17-05-2024, 04:14 PM
दीदी की ब्रा को भी उतार दिया। उनके दोनों दूध एकदम तने हुए थे। मैंने दीदी के मम्मों को खूब चूसा और मसल मसल कर लाल कर दिया। दीदी आंख बंद करके मजे ले रही थीं। उनकी हल्की हल्की आह आह भी निकल रही थी। उसके बाद मैं अपनी दीदी की पैंटी उतारने लगा। दीदी ने अपनी गांड उठाकर पैंटी उतरवाने में भी हेल्प की। अब दीदी बिल्कुल नंगी थी। मैंने अपनी दीदी के पूरे शरीर को किस किया और बाद में मैं दीदी की चूत को चूसने लगा। दीदी अपने मुंह को जोर से हाथ से दबा कर रखी थी ताकि कामुक सिसकारियां न निकले। तभी थोड़ी तो निकल ही जा रही थी। कुछ देर बाद दीदी ने अपनी चूत की मलाई मेरे मुंह में ही छोड़ दी और मैं दीदी की चूत का खट्टा रस पी गया। दीदी की चूत चूसे जाने से पूरी लाल हो गई थी। अब मैंने दीदी की चूत के ऊपर ही अपना लंड हिलाना चालू किया और मुठ मारकर उनकी चूत के ऊपर ही टपकाकर नंगा हो गया। फिर से कुछ दिन तक हम दोनों भाई बहन का ऐसे ही खेल चलता रहा। सुबह सोकर उठने के बाद हम दोनों भाई बहन ऐसे रहते थे मानो हम दोनों कुछ करते ही नहीं हैं। मतलब एकदम नार्मल रहते थे। फिर एक दिन मैंने दीदी की चूत चूसकर आधे रास्ते में छोड़ दी। दीदी व्याकुल हो उठी। मैंने उनके दूध चूसना शुरू किया और उसके बाद उनके कान को चूसते हुए कहा दीदी मुझे लंड अंदर पेलना है। दीदी कुछ नहीं बोली। मैंने दांव खेला और कहा यदि चूत चुसवाने है तो लंड भी चूसना पड़ेगा। दीदी ने अभी कुछ नहीं कहा।.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
