14-05-2024, 07:28 PM
समीना- "तेरे जीजू बीस दिन के बाद आने वाले हैं"
फिर ऐसे ही आपा बोली- "वैसे तेरी बीवी हर महीने गोलियां खाकर कुछ अच्छा नहीं कर रही, देख रहा है न मेरी हालत"
मैं- "क्या बताऊँ आपा… रज़िया अभी औलाद नहीं चाहती"
समीना- "अरे पहले एक बच्चा तो होने दो फिर जो मन में आये करो। आज सुबह सुन लिया ना। अम्मी पोते-पोती के लिए तरस रही हैं"
मैं हंस कर बोला- "तू सबसे बड़ी है। पहले तू फिर रूही आपी एक एक बच्चे की अम्मी बन जाएँ फिर मैं रज़िया को तो यूँ अम्मी बना दूंगा" मैंने चुटकी बजाते हुए कहा
समीना- "हमारी अम्मी भी ना… अजीब बात करती हैं। अगर बेटा होगा तो तेरी शक्ल पर और बेटी हुई तो मेरी जैसी"
मैं और समीना दोनों ही मजार की भीड़ में काफी गर्म हो चुके थे। मेरा लण्ड तो अभी भी काफी टाइट था।
मुझसे खुद को सम्भालना अब मुश्किल हो रहा था। मैं आपा के पीछे खड़ा हो गया। इस वक़्त आपा गैलरी की रेलिंग पकड़ कर आगे झुक कर खड़ी थी। झुकने से आपा के गाउन के अंदर बिना पैंटी के नंगे चूतड़ और उनके बीच की दरार पीछे से साफ दिखाई दे रही थी।
मैं रुक नहीं पाया और अपनी हाफ पैंट को उतार कर आपा के पीछे चिपक गया।
लेकिन जैसे आपा को मेरी इस हरकत से कुछ भी नहीं हुआ वो अब भी बालकनी से बाहर झाँक रही थी।
अपनी धुन में खोई आपा बोली- "तू जानता है सग़ीर, अम्मी और मजार वाले सेवादार का दावा है कि इस बार मेरी कोख खाली नहीं रहेगी"
“आ … ऊऊऊ … अम्मी …” इस बीच मैं अपने लण्ड को आपा की गांड की दरार में दबा रहा था। आपा की चूत में इससे सरसराहट हुई तो उनकी सिसकारी निकल गयी।
अब मैंने आपा के गाउन को उनके कूल्हों से ऊपर किया और पीछे से अपना लंड आपा की चूत पर रख कर दबा दिया। एक तो मेरे लण्ड का मोटा सुपारा और दूसरे मेरी बहन समीना की चूत पर बढ़ी हुई झांटें… मेरा लंड आपा की चूत में नहीं जा पाया, वो उन्ही झांटों में बुरी तरह फंस गया।
मैं बोला- "आपा! हम सबकी दुआ आपके साथ है। इस बार आपकी कोख किसी भी कीमत पर खाली नहीं रहेगी"
मेरा लंड आपा की चूत में दाखिल हो नहीं पा रहा था। तो आपा ने अपनी दोनों टांगों को थोड़ा फैला दिया। मैंने आपा कि झांटे एक तरफ करके चूत का मुंह खोल दिया और देर न करते हुए अपने लण्ड के सुपाड़े पर ढेर सारा थूक लगाकर लण्ड को आपा की चूत पर चार पांच बार घिसा और चूत के छेद का आभास मिलते ही मैंने एक धक्का मारा और मेरे लण्ड का सुपारा आपा की चूत में चला गया।
भाई के लंड का गर्म सुपारा चूत के अंदर घुसते ही मेरी बड़ी बहन की चूत वासना से तपने लगी। अब समीना भी मेरे लण्ड के ऊपर अपने कूल्हों को दबा रही थी लेकिन ऐसे दिखा रही थी कि जैसे उसे कुछ पता ही नहीं कि क्या हो रहा था।
वो उसी तरह से मेरे साथ बात कर रही थी। हाँ अब समीना की आवाज ज़रूर भारी हो गयी थी।
वो उत्तेजना भरी आवाज़ में बोली- "कल रात फ़रिश्ते के आने से मेरी उम्मीद बढ़ गयी है सग़ीर अगर वो कल नहीं आते तो आज मैं नाउम्मीद ही हो जाती। आह … भाई ऊऊई … आउच"
अब तक मेरा आधा लण्ड आपा की चूत में घुस चुका था। इसी हालत में मैं अपने लण्ड को आपा की गीली चूत में आगे पीछे करने लगा।
मैं बोला- "आपा! अब तो आपकी उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए आपका भाई आपके पीछे खड़ा है। आपके होने वाली औलाद किसकी शक्ल लेकर आएगी? आपकी या रफ़ीक़ जीजू की?"
