08-05-2024, 12:29 PM
हैल्लो! सभी दोस्तों को सग़ीर खान का आदाब....
दोस्तों, ये मेरी कहानी मेरी मामू की छोटी बेटी रज़िया से निकाह होने के बाद की है। हमारी लव मैरिज हुई है। रज़िया अब मेरी बीवी है। उसकी उम्र अभी करीब 21 साल है।
मेरी कहानी "यादों के झरोखे से" में आप सभी ने पढ़ा होगा कि कैसे रज़िया को देख कर मेरी नियत ख़राब हो गई थी। मैंने दीदी के साथ ही रज़िया को भी चोद तो लिया था पर उसकी अदाओं ने मेरे दिल में घर कर लिया था। हालाँकि ऊपर वाले के करम से मेरे लिए चूतों की कोई कमी नहीं थी परन्तु मैं चाहकर भी रज़िया को अपने दिलो दिमाग से निकाल नहीं पाता था।
शादी से पहले सबके सामने वो मुझे भाईजान कहती थी और रात में चैटिंग के दौरान वो मुझे जान बुलाती थी।
रज़िया की एक गलती की वजह से हम दोनों भाई बहन की मुहब्बत का राज हमारे बड़ों के सामने खुल गया।
एक रोज़ वो मोबाइल चला रही थी और मामू खाना खा रहे थे। मामू ने रज़िया से रोटी लाने को बोला। वो मोबाइल वही छोड़ कर मामू के लिए रोटी लेने चली गई। तभी मैंने मैसेज किया 'और जानेमन क्या कर रही हो? कल रात ऑनलाइन क्यों नहीं आई? पूरी रात मैं अपने लण्ड को मसलता रहा' और उसके बाद गुस्से वाली इमोजी बना दी।
मामू ने फोन उठा कर मैसेज पढ़ लिया और फिर वही नहीं पुरानी भी सारी चैट पढ़ डाली।
फिर तो उसके घर तूफान आ गया।
अम्मी के पास मामू ने तुरंत फोन लगा दिया। हम दोनों की अम्मियों को जब हम दोनों की मुहब्बत की जानकारी हुई तो वे दोनों गुस्सा होने के बदले बहुत खुश हुई और हम दोनों का निकाह करवा दिया।
जैसा कि आप लोगों को पता है कि मेरे मामू के तीन बेटियां हैं और मेरी अम्मी के तीन बेटियां व दो बेटे है।
मेरी अम्मी के सबसे बड़ी बेटी समीना आपा फिर रूही आपी उसके बाद मैं और फिर फरहान व हनी हैं। मामू की सबसे छोटी बेटी रज़िया और मेरा चक्कर जब खुला तो दोनों की अम्मियों ने हमारी शादी करवा दी थी।
मेरी बड़ी आपी जो रूही आपी से चार साल व मुझसे छह साल बड़ी है उनका निकाह आठ साल पहले रफ़ीक़ से हुआ था।
समीना आपा के शौहर रफ़ीक़ अरब कंट्रीज में पहले प्रोफेसर थे फिर वही किसी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर बन गए। रफ़ीक़ जीजू को साल में सिर्फ दो बार आठ आठ दिन की छुट्टी मिलती थी घर आने के लिए। वे ये छुट्टियां अपनी बीवी और मेरी बहन के साथ बिताने भारत आते थे।
रफ़ीक़ जीजू की अच्छी नौकरी की वज़ह से अब्बू ने उनके साथ समीना आपा का निकाह करवा दिया था। समीना से रफ़ीक़ जीजू उम्र में करीब बारह साल बड़े थे। इस वक़्त समीना तीस साल की है और जीजू लगभग बयालीस साल के।
समीना आपा के निकाह के 8 साल बाद भी अभी तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई थी। आपा अपनी ससुराल में अपने सास ससुर के साथ ही रहती है।
