29-12-2018, 09:55 PM
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कहां मैं उस बूढ़े भिखारी को बुद्धू समझ कर थोड़ा तफरी लेने गई थी और कहां उसने मुझे ही बेवकूफ बनाकर मेरा पूरा फायदा उठा लिया था… लगता है उस बूढ़े भिखारी ने मुझे जो पानी पिलाई थी उसमें शायद कोई तगड़ी नशीली चीज मिली हुई थी जिस वजह से मैं निढाल हो गई थी और कुछ देर के लिए मेरे शरीर को लकवा मार गया था इसी बीच उस भखारी ने मेरा काम तमाम कर दिया…
हालांकि रेलवे फाटक खोलने में चंद ही मिनट लगे लेकिन उस वक्त वह चंद मिनट मेरे लिए घंटों के बराबर लग रहे थे और लोगों की जो निगाहें मेरे उपर पड़ रहीं थी उससे मानो मेरा पूरा बदन जल रहा था...
रेलवे फाटक खुल गया था... मुझे रास्ता साफ दिख रहा था मैंने गाड़ी को गियर में डालकर आक्सेलरेटर पर अपना पैर जमा दिया... और गाड़ी तेज रफ्तार से भागने लगी...
गाड़ी चलाते-चलाते में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने निरोध का इस्तेमाल किया था... पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया लेकिन उसने ऐसा ही किया था... नही तो पता नही क्या हो जाता... ना जाने उसे कौन- कौन सी बीमारी लगी हुई होगी... अगर वह निरोध का इस्तेमाल नही करता तो बीमारी का ख़तरा मुझे भी लगा हुआ होता... शायद उस भिखारी ने भी कुछ ऐसा ही सोचा होगा... क्योंकि कोई भी लड़की इतनी जल्दी किसी अंजान के साथ सहवास के लिए राज़ी नही हो जाती... उसने सोचा होगा कि मैं कोई चालू लड़की हूँ... और उसने ठीक ही सोचा था| पेशे से मैं एक चालू लड़की ही हूं… एक हाई क्लास कॉल गर्ल… आज कई साल हो गए… मैं इसी लाइन में अपनी जिंदगी बिता रही हूं|
मैं बहुत छोटी थी तब मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर ले आए थे और उन्होंने मुझे रुबीना आंटी के हाथों बेच दिया था| तब से मैं रुबीना आंटी के लिए ही काम कर रही हूँ|
मैं जवान हूं, सुंदर हो और दिखने में एक अच्छे घर की और किसी बड़े खानदान की लड़की जैसी दिखती हूँ, इसीलिए रुबीना आंटी ने मुझे एक खास काम सौंपा था... मेरा काम था बड़ी-बड़ी पार्टीज में जाना, वहां लोगों से मेलजोल बढ़ाना और हो सके एक मोटी सी मुर्गी को फाँसना... चाहे वह एक अधेड़ उम्र का रईस बिजनेसमैन हो या फिर किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद... मुझे से कोई मतलब नहीं था... अगर मतलब था तो सिर्फ थोड़ी सी मस्ती और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों से... जिसमें से कुछ हिस्सा मुझे रुबीना आंटी को देना पड़ता था...
पर आज पहली बार मैं रुबीना आंटी के घर खाली हाथ लौट रही थी और वह भी अपना पूरा काम तमाम करवाने के बाद| न जाने रुबीना आंटी मुझ से क्या कहेंगी और क्या हर्ष करेंगी मेरा? यही सोचते हुए मैं गाड़ी चलाती रही...
***
रुबीना आंटी के घर पहुंचते-पहुंचते करीब करीब साढ़े नौ बज गए| उन्होने मुझे अपने घर की पहली मंज़िल के बरामदे से ही देख लिया था| मैने गराज में गाड़ी पार्क की और मेरे डोर बेल बजाने से पहले ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया और एकदम से शुरू हो गई, "अरी आएशा? कहाँ थी इतनी देर तक...? और फ़ोन क्यों नही उठा रही थी? तुझे मालूम है कि तेरी फ़िक्र में मेरा क्या हाल..." वह बोलते बोलते रुक गई... उन्हे मेरी हालत देख कर ताज्जुब हुआ, वह बोलीं, "क्या हुआ? किसी गटर में गिर गई थी क्या? बाप रे बाप क्या बदबू मार रही है... क्या हुआ कुछ बोलेगी भी क्या...?"
