17-05-2024, 04:13 PM
पहली बार मैंने अपनी दीदी के जिस्म की गर्माहट का एहसास किया था। उसके बाद जब भी मैं दीदी के साथ सोता तो इस बात को देखता था कि मेरी दीदी मेरे साथ ऐसे ही चिपककर सोती थी। मुझको भी बहुत मजा आने लगा था और ऐसे में मेरा लंड खड़ा होने लगा था। शुरुआत में तो नहीं लेकिन बाद में मैं कुछ ही देर में अपनी चड्डी में ही झड़ जाता था। इतना सब होने के बाद भी मैं दीदी के साथ कुछ नहीं करता था। कुछ दिन ऐसे ही यह सब चलता रहा। मैं भी दीदी को इस बारे में कुछ नहीं बोल था और न ही दीदी कुछ बोलती। फिर एक दिन मैं दीदी के पास सोया हुआ था। इस बार मैंने जान बूझकर दीदी के ऊपर अपना पैर चढ़ा दिया और एक हाथ दीदी के बूब्स पर रख दिया। जब उनकी तरफ से कोई प्रतिकार नहीं हुआ तो मैंने उनका एक दूध दबा भी दिया। दीदी अभी भी कोई रियेक्ट नहीं कर रही थी। इससे मेरा मनोबल और बिगड़ गया। मैंने कुछ देर बाद अपना एक हाथ दीदी की पैंटी में डाल दिया और उनकी चूत सहलाने लगा। दीदी आराम से सो रही थी और कोई रियेक्ट भी नहीं कर रही थी। कुछ देर बाद मैंने दीदी को हिलता हुआ सा देखा तो अपनी दम साधे उसी पोजीशन में लेटा रहा। तभी दीदी ने अपने पैरों को थोडा और फैला दिया। इससे उनकी चूत सहलाने में मुझे आसानी हो गई। मेरा हाथ अभी भी दीदी की पैंटी में ही घुसा हुआ था तो मैंने उनकी फैली हुई टांगों के बीच चिकनी चूत को और आसानी से सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद दीदी की चूत गीली हो.
गई और दीदी झड़ गई। उनके झड़ते समय उनका जिस्म थोड़ा कर भी गया था जिसे मैंने बखूबी महसूस भी किया था। इससे मुझे बेहद सनसनी हुई थी और मैं भी अपने लंड को हिला कर सो गया था। ऐसे ही यह सब बहुत दिन तक चलता रहा। अब भी हम दोनों से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। न ही दीदी की तरफ से कुछ सिग्नल मिल रहा था और न ही मैं कुछ ज़्यादा कर पा रहा था। फिर एक दिन पढ़ाई करते करते मैं दीदी के पास ही सो गया। रात के 02:00 बजे के आसपास मेरी नींद खुल गई। दीदी मुझको पकड़कर आराम से सो रही थी। मैंने दीदी को साइड में कर दिया और उठकर लाइट ऑन की। उन्हें एक बार गौर से देखा। आज दीदी नाईटी पहनकर सोई थी। मैं बाथरूम में जाकर पेशाब करके वापस आकर दीदी के पास ही लेट गया। कुछ देर बाद मैंने दीदी की नाइटी को उठाया तो देखता ही रह गया। दीदी ने आज पेंटी नहीं पहनी थी। मैं आज पहली बार किसी एलईडी देश की की नंगी चूत देख रहा था। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और एकदम पिंक चूत थी। चूत देखकर मन कर रहा था कि किस ले लूँ पर डर लग रहा था कि अगर दीदी जाग गई तो मेरी तो कहानी लिख जायेगी। हालांकि मुझको पता था कि दीदी को सब पता है। वे सोने का नाटक कर मजे लेती हैं। तभी मेरी गांड फट रही थी। कुछ देर तक मैंने सोचा। फिर दीदी के पैरों के बीच में आ गया। मैंने दीदी के पैर फैलाकर उनकी चूत पर एक किस किया। किस करते समय.
गई और दीदी झड़ गई। उनके झड़ते समय उनका जिस्म थोड़ा कर भी गया था जिसे मैंने बखूबी महसूस भी किया था। इससे मुझे बेहद सनसनी हुई थी और मैं भी अपने लंड को हिला कर सो गया था। ऐसे ही यह सब बहुत दिन तक चलता रहा। अब भी हम दोनों से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। न ही दीदी की तरफ से कुछ सिग्नल मिल रहा था और न ही मैं कुछ ज़्यादा कर पा रहा था। फिर एक दिन पढ़ाई करते करते मैं दीदी के पास ही सो गया। रात के 02:00 बजे के आसपास मेरी नींद खुल गई। दीदी मुझको पकड़कर आराम से सो रही थी। मैंने दीदी को साइड में कर दिया और उठकर लाइट ऑन की। उन्हें एक बार गौर से देखा। आज दीदी नाईटी पहनकर सोई थी। मैं बाथरूम में जाकर पेशाब करके वापस आकर दीदी के पास ही लेट गया। कुछ देर बाद मैंने दीदी की नाइटी को उठाया तो देखता ही रह गया। दीदी ने आज पेंटी नहीं पहनी थी। मैं आज पहली बार किसी एलईडी देश की की नंगी चूत देख रहा था। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और एकदम पिंक चूत थी। चूत देखकर मन कर रहा था कि किस ले लूँ पर डर लग रहा था कि अगर दीदी जाग गई तो मेरी तो कहानी लिख जायेगी। हालांकि मुझको पता था कि दीदी को सब पता है। वे सोने का नाटक कर मजे लेती हैं। तभी मेरी गांड फट रही थी। कुछ देर तक मैंने सोचा। फिर दीदी के पैरों के बीच में आ गया। मैंने दीदी के पैर फैलाकर उनकी चूत पर एक किस किया। किस करते समय.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.