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Adultery मौके पर चौका
#25
Heart 
किसी बूढ़ी औरत के कहने पर समीना आपा को उस की सास हमारे घर पर छोड़ गई थी। बूढ़ी औरत ने कोई तावीज आपा को बांधा था और एक मजार पर किसी पीर औलिया की सेवा करने को कहा था। ऐसा करने से समीना आपा का बांझपन खत्म हो जायेगा।

और संयोग से वह मजार हमारे ही घर से यही कोई चार पांच किलोमीटर की दूरी पर ही थी।

कुछ दिन हर रोज़ सुबह सवेरे मजार पर जाकर सेवा करने और दुआ करने से समीना आपा अम्मी बन जाएगी। यह उस बूढ़ी औरत का दावा था। समीना आपा की सास के आगे मेरी अम्मी भीगी बिल्ली बन जातीं थी आखिरकार जवांई की अम्मी थीं। 

साथ ही वो ये धमकी भी दे गईं कि अगर इस बार भी समीना को बच्चा नहीं हुआ तो वह अपने बेटे का दूसरा निकाह करवाएँगीं। इस बात से घर में बहुत ज्यादा टेंसन हो गयी थी। सब लोग दिन रात अल्लाह से आपा के लिए बच्चे की दुआ मांग रहे थे।

समीना आपा और रज़िया के बीच काफी अच्छी दोस्ती है, दोनों की शुरू से ही खूब जमती थी। और तो और ममेरी बहनें होने के कारण रज़िया और समीना आपा की शक्ल और कदकाठी काफी मिलती जुलती है।

अब जब से समीना आपा घर रहने आई तो तब से रज़िया मेरे हत्थे नहीं चढ़ती थी। रज़िया मेरे साथ चुदाई करने से दूर भाग रही थी क्योंकि समीना आपा ने आते ही रज़िया की गर्भपात वाली गोली को बंद करा दिया था। आपा ने सारी गोलियां रज़िया से लेकर फेंक दी और उसको डांटा कि वो गोली क्यों खा रही है, सब घर वाले तो उस के पैर भारी होने का इन्तजार कर रहे हैं।

अब रज़िया के पास गोली नहीं थी और वो अभी औलाद के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती थी तो इसलिये वो मुझसे चुदाई नहीं करवा रही थी। वह जान बूझकर सारा दिन अम्मी और आपा के साथ रहती थी और रात को आपा को बुला कर मेरे बेडरूम में सुला लेती थी। इससे मुझे मजबूरन हाल में सोना पड़ता था।

इस तरह कुछ दिन बीत गये। भला मैं कैसे मेरे लन्ड को शांत करूँ? और मैं मुट्ठ भी कब तक मारता?

अब मैं आप सभी पाठकों को अपने लण्ड के बारे में फिर से बता दूँ। मेरा लंड अब तो चूत का रस पी पी कर बहुत ही मज़बूत और मोटा हो गया था। ये लगभग साढ़े आठ इंच लम्बा है और मोटाई तो मेरी बीवी की कलाई से कुछ कम ही होगा। 

मेरे ताकतवर लण्ड की ताकत तो केवल उसी की चूत बता सकती है जिसकी सील इसने तोड़ी हो। आप लोगों को याद ही होगा कि रज़िया और दीदी दो दिन तक ठीक से चल भी नहीं पाई थीं। परन्तु निकाह के बाद रज़िया को दिन रात चोद चोद कर उसकी चूत भोसड़ा बना दी थी। अब तो वह बिना किसी तकलीफ के हर ठोकर पर चूतड़ उचका कर मेरे लण्ड को पूरा ले जाती थी।

पर अचानक से बीवी की चूत चुदाई ना मिल पाने से मैं उससे नाराज हो गया और रज़िया से बात करनी बंद कर दी। हालाँकि मेरे पास चूत कि कोई कमी नहीं थीं। बीच में मौका मिलने पर मैं हनी को भी चोद लिया करता था। परन्तु रज़िया के आने के बाद से मैंने घर में चुदाई बिलकुल बंद कर दी थी।

मेरे इस बर्ताव से रज़िया को महसूस हुआ कि वह गलत कर रही है। उसने अपनी गलती मान ली।