और फिर क्या था? मैं फुट- फुट कर रोने लगी| रुबीना आंटी मुझे घर के अंदर ले गई| इस बात का शुक्र था की उस वक़्त तक रुबीना आंटी के हाथ के नीचे काम करनेवाली दूसरी लड़कियाँ अभी तक नही आ पहुँची थी, वरना उनके सामने मेरी यह हालत ज़ाहिर हो जाती|
मैंने फूट-फूट कर रो रो कर अपनी आपबीती सुनाई| मैंने रुबीना आंटी को बताया कि कैसे मैंने यह सोच लिया था कि वह भिखारी बुद्धू है और मैं उसे उल्लू बनाकर थोड़ी मस्ती करूंगी| लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरा ही काम तमाम कर देगा| कहां तुम्हें उसके साथ मस्ती करने गई थी, लेकिन उसने कोई नशीली चीज पानी में मिलाकर मुझे पीला दी और मेरा पूरा फायदा उठा लिया... वह भी बिल्कुल मुफ़्त में|
रुबीना आंटी ने मेरी आपबीती गौर से सुनी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्या तुझे अच्छी तरह याद है आएशा, की उसने तुझे चोदते वक्त कंडोम का इस्तेमाल किया था ना?"
“जी हां मुझे अच्छी तरह याद है मैंने खुद कंडोम खींचकर निकाला था और फिर उसे दूर फेंक दिया था…”
“ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है कि तुझे कुछ नहीं हुआ और एक बात कान खोलकर सुन ले लड़की, आज के बाद खबरदार जो तूने ऐसी हरकत करने की सोची भी तो... मैं तेरी खाल खिंचवा लूंगी...”
उसके बाद रुबीना आंटी ने मुझे नहाने के लिए भेज दिया और फिर थोड़ा हल्का फुल्का खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई| मैं शारीरिक और मानसिक रुप से काफी थकी हुई थी इसलिए जब मेरी नींद खुली है तब शाम ढल चुकी थी| किसी ने मुझे नींद से नहीं उठाया था क्योंकि रुबीना आंटी ने सबको यह बता रखा था कि मैं बहुत थकी हुई हूं|
उस दिन रात को खाना खाने के बाद मैं और रुबीना आंटी छत पर बैठकर रेड वाइन पी रहे थे| तब रवीना आंटी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, "आखिर जैसा तूने कहा, क्या सचमुच उस आदमी का लिंग इतना बड़ा और मोटा था?"
"जी, हाँ.. कसम से"
"ठीक है... अच्छी बात है..."
"क्या मतलब?"
रुबीना आंटी बोलीं, "कुछ नहीं आजकल जमाना बहुत बदल रहा है| जैसे तुझ जैसी लड़कियों के लिए मेरे पास आदमी आया करते हैं, वैसे ही मेरे पास दो तीन ऑफर ऐसे भी आए हैं जहां हाई क्लास औरतें हैं थोड़ी मस्ती ढूंढ रही है... तो मैं सोच रही थी कि अगर भिखारी जैसे आदमी को मैं थोड़ा घिसके... मंजा मार के इस लायक बना दूं कि वह उन औरतों के साथ सो सके... तो सोच हमारे बिज़नेस में कितना फ़ायदा होगा..."
मैं हक्की-बक्की होकर आंटी की तरफ देख रही थी| मेरा चेहरा देखकर आंटी ने पहले तो मुझे प्यार से पूचकारा और फिर वह बोली, "चिंता मत कर इस बारे में मुझे थोड़ा सोचने दे... ऐसा कदम उठाने से पहले मैं हर पहलू को जांच-परख कर देख लूंगी| उसके बाद सोचूँगी कि मुझे क्या करना चाहिए| लेकिन तब तक तू अपना काम ठीक वैसे ही करती रहेगी जैसे आज तक करती आई है... और हां याद रखना... तूने कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया और आगे भी मत देना... और खबरदार बिना सोचे समझे आज जो तूने कदम उठाया था, वैसा कदम आज के बाद कभी भी मत उठाना..."
और उसके बाद मैं और रुबीना आंटी देर रात तक छत पर बैठकर शराब पीते रहे...
रात अभी बाकी है और मेरा हुस्न भी अभी जवान है और जिंदगी भी बाकी... न जाने जिंदगी का कौन सा मोड़ कैसा हो... यह तो कोई नहीं जानता... लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि उस दिन मेरे साथ कुछ भी हो सकता था... शुक्र है ऊपरवाले का कि मैं उस बूढ़े भिखारी की कुटिया से बच कर भागने में कामयाब हो सकी थी..
