16-05-2024, 08:04 AM
"वहीं ले जा रहा हूं जहां इस वक्त तुम्हें मेरे साथ होना चाहिए और वही कर रहा हूं जो कि मुझे बहुत पहले करना चाहिए था। तुम ऐसे घबरा क्यों रही हो? तुम भी तो यही चाहती हो ना? अपना हाथ यहां रखो। अच्छा लगेगा।" कहकर उसने मेरा दायां हाथ पैंट के ऊपर ठीक अपने लंड पर रख दिया। मुझे जैसे 440 वॉल्ट का करंट सा लगा। उसका लंड पैंट के अंदर खंभा बना हुआ था। मैं मानो बुत बन गई थी। मेरा हाथ मानो उसके लिंग के ऊपर चिपक सा गया था। क्या मैं सुबह से यही चाहती थी? अवश्य, अवश्य ही यही चाहती थी। तभी तो मन इतना उद्विग्न था। अब देखो, जैसे एक करार सा आने लगा था। इसकी अंतिम परिणति की कल्पना से ही रोमांचित हो उठी। मैं नशीली आंखों से उस बुड्ढे के चेहरे को देखती रह गई। पचपन साठ साल का आदमी मेरे हिसाब से बुड्ढा ही तो था। सांवला रंग, अधपके बाल, गठा हुआ शरीर और कद करीब पांच फुट दस इंच। बुड्ढा ही सही मगर देखने में दमदार मर्द था। मेरी उम्र के हिसाब से तो बिल्कुल भी बेमेल, लेकिन इस वक्त मुझे तलब थी एक अदद मर्द की। इस वक्त जो हो रहा था और जो होने वाला था उस पर निर्भर था कि आने वाले समय में हमारे बीच और क्या क्या और कितना कुछ हो सकता था।
वह मुस्कुरा रहा था। उसकी मुस्कराहट में एक आत्मविश्वास था। किसी भी प्रकार की झिझक का नामोनिशान नहीं था। इधर उसकी मुस्कराहट देखकर मैं घबरा रही थी साथ ही आज अचानक उसकी हिमाकत पर मैं भयमिश्रित विस्मय की स्थिति में थी। आखिर आज वह दिन आ ही गया जिसके लिए मैं उतनी गंभीर तो नहीं थी लेकिन प्रयास रत जरूर थी। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा था। अब वह अपने मन की करने को आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार था। मेरा हाथ उसने अपने हथियार के ऊपर रख तो दिया था लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं करूं तो क्या करूं।
"क्या हुआ, बस यूं ही हाथ रखी रहोगी?" वह बोला।
"मुझे पता नहीं क्या हो रहा है। सही हो रहा है कि गलत?" मैं कांपती हुई आवाज में बोली।
"यह बेवजह की तुम्हारी घबराहट है। सही ग़लत की बात तुम बोल रही हो? विश्वास नहीं होता है। घुसा जैसे आदमी के साथ तुम्हारा जो होता आ रहा है, वह सही है या ग़लत? सही ही होगा तभी ना यह सब चल रहा है? जब घुसा जैसे आदमी के साथ यह सब हो सकता है तो मेरे साथ क्यों नहीं? मैं घुसा की तुलना में खराब हूं क्या? अगर खराब हूं तो अभी बोल दो।" वह बोला।
"नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है।" मैं नर्वस होती हुई बोली। "फिर क्या बात है?"
"मुझे घबराहट हो रही है।" मैं अपनी घबराहट छिपा नहीं पाई।
"अब घबराने की क्या जरूरत है। अब वही तो होने जा रहा है जो तुम चाहती थी। उस दिन तो बड़े आराम से मेरा पकड़ी थी? अब क्या हुआ?"
"अअ उस वक्त तो जोश जोश में वह सब कर गयी थी।" मैं अपनी आवाज की कंपन को छिपा नहीं पा रही थी। "अब क्या हो गया? सारा जोश खत्म?"
"न न नहीं, एक अअअ अजीब तरह की फीलिंग हो रही है। एक तरह का डर सा लग रहा है। जो जो जोश जोश में जो सोच रही थी वह सच होने जा रहा है ना। द द देख रही हूं आप इतने सीरियस हैं और इस वक्त आप सचमुच में करने के पूरे मूड में हैं ततत तो सोचना पड़ रहा है, प प पता नहीं आपके साथ हो पाएगा कि नहीं।" मैं घबरा कर हकलाते हुए बोली। मेरा गला सूख रहा था।
वह मुस्कुरा रहा था। उसकी मुस्कराहट में एक आत्मविश्वास था। किसी भी प्रकार की झिझक का नामोनिशान नहीं था। इधर उसकी मुस्कराहट देखकर मैं घबरा रही थी साथ ही आज अचानक उसकी हिमाकत पर मैं भयमिश्रित विस्मय की स्थिति में थी। आखिर आज वह दिन आ ही गया जिसके लिए मैं उतनी गंभीर तो नहीं थी लेकिन प्रयास रत जरूर थी। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा था। अब वह अपने मन की करने को आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार था। मेरा हाथ उसने अपने हथियार के ऊपर रख तो दिया था लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं करूं तो क्या करूं।
"क्या हुआ, बस यूं ही हाथ रखी रहोगी?" वह बोला।
"मुझे पता नहीं क्या हो रहा है। सही हो रहा है कि गलत?" मैं कांपती हुई आवाज में बोली।
"यह बेवजह की तुम्हारी घबराहट है। सही ग़लत की बात तुम बोल रही हो? विश्वास नहीं होता है। घुसा जैसे आदमी के साथ तुम्हारा जो होता आ रहा है, वह सही है या ग़लत? सही ही होगा तभी ना यह सब चल रहा है? जब घुसा जैसे आदमी के साथ यह सब हो सकता है तो मेरे साथ क्यों नहीं? मैं घुसा की तुलना में खराब हूं क्या? अगर खराब हूं तो अभी बोल दो।" वह बोला।
"नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है।" मैं नर्वस होती हुई बोली। "फिर क्या बात है?"
"मुझे घबराहट हो रही है।" मैं अपनी घबराहट छिपा नहीं पाई।
"अब घबराने की क्या जरूरत है। अब वही तो होने जा रहा है जो तुम चाहती थी। उस दिन तो बड़े आराम से मेरा पकड़ी थी? अब क्या हुआ?"
"अअ उस वक्त तो जोश जोश में वह सब कर गयी थी।" मैं अपनी आवाज की कंपन को छिपा नहीं पा रही थी। "अब क्या हो गया? सारा जोश खत्म?"
"न न नहीं, एक अअअ अजीब तरह की फीलिंग हो रही है। एक तरह का डर सा लग रहा है। जो जो जोश जोश में जो सोच रही थी वह सच होने जा रहा है ना। द द देख रही हूं आप इतने सीरियस हैं और इस वक्त आप सचमुच में करने के पूरे मूड में हैं ततत तो सोचना पड़ रहा है, प प पता नहीं आपके साथ हो पाएगा कि नहीं।" मैं घबरा कर हकलाते हुए बोली। मेरा गला सूख रहा था।