समीना आपा को लेकर हम सब मज़ार पर गए और वहां के सेवादार को अपनी तकलीफ के बारे में बताया। सेवादार ने हम सब को जोहरा आपा के लिए दुआ मांगने को कहा।

अम्मी और आपा दोनों ने अपनी झोली फैला कर मजार में औलाद के लिए दुआ मांगी। वे दोनों रो रही थी, गिड़गिड़ा रही थीं कि हे मौला एक औलाद दे दे।

अम्मी और आपा को इस तरह औलाद के लिए तड़पती देख मेरी बीवी रज़िया भी अंदर तक हिल गयी कि ये औलाद के लिए कितनी बेचैन हैं और मैं औलाद को रोक रही हूँ।

रज़िया मेरे पास ही खड़ी थी, उसमे मेरे सामने अपनी गलती कबूल की और मजार में माफी मांगी कि जवानी के मजे लूटने के लिए मैं गोली खा रही थी।

उसने आगे से गोली खाने से तौबा की और जल्दी से जल्दी औलाद का सुख पाने के लिए तैयार हो गयी।

मैंने उसे ताना मारा- "अपने शौहर से दूर रह कर कहाँ से औलाद लाएगी?"

तब रज़िया ने शर्मा कर मुझे कहा- "आज से आपको शिकायत का मौक़ा नहीं मिलेगा"

मज़ार के सेवादार ने समीना आपा को थोड़ी राख दी और बोला - "चिंता मत कर बेटी, इस जगह से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। मुझे यकीन है कि बहुत जल्दी तेरी कोख भरेगी। अल्लाह बहुत मेहरबान है, वो किसी न किसी फ़रिश्ते को इस काम पर ज़रूर लगाएगा"

फिर हम सब लोग अपने घर लौट कर आ गए। हम सब थक गए थे पर मेरा बदमाश लण्ड मेरी बीवी की बात सुन कर तभी से ठुमक रहा था और उसकी चूत में घुसने के लिए मचल रहा था।

रज़िया की नजर जब मेरी पैन्ट में खड़े लण्ड पर पड़ी तो वो मेरे पास आई और फुसफुसा कर बोली- "आप रात होने का इन्तजार करो, सिर्फ आपका लण्ड ही नहीं मेरी चूत भी इतने दिन से प्यासी है। उससे भी अब सब्र नहीं हो रहा है। रात में ज़म चोदना मेरे सरताज पर तब तक के लिए तसल्ली तो करनी पड़ेगी"

जब रात को खाना खाने के बाद हम दोनों सोने के लिए हमारे कमरे में गए तब देखा कि समीना आपा हमारे बिस्तर पर पहले ही सो चुकी थी।

समीना आपा को देख मेरा दिमाग खराब होने लगा कि आज भी रज़िया की चूत चोदने को नहीं मिलेगी शायद।

मैं गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकल गया। रज़िया मेरे पीछे पीछे भागती हुई आई।

मैं उससे गुस्से में बोला- "रज़िया, तू चली जा मेरे सामने से! तू मेरा ज़रा भी ख्याल नहीं रखती"

रज़िया मेरे चेहरे को चूमती हुई बोली- "नाराज़ हो मेरे सरताज?"

मैं दुखी होकर बोला- "बेगम साहिबा, पूरे एक हफ्ते से मेरा लण्ड फटने को हो रहा है"

रज़िया बोली- "मैं समझती हूँ सरकार, आप यही हाल में लेट जाएँ, मैं कुछ देर के बाद आपके पास आती हूँ। हम आज हाल में ही चुदाई करेंगे"

मैं- "यार रज़िया, तुम पागल हो क्या? इस खुले हाल में हम दोनों नंगे हो कर चुदाई करेंगे? कोई आ गया तो इज़्ज़त का कचरा हो जाएगा"

तो रज़िया बोली- "फिर आप हमारे कमरे में ही चलिए। आप सोफे पर मुझे चोद लीजियेगा"

CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 27-04-2024, 12:09 PM
RE: मौके पर चौका - by sri7869 - 27-04-2024, 02:22 PM
RE: मौके पर चौका - by Chandan - 05-05-2024, 10:14 AM
RE: मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 09-05-2024, 02:31 PM
RE: मौके पर चौका - by Eswar P - 27-05-2024, 12:50 PM



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