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Adultery यादों के झरोखे से
#34
Heart 
"अरे दीदी! रात गयी बात गयी और फिर मज़ा तो तुमने भी पूरा लिया था, कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है पर तुम चिंता मत करो मै अभी तुम्हे नाश्ते के बाद दवा लाकर दे दूंगा जिससे दो खुराकों में ही तुम रात तक बिल्कुल ठीक हो जाओगी। अब फ़टाफ़ट नहा धोकर तैयार हो जाओ कहीं रज़िया नीचे ना आ जाये और फिर हमें अस्पताल भी तो जाना है" -मैंने दीदी को समझाया

"रज़िया तो आठ बजे से पहले नीचे नहीं आयेगी लेकिन हाँ हमें जल्दी से अस्पताल के लिए तैयार हो जाना चाहिए" -दीदी ने कहा

किसी तरह से दर्द को बर्दाश्त करते हुए दीदी उठ कर खड़ी हुई और नंगी ही बाथरूम की तरफ चल दी। पूरी रात चुदने के बाद अब उसमें किसी भी तरह की शर्म या हया बाकी नहीं बची थी। उसकी टाँगे v शेप में ज़मीन पर पड़ रहीं थीं , उसने अपने निचले होंठ को दाँतों से कस कर दबा रक्खा था। 

हाय हाय करते हुए किसी तरह वह बाथरूम में घुस गयी लेकिन उसने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था। अन्दर से छु र्र र्र र्र र र र र र की आवाज़ मुझे सुनायी दी , मै समझ गया कि अब वह पेशाब कर रही थी। मैं भी फ़टाफ़ट बेड से नीचे उतरा और अपनी बनियान व अंडरविअर ढूंढ कर पहने व ऊपर से लुंगी लपेट ली। 

तभी मेरी निगाह बेडशीट पर चली गयी जिस पर खून के ढेर सारे निशान थे। मैंने अलमारी से दूसरी बेडशीट निकाल कर तुरंत बदली और उस बेडशीट को वाशिंग मशीन में डाल कर ब्लीच और सर्फ़ मिला के मशीन ऑन कर दी। 

तभी दीदी ने बाथरूम से आवाज़ लगाई- "अरे सग़ीर! ज़रा तौलिया तो देना" 

मै तौलिया लेकर बाथरूम में पहुँचा, मैंने देखा दीदी नहा धोकर नंगी खडी थी। पूरी रात ढंग से चुदने के बाद सुबह नहा कर उनका हुस्न और निखर आया था लेकिन मैंने अपने अन्दर के ज़ज्बातों को दबाते हुए उन्हें तौलिया देकर कहा- "दीदी! रात में एक गड़बड़ हो गयी है, जब हम तुम चुदाई करके सो रहे थे तो रज़िया नीचे शायद खाना लेने आयी थी और उसने तुम्हे मेरे बगल में नंगे लेटे देख लिया। वह समझ गयी होगी कि मैं तुम्हे चोद चुका हूँ"

"सत्यानाश! ये तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी सग़ीर, अगर उसने अब्बू को बता दिया तो वो मुझे जान से मार डालेंगे" -दीदी घबराते हुए बोली

"दीदी घबराने से काम नहीं चलेगा , हमें ठन्डे दिमाग से इस समस्या का हल ढूँढना होगा" -मैंने दीदी को समझाते हुए कहा

"लेकिन इस समस्या का आखिर क्या हल हो सकता है" -दीदी ने कपडे पहनते हुए कहा

"एक हल मेरे दिमाग में आ रहा है, अगर किसी तरह से रज़िया चुदवाने को तैयार हो जाय तो सारी प्रॉब्लम ही सोल्व हो जायेगी" -मैंने दीदी को आइडिया देते हुए कहा

"तुम्हारा दिमाग खराब हो चुका है, पहले तो शायद वह चुदने को तैयार ही नहीं होगी और अगर मान लो वो तैयार हो भी गयी तो तुम्हारे इस मूसल जैसे लंड से उसकी छोटी सी चूत का क्या हाल होगा ये सोचा है क्या?" -दीदी ने थोडा गुस्से से कहा

"अरे दीदी! कल रात तुम्हारी चूत भी तो छोटी सी थी लेकिन मेरा पूरा का पूरा लंड पिलवा पिलवा के खूब चुदी, गलत कह रहा हूँ मै?” -मैंने दीदी को समझाते हुए कहा

