06-05-2024, 12:23 PM
दीदी अब फुल मस्ती में आ चुकी थी वह उचक उचक कर अपनी फुद्दी चुसवा रही थी। मैं दीदी की फुद्दी को चूसते हुए अपनी बीच वाली उंगली को उनकी पानी छोड़ती चूत में अंदर बाहर करता जा रहा था, अचानक मैने वही गीली उंगली धीरे से उनकी गाँड़ में घुसा दी.
दीदी ने एक झटके से अपने चूतड़ ऊपर उचका कर मेरा लॅंड अपने मुँह से निकाल दिया और कहा, "सीस्स... नहीं... सग़ीर... वहाँ नहीं... दर्द हो रहा है"
मैने उंगली गाँ ड़ से बाहर नहीं निकाली लेकिन वहीं रोक कर अपनी जीभ से उनकी चूत को कुरेदने लगा।
अब तो दीदी की हालत ख़राब होने लगी, वो गाँड़ में घुसी उंगली को भूल कर अपने चूतड़ बार बार ऊपर उचकाने लगीं। दीदी अपनी चूत पर मेरे हाथों को महसूस करके मचल उठीं, उनकी नाक से गरम गरम साँसे निकलने लगीं, इसके चलते उनकी चूचियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं।
तभी मैने अपना मुँह उनकी जलती हुई चूत पर रख दिया। अपने भाई की जीभ को अपनी चूत पर रेंगता महसूस करके उनकी चीख निकल गई, उनका बदन बुरी तरह जल रहा था. वो दोनों हाथों से अपनी चूचियों को मसलते हुए अपने चूतड़ झटकने लगीं।
मैं भी अपनी दीदी की गांड की गोलाइयों को दबोचे अपने मुँह को चूत में घुसाके अपनी प्यास बुझाने में लगा था, मैं बुरी तरह से अपनी दीदी की चूत को चूसे जा रहा था।
दीदी की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी, उनकी चूत आग उगल रही थी, उन्होने अपनी जांघो से मेरा सिर अपनी चूत पर दवा लिया और दोनों हाथो से जोर जोर से अपनी चूचिया मसलने लगी वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबाये निचे से चूतड़ उछालने लगी उनकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वो बेदर्दी से मेरा मुँह चोद रहीं थीं।
मैं भी अपनी दीदी की चूत को दीवानो के तरह खाये जा रहा था मैं जोर जोर से अपनी जीभ को चूत के अंदर बहार कर रहा था, दीदी की जाँघे उस के मुँह और नाक को अपनी चूत में घुसाए जा रही थी, वो अपने चरम पर पहुंचने वाली थी, वो बहुत जोर जोर से अपने चूतड़ उछाले जा रही थी, उनकी चीखों से कमरा गूँज रहा था,
"आहा... सग़ीर... मेरी जान... ऐसे ही चूस अपनी बहन की चूत को... खा जा इसे... बहुत आग लगी रहती है इसमें मेरे भैय्या... और चाट इसे... बहुत मस्त चाटता है तू तो" -दीदी मस्ती में मेरे लॅंड को चाटतीं चूसतीं बड़बड़ा रहीं थीं।
अचानक दीदी पूरी ताक़त से चूतड़ उचकाते हुए सिसकारीं, "आह मेरी जान... मैं गई..." यह कह कर उनकी चूत ने चूतरस को मेरे मुँह में छोड़ना चालू कर दिया, वो हलके हलके झटके खाती मेरे मुँह में अपनी चूत का माल छोड़ने लगी।
मैं पूरी लगन के साथ अपनी दीदी के चूत के माल को चाटता जा रहा था, मेरी दीदी की चूत से निकलते नमकीन कसैले माल को पीने से मेरी वासना दुगनी हो गई थी।
मैं भी बहुत देर से अपने पर कंट्रोल किए था पर दीदी की चूत का रस पीते हुए मुझे लगा मेरी ट्रेन भी प्लेटफार्म पर पहुँचने वाली है।
"ओ... मेरी... जान... मैं भी... आ... रहा... हूँ..." -यह कह कर मैने अपना लॅंड दीदी के मुँह में गले तक पेल दिया।
'गों...गों...' करते हुए दीदी ने मेरी कमर को पीछे पूरी ताक़त से धकेला, उनकी सांस रुकने लगी थी। अचानक मेरे लॅंड से पिचकारी निकलनी शुरू हो गईं जिसे दीदी ने एक बूँद भी बर्बाद नहीं जाने दिया। हम दोनों ने ही पानी तुरंत ही चाट लिया।
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी के बगल में लेट कर उनकी चूचियां मसलते हुए कहा ,"वाह दीदी, कसम से ऐसा मज़ा ज़िंदगी में कभी नहीं मिला, तुम्हारा हुस्न लाज़बाब है मेरी दीदी"
"तू भी तो कुछ कम नहीं मेरे शैतान भाई और तेरा लंड तो वाकई बहुत ही शानदार है, ऐसा लंड तो अब्बू का भी नहीं है, मैंने एक बार चुपके से उनको अम्मी को चोदते देखा था"
दीदी अब पूरी तरह से मेरे साथ खुल के बात कर रही थी सो मैंने भी उनको चुदने के लिए तैयार करने की गरज से उनकी चूचियों को मसलते हुए कहा, "और क्या देखा तुमने दीदी?"
