11-05-2024, 12:50 PM
जैसे ही मां ऑफिस के लिए निकली, मैं ने घुसा को जा पकड़ा। वह किचन में था।
"हां अब बता, मां की पिछाड़ी मारने के लिए कैसे मनाया?" मैं सीधे मुद्दे की बात शुरू की।
"बस ऐसे ही जैसे तुम्हारी मारी थी।"
"गलत। मैं तो चुदने के लिए मरी जा रही थी। उसी मौके पर तूने अपनी मंशा जाहिर की थी। मैं उस वक्त कुछ भी करने को तैयार थी और उसी मौके का तुमने फायदा उठाया था। लेकिन जहां तक मैं समझती हूं, मेरी मां के साथ ऐसा नहीं हुआ होगा। बताओ, कैसे राजी किया मां को?"
"सच बोली तुम। मैडमजी को मनाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन तुम्हारी मां की पिछाड़ी पर कई दिनों से हमारी नजर थी। तुम्हारी मां को चलते हुए जब भी पीछे से देखता था तो मेरा खंभा खड़ा हो जाता था। अगाड़ी मारने की बात और है लेकिन पिछाड़ी मारने की बात करने की हिम्मत नहीं होती थी, लेकिन तुम्हारा पिछला दरवाजा खोलने के बाद मेरी हिम्मत बढ़ गई थी। सोच लिया था कि जैसे भी हो, आज रात को तुम्हारी मां की पिछाड़ी तो किसी भी हालत में मार कर रहेंगे। बस मार लिया।"
"अरे हरामी, यह अगाड़ी पिछाड़ी क्यों बोल रहे हो? सीधे सीधे चूत गांड़ बोलने में शरम आ रही है? साला, मुझे बेशर्म बना कर बड़ा शरीफों की भाषा बोल रहा है। यहां कौन सुन रहा है? मैं सीधे साफ शब्दों में पूछ रही हूं, गांड़ मारने के लिए कैसे मनाया?" मैं झल्ला कर बोली।
"हाय मेरी बेशर्म छुटकी मैडम। लो हम भी साफ शब्दों में बता रहे हैं कि तुम्हारी भोली भाली मां की गांड़ मारने के लिए कौन मादरचोद को ज्यादा बुद्धि लगाने की जरूरत है? थोड़ा सा बुद्धू बनाया और मेरा काम हो गया।" वह धूर्तता पूर्वक मुस्कुराते हुए बोला।
"ऐसा क्या किया कि वह मान गई?'"
"उसको तो पता भी नहीं था कि हम उसकी गांड़ मारने वाले हैं। हम पहिले उसको खूब गरम किए और कुतिया बनने को बोले तो वह तुरंत कुतिया बन गई। बस, पीछे से उसकी चूत को चाटने लगे। चाटते चाटते उसकी गांड़ भी चाटने लगे तो वह बोली,
"गांड़ काहे चाट रहे हो?"
"अच्छा नहीं लग रहा है?" हम बोले।
"बहुत अच्छा लग रहा है।" वह गांड़ उठा कर बोली। तो हम उसकी गांड़ में जीभ घुसा घुसा कर चाटने लगे।
"छि गंदा आदमी।" वह बोली।
"अच्छा नहीं लग रहा है?" हम फिर बोले।
"बहुत बढ़िया लग रहा है लेकिन यह गंदी जगह है।" वह बोली।
"हमको तो गंदा नहीं लग रहा है। आप बोलिए कि आपको कैसा लग रहा है?"
"मजा आ रहा है।" वह गांड़ हिला हिला कर चटवाती हुई बोली।
"इससे भी ज्यादा मजा आएगा, अगर आप अपनी गांड़ के साथ कुछ और करने दें तो।" हम बोले।
"अरे तो कर ना गधे कहीं के। इधर मैं मरी जा रही हूं और तू खाली बकवास किए जा रहा है। जो करना है जल्दी कर बेवकूफ।" वह बोली हमको और क्या चाहिए था, बस लोहा गरम हो चुका था, खाली हथौड़ा चलाना बाकी था।
"तो आपकी इजाजत है ना?" हम फिर बोले।
"कुत्ता कहीं का। अब और किस तरह से बोलूं। जो करना है जल्दी कर।" तुम्हारी मां तड़प कर बोली।
"ठीक है, करते हैं। मां कसम आज आप खुशी से पागल हो जाएंगी।" कहकर हम अपने लंड पर तेल लगाने लगे।
"अब यह क्या करने लगे?"
"तैयारी कर रहे हैं मैडम जी।" कहकर हम तेल लगे लंड को तुम्हारी मां की गांड़ के छेद पर टिका दिए।
"अब यह क्या करने लगे?"
"अब आप शांत रहिएगा तब तो करेंगे।"
"अच्छा लो शांत हो गई।" कहकर वह स्थिर हो गई। अब हम अपने लंड पर जोर लगाने लगे तो तेरी मां की गांड़ का मुंह खुलने लगा।
"यह क्या कर रहे हो? मुझे दर्द हो रहा है।"
"शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा, फिर मजा ही मजा है।"
"तुम गांड़ में लंड घुसेड़ रहे हो क्या?" वह बोली।
"हां मैडमजी, लेकिन चिंता मत कीजिए, मां कसम, बहुत मज़ा आएगा।" हम बोले लेकिन वह छटपटाने लगी और आगे खिसकने लगी। हम जानते थे यही होगा लेकिन हम तैयार थे। मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड़ में घुस चुका था और इस मौके को हम गंवाना नहीं चाहते थे। हमने तुम्हारी मां की कमर को कस के पकड़ रखा था इसलिए वह आगे ज्यादा खिसक नहीं पा रही थी। हमने एक जोरदार धक्का लगा दिया और मेरा आधा लंड उसकी गांड़ में घुस गया।
"हां अब बता, मां की पिछाड़ी मारने के लिए कैसे मनाया?" मैं सीधे मुद्दे की बात शुरू की।
"बस ऐसे ही जैसे तुम्हारी मारी थी।"
"गलत। मैं तो चुदने के लिए मरी जा रही थी। उसी मौके पर तूने अपनी मंशा जाहिर की थी। मैं उस वक्त कुछ भी करने को तैयार थी और उसी मौके का तुमने फायदा उठाया था। लेकिन जहां तक मैं समझती हूं, मेरी मां के साथ ऐसा नहीं हुआ होगा। बताओ, कैसे राजी किया मां को?"
