11-05-2024, 12:28 PM
(This post was last modified: 11-05-2024, 12:40 PM by KHANSAGEER. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अब मैंने बिना रुके समीना आपा को अपनी बेगम रज़िया समझ कर पूरे जोर शोर से चोदना शुरू कर दिया।
मेरे खतरनाक लंड को आपा बड़ी मुश्किल से झेल रही थी पर कुछ ही वक्त बाद समीना को भी इस फ़रिश्ते की चुदाई में पूरा मज़ा आने लगा था, हालाँकि उनकी चूत की हर ठोकर पर धज्जियाँ उड़ रहीं थीं।
रात के अंधेरे में मैं अपनी आपा को अपनी बेगम समझ कर पूरे दम खम से चुदाई करते हुए उनकी चूत का भोसड़ा बनाने में लगा था। इसी बीच मेरी बड़ी बहन एक बार झड़ भी गयी थी।
फिर मैंने समीना के दोनों पैरों को अपने कंधों के ऊपर कर लिया और फिर से आपा की चूत में जोर जोर से झटके लगाने लगा। पिछले एक हफ्ते से मैंने चुदाई नहीं की थी तो मुझे पूरा जोश चढ़ा हुआ था। मेरा लण्ड अपने पूरे जलाल पर था, उसकी सारी नसों ने बुरी तरह से तन कर उसकी मोटाई को कही ज्यादा बढ़ा दिया था। समीना आपा की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया था।
थोड़ी देर बाद मैंने आपा को खींचकर अपनी छाती से लगाया और अपने मोटे लंड को अपनी बहन की बच्चेदानी में घुसाकर अपने माल की लगातार पिचकारियां छोड़ने लगा।
एक के बाद एक कई लंबी पिचकारियों से आपा की जवान बच्चेदानी का घड़ा उनके छोटे भाई की सफेद मलाई से भरने लगा।
जब मेरा पूरा रस आपा के गर्भ में समा गया तो मैंने आपा के गर्म जिस्म को अपनी गिरफ्त से आजाद किया। मैं खुद आपा के ऊपर लेट गया और अपनी सांसें संभालने लगा।
मेरा लम्बा और मोटा लंड जो कुछ देर पहले भयंकर खूंखार होकर आपा की चूत को भोसड़ा बना रहा था, अब मुर्दा सा होकर, सिकुड़ कर आपा की चूत से बाहर आ गया।
जैसे ही मैं उठ कर जाने को खड़ा हुआ, वैसे ही आपा ने मुझे फ़रिश्ता समझकर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर रोक लिया।
मैंने समझा कि अभी मेरी बेगम का मन चुदाई से पूरा भरा नहीं है, मैं भी रुक गया।
फिर उस रात मैंने तीन बार आपा को अपनी बीवी समझ कर उनकी बच्चेदानी में अपना माल डाला फिर मैं उन्हें ऐसी ही छोड़कर हॉल में आकर सो गया।
सुबह मैं थोड़ा देरी से उठा, रज़िया घर के काम में लगी हुई थी। आपा बाहर बरामदे में आराम कुर्सी पर आँखें बंद करके अनजाने ख्वाबों में खोई थी।
शायद समीना सोफे पर पिछली रात की फ़रिश्ते के साथ हुई घमासान चुदाई के बारे में आंखें बंद करके सोच रही थी। मेरी बड़ी बहन समीना को पूरा यकीन था कि पिछली रात ऊपर वाले के कहने पर कोई फ़रिश्ता आकर उसे इतनी बेरहमी से चोदकर गया है। जिससे उनकी गोद जल्द ही भर जाये। आपा के दिमाग से वो लम्बा मोटा लंड चाह कर भी नहीं निकल पा रहा था।
उनके निकाह के बाद इतने सालों में वो बीसियों बार अपने शौहर रफ़ीक़ के लंड से चुदाई करवा चुकी थी, उसके शौहर का रस तो उसके चोद कर हटते ही उसकी चूत से बह कर बाहर निकल जाता था। पर बीती रात जो उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाकर चुदाई करके जो गर्मागर्म मर्दाना मलाई उनकी बच्चेदानी के अंदर गई थी वो रस तो फ़रिश्ते के अलावा किसी का हो ही नहीं सकता था, वो सबसे अलग था।
कल रात से पहले उसे पता ही नहीं था कि चुदने में इतना मज़ा भी आता है। रफ़ीक जब उसे चोदता था तो उसे जब तक कुछ समझ आता तब तक वह पानी टपकाता बगल में गिर कर हांफने लगता था। उसके बाद वह ऐसे ही अपनी चूत को सहला कर बुर से जब कुछ चिपचिपा सा निकल जाता तो वह भी सो जाती थी। असल चुदाई का मज़ा तो कल रात उसे फ़रिश्ते ने दिया था वह भी एक बार नहीं तीन तीन बार। वह मन ही मन मन्नत मांग रही थी कि 'या खुदा, उस फ़रिश्ते को अब मेरी ज़िन्दगी से दूर मत करना, उसे रोज़ रात को मेरे पास भेजते रहना'
