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Adultery यादों के झरोखे से
#35
Heart 
उन्होंने गुस्से से हाथ से इशारा करके मुझे बुलाया। मरता क्या न करता, मै रज़िया के टॉप को नीचे करके बेड से उठ खड़ा हुआ। मेरी हालत ठीक वैसी ही हो रही थी जैसे बरसों से भूखे इन्सान के आगे से कोई भोजन की थाली उठा ले। 

मैंने भुनभुनाते हुए दीदी से आकर पूछा, "क्या है? क्यूं बुलाया मुझे, थोड़ी देर बाद ही बुला लेती”

"पहले ये अपना लंड अन्दर कर और नीचे चल, इस अपने लंड को देखा है बिल्कुल मूसल के माफिक खड़ा है और उसकी चूत देख ... झेल पायेगी? जब मेरी यह हालत है कि चूत अभी तक सूज के पकोड़ा रक्खी है, ठीक से चला भी नहीं जा रहा तो रज़िया तो मर ही जायेगी " -दीदी मुझे नीचे खींचते हुए बोली

लेकिन मेरा लंड कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। मैं सीढ़ियों पर ही दीदी को कस के चिपकाते हुए उनके होठों को चूसते लगा व मेरा एक हाथ उनकी गांड को तो दूसरा उनकी चूचियों को मसल रहा था। थोड़ा सा ऊँ ऊँ करने के बाद दीदी भी मेरी जीभ को लोलीपोप की तरह चूसती हुई लंड को पकड़ कर उसकी खाल को आगे पीछे करने लगीं।

"देख देख ! तेरा लंड कैसे फनफना रहा है, जबकि रात में ही चोद चोद कर मेरी चूत का कबाड़ा किया है और अभी नौ बजे ही फिर से चोदने को फड़फड़ाने लगा। मेरी चूत तो अभी तक सूजी हुई दर्द कर रही है" -दीदी मेरे लंड की खाल को कस कस के आगे पीछे करती हुई बोली। 

हालांकि मैंने सुबह ही उनको तीन टेबलेट जिनमे दो दर्द व सूज़न दोनों के लिये व एक एंटीबायोटिक दे दीं थीं परन्तु दवा को भी तो असर होने के लिए वक़्त चाहिए था शायद यही कारण था कि दीदी की चूत अभी भी कसक रही थी।

"देखो दीदी ! चूंकि रज़िया ने हम दोनों को चुदाई करते हुए देख लिया है इसलिए अब उसका चुदना बहुत ज़रूरी है वरना अगर कल उसने मामू या मामी को सारी बातें बता दीं तो आप अंदाज़ा लगा सकतीं है कि हम लोगों का क्या हाल होगा, इसीलिए मैं उसकी चूत को चोदने की सुबह से ही ज़ुगत लगा रहा था और शायद मैं कामयाब भी हो जाता लेकिन आपने सब गड़बड़ कर दी। दीदी! चूत कितनी भी देखने में छोटी लगे, वह बड़े से बड़े लंड को अपने में समाने की ताक़त रखती है। हाँ जब पहली बार चुदती है तो थोड़ा सील टूटने पर दर्द ज़रूर होता है लेकिन वह दर्द चुदाई के मज़े के आगे कुछ नहीं होता, अभी बारह घंटे भी तो नहीं हुये है तुम्हारी चुदाई किये हुये और तुम इतना जल्दी सब भूल गयीं?" -मैंने दीदी को समझाने की कोशिश करते हुए कहा

"ठीक है सग़ीर! लेकिन उसे ज़रा आहिस्ते से चोदना, मेरी तरह उसकी चूत को भी फाड़ के मत रख देना" -दीदी ने डरते हुए कहा

"तुम बस बाहर का ध्यान रखना अन्दर कमरे में मैं अकेला ही रजिया को संभाल लूँगा"

फिर हम दोनों उसी पोजीशन में एक दूसरे के नाज़ुक अंगों को छेड़ते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगे। नीचे पहुंचते पहुंचते हम लोग सिर्फ अंडर गारमेंट्स में थे। तभी दीदी ने उचक कर मेरे होठों को अपनी जीभ से चाटने लगी। मैंने उनकी पीठ पर अपने हाथों को लेजा कर ब्रा के हुक खोल दिए जिससे उनके दोनों दूधिया कबूतर अपने पंख फडफडा कर आज़ाद हो गये। फिर थोड़ा सा झुक कर मैंने उनके तने हुए गुलाबी निप्पलों को बारी बारी चूसते हुए चुभलाना शुरू कर दिया, मैंने दोनों हाथों से कस कर उनकी मांसल गांड को पकड़ कर अपने से चिपका लिया जिससे मेरा झटके लेता हुआ लंड भी दीदी की चड्डी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमने लगा। मैं अपने होठों को दीदी से चुसवाता हुआ उनकी चड्डी में अन्दर हाथ डाल कर उनकी गांड को मसले जा रहा था। दीदी की चड्डी भी नीचे की तरफ उनके चूतरस से पूरी तरह भींग चुकी थी।