"हाँ हाँ, रात की चुदाई अभी तक भुगत रही हूँ, कमीने दो कदम भी चलना मुश्किल होरहा है, टाँगे फैला फैला के चल रही हूँ, चूत अभी तक सूज़ के कुप्पा रक्खी है और गांड वो तो इतना दर्द कर रही है कि लेट्रिन भी बड़ी मुश्किल से कर पाई हूँ नाशपीटे, तू बहुत ही बुरी तरह से चोदता है। रज़िया तो मर ही जायेगी तेरी इस चुदाई से, पूरे साढ़े चार साल मुझसे छोटी है" -दीदी ने रात की भड़ास निकालते हुए कहा

लेकिन मै जानता था कि बिना रज़िया को चोदे इस समस्या का हल नहीं निकलेगा सो मैंने भी किसी ना किसी तरह दीदी को पटाने की ठान ली और हम दोनों सोती हुयी रजिया को घर में ही लॉक करके अस्पताल को निकल गए।

बाइक पर बैठते ही दीदी के मुंह से 'हाय अल्ला' निकल गया। मैंने चौंक कर पूछा, "क्या हुआ दीदी?"

"होगा क्या? न चल पा रही हूँ न बैठ पा रही हूँ, चूत और गांड दोनों सूजीं रखीं हैं। इतना बेरहमी से दोनों को चोदा है तूने कि जैसे कोई रंडी को भी ऐसे ना चोदे" -दीदी कराहते हुए बोलीं

मैंने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि मेरे पास कोई जवाब था भी नहीं, ‘उन्हें हर हाल में चोदना है क्योंकि मामी कभी भी हॉस्पिटल से वापस आ सकतीं थीं’ बस यही सोच कर मैं बिना कोई आगा पीछा देखे उन्हें चोद दिया था। परन्तु उनकी इस हालत पर अब बहुत रहम भी आ रहा था।

"अभी हॉस्पिटल से लौटते वक़्त आपके लिए दवा ले लूंगा जिससे आप शाम तक ठीक हो जायेंगीं" -मैंने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा

अस्पताल में मामू और अम्मी हम दोनों का ही वेट कर रहे थे। जब हम दोनों वहाँ पहुँच गए तो अम्मी और मामू बारी बारी फ्रेश हो आये और हम सब ने मिल कर नाश्ता कर लिया।

"क्यों रे सग़ीर! तू यह सोच कर आया होगा कि मामू के यहाँ चल कर मौज मस्ती करेंगे लेकिन तू इस लफड़े में पड़ गया" -मामू मुझसे बोले

"अरे नहीं मामू! ये तो बाई चांस की बात है कि मामी गिर गयीं और फिर सिर्फ आज की ही तो और बात है, कल तो मामी घर पहुँच ही जायेगी। मौज मस्ती दो दिन बाद सही, कौन सी आफत आ जायेगी" -मैंने ज़बाब दिया

"अच्छा अब तुम लोग घर जाओ, रजिया भी जाग गयी होगी" -मामू ने कहा

"ठीक है मामू! अगर कोई बात हो तो अस्पताल के फ़ोन से अपने बगल वाली दुकान पर फ़ोन कर देना" -यह कह कर मै दीदी को बाइक पर बिठा कर घर की तरफ चल दिया।

रास्ते में मेडिकल से मैंने दीदी के लिए दवा खरीदी साथ ही अपनी टाइमिंग बढ़ाने वाली दवा भी ले ली। दीदी कि दवा मैंने दो चार दिन की बढ़ा कर ही ले ली थी क्योंकि अगर ऐसी हालत में आज रात में वो फिर चुदेंगीं तो रायता फैलने के पूरे चांस थे।

घर पहुँच के हमने देखा कि रजिया अभी तक नीचे नहीं उतरी है सो मैंने दीदी को दवा खाने की हिदायत दी और खुद रज़िया को देखने ऊपर की तरफ चल दिया।
ऊपर जाकर मैंने रज़िया के कमरे के दरवाजे पर नॉक करने को हाथ रक्खा लेकिन वह हल्के से धक्के से ही अपने आप खुल गया। 