यही सब सोच सोच कर आपा खुशी से झूम रही थी कि उसकी जो औलाद होगी वो सबसे निराली होगी क्योंकि वो फ़रिश्ते की औलाद होगी।
लेकिन उसे क्या पता था कि उसके छोटे सगे भाई ने उसे अपनी बीवी रज़िया समझकर उसे चोद दिया था वो भी एक या दो बार नहीं पूरे तीन तीन बार हचक हचक के चोदा था। उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा कर रख दीं थीं।
मैं उठ कर सीधा बाथरूम में घुस गया। रज़िया मेरी अम्मी के साथ किचन में थी। पिछली रात के लिए शुक्रिया कहने जब मैं रज़िया के पास गया तब अम्मी को पास में देख मैं फिर से हॉल में आ गया।
इधर आपा ने एक जोरदार अंगड़ाई ली और उठ कर थोड़ा लंगड़ाते हुए बाथरूम में घुस गई। मुझे उन्हें ऐसे चलते देख थोड़ा ताज़्ज़ुब हुआ पर मैं कुछ बोला नहीं।
उधर आपा ने बाथरूम में जैसे ही अपनी चिपचिपी चूत देखी तो वो खुशी से लहरा उठी। उसकी चूत की दरार अभी भी खुली पड़ी थी और उसकी चूत के अंदर की लाली दिखाई दे रही थी। उसकी फटी चूत रात की दास्ताँ बयां कर रही थी। उसने अपनी गोरी गोरी चूचियां देखी तो वे भी कश्मीरी सेब की तरह लाल हुई पड़ी थी। उनको भी तो बड़ी बेरहमी से मसला और चूसा गया था।
समीना खुशी खुशी अपनी उंगलियों पर कुछ गिनती करने लगी फिर अपने आप से बात करने लगी- 'रफ़ीक़ के आने में तीन हफ्ते रह गए हैं। वे 6-7 दिन रुककर चले जायेंगे। उनके जाने के बाद ही मेरे ऊपर हमल के इलामात जाहिर होंगे। सब कुछ ठीक रहेगा। सब यही समझेंगे कि रफ़ीक़ के आकर जाने से ही मुझे हमल हुआ है।'
इस तरह मेरी बड़ी बहन आने वाले वक्त के बारे में सोचकर बाथरूम से मुस्कराते हुए बाहर निकली मगर वह उसी तरह लंगड़ाते हुए चल रही थी।
मैंने पूछा, "क्या हुआ आपा? तुम्हे चोट लगी है क्या? तुम ऐसे लंगड़ा कर क्यों चल रही हो?"
"ये सब तेरे जानने की बात नहीं है पर तुझे भी जल्दी ही पता चल जायेगा" -आपा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।
फिर समीना आपा तैयार होकर ख़ुशी से बन संवर कर हॉल में मेरी बगल में ही बैठ गईं। आपा को सजीधजी देखकर मैं भी बहुत खुश हुआ और उनसे हंस हंस कर बात करने लगा फिर कुछ देर के बाद मैं अपनी अम्मी और आपा को लेकर मजार पर चला गया।
मैं अगरबत्ती वगैरा लेने रुक गया तो अम्मी और आपा आगे निकल गयी। ठीक उसी वक़्त समीना आपा ने पिछली रात की फ़रिश्ते के आने का वाकिया अम्मी को बताया।
अपनी बेटी के चेहरे की चमक देख अम्मी की आँखें खुशी से छलकने लगी। अम्मी बेटी दोनों शुरू से ही सहेलियों की तरह बात करती थी। वो एक दूसरे से अपनी हर बात बता कर राय लिया करतीं थीं।
फिर हम सब मज़ार में खुशी खुशी दुआ करके अपने घर आ गए। घर आते ही समीना खुशी से अपने शौहर रफ़ीक़ से बात करने मोबाइल लेकर छत पर चली गई। मेरी अम्मी मेरी बेगम के साथ रसोई में चली गई।
सच ही तो है चाहे चूत हो या लण्ड जब मज़े से दोनों का पानी निकलता है तो सुकून खुद ब खुद आ जाता है।
अभी तक मैंने अपनी बीवी रज़िया से बीती रात की घमासान चुदाई पर बात नहीं की थी। मैं रसोई के बाहर से रज़िया को आंख के इशारे से छत पर बुलाया।
रज़िया भी आँखों के इशारे से ‘थोड़ी देर बाद आती हूँ’ बताकर मुझे जाने को कहा।
मैं हॉफ पैंट और टीशर्ट पहन कर रज़िया के आने की इंतज़ार करने लगा।
CONTD......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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