मुझसे अब बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन मुझको पता था कि उनकी चूत भले ही पनीली हो रही हो परन्तु वह अभी चुदने की कन्डीशन में नहीं थी और अगर गलती से भी मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया तो उसको भोसड़ा बनने में वक़्त नहीं लगेगा सो मैंने दीदी को उठा कर पीठ के बल बेड पर पटक कर एक झटके में उनकी चड्डी उतार कर फ़ेंक दी। 

दीदी की क्लीन शेव्ड चिकनी चूत रात की ज़बरदस्त चुदाई की वजह से अभी भी अच्छी खासी सूजी रखी थी फिर भी दीदी की चूत में सुबह की अपेक्षा बहुत आराम था। मैंने बड़ी ही फुर्ती से अपने कपड़े उतार कर फेंकते हुए दीदी को अपने नीचे दबोचे लिया। मैं उनके होंठो के रस को चूसते हुए दोनों हाथों से चूचियों को इस तरह मसल रहा था जैसे रोटी बनाने के लिए लेडीज़ आटे को मसलतीं है। 

मेरे लंड को भी उनकी चूत की खुशबू शायद लग गयी थी सो वह भी थोड़ा इधर उधर मुंह मार कर अब ठिकाने पर पहुँच कर बुरी तरह झटके खाने लगा था लेकिन मैं चूत की हालत की वजह से अपने ऊपर कंट्रोल रखे था। मैंने बेड पर घुटनों के बल बैठ कर दीदी के होठों पर लंड का सुपाड़ा टिका के एक झटके में आधे से ज्यादा लंड उनके मुंह में ठांस दिया।

ऑक . क . क .... की आवाज़ के साथ दीदी ने फुर्ती से लंड बाहर खींचने के बाद सटासट चूसना शुरू कर दिया। मैं एक हाथ से उनके सिर को पकडे हुये दूसरे हाथ से उनकी चूचियों को बारी बारी मसल रहा था। दीदी एक हाथ से मेरा लंड थामे चूस रहीं था और दूसरे हाथ से भकाभक अपनी चूत में उँगली कर रहीं थीं। मज़े की मस्ती में मेरी व दीदी दोनों की ही आँखे बंद हो चुकीं थीं। 

इसी पोजीशन में थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने गाढे गाढे वीर्य की पिचकारी दीदी के मुंह में चला दी। दीदी भी शायद झड चुकीं थीं क्योंकि अब वह दोनों हाथो से पकड़ कर मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ कर रहीं थी।अब हम दोनों नंगे बेड पर पड़े अपनी साँसे दुरुस्त कर रहे थे लेकिन मेरा लंड झड़ने के बाद भी सीधा खडा रह रह कर झटके ले रहा था, उसका सुपाड़ा एक छोटे टमाटर की तरह सुर्ख लाल हो रहा था जैसे चोद ना पाने के गुस्से से अपना चेहरा लाल करके मुझे घूर रहा था। 

दीदी अभी तक आँखे बंद किये पडीं गहरी गहरी साँसे ले रहीं थी। हाँलांकि पूरी रात सो न पाने और ऊपर से इतनी मेहनत की थकान के कारण मेरी भी आँखे बंद हो रहीं थीं लेकिन मेरे पास रजिया को चोदने का सिर्फ आज का ही वक़्त था, कल तो सबको अस्पताल से आ ही जाना था। और फिर पता नहीं चुदने के बाद रजिया की क्या हालत होती, मुझे यह भी तो देखना था सो मैंने फटाफट उठ कर अपने कपडे पहने और दीदी को उसी हालत में नीचे छोड़ कर मैं फिर ऊपर रज़िया के कमरे की तरफ चल दिया। 

ऊपर रज़िया अभी भी सो रही थी लेकिन उसकी पोजीशन थोड़ी बदल गयी थी। अब वह दरवाजे की तरफ पीठ किये अपनी एक टांग मोड़े करवट से लेटी थी। इस पोजीशन में भी उसकी चिकनी दूधिया जांघे पूरी तौर से नुमाया हो रहीं थी। 

मैं उसके चहरे की तरफ जा के बेड पर बिलकुल चिपक कर लेट गया और धीरे से कंधा पकड़ कर हिलाते हुए पूछा, "रज़िया, मेरी अच्छी सी बहन, आज सोती ही रहेगी क्या?"


