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Adultery मौके पर चौका
#15
Heart 
वो तड़पने लगी और अपने कूल्हे चला कर चूत को रगड़ने लगी।

आह! ये मेरी सबसे पसन्दीदा पोजीशन है इससे चूत के अन्दर का हिस्सा लगातार कसता और नरम पड़ता है, इससे लन्ड को बेहद सुखद अनुभूति होती है।

इतने में उसने अपने हाथों पर अपने धड़ को ऊपर कर लिया तो मैंने गरदन चूसनी बंद कर दी और उसके बोबे चूसने लगा और दोनों हाथों से मसलने लगा तो उसको बेहद उत्तेजना हुई और वो अपने कूल्हे जोर लगा कर अपनी चूत मेरे लन्ड पर मसलने लगी और एकाएक निढाल मेरे ऊपर पसर गई।

दो मिनट हम दोनों बिना हरकत किये पड़े रहे। फ़िर मैं अपने हाथ उसके बदन पर फ़िराने और बोबे दबाने लग गया और अपने मुँह को उसके मुँह से सटा दिया तो उसमें फ़िर से हरकत होने लगी और वो फ़िर से होटों को मेरे होटों से सटा कर चूसने लगी और फ़िर से एक बार कूल्हे चलाने लगी।

इस बार तो उसने बहुत तेज चक्की चलाई, मुझे भी मजा आने लगा था। उसकी चूत उसके कूल्हे की हर हरकत पर कसती और ढीली होती थी तो मुझे मेरे लन्ड पर बहुत तेज करेन्ट महसूस होता था। मैं अपने हाथ उसके कूल्हों पर बहुत हल्के से फ़िराने लगा तो वो फ़िर एक बार तड़पने लगी और अचानक ही उसने अपने होटों से मेरे होटों को जोर से काट लिया। मुझे लगा कि मेरा होंट सूज गया है। उसका बदन अकड़ गया और फ़िर एकदम से निढाल हो कर मेरे ऊपर पसर ग़ई। मैंने मेरे हाथ उसकी पीठ पर बान्ध लिये और हाथ के पन्जे से उसके बाल हौले हौले सहलाने लगा।

पांच मिनट बाद उसमें धीरे धीरे फ़िर से चेतना आने लगी और वो मेरे कान में फ़ुसफ़ुसाई- “अब आप ऊपर आ जाओ और अपना काम भी कर लो”

और यह कह कर हौले से मेरे ऊपर से सरककर उतरती हुई मेरे पहलू में आ गई। अब मैं धीरे धीरे उसके ऊपर आ गया तो उसने अपने एक हाथ से मेरी गुद्दी पकड़ कर मेरा मुँह अपने मुँह से चिपका लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर मेरी जीभ टटोलने लगी।

मैंने अपना लन्ड उसकी चूत पर सेट करके अन्दर डाल दिया तो एकाएक उसके होंट मेरे होटों पर कस गये और मुझे पहले के काटे हुये हिस्से पर दर्द महसूस हुआ लेकिन इस समय कौन ऐसे दर्दों की परवाह करता है। मैंने मेरी कोहनी और घुटनों पर अपना वजन रखते हुये मेरे हाथ उसके दोनों बोबों पर कस दिये और मैं उस पर धक्के लगाने लगा। लम्बे धक्के लगा नहीं सकता था क्योंकि इस से कमरे के किसी भी जन के जाग जाने का डर था। 

उसने भी नीचे से अपने कूल्हों को हरकत देना शुरू किया। मुझे बिना लम्बे धक्कों के मजा नहीं आ रहा था तो मैंने अपने हाथ उसकी गरदन के नीचे लेकर उसको जोर से अपने से भींच लिया, अब अचानक से उसने अपना मुँह मेरे मुँह से हटा कर मेरी गरदन पर लगा कर चूसने लगी। अब मुझे करेन्ट आने लगा, मैं फ़िर धक्के लगाने लगा। हम दोनों में रगड़म-रगड़ाई चल रही थी। 

अचानक उसके मुँह से आंऽऽ आं की आवाज निकलने लगी तो मुझे अपने होटों से उसका मुँह बंद करना पड़ा। कुछ देर में मुझे मेरी मंजिल नजदीक आती लगी और आह… मैं उस पर पसरता चला गया।

फ़िर कोशिश करके उसकी बगल में आकर उसको बाहों में लेकर पड़ा रहा। अब वो बहुत प्यारी महसूस हो रही थी और इशारे भी कितनी आसानी से समझ लेती है। 

कोई पन्द्रह मिनट बीते होंगे कि अचानक से जैसे वो जागी हो और अपने होटों को मेरे होटों से छुआ कर एक चुम्बन लिया और कान में फ़ुसफ़ुसाई- “दवा के इस शानदार डोज के लिये शुक्रिया” और उठ कर कमरे से बाहर हो गई।

उस हल्के झीने से प्रकाश में परछाई सी जाती लगी।

इस अचानक हरकत पर मैं अचम्भित रह गया और जो कुछ मैं उसको कहने वाला था वो सब मेरे मन में रह गया। मैंने अपने कपड़े ठीक किये।

सोचने लगा, जाने कौन थी? उसका इस परिवार से जाने क्या रिश्ता है? मैंने कुछ गलत तो नहीं किया? यदि किसी तरह से यहाँ किसी को पता चला तो वो क्या सोचेगा? मैं कमरे में आंखे गड़ा कर घूरने लगा कि कोई जाग तो नहीं रहा ना।

