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Adultery मौके पर चौका
#45
Heart 
इतना सुनते ही मैंने आपा की जांघें फैलायी और अपने लण्ड को उनकी चूत के अंदर एक ही झटके में पेल कर चुदाई शुरु करते हुए कहा- "आपा यार, ये झांटे साफ़ कर लिया करो, मुझे चिकनी चूत पसंद है"

"आह ... ओह मेरी अम्मी! आराम से चोद और तुझे अगर झांटे पसंद नहीं हैं तो तुझे खुद साफ़ करनी होंगी। मैंने एक बार की थी मुझे कई जगह कट लग गए तब से मैं साफ़ ही नहीं करती हूँ" -आपा ने टाँगे ऊपर उठा कर फैलाते हुए कहा

दोनों भाई बहन अब फूल मस्ती से चुदाई का लुत्फ़ उठा रहे थे। मैं फुल स्पीड से आपा को चोद रहा था। आपा भी अब पूरी तौर से खुल कर चुदवा रहीं थीं।

आपा अपनी आँखे बंद किये अपनी चूत में मेरा लण्ड लेते हुए बोलीं- "सग़ीर, मेरे भाई! रफ़ीक़ के आने से पहले तू मेरी कोख में अपनी औलाद डाल देगा ना?"

मैं चुदाई का रफ्तार तेज़ करके बोला- "आप चिन्ता मत करो आपा, आप जीजू के आने से पहले ही पेट से हो जाओगी"

समीना नशीली आवाज़ में बोली- "भाई! जब रफ़ीक़ वापस चले जायेंगे तो मैं फिर से आऊंगी तेरे साथ रहने, तूने हक़ीक़त में मुझे चुदाई का सुख दिया है, कल से पहले मुझे मालूम ही नहीं था कि चुदाई में इतना मज़ा मिलता है मेरे भाई"

आपा अब हर धक्के पर नीचे से अपने चूतड़ उठा देतीं थी जिससे अब मेरा लण्ड सीधा उनकी बच्चेदानी पर चोट कर रहा था।

आपा उत्तेजना भरी आवाज़ में बोली- "यह तेरा खतरनाक लण्ड बेचारी रज़िया कैसे झेलती होगी"

मैं अपनी आपा की चूत को तेज़ रफ़्तार से चोदते हुए बोला- "जैसे आप इस वक़्त झेल रही हो, वैसे ही रज़िया भी झेल लेती है। ये जो ऊपर वाले ने आप लोगों को जो चूत तोहफे में दी है, ये बड़े से बड़े लण्ड को भी खाने की ताक़त रखती है"

आपा बोली- "कल रात तो मैं इसे फ़रिश्ते का लण्ड समझ कर झेल गयी। कल से पहले मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि लण्ड भी इतने मोटे और लम्बे होते है। इसने मेरी पूरी चूत ही फाड़ दी थी। भाई तेरे लण्ड ने तो मेरी चूत पूरी खोल दी है। अब तो तेरे जीजू का लण्ड तेरी आपा की चूत में ऐसे जाएगा जैसे कुएँ में बाल्टी"

इस तरह की मज़ेदार बातें करते करते हम दोनों भाई बहन ने अलग अलग स्टाइल से चुदाई की फिर मैं और आपा दोनों एक साथ झड़ने लगे तो हम बुरी तरह हांफने लगे थे।

हम दोनों के चेहरे पर खुशी झलक रही थी। मैं इसलिए खुश था कि एक तो मुझे नयी और कसी हुई चूत मिली और दूसरे इसलिए कि मैं अपनी आपा को औलाद का सुख दे पाऊँगा।

आपा इसलिए खुश थी कि एक तो उन्हें औलाद का सुख मिल जाएगा और भाई के मोटे लण्ड से आज उन्हें असली चुदाई का मजा मिल रहा है।

फिर समीना आपा अपना गाऊन सम्भालती हुई बोली- "भाई, आधी रात को एक बार मेरे कमरे में जरूर आ जाना, इस चूत की आग अब तेरे लण्ड से ही शांत होगी मेरे भाई"

मैंने भी खुश होते हुए कहा- "ठीक है आपाजान"

समीरा हंस कर बोली- "आपा को अपनी जान बना लिया? बदमाश कहीं का, अब तू जा कहीं किसी को शक हो गया तो गड़बड़ हो जाएगी"

मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर निकल आया।

जब तक रज़िया और अम्मी वापस आई तब तक मैं बाहर बाइक को साफ़ करने का नाटक करने लगा।

इधर समीना आपा अपनी चुदाई की थकान मिटा कर एक घण्टे बाद नीचे आयी और खुशी खुशी मेरी बीवी से बात करने लगी।

रात का खाना खाकर सब अपने अपने कमरे में चले गये। मैं रज़िया को एक बार चोद कर उसे सुला कर आपा के कमरे में जाना चाहता था लेकिन उस रात उसने मुझे कहीं नहीं जाने दिया।

भले ही उस रात मैंने रज़िया की एक ही बार चुदाई की लेकिन वो पूरी रात मेरे लण्ड को हाथ में लेकर मुझसे बातें करती रही। रज़िया का रोमांस काफी देर तक चलता रहा। आखिर देर रात मैंने रज़िया को एक बार और चोद कर सुला दिया और मैं भी सो गया फिर सुबह आठ बजे मेरी नींद खुली।

