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Adultery मेरा पहला अनुभव चचेरी भाभी के साथ
#13
अब वो अपना चूतड़ आगे पीछे करने लगीं और मैं भी अपना लण्ड बाहर भीतर करने लगा फ़च… फ़च्… फ़च… फ़चाफ़च… सट्… सट्… सटासट्… सट… की आवाजें गूंजने लगी कमरे में…
हम दोनों देवर भाभी मस्ती के हिलोरें ले रहे थे.

दरअसल मेरी भाभी बहुत ही चुदक्कड़ हैं, वो मुझे अपनी बाहों में जकड़े हुए लण्ड घचाघच अपनी चूत में लिये जा रही थीं साथ ही साथ जोर जोर से साँसें लेते हुए बोलती जा रही थी- हाए रे मेरे बबुआ, आज तो आपने एक नये लण्ड का स्वाद चखा दिया… मैं तो कब से तरस रही थी स्वाद बदलने को… कब से आपके भैया का लण्ड ले ले कर बोर हो गयी हूँ।

मैंने पूछा- मेरा लण्ड तो छोटा है, भैया का कैसा है?
तो भाभी बोली- आपके भैया का आप से बड़ा और मोटा है पर समय आने पर आप का भी तगड़ा हो जायेगा।
और मुझे जोर से भींचते हुए बोली- मेरे राजा, मजा सिर्फ़ मोटे और बड़े लण्ड से ही नहीं आता, कौन चोद रहा है और कैसे चोद रहा है यह महत्वपूर्ण है, अब देखिये आप अपने भैया से हैण्ड्सम हैं तथा पढ़ने में भी तेज हैं, कोई भी लड़की आपसे चुदवाना चाहेगी.

ऐसा कह कर वह मेरे गाल सहलाने लगी और मैं भी मारे उत्तेजना के और जोर जोर से लण्ड को उन की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. हम दोनों ही मारे मस्ती के सटासट धक्का पे धक्का मारे जा रहे थे.
दोनों की साँसें तेज… तेज… तेज… होने लगी और उन्होंनें मुझे जोर से जकड़ते हुए कहा- हाय रे मैं तो गयी मेरे राजा… आज तो आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरे देवर जी… शादी के बाद पहली बार कोई नया लण्ड मिला है मैं तो निहाल हो गयी…
हम दोनों एक साथ ही झड़े और देर तक एक दूसरे से चिपके रहे।

उन्होंने पूछा- कैसा लगा भाभी को चोद कर?
मैंने हँसते हुए कहा- मैं तो कल्पना कर रहा था कि आप की चूत एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने में दिक्कत आयेगी… पर वैसा कुछ हुआ ही नहीं?
इस पर वह मुस्कराते हुए बोली- अगर कुँवारे में हम दोनों मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी चूत में से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है… आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है… चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।

उस के बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत… सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और भाभी चौकी पर लेट कर उस को अपनी चूची खोल कर दूध पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था.

अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैंने कहा- भाभी एक बार और चोद लेने दो.
तो उन्होंने कहा- बेटी जगी है, देखेगी तो किसी से कह सकती है.
मैंने कहा- डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी।
उन्होंने कहा- यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।

फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रख कर बेटी को अपनी छाती पर रख कर उसके मुँह में निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगों को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझ से बोली- लीजिये, जल्दी से चोद लीजिये, फ़िर पता नहीं कब मौका मिले ना मिले।

मैंने वहीं खड़े हो कर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े में डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नहीं कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे।

थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये में पौंछ कर अलग हो गया।

फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नहीं मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नहीं,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरा पहला अनुभव चचेरी भाभी के साथ - by neerathemall - 12-05-2024, 02:10 AM



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