अब सब कुछ सपने सा लग रहा था कि अचानक ही यह सब हुआ और फ़िर जैसे कोई था ही नहीं, इस प्रकार से उठ कर वो चली गई।

मुझे नींद नहीं आ रही थी। ना जान ना पहचान, जाने कौन थी? मुझे बेचैनी हो रही थी लेकिन कर क्या सकता था। उठ कर देख भी तो नहीं सकता था कि वो गई कहाँ? कोई मुझे यों कमरों में झांकते देखता तो मैं क्या जवाब देता। खैर, जैसे तैसे सुबह हुई।

छह बज चुके थे। लोगों में जाग होने लगी थी। सुनीता भी जग गई थी। मैं शौच जाकर उसके पास आया और जाने की इजाजत मांगने लगा।

तो उसने कहा- “रुक जाते तो मजा आ जाता, यदि मौका मिलता तो शायद कुछ और भी करते परन्तु तुम्हें शोरूम जाना है तो क्या किया जा सकता है”

फ़िर इतना कहकर मिठाई का एक डिब्बा लाकर मेरे हाथों में दिया। गर्मजोशी से हाथ मिलाया और गले लगा लेकिन उसे नहीं भूल पा रहा था। कौन थी वो?

एक महीना निकल चुका था। वीणा का फ़ोन नहीं आया तो मैंने चैन की सांस ली। चलो एक बला तो टली।

मैं अपने शोरूम में शाम को छह बजे बैठा कुछ काम कर रहा था कि मेरे मोबाइल ने आवाज मारी। उठा कर देखा तो वीणा का फोन था। या अल्लाह! कल ही तो मैं शुक्र मना रहा था और आज…

मैंने मोबाइल कान पर लगाया- "हेलो"

वीणा- "सगीर, मैं वीणा बोल रही हूँ"

मैं- "हाँ वीणा, बताइये, आपका नंबर सेव है मेरे पास"

वीणा - "आपने तो पलट कर एक बार भी फ़ोन नहीं किया"

मैं- "हां, माफ़ कीजिये, थोड़ा व्यस्त रहा इन दिनों"

वीणा - "व्यस्त रहे या टाल रहे थे"

मैं- "नहीं ऐसा कुछ नहीं वीणा"

वीणा - "तो फ़िर क्या सोचा, कब आ रहे हो?"

मैं- "नहीं, अभी तो नहीं वीणा, आजकल मैं बहुत व्यस्त हूँ। फ़िर कभी देखते हैं"

वीणा - "अच्छा? क्यों तड़पाते हो एक दुख़ियारी को? प्लीज…"

फ़िर चार पांच सेकन्ड चुप्पी रही फ़िर एकाएक वीणा की आवाज आई- "उस प्यारी दवा का दूसरा डोज और दे जाते तो बहुत मेहरबानी होती आपकी"

मेरे कान के पास जैसे बम फ़टा हो।

मेरे मुँह से लगभग चीखती सी आवाज निकली- "साली… वीणा की बच्ची, तो वो तू थी… मेरी तो जान ही निकली पडी है उस दिन की सोच सोच कर… देख लूंगा तुझे तो… समझ लूंगा… साली… तेरा कचूमर नहीं निकाल दिया तो देखना"

रेखा की खनकती हंसी सुनाई दी- "हाय हाय मर जावां… क्या प्यारा रिश्ता बनाया है… कसम से 'साली' यानी 'आधी घरवाली' हाय हाय मेरे जीजू… बिना मांझे की मन की पतंग डोर वाला रिश्ता… वाह… आनन्द ही आनन्द भये…"

फ़िर सन्जीदा आवाज सुनाई दी- "मेरे राजा… मेरे प्यारे जीजू… उस घटना के लिये सॉरी… दिल की गहराइयों से सॉरी… कान पकड़ कर सॉरी… दण्ड्वत करके सॉरी… आओगे तो पैर पकड़ के और सॉरी कहूँगी"

और फ़िर से खनकती हुई हंसी सुनाई दी और बोली- "देखना हो, समझना हो तो आज ही आ जाओ जान। सब के सब शादी में गये हैं, रात को दस बजे बाद तक ही आयेंगे। खूब अच्छी तरह से मुझे देखना और समझना। साथ ही मेरा कचूमर भी निकाल देना। जल्दी आओ, मैं इन्तजार कर रही हूँ। वैसे हनी और सुनीता ने तुम्हारे हथियार की और चोदने की जितनी तारीफ़ की थी, तुम उससे भी कहीं ज़्यादा मझे हुए खिलाड़ी निकले। कसम से इतने मस्त तरीके से मुझे वरुण ने आज तक नहीं चोदा"

मुझे अब वह पता नहीं क्यों अच्छी लगने लगी थी पर इस हनी की बच्ची ने भी मेरे साथ इतना बड़ा गेम खेला और मुझे हवा तक नहीं लगने दी। आज इस हनी का तो कोई छेद नहीं बचने वाला।

आ रहा हूँ मैं हनी…

समाप्त


अब मुलाकात होगी एक नई कहानी दे साथ तब तक के लिए इस नाचीज़ को इज़ाजत दीजिये।  Namaskar Namaskar
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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Messages In This Thread
मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 27-04-2024, 12:09 PM
RE: मौके पर चौका - by sri7869 - 27-04-2024, 02:22 PM
RE: मौके पर चौका - by Chandan - 05-05-2024, 10:14 AM
RE: मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 06-05-2024, 12:03 PM
RE: मौके पर चौका - by Eswar P - 27-05-2024, 12:50 PM



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