मैंने अन्दर जा कर देखा तो ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी।रज़िया बेड पर करवट से एक टांग पेट की तरफ मोड़े हुए लेटी सो रही थी , इस पोजीशन में उसकी स्कर्ट पलट के कमर से जा लगी थी।रज़िया की चड्डी उसकी चूत से कसके चिपकी हुयी थी। स्कर्ट के नीचे से जांघ तो जांघ , उसकी गहरे नीले रंग की चड्डी के साथ साथ उसकी चूत की मस्त संतरे जैसी फांके क्लियर नज़र आ रहीं थीं। उसके दूधिया तरबूज जैसे चूतड़ देख कर मेरा लंड टाइट होने लगा और मेरा दिल उसकी उस वक़्त इन संतरे की फांकों जैसी चूत को चूमने को मचल उठा। 

किसी तरह अपने दिल को काबू में करके मैंने उसे धीरे से आवाज़ दी लेकिन वह उसी तरह पडी सोती रही तो मै आगे बढ़ कर उसके पास बेड पर जाकर बैठ गया और धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखकर उसको हिलाते हुए कहा, "रज़िया ! उठ जा, देख बहुत समय हो गया है"

"ऊँ ऊँ ऊँ... अभी मुझे और सोना है, पूरी रात तो पढाई करी है" -वह सोते में ही कुनमुनाई और अपने हाथ ऊपर की तरफ फैलाते हुए उसी पोजीशन में सीधी लेट गयी , उसका एक पैर का तलवा उसकी दूसरी जांघ से लगा हुआ बेड पर था कुल मिला कर उसके पैरों की पोजीशन कुछ ।> इस प्रकार थी। 

ये सब देख कर मेरे ऊपर तो बिजली ही गिर पडी। इस पोजीशन में उसकी अब हर चीज़ कपड़ों के ऊपर से भी क्लियर नज़र आ रही थी। उसके केले के पेड़ के तने जैसी चिकनी और दूधिया जांघे देख कर मेरा लंड गनगना उठा। अब मुझे कंट्रोल करना असंभव लग रहा था। 

मैंने धीरे से उसकी स्कर्ट उठा कर उसके पेट पर रख दी। अब उसकी पाव रोटी की तरह फूली हुयी चूत पूरी तौर से मेरी नज़रों के सामने थी। मै उसकी चूत को चूमने के लिए नीचे झुका तो मेरी निगाह दोनों फांकों के बीच के बड़े से धब्बे पर टिक गयी जो शायद उसके चूतरस से बना था। मैंने उसी धब्बे के ऊपर दोनों फांकों के बीच अपनी नाक घुसा गहरी सी सांस लेकर देखा तो चूतरस की मस्त खुशबू से मेरा लंड उसकी चूत में जाने को बेताब होकर फनफनाने लगा। 

मेरी इच्छा उसकी चड्डी को एक साइड करके उसकी चूत में लंड पेलने की हो रही थी। मैंने धीरे से उठ कर उसकी मस्त सीधी खडी पर्वत चोटियों पर हाथ रख कर उसे फिर से हिलाकर कहा- "रज़िया ! मेरी प्यारी बहन, अब उठ जा ... देख तो कितना सवेरा चढ़ आया है" 

जबकि मै मन ही मन ऊपर वाले से दुआ कर रहा था कि वह और गहरी नींद में सो जाये और मै उसकी चूत में अपना लंड ठांस कर अपना गरमागरम पानी निकाल सकूं। वो थोडा सा कुनमुना कर फिर सो गयी। अब मै धीरे से उसके पास ही बगल में लेट गया और अपना लंड पेण्ट की चेन खोल कर आज़ाद कर दिया। 

अब मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके पेट पर रख कर अपने को उससे चिपका लिया।अब मेरा लंड उसकी चिकनी जांघ से रगड़ रहा था और मै ये पूरी तरह से समझ चुका था कि रज़िया बहुत ही गहरी नींद सोती है। अब मैंने धीरे से उसका टॉप उठा कर उसकी गर्दन तक खींच दिया। उसकी बड़ी बड़ी नागपुरी संतरे जैसी दूधिया चूचियां काले रंग की ब्रा को फाड़ कर जैसे बाहर आने को उतावली थीं। 

मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। मेरा लंड रज़िया की चूत में घुसने को बुरी तरह से टन्ना रहा था। मुझ पर भी भयंकर रूप से वासना का भूत सवार हो चुका था। मैं धीरे से उसकी चूत को चड्डी के ऊपर से सहलाते हुए मज़े ले रहा था तभी मुझे दरवाजे पर दीदी दिखाई दी।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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RE: यादों के झरोखे से - by KHANSAGEER - 10-05-2024, 02:42 PM



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