फिर सुबह मैं नहा धोकर समीना आपा को मजार पर ले गया। दुआ के बाद मैं आपा को पास वाले जंगल में ले गया, वहां मैंने आपा को नंगी करके पेड़ के सहारे खडी करके पीछे से मस्त चोदा। यही जंगल चुदाई हम दोनों भाई बहन ने शाम को मजार पर जाने के बहाने की।

अब मेरा रोज का काम हो गया कि मैं रात को अपनी बीवी रज़िया को एक बार जोर से चोद कर ठण्डी कर देता और फिर आधी रात के बाद समीना आपा के कमरे में जाकर मैं उनकी चुदाई करता।

थोड़े दिन बाद समीना की डेट आनी थी जो नहीं आयी। फिर भी आपा ने यह खबर किसी को नहीं बताई।

फिर कुछ दिन बाद रज़िया की डेट नहीं आई तो उसने मुझे और अम्मी को ये बात बताई। अम्मी ने यह बात अब्बू को और समीना को बतायी तो सब खुश हो गए।

तब अचानक मुझे लगा कि मैं दो हफ्ते से समीना आपा को चोद रहा हूँ, उनकी डेट कब आनी थी, यह मैंने पूछा ही नहीं।

मुझे लगा कि जरूर समीना आपा की डेट निकल चुकी होगी और उनकी कोख भी रज़िया की तरह भर गयी होगी क्योंकि मैंने अपनी बीवी को कम और आपा को पिछले दिनों ज्यादा चोदा था। आगे आपा की डेट आती तो वो चुदाई बंद कर देती लेकिन ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था। बल्कि आपा उसी ज़ोर शोर से रोज़ चुदाई करवा रहीं थीं।

मैं आपा के कमरे में गया और उनकी डेट के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी डेट रज़िया से दो रोज पहले थी जो नहीं आयी थी।

यह सुन कर मैं खुशी से झूम उठा। मैंने आपा के लबों को चूम लिया और उन्हें गले से लगा लिया।

जीजू के आने में अब दो दिन ही बचे थे। आपा को अभी भी मजार पर कुछ दिन और दुआ मांगनी थी तो जीजू हमारे घर ही आये। अब आपा और मेरी चुदाई बंद हो गयी। जीजू रोज रात को आपा को चोदते थे। आपा रोज मुझे बताती थी कि कैसी चुदाई हुई। आपा को जीजू का लंड अब चूत में पता भी नहीं लगता था। उन्हें जीजू से चुदाई में ज़रा भी मजा नहीं आता था।

जीजू पाँच दिन हमारे घर रुक कर दो दिन के लिए अपने घर पर रुके और फिर वापिस चले गए।

रफ़ीक़ जाने के बाद अब मैं और समीना पहले की तरह फ्री होकर चुदाई करने लगे।

जीजू के जाने के दस पंद्रह दिन बाद आपा ने अम्मी को अपनी माहवारी ना आने का बताया तो अम्मी खुश हो गयी और उन्होंने आपा की सासू को फोन करके यह खुशखबरी दी। वो भी बहुत खुश हुई और काफी फल मिठाई तोहफे लेकर वो हमारे घर आयी और इस खुशी में शरीक हुई।

आपा की सासू उन्हें अपने घर ले जाना चाहती थी लेकिन आपा ने अभी मजार जाने का बहाना बना कर उन्हें टाल दिया। असल में आपा को मेरे लंड की लत लग गयी थी।

जब समीना और रज़िया का पेट फूल कर आगे निकलने लगा तो रज़िया की अम्मी आकर उसको अपने घर ले गई।

इधर समीना की सासू ने समीना को अपने घर ले जाने की बात की तो आपा ने बड़ी चालाकी से ससुराल जाने से मना कर दिया- "अम्मी! जिस मजार पर दुआ करने से मुझे यह खुशी मिली है, उसे मैं खुशी पूरी होने तक नहीं छोडूंगी"

समीना आपा की इस चालाकी से मैं बहुत खुश था। चार पांच महीने तक आपा दिन रात मुझसे टाँगे फैला कर पूरा जड़ तक लण्ड ले लेकर हचक के चुदी फिर मैंने समझाया कि अब चुदाई बच्चे के लिए ठीक नहीं रहेगी तब वह किसी तरह मन मार कर शांत हुईं।

आखिर में नौ महीने बाद वही हुआ। समीना के बेटी हुई और मेरी बीवी रज़िया ने एक बेटे को जन्म दिया।

बच्चा पैदा करने के बाद समीना को अपनी ससुराल जाना पड़ा लेकिन बीच बीच में मौका निकाल कर आज तक वो चुदने मेरे पास आ जातीं हैं।

आज तक समीना आपा की औलाद का असली राज़ कोई नहीं जान पाया। अम्मी तो यही सोचती हैं कि आपा की औलाद फ़रिश्ते के चोदने से हुई है।

आप लोगों को मेरी कहानियां कैसी लगतीं है, यह कमेंट में ज़रूर बताया करिये।

अगली कहानी आने तक अपने दोस्त सग़ीर ख़ान को इज़ाजत दीजिये।

ख़ुदा हाफिज।  Namaskar Namaskar
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 27-04-2024, 12:09 PM
RE: मौके पर चौका - by sri7869 - 27-04-2024, 02:22 PM
RE: मौके पर चौका - by Chandan - 05-05-2024, 10:14 AM
RE: मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 15-05-2024, 01:20 PM
RE: मौके पर चौका - by Eswar P - 27-05-2024, 12:50 PM



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