से दहाड़े मारने लगा था। आज तो उसका जलाल देखने लायक था। 8” का मोटा गेहुंआ रंग 120 डिग्री में मुस्तैद जंग लड़ने वाले सिपाही की तरह। मैंने उसे सीधा लेटा दिया। अपनी तर्जनी अंगुली पर थूक लगाया और उसकी पहले से ही गीली चूत में गच्च से डाल दी तो वो चिहुंकी, “ऊईई... अम्मी... ”

अब देर करना कहाँ की समझदारी थी मैंने झट से अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक जोर का धक्का लगाया। आधा लण्ड गप्प से उसकी रसीली चूत में चला गया। एक दो झटकों के साथ ही मेरा पूरा का पूरा फनफनाता हुआ लण्ड जड़ तक उसकी चूत में फिट हो गया। वो थोड़ा सा चिहुंकी पर बाद में सीत्कार के साथ 'आ… उईईई... आँ...' करने लगी

मैंने दनादन 4-5 धक्के कस कर लगा दिए। अब तो मेरा लण्ड दुगने उत्साह से उसे चोद रहा था। क्या मक्खन मलाई चूत थी। बिल्कुल दीदी की तरह। चुदी होने के बाद भी एक दम कसी हुई। उसकी चुदाई करते मुझे कोई 20 मिनट तो हो ही गए थे। उसकी चूत इस दौरान 2 बार झड़ गई थी और अब मेरा शेर भी किनारे पर आ गया था। मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ तो वो बोली अन्दर ही निकाल दो। मैंने उससे कहा कि अगर कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?

तो वो बोली- “आखिर M B B S कर रही हूँ , इस ज़रा सी बात के लिए चुदाई का पूरा मज़ा क्यों ख़राब किया जाये !”

मैंने उसे बाहों में जोर से भींच लिया और फ़िर 8-10 करारे झटके लगा दिए। उसने भी मुझे उतनी ही जोर से अपनी बाहों में भींचा और उसके साथ ही मेरे लंड ने पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी । 

मेरे लण्ड ने जैसे ही पहली पिचकारी छोड़ी ड्राइंग रूम में लगी दीवाल घड़ी ने भी टन्न टन्न 12 घंटे बजा दिए और मेरे लण्ड से भी दूसरी… तीसरी… चौथी. पिचकारियाँ निकलती चली गई।

हम लोग कोई 10 मिनट इसी तरह पड़े रहे।

CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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RE: यादों के झरोखे से - by KHANSAGEER - 18-05-2024, 11:13 AM



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