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Adultery यादों के झरोखे से
#23
Heart 
"दीदी, मैं आपके साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करूँगा, हाँ यहाँ अगर मेरी आपी होती तो शायद मैं यही आपी को भी बोलता और फिर उनकी मर्ज़ी से ये सब करता" मैने उनके चूतड़ को पकड़ कर अपने लॅंड पर रगड़ते हुए कहा।

"मतलब....? तू...? ये... सब... रूही के साथ भी कर देता?" -दीदी ने पहली बार अपना चेहरा उठा कर मेरी आँखों मे देखते हुए पूछा।

"इसमें नज़ायज़ क्या है, शरीर की भी अपनी ज़रूरतें होतीं हैं और अगर ये अपने घर में ही पूरी हो जाएँ तो इससे अच्छा और क्या है" मैं उन्हे बाँहों में कस कर फिर पलट गया, अब वो मेरे नीचे थीं और मैं उनके ऊपर, मैने बात ज़ारी रखते हुए कहा, "जब इंसान की ज़रूरत घर में पूरी नहीं होती तभी वह बाहर इधर उधर मुँह मारता है" इसी के साथ अब मैने और समय बर्बाद न करते हुए एक हाथ से उनकी चूची मसलते हुए उनके होंठों से होंठ मिला दिए.

परंतु उनकी आँखों मे बसी हैरत कुछ और जानना चाह रही थी।

"तो क्या तू रूही को नंगा करके वो सब भी कर लेगा?" -दीदी ने मुझे थोड़ा पीछे करते हुए पूछा

अब मेरे बर्दाश्त से बाहर हो रहा था.

मैने कहा, "तो इसमें बुरा क्या है, यदि आपकी अपनी शारीरिक भूख आपसे किसी मर्द का शरीर चाह रही है ऐसी हालत में यदि आपका अपना भाई खुद को हाज़िर कर रहा है तो दिक्कत क्या है?"

मैं अब दोनो हाथों से उनकी चूचियाँ मसलने लगा था, मुझे डर था कहीं खड़े लॅंड पