12-05-2024, 02:09 AM
भाभी झट से तैयार हो गयीं और अपनी बेटी को ले कर मेरे कमरे में आ गयीं। मेरी चौकी के बगल वाली चारपायी पर अपनी बेटी को दूसरी तरफ़ सुला कर खुद मेरी तरफ चारपायी लेट गयी।
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उन से कहा- भाभी, मैं एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नहीं होंगी?
उन्होंने कहा- देवर जी, ऐसी क्या बात है?
मैंने कहा- नहीं पहले वादा करो तब?
उन्होंने कहा- ठीक है बोलिये, मैं नाराज नहीं होऊँगी।
मैंने कहा- भाभी, आज मैंने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी 3-4 महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों में इतने परिवर्तन हो जाते हैं?
मैंने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था।
उन्होंने कहा- शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैंने कहा- भाभी, ज़रा खुल कर बताइये ना…
तो भाभी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों को मसल दिया।
ओह… ह… ह…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी, मैं समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।
मैं भी उनके बालों में उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं। अब तक भाभी अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर।
मैं भाभी के गालों को सहलाते हुए बोला- कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी।
वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया… जोर से भाभी को अपनी बाहों में भींच लिया… उन्होंने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों का चुम्बन लेने लगे… दोनों के जिस्म एक दूसरे में उलझ गये…वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…
मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।
हालाँकि मैंने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।
मैंने सोचा था कि उनकी चूत में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब… जिस चूत को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था…वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।
उफ़्फ़्फ़्फ़… अब एक पल भी रुकना असम्भव था।
उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज में थीं। मेरा मन चूची चूसने पर इस लिये नहीं गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं… वैसे में चूचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।
मैंने भाभी से कहा- भाभी… दोगी?
उन्होंने पूछा- क्या?
मैंने कहा- अब तुम्हें भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ?
तो इस पर वो मुस्कराते हुए बोलीं- आपको रोका कौन है, जो इच्छा हो कर लीजिये।
अब तो मानो मेरे सपनों के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया.
फ़िर उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी पूरी चूत जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए थे, पर नाइट लैम्प की रोशनी में जितना दिख रहा था वही बहुत था।
मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी चूत में डाला… चूत एक दम गरम और गीली थी… ओह… मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी चूत में बिना किसी रुकावट के चला गया… क्योंकि भाभी का चूत तो भोसड़ा हो गया था.
खैर पहली बार एक छेद में डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा चुदाया भोसड़ा… मैं तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था… खैर उनकी गरम चूत में पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मैं तुरन्त ही झड़ गया… और सच बताऊँ मैं बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मैं शीघ्र पतन का शिकार हो गया।
मैं उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल में लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा- क्या हुआ देवर जी, बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त?
मैं अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैंने कहा कि दोपहर से ही तुम्हें चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।
उन्होंने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होंने कहा- पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।
फ़िर वो मुझ से चिपट कर लेट गयीं, मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे धीरे मैं भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे… उनके निप्पल को चुटकी में मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है… वो अपना निप्पल मेरे मुँह में डालने लगीं.
मेरी झिझक को भाँप कर बोली- घबराइये मत, जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नहीं निकलेगा… इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है… समझे लल्लू देवर जी!
और फ़िर उन्होंने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने उनके निप्पल को मुँह में लेकर हौले हौले चूसना शुरू कर दिया
ओह… ओह.. .ओ… ओह… उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को मेरे लण्ड से रगड़ने लगीं।
हम दोनों करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी. मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मैं उनकी घुण्डी को दाँटों से काट कर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले।
वो मस्त होकर मेरा हाथ अपनी चूत पर ले जा कर रगड़ने लगीं… उनकी चूत एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी… लग रहा था कि चूत को बुखार हो गया हो जैसे…
फ़िर उन्होंने करवट में ही लण्ड चूत के मुँह पे रख कर डालने को कहा.
मैंने कहा- जरा अपनी चूत तो पौंछ लो, एकदम कीचड़ कीचड़ हो रही है.