" कुछ नहीं मै रात को पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि अम्मी के कमरे की लाइट जल रही है व दरवाजा थोड़ा सा खुला है, मैंने जब झाँका तो देखा कि अब्बू अम्मी की सलवार का नाडा खोल रहे थे। मै चुपचाप देखती रही, उन्होंने फिर अम्मी का कुरता भी उतार कर उन्हें बिल्कुल नंगा कर दिया, अम्मी ने भी अब्बू की लुंगी और बाकी के कपडे उतार कर उन्हें नंगा कर दिया उस वक़्त मैंने अब्बू का लंड देखा था, इस उमर में भी बिल्कुल काले नाग की तरह फुँफकार रहा था उस वक़्त मुझे वो सबसे मस्त लंड लगा था क्योंकि मूतते हुए लोगों के लंड ढीले ढाले होते थे, ये तो पूरी तौर से टनटनाता हुआ खड़ा था, इस हालत में लंड मैंने पहली बार ही देखा था, उस वक़्त मुझे लगा कि अब्बू का ये छह इंची लंड ही सबसे मस्त है लेकिन तेरा लंड तो उनके भी लंड से कहीं ज्यादा मोटा और लम्बा है" -दीदी ने मेरे लंड को सहलाते हुए बताया।
"और क्या देखा दीदी , पूरी बात बताओ ना" -मैंने उनकी चूचियों को मसलते हुए पूछा
"अब्बू ने अम्मी को बेड पर घोड़ी की तरह खड़ा करके उनके पीछे से चूत पर अपना लंड टिका कर एक झटके में पेल दिया और अम्मी की कमर थाम के सटासट अपना लंड अम्मी की चूत में अन्दर बाहर करते हुए चोदने लगे" -दीदी फुल बेशर्मी के साथ अपनी अम्मी की चुदाई की दास्तान बताती बोली।
मैंने देखा कि मेरा लंड फिर से फनफनाने लगा था सो मैंने दीदी की चूत को सहला कर देखा कि वो भी पनीली हो रही है। अतः मैंने दीदी को चोदने की गरज से कहा ,"इसका मतलब मामी को चुदने में बहुत मज़ा आ रहा होगा"
"और नहीं तो क्या, चूत को तो वैसे भी एक अदद लंड की हमेशा चाहत रहती है" -दीदी मेरे चूत रगड़ने से मस्त होते हुए कमर हिलती हुयी बोली।
" तो दीदी, इसका मतलब तुम्हारी चूत भी लंड की चाहत रखती होगी, अगर हाँ तो मेरा लंड क्या तुम्हे पसंद नहीं आया, कसम से दीदी एक बार आज़मा के तो देखो, मामू से भी ज्यादा ढंग से मस्त बना दूंगा" -मैंने अपने लंड को दीदी की चूत पर कसके रगड़ते हुए कहा।
"तूने तो मेरे मन की बात ही छीन ली पगले, जबसे तेरे लंड के मेरी चूत ने दीदार किये है वो चुदने के लिए बेकरार हुई जा रही है" -दीदी मस्त होते हुए बोली "आज तू इसे ज़रा जम के चोद दे मेरे भैय्या, ये मेरी चूत पता नहीं कब से तेरे ही जैसे लंड के लिए तड़प रही है"
"क्यों नहीं दीदी, एक भाई का लंड अगर अपनी बहन की चूत की प्यास भी नहीं बुझा सकता तो लानत है ऐसे भाई और उसके लंड पर" -मैंने दीदी की चूचियों को मसलते हुए कहा "पर एक बात सच सच बताओ दीदी, क्या पूरे लुधियाने में तुम्हे आज तक कोई ऐसा लंड नहीं मिला जो तुम्हारी चूत की खुजली मिटा सके"
" अब्बू के डर से आज तक सिर्फ उंगली से ही काम चलाया है, वो खुद तो रोज़ रोज़ अम्मी की चूत में अपना लंड पेल के पूरा मज़ा लेते है और मेरे बारे में बिलकुल भी नहीं सोचते कि आखिर ये भी एक चूतवाली है और इसका भी किसी लंड से चुदवाने का मन होता होगा " दीदी भुनभुनाते हुए बोली
" कोई बात नहीं दीदी, आज मै सारी कसर पूरी कर दूंगा , वो जम के तुम्हारी चूत को अपने इस लंड से चोदूंगा कि तुम ताउम्र याद रक्खोगी" मैंने दीदी के रसीले होंठो को चूमते हुए कहा।
मेरे लॅंड की सारी नसें बुरी तरह से तनी हुईं थीं, सुपाड़ा किसी लाल टमाटर जैसा रक्खा था, बर्दाश्त अब दो में से किसी को नहीं था. मेरे पास ज़्यादा समय नहीं था, मुझे जो कुछ करना था अभी ही करना था वरना फिर यह मौका दोबारा नहीं आना था। मैंने दीदी को टाँगे पेट की तरफ मोड़ कर पूरी तरह से फ़ैलाने को कहा, दीदी ने तुरंत आज्ञा का पालन करते हुए अपनी टाँगे फैला दी।
अब जैसे दीदी की चूत मेरे लंड को चोदने का खुला निमंत्रण दे रही थी। मैंने दीदी की चूत पर अपने लंड का सुपाडा टिका कर कस के उनके कंधे पकड़ लिए और एक ही धक्के में अपना आधा लंड दीदी की पानी छोड़ती चूत में ठांस दिया।
contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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