आगे, इसके बाद मैंने कसम खा ली कि ऐसी गलती मैं जिंदगी में दोबारा नहीं करूंगी|
समाप्त
कहां मैं उस बूढ़े भिखारी को बुद्धू समझ कर थोड़ा तफरी लेने गई थी और कहां उसने मुझे ही बेवकूफ बनाकर मेरा पूरा फायदा उठा लिया था… लगता है उस बूढ़े भिखारी ने मुझे जो पानी पिलाई थी उसमें शायद कोई तगड़ी नशीली चीज मिली हुई थी जिस वजह से मैं निढाल हो गई थी और कुछ देर के लिए मेरे शरीर को लकवा मार गया था इसी बीच उस भखारी ने मेरा काम तमाम कर दिया…
हालांकि रेलवे फाटक खोलने में चंद ही मिनट लगे लेकिन उस वक्त वह चंद मिनट मेरे लिए घंटों के बराबर लग रहे थे और लोगों की जो निगाहें मेरे उपर पड़ रहीं थी उससे मानो मेरा पूरा बदन जल रहा था...
रेलवे फाटक खुल गया था... मुझे रास्ता साफ दिख रहा था मैंने गाड़ी को गियर में डालकर आक्सेलरेटर पर अपना पैर जमा दिया... और गाड़ी तेज रफ्तार से भागने लगी...
गाड़ी चलाते-चलाते में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने निरोध का इस्तेमाल किया था... पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया लेकिन उसने ऐसा ही किया था... नही तो पता नही क्या हो जाता... ना जाने उसे कौन- कौन सी बीमारी लगी हुई होगी... अगर वह निरोध का इस्तेमाल नही करता तो बीमारी का ख़तरा मुझे भी लगा हुआ होता... शायद उस भिखारी ने भी कुछ ऐसा ही सोचा होगा... क्योंकि कोई भी लड़की इतनी जल्दी किसी अंजान के साथ सहवास के लिए राज़ी नही हो जाती... उसने सोचा होगा कि मैं कोई चालू लड़की हूँ... और उसने ठीक ही सोचा था| पेशे से मैं एक चालू लड़की ही हूं… एक हाई क्लास कॉल गर्ल… आज कई साल हो गए… मैं इसी लाइन में अपनी जिंदगी बिता रही हूं|
मैं बहुत छोटी थी तब मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर ले आए थे और उन्होंने मुझे रुबीना आंटी के हाथों बेच दिया था| तब से मैं रुबीना आंटी के लिए ही काम कर रही हूँ|
मैं जवान हूं, सुंदर हो और दिखने में एक अच्छे घर की और किसी बड़े खानदान की लड़की जैसी दिखती हूँ, इसीलिए रुबीना आंटी ने मुझे एक खास काम सौंपा था... मेरा काम था बड़ी-बड़ी पार्टीज में जाना, वहां लोगों से मेलजोल बढ़ाना और हो सके एक मोटी सी मुर्गी को फाँसना... चाहे वह एक अधेड़ उम्र का रईस बिजनेसमैन हो या फिर किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद... मुझे से कोई मतलब नहीं था... अगर मतलब था तो सिर्फ थोड़ी सी मस्ती और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों से... जिसमें से कुछ हिस्सा मुझे रुबीना आंटी को देना पड़ता था...
पर आज पहली बार मैं रुबीना आंटी के घर खाली हाथ लौट रही थी और वह भी अपना पूरा काम तमाम करवाने के बाद| न जाने रुबीना आंटी मुझ से क्या कहेंगी और क्या हर्ष करेंगी मेरा? यही सोचते हुए मैं गाड़ी चलाती रही...
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रुबीना आंटी के घर पहुंचते-पहुंचते करीब करीब साढ़े नौ बज गए| उन्होने मुझे अपने घर की पहली मंज़िल के बरामदे से ही देख लिया था| मैने गराज में गाड़ी पार्क की और मेरे डोर बेल बजाने से पहले ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया और एकदम से शुरू हो गई, "अरी आएशा? कहाँ थी इतनी देर तक...? और फ़ोन क्यों नही उठा रही थी? तुझे मालूम है कि तेरी फ़िक्र में मेरा क्या हाल..." वह बोलते बोलते रुक गई... उन्हे मेरी हालत देख कर ताज्जुब हुआ, वह बोलीं, "क्या हुआ? किसी गटर में गिर गई थी क्या? बाप रे बाप क्या बदबू मार रही है... क्या हुआ कुछ बोलेगी भी क्या...?"