समीना आपा मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करती हुई नशीली आवाज में बोली- "मेरे राजा भाई सग़ीर जैसी शक्ल लेकर आयेगी मेरी औलाद"
मैं अपने लंड को अपनी बड़ी बहन की चूत में थोड़ा और धकेल कर बोला- "आपा, क्या सच में आपको रफ़ीक़ जीजू पसंद नहीं?"
समीना सिसकारी भरती हुई बोली- "एक तरफ तू अपनी और रज़िया की जोड़ी देख दूसरी तरफ रफ़ीक़ और मेरी जोड़ी देख फिर तू खुद फैसला कर। एक बीबी का तो इतने सालों में कुछ उखाड़ न पाया उस पर ज़नाब की दूसरी शादी की बात चल रही है"
मैं अपना लंड आपा की चूत में आगे पीछे करते हुआ बोला- "रज़िया और आपकी शक्ल तो बिलकुल मिलती है। कोई अनजान भी तुम दोनों को एक साथ देखे तो यही कहेगा कि तुम दोनों सगी बहनें हो, मुझे तो कभी कभी शक होने लगता है" मैंने आपा के चूतड़ पर हाथ मारते हुए कहा
समीना भारी आवाज़ से बोली- "हम दोनों सगी बहनें न सही … पर ममेरी बहनें तो हैं ना … रज़िया तेरी बहन ही थी, चोद लिया था कोई बात नहीं, वही मामले को रफा दफा कर देते। तुझे उससे निकाह करना नहीं चाहिए था"
मैं बोला- "फिर तुम सबने मिलकर खुशी खुशी हम दोनों का निकाह क्यों करवाया?"
समीना आपा ने हंस कर अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत से निकाला और बोली- "चल अंदर चलते हैं, अभी बहुत रौशनी है यहाँ किसी की भी नज़र पड़ सकती है"
फिर समीना मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई और अंदर जाकर हंसती हुई बोली- "मैं तो बिलकुल नहीं चाहती थी कि तू मामू की बेटी से शादी करे। अभी भी रज़िया तुझे भाईजान बुला देती है"
मैंने हंस कर समीना को पीछे से पकड़ा- "शौहर तो मैं उसका बाद में हुआ, पहले तो मैं रज़िया का भाई ही था। जितना हक रज़िया का मेरे ऊपर है उतना हक आपका रूही और हनी का भी मेरे ऊपर है। आपका वही हक़ तो अब अदा कर रहा हूँ"
समीना आपा भी मेरी बाकी दोनों बहनो की तरह पूरी तौर से खुल चुकी थी- "जब तुझे अपनी बहनों के ही जिस्म पसंद आते हैं तो हम क्या कर सकते हैं। एक बहन को बीवी बना कर चोदा तूने, अब दूसरी को तू किस हक़ से चोद रहा है बहनचोद?"
इतना सुनते ही मैं हंस कर बोला- "क्या बोली?"
समीना हंस कर बोली- "मैं तेरी सगी बड़ी बहन हूँ और तू मेरे सामने नंगा होकर अपना लण्ड हाथ में लिए अपनी सगी बड़ी बहन की चुदाई करने के लिए खड़ा है तो तू बहनचोद ही हुआ ना"
मैंने फटाफट समीना का गाउन उतारा और उन्हें पूरी तौर पर नंगा कर दिया फिर उन्हें बिस्तर पर लिटाते हुए बोला- "जब तुम जैसी हूर की परी मेरे घर में हो तो मैं बार बार बहनचोद बनूंगा"
समीना बोली- "सग़ीर! मेरे भाई, तुझे जो करना है, ज़ल्दी कर। अम्मी और रज़िया आने वाले होंगे"
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All