इस पर उन्होंने साया से अपनी चूत पौंछी और मुझे अपनी दोनों टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।
मैंने लण्ड को उनकी चूत में जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया… शायद करवट होने की वजह से इस बार चूत कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं… फ़िर होंठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह में डाली मुझे बड़ा मजा आया और मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उन से कहा- भाभी, मैं एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नहीं होंगी?
उन्होंने कहा- देवर जी, ऐसी क्या बात है?
मैंने कहा- नहीं पहले वादा करो तब?
उन्होंने कहा- ठीक है बोलिये, मैं नाराज नहीं होऊँगी।
मैंने कहा- भाभी, आज मैंने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी 3-4 महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों में इतने परिवर्तन हो जाते हैं?
मैंने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था।
उन्होंने कहा- शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैंने कहा- भाभी, ज़रा खुल कर बताइये ना…
तो भाभी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों को मसल दिया।
ओह… ह… ह…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी, मैं समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।
मैं भी उनके बालों में उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं। अब तक भाभी अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर।
मैं भाभी के गालों को सहलाते हुए बोला- कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी।
वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया… जोर से भाभी को अपनी बाहों में भींच लिया… उन्होंने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों का चुम्बन लेने लगे… दोनों के जिस्म एक दूसरे में उलझ गये…वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…
मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।
हालाँकि मैंने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।
मैंने सोचा था कि उनकी चूत में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब… जिस चूत को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था…वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।
उफ़्फ़्फ़्फ़… अब एक पल भी रुकना असम्भव था।
उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज में थीं। मेरा मन चूची चूसने पर इस लिये नहीं गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं… वैसे में चूचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।
मैंने भाभी से कहा- भाभी… दोगी?
उन्होंने पूछा- क्या?
मैंने कहा- अब तुम्हें भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ?
तो इस पर वो मुस्कराते हुए बोलीं- आपको रोका कौन है, जो इच्छा हो कर लीजिये।
अब तो मानो मेरे सपनों के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया.
फ़िर उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी पूरी चूत जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए थे, पर नाइट लैम्प की रोशनी में जितना दिख रहा था वही बहुत था।
मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी चूत में डाला… चूत एक दम गरम और गीली थी… ओह… मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी चूत में बिना किसी रुकावट के चला गया… क्योंकि भाभी का चूत तो भोसड़ा हो गया था.
खैर पहली बार एक छेद में डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा चुदाया भोसड़ा… मैं तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था… खैर उनकी गरम चूत में पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मैं तुरन्त ही झड़ गया… और सच बताऊँ मैं बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मैं शीघ्र पतन का शिकार हो गया।
मैं उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल में लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा- क्या हुआ देवर जी, बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त?
मैं अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैंने कहा कि दोपहर से ही तुम्हें चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।
उन्होंने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होंने कहा- पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।
फ़िर वो मुझ से चिपट कर लेट गयीं, मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे धीरे मैं भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे… उनके निप्पल को चुटकी में मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है… वो अपना निप्पल मेरे मुँह में डालने लगीं.
मेरी झिझक को भाँप कर बोली- घबराइये मत, जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नहीं निकलेगा… इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है… समझे लल्लू देवर जी!
और फ़िर उन्होंने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने उनके निप्पल को मुँह में लेकर हौले हौले चूसना शुरू कर दिया
ओह… ओह.. .ओ… ओह… उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को मेरे लण्ड से रगड़ने लगीं।
हम दोनों करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी. मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मैं उनकी घुण्डी को दाँटों से काट कर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले।
वो मस्त होकर मेरा हाथ अपनी चूत पर ले जा कर रगड़ने लगीं… उनकी चूत एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी… लग रहा था कि चूत को बुखार हो गया हो जैसे…
फ़िर उन्होंने करवट में ही लण्ड चूत के मुँह पे रख कर डालने को कहा.
मैंने कहा- जरा अपनी चूत तो पौंछ लो, एकदम कीचड़ कीचड़ हो रही है.
इस पर उन्होंने साया से अपनी चूत पौंछी और मुझे अपनी दोनों टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।
मैंने लण्ड को उनकी चूत में जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया… शायद करवट होने की वजह से इस बार चूत कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं… फ़िर होंठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह में डाली मुझे बड़ा मजा आया और मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