और फिर क्या था? मैं फुट- फुट कर रोने लगी| रुबीना आंटी मुझे घर के अंदर ले गई| इस बात का शुक्र था की उस वक़्त तक रुबीना आंटी के हाथ के नीचे काम करनेवाली दूसरी लड़कियाँ अभी तक नही आ पहुँची थी, वरना उनके सामने मेरी यह हालत ज़ाहिर हो जाती|
मैंने फूट-फूट कर रो रो कर अपनी आपबीती सुनाई| मैंने रुबीना आंटी को बताया कि कैसे मैंने यह सोच लिया था कि वह भिखारी बुद्धू है और मैं उसे उल्लू बनाकर थोड़ी मस्ती करूंगी| लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरा ही काम तमाम कर देगा| कहां तुम्हें उसके साथ मस्ती करने गई थी, लेकिन उसने कोई नशीली चीज पानी में मिलाकर मुझे पीला दी और मेरा पूरा फायदा उठा लिया... वह भी बिल्कुल मुफ़्त में|
रुबीना आंटी ने मेरी आपबीती गौर से सुनी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, "क्या तुझे अच्छी तरह याद है आएशा, की उसने तुझे चोदते वक्त कंडोम का इस्तेमाल किया था ना?"
“जी हां मुझे अच्छी तरह याद है मैंने खुद कंडोम खींचकर निकाला था और फिर उसे दूर फेंक दिया था…”
“ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है कि तुझे कुछ नहीं हुआ और एक बात कान खोलकर सुन ले लड़की, आज के बाद खबरदार जो तूने ऐसी हरकत करने की सोची भी तो... मैं तेरी खाल खिंचवा लूंगी...”
उसके बाद रुबीना आंटी ने मुझे नहाने के लिए भेज दिया और फिर थोड़ा हल्का फुल्का खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई| मैं शारीरिक और मानसिक रुप से काफी थकी हुई थी इसलिए जब मेरी नींद खुली है तब शाम ढल चुकी थी| किसी ने मुझे नींद से नहीं उठाया था क्योंकि रुबीना आंटी ने सबको यह बता रखा था कि मैं बहुत थकी हुई हूं|
उस दिन रात को खाना खाने के बाद मैं और रुबीना आंटी छत पर बैठकर रेड वाइन पी रहे थे| तब रवीना आंटी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, "आखिर जैसा तूने कहा, क्या सचमुच उस आदमी का लिंग इतना बड़ा और मोटा था?"
"जी, हाँ.. कसम से"
"ठीक है... अच्छी बात है..."
"क्या मतलब?"
रुबीना आंटी बोलीं, "कुछ नहीं आजकल जमाना बहुत बदल रहा है| जैसे तुझ जैसी लड़कियों के लिए मेरे पास आदमी आया करते हैं, वैसे ही मेरे पास दो तीन ऑफर ऐसे भी आए हैं जहां हाई क्लास औरतें हैं थोड़ी मस्ती ढूंढ रही है... तो मैं सोच रही थी कि अगर भिखारी जैसे आदमी को मैं थोड़ा घिसके... मंजा मार के इस लायक बना दूं कि वह उन औरतों के साथ सो सके... तो सोच हमारे बिज़नेस में कितना फ़ायदा होगा..."
मैं हक्की-बक्की होकर आंटी की तरफ देख रही थी| मेरा चेहरा देखकर आंटी ने पहले तो मुझे प्यार से पूचकारा और फिर वह बोली, "चिंता मत कर इस बारे में मुझे थोड़ा सोचने दे... ऐसा कदम उठाने से पहले मैं हर पहलू को जांच-परख कर देख लूंगी| उसके बाद सोचूँगी कि मुझे क्या करना चाहिए| लेकिन तब तक तू अपना काम ठीक वैसे ही करती रहेगी जैसे आज तक करती आई है... और हां याद रखना... तूने कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया और आगे भी मत देना... और खबरदार बिना सोचे समझे आज जो तूने कदम उठाया था, वैसा कदम आज के बाद कभी भी मत उठाना..."
और उसके बाद मैं और रुबीना आंटी देर रात तक छत पर बैठकर शराब पीते रहे...
रात अभी बाकी है और मेरा हुस्न भी अभी जवान है और जिंदगी भी बाकी... न जाने जिंदगी का कौन सा मोड़ कैसा हो... यह तो कोई नहीं जानता... लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि उस दिन मेरे साथ कुछ भी हो सकता था... शुक्र है ऊपरवाले का कि मैं उस बूढ़े भिखारी की कुटिया से बच कर भागने में कामयाब हो सकी थी..
आगे, इसके बाद मैंने कसम खा ली कि ऐसी गलती मैं जिंदगी में दोबारा नहीं करूंगी|
समाप्त
*Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া