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Adultery मौके पर चौका
#40
Heart 
तब मैंने कुछ सोच कर सेवादार से कहा- "हाँ अगर ऊपर वाले की मेहरबानी हुई तो आज भी मेरी आपा को बरकत ज़रूर मिलेगी"

यह सब सुन समीना कुछ सोचने पर मजबूर हो गई। समीना बार बार अपने रिश्तों की नाप तोल करने लगी। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी। मैं भी काफी सोच समझकर ये बोला था फिर दोनों भाई बहन उस भीड़ में से रास्ता बनाते हुए संभल कर वापस लौटने लगे। समीना आगे आगे थी और मैं आपा के पीछे पीछे।

एक जगह पर ज्यादा भीड़ की वज़ह से हम दोनों बुरी तरह फंस गए। आपा को भीड़ से बचाने के चक्कर में मैं अनजाने में आपा के पिछवाड़े पर चिपक गया था। मैंने भीड़ में आपा को पीछे से अपनी बाहों के घेरे में ले रखा था इससे मेरे हाथ अनजाने में समीना की दोनों चूचियों के ऊपर आ गए थे। समीना एक हाथ में थैला लिए थी और दूसरे में अपना पर्स, इसलिए दोनों हाथ नीचे थे। जब आपा अपनी चूचियों पर मेरे हाथ महसूस हुए तो उनके जिस्म में जैसे हाई वोल्ट का करेंट दौड़ गया।

भीड़ कम नहीं हो रही थी। समीना की गांड के दवाब से मेरा लण्ड खड़ा होकर आपा की गांड की दरार में सेट हो गया। इतना सब होने के बावजूद भी आपा कुछ नहीं बोली तो मैं भी अब जानबूझकर अपने लंड को आपा की गांड में दबाने लगा। पैंटी न पहने होने से मेरे लण्ड को आपा की गांड की गर्मी सीधी महसूस हो रही थी।

जब आपा ने मेरी किसी हरकत का कोई विरोध नहीं किया तो मैं अपनी समीना आपा की चूचियों को हौले हौले मसलने लगा। उस भीड़ में काफी देर तक यही चलता रहा। अब मेरे साथ साथ समीना भी काफी गर्म हो गयी थी।

वासना के जोश में मैं अपने एक हाथ को आपा के सामने नीचे की तरफ ले गया और समीना की चूत तक पहुँच गया। मैं आपा की चूत को सहलाने लगा। तभी भीड़ कम होने लगी और मैंने अपना हाथ आपा की चूत से हटा लिया।

मैं सोच रहा था कि आपा मेरी इस हरकत से खुश तो ज़रूर हुई होंगी तो मैं आपा को दिखा कर अपनी उंगली को अपने नाक के पास लाकर सूंघने लगा। मुझे अपनी उंगली में से वही रात वाली खुशबू आ रही थी क्योंकि आपा की चूत गर्म होकर पानी छोड़ रही थी तो आपा की चूत का पानी मेरी उंगली तक पहुँच गया था।

अपने सगे भाई की ऐसी कामुक हरकत देख कर ज़ोहरा आपा की तीस साल की जवानी दहक उठी। आपा का चेहरा कामुकता से तमतमा गया था, उनकी आँखों में वासना साफ़ झलक रही थी। वे प्यासी निगाहों से मुझे देख कर मानों कह रहीं थीं 'सग़ीर! मेरे भाई, अब इस प्यास को तू ही बुझा कर मुझे माँ बना सकता है, मेरे भाई मेरी गोद तू ही अब भर सकता है'

फिर हम दोनों भाई बहन अपने जज्बातों पर काबू करके बाइक से घर आ गए।
जैसे ही मैंने बाइक घर के अंदर पार्क की, तभी अम्मी आकर बोली- "सग़ीर बेटा! मैं बहू को लेकर पास वाले पड़ोस के घर जा रही हूँ जब तक हम दोनों वापिस ना आयें, तब तक तू घर में रहना"

फिर अम्मी ने मेरी बीवी को आवाज दी- "रज़िया! बेटी ज़ल्दी आ"

तभी आपा की सासू का फ़ोन अम्मी के मोबाईल पर आया। अम्मी थोड़ा दूर खड़ी होकर समीना की सासू से बात करने लगी। कुछ देर बाद फ़ोन कट गया। अम्मी का चेहरा उतर गया था।

समीना- "क्या हुआ अम्मी?"

