14-05-2024, 01:12 PM
हाजी यूनुस मेरा दोस्त एक मंच में काम करता था और नूर एक कॉलेज में उर्दू की टीचर बन गई
हालाँकि वो लोग चले गए थे लेकिन आज भी मैं नूर की
हालाँकि वो लोग चले गए थे लेकिन आज भी मैं नूर की
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.