नामालूम क्यों? लेकिन मुझे तो लगता है कि जीजू और आपा की उम्र में एक तो बारह साल का फर्क और दूसरे कि रफ़ीक़ जीजू सिर्फ एक हफ्ते की छुट्टी पर आते हैं तो इतने में दोनों में कितनी चुदाई हो पाती होगी कि मेरी आपा के पेट में जीजू का बच्चा आये।
यह मेरी निजी सोच थी, असलियत का मुझे कुछ नहीं पता।
ज़ोहरा आपा की इस हालत के लिए अम्मी अब्बू को ही जिम्मेदार मानती थी और अम्मी अब्बू के बीच अक्सर लड़ाई रहती थी।
लेकिन मेरे निकाह के बाद अब घर में फिर खुशियान बरसने लगी। अब आपा को लेकर अम्मी और अब्बू के बीच घर में झगड़ा नहीं होता था पर तब भी जब कभी समीना आपा अपनी ससुराल से कभी हमारे घर आती तो वे अम्मी से अपने अकेलेपन और बेऔलाद होने का दुखड़ा रोतीं तो अब्बू और अम्मी के बीच फिर से कहासुनी शुरु हो जाती थी।
अम्मी अक्सर अब्बू से कहतीं, "ज़िन्दगी में पैसा ही सब कुछ नहीं होता, और भी बहुत सी ज़रूरतें होतीं है। अरे पैसा देख कर मेरी फूल सी नाज़ुक बेटी आपने एक बुड्ढे से बाँध दी, जिससे कुछ होता हवाता तो है नहीं उल्टे उसकी माँ समीना पर बाँझ होने का आरोप लगाती है। कमीनी अपनी औलाद को नहीं देखती है"
इधर रज़िया और मेरी सेक्स लाइफ काफी मजेदार थी, हम दोनों भाई बहन जो अब शौहर और बीवी हो चुके थे, रोज़ ज़ोरदार चुदाई करते थे। मैं रोज रात को रज़िया को कम से कम दो बार तो चोदता ही था।
उसे भी चुदाई का बहुत शौक था तो वो भी जब भी मौका मिले मेरा लंड पकड़ लेती थी और दिन में भी चुद लेती थी लेकिन इतनी चुदाई होने के बावजूद भी रज़िया गर्भवती नहीं हुई थी।
अब आहिस्ते आहिस्ते घर में सभी लोगों के मन में डर होने लगा कि कहीं हम दोनों भाई बहन के ऊपर कुछ ऐसा है कि हम बेऔलाद ही रहेंगे।
पर असलियत कुछ और ही थी वो ये कि फिलहाल रज़िया चुदाई के मज़े के चक्कर में गर्भवती होने नहीं चाह रही थी इसलिये अपनी सुरक्षा खुद कर रही थी। मतलब रज़िया हर महीने गर्भ से होती थी पर वो गर्भपात की गोली खाकर अपना पीरियड चालू कर रही थी।
एक दिन समीना आपा ने रज़िया को गर्भपात वाली गोली खाते हुए देख लिया।
लेकिन बड़ी आपा को रज़िया ने कहा- "आपा, असल सगीर भाईजान..."
तब समीना ने हंस कर रज़िया के गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारकर कहा- "बेशर्म लड़की, सगीर अब तेरा शौहर है"
रज़िया हंस कर बोली- "सॉरी आपा, बचपन से ही उन्हें भाईजान कहने की आदत है ना"
समीना हंस कर- "हाँ बोल, तू कुछ बोलने वाली थी?"
रज़िया ने बताया- "सगीर भाई जान… ओ सॉरी… सगीर रोज रात बिना किसी एहतियात के मेरे साथ हमबिस्तर होते हैं। पर मुझे अभी कोई बच्चा नहीं चाहिए इसलिये मैं किसी को बिना बताए ये गोली लेती हूँ"
फिर कुछ दिन बाद समीना अपने ससुराल चली गई।
एक हफ्ते बाद अचानक ही समीना आपा और उसकी सासअम्मी हमारे घर आई तब पता चला कि रफ़ीक़ जीजू एक माह बाद हिन्दुस्तान आने वाले हैं।
CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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