अम्मी गुस्से में अब्बू को कोसने लगी- "मैंने पहले ही कहा था कि वो रफ़ीक़ तेरे लिए ठीक नहीं है"

मैं- "अम्मी! आखिर बात क्या है?"

अम्मी गुस्से में- "समीना की सास कह रही है कि अगर इस बार इसके हमल ना रुका तो अगली बार रफ़ीक़ की दूसरी शादी करवा देगी"

मैं गुस्से में बोला- "अरे हमल कैसे नहीं रुकेगा?" फिर बात को सँभालते हुए बोला- "सेवादार आज कह रहे थे कि आपा को इस बार हमल ज़रूर रुकेगा"

तब तक रज़िया सजीधजी बाहर आई- "क्या हुआ अम्मी?"

अम्मी- "अभी तू चल, तुझे रास्ते में बता दूंगी"

इतना बोलकर अम्मी रज़िया को लेकर चली गई।

समीना आपा उदास होकर कमरे में चली गई। मैं अपने कपड़े बदलने के बाद सोचने लगा कि अब क्या करूं मैं? मैंने तय किया कि मैं आपा के पास जाता हूँ।

मैं जब आपा के कमरे में गया तो वो कमरे में नहीं थी। आपा को ढूंढते ढूंढते मैं छत पर चला गया।

मैंने देखा कि आपा अपने कपड़े बदल कर सिर्फ एक गाउन पहन कर गैलेरी पर खड़ी होकर नीचे देख रही थी। उनके झीने से गाउन में साफ़ पता चल रहा था कि उन्होंने ब्रा और पैंटी कुछ नहीं पहना है। इस उमर में भी उनकी चूचियां बिलकुल ठोस होकर तनी हुई थीं। उनके चेहरे से लग रहा था कि वे अंदर से टूट चुकी थी पर फिर भी आपा मुझे देख अपना दर्द छिपा कर मुस्कुरा दी।

मैं समझा कि शायद हमारे इस अकेलेपन का फायदा उठाने के लिए आपा गाउन पहन कर अंदर से बिलकुल नंगीं मेरा इंतज़ार कर रही हैं। मैं सीधा आपा के पास गया और उनकी बगल में खड़ा हो गया और गली का नज़ारा देखने लगा। पर समीना फिर से किसी सोच में डूब गई थी।

समीना अपने मन में सोच रही थी- "क्या करूँ मैं? कुछ भी समझ में नहीं आ रहा, मैं दो बार अपनी जांच करवा चुकी हूं। डॉक्टरनी के हिसाब से मैं औलाद पैदा कर सकती हूँ। ज़रूर रफ़ीक़ के अंदर कुछ कमी है ऊपर से वो अपनी जांच भी नहीं करवाता"

आपा अपनी सोच में खोई हुई थीं- "रज़िया बोल रही थी कि सग़ीर उसको हर महीने गर्भवती बना देता है। मतलब सग़ीर का बीज एकदम ठीक है। इधर सग़ीर को भी मुझे चोदने से परहेज़ नहीं है। कल रात जो हुआ, गलती से हुआ, लेकिन अब तो सग़ीर दोबारा से मुझे चोदना चाह रहा है"

समीना मन ही मन- "सग़ीर और मेरे बीच जो हुआ, वो नहीं होना चाहिए था और वो भी एक नहीं तीन तीन बार लेकिन अगर भाई को बुरा नहीं लग रहा तो मैं क्यों इतना सोच रही हूँ? रफ़ीक़ थोड़े दिन बाद हिन्दूस्तान आ रहे हैं। एक गलती तो मैं कर चुकी हूँ, अब अपने घर में अपने शौहर की दूसरी बीवी को आने से रोकने के लिए अगर उसी गलती को मैं जानबूझकर करूँ तो … तो मुझे यकीन है कि रफ़ीक़ के आने से पहले ही मैं भाई से चुदाई करवा कर हमल से हो जाऊँगी"

तभी मैं कुछ बात करने के लिहाज से बोला- "आपा! जीजू किस तारीख को हिन्दूस्तान पहुँच रहे हैं?"

वैसे मैं भी जानता था कि रफ़ीक़ कब आने वाले हैं लेकिन समीना से कुछ बात करके बात को आगे बढ़ना चाहता था।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 27-04-2024, 12:09 PM
RE: मौके पर चौका - by sri7869 - 27-04-2024, 02:22 PM
RE: मौके पर चौका - by Chandan - 05-05-2024, 10:14 AM
RE: मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 14-05-2024, 04:49 PM
RE: मौके पर चौका - by Eswar P - 27-05-2024, 12:50 PM



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