"सच बोली तुम। मैडमजी को मनाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन तुम्हारी मां की पिछाड़ी पर कई दिनों से हमारी नजर थी। तुम्हारी मां को चलते हुए जब भी पीछे से देखता था तो मेरा खंभा खड़ा हो जाता था। अगाड़ी मारने की बात और है लेकिन पिछाड़ी मारने की बात करने की हिम्मत नहीं होती थी, लेकिन तुम्हारा पिछला दरवाजा खोलने के बाद मेरी हिम्मत बढ़ गई थी। सोच लिया था कि जैसे भी हो, आज रात को तुम्हारी मां की पिछाड़ी तो किसी भी हालत में मार कर रहेंगे। बस मार लिया।"
"अरे हरामी, यह अगाड़ी पिछाड़ी क्यों बोल रहे हो? सीधे सीधे चूत गांड़ बोलने में शरम आ रही है? साला, मुझे बेशर्म बना कर बड़ा शरीफों की भाषा बोल रहा है। यहां कौन सुन रहा है? मैं सीधे साफ शब्दों में पूछ रही हूं, गांड़ मारने के लिए कैसे मनाया?" मैं झल्ला कर बोली।
"हाय मेरी बेशर्म छुटकी मैडम। लो हम भी साफ शब्दों में बता रहे हैं कि तुम्हारी भोली भाली मां की गांड़ मारने के लिए कौन मादरचोद को ज्यादा बुद्धि लगाने की जरूरत है? थोड़ा सा बुद्धू बनाया और मेरा काम हो गया।" वह धूर्तता पूर्वक मुस्कुराते हुए बोला।
"ऐसा क्या किया कि वह मान गई?'"
"उसको तो पता भी नहीं था कि हम उसकी गांड़ मारने वाले हैं। हम पहिले उसको खूब गरम किए और कुतिया बनने को बोले तो वह तुरंत कुतिया बन गई। बस, पीछे से उसकी चूत को चाटने लगे। चाटते चाटते उसकी गांड़ भी चाटने लगे तो वह बोली,
"गांड़ काहे चाट रहे हो?"
"अच्छा नहीं लग रहा है?" हम बोले।
"बहुत अच्छा लग रहा है।" वह गांड़ उठा कर बोली। तो हम उसकी गांड़ में जीभ घुसा घुसा कर चाटने लगे।
"छि गंदा आदमी।" वह बोली।
"अच्छा नहीं लग रहा है?" हम फिर बोले।
"बहुत बढ़िया लग रहा है लेकिन यह गंदी जगह है।" वह बोली।
"हमको तो गंदा नहीं लग रहा है। आप बोलिए कि आपको कैसा लग रहा है?"
"मजा आ रहा है।" वह गांड़ हिला हिला कर चटवाती हुई बोली।
"इससे भी ज्यादा मजा आएगा, अगर आप अपनी गांड़ के साथ कुछ और करने दें तो।" हम बोले।
"अरे तो कर ना गधे कहीं के। इधर मैं मरी जा रही हूं और तू खाली बकवास किए जा रहा है। जो करना है जल्दी कर बेवकूफ।" वह बोली हमको और क्या चाहिए था, बस लोहा गरम हो चुका था, खाली हथौड़ा चलाना बाकी था।
"तो आपकी इजाजत है ना?" हम फिर बोले।
"कुत्ता कहीं का। अब और किस तरह से बोलूं। जो करना है जल्दी कर।" तुम्हारी मां तड़प कर बोली।
"ठीक है, करते हैं। मां कसम आज आप खुशी से पागल हो जाएंगी।" कहकर हम अपने लंड पर तेल लगाने लगे।
"अब यह क्या करने लगे?"
"तैयारी कर रहे हैं मैडम जी।" कहकर हम तेल लगे लंड को तुम्हारी मां की गांड़ के छेद पर टिका दिए।
"अब यह क्या करने लगे?"
"अब आप शांत रहिएगा तब तो करेंगे।"
"अच्छा लो शांत हो गई।" कहकर वह स्थिर हो गई। अब हम अपने लंड पर जोर लगाने लगे तो तेरी मां की गांड़ का मुंह खुलने लगा।
"यह क्या कर रहे हो? मुझे दर्द हो रहा है।"
"शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा, फिर मजा ही मजा है।"
"तुम गांड़ में लंड घुसेड़ रहे हो क्या?" वह बोली।
"हां मैडमजी, लेकिन चिंता मत कीजिए, मां कसम, बहुत मज़ा आएगा।" हम बोले लेकिन वह छटपटाने लगी और आगे खिसकने लगी। हम जानते थे यही होगा लेकिन हम तैयार थे। मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड़ में घुस चुका था और इस मौके को हम गंवाना नहीं चाहते थे। हमने तुम्हारी मां की कमर को कस के पकड़ रखा था इसलिए वह आगे ज्यादा खिसक नहीं पा रही थी। हमने एक जोरदार धक्का लगा दिया और मेरा आधा लंड उसकी गांड़ में घुस गया।