रज़िया थोडा सा ऊ ऊ करके सीधी होकर उसी पोजीशन में ।> लेट गयी। मेरा लंड थोड़ी देर पहले की याद करके भक्क से टनटनाने लगा। मैंने धीरे से उठ कर सबसे पहले अपना पेंट व अंडरवियर उतार दिए। 

अब मैं बिलकुल नंगा केवल बनियान पहने रजिया के बगल में लेट गया, मेरा लंड बुरी तरह से झटके ले रहा था। मैंने हाथ बढ़ा कर जैसे ही उसकी स्कर्ट को पेट पर पलटा, मैं धक्क से रह गया, थोड़ी देर पहले जो उसने गहरे नीले रंग की चड्डी पहन रखी थी अब उसकी जगह महरून कलर की नेट की चड्डी उसकी चूत से चिपकी थी जिसमे से उसकी चूत की एक एक चीज़ नुमाया हो रही थी। 

ऐसा लग रहा था की झांटों को रात में ही साफ़ किया गया था क्योंकि चूत पूरी तौर पर चिकनी और साफ़ नज़र आ रही थी। दूसरी बात बदली हुई चड्डी से साबित होता था कि रज़िया सोने का नाटक कर रही है, उसने मेरे नीचे जाने के बाद अपनी चूत पानी से धोकर साफ़ करके चड्डी बदली है क्योंकि सुबह वाली चड्डी इसके चूतरस में बहुत भीग चुकी थी जो इतनी जल्दी किसी कीमत पर सूख ही नहीं सकती थी। 

दूसरी और सबसे अहम् बात ये थी कि रज़िया का यूँ चुपचाप सोने के नाटक से यह क्लियर भी हो गया कि उसे इन सब बातों में मज़ा आ रहा है लेकिन मैं भी कच्चा खिलाडी नहीं था, सो मैंने ऐसा शो किया जैसे मुझे उसके जागने का पता नहीं है। 

मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे अपने से इस तरह चिपका लिया कि मेरा लंड उसकी दोनों टांगो के जोड़ो में टिक गया जिसे मैंने एक झटके में अन्दर कर दिया , लंड भी उसकी चूत से रगड़ता हुआ पीछे गांड की तरफ निकल गया। रज़िया ने भी फुल मस्ती में अपनी एक टांग उठा कर मेरी कमर पर रख ली, अब मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत पे रगड़ता हुआ चूतरस में भीगा मस्त हो चुका था। लेकिन वह अभी तक सोने का नाटक जारी रक्खे थी परन्तु मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ रहा था क्योंकि वह बीच बीच में ऊ ऊ s s s करके अपने शरीर को हिला डुला कर धीरे धीरे पूरा मज़ा ले रही थी। 

मैंने फिर से उसको अपने से चिपकाते हुए उसके चूतडों को मसलते हुए धीरे से उसके कान में पूछा , "अरे रज़िया, आज क्या उठेगी नहीं, तू तो सो के ही रह गयी है आज, बड़ी गहरी नींद सोती है"

रज़िया अपनी कमर हिला कर अपनी चूत मेरे लंड से कस के चार पांच बार रगड़ी जैसे सोते में कर रही हो,फिर ऊ ऊ ऊ कर के मेरे गले में बांह फंसा के अपने होंठ मेरे गालों पे रख कर चुपचाप लेट गयी।

अब मुझ से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था सो मैंने उसकी टॉप उतारते हुए अपने ऊपर लिटा लिया, अब मैं सीधा बेड पर लेटा था व रजिया मेरे ऊपर पट अपनी चूत से मेरे लंड को दबाये हुई लेटी थी। 

मेरा लंड उसकी कुँवारी चूत की मस्त खुशबू से दीवाना हुआ झटके ले रहा था। मेरी झांटे और लंड पूरी तौर से रज़िया के चूतरस में भीग चुके थे। मैं तो पहले से ही नीचे से नंगा था, सो मैंने रज़िया की पीठ पर हाथ लेजा कर उसकी ब्रा के हुक खोल कर उतार दी।

CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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RE: यादों के झरोखे से - by KHANSAGEER - 11-05-2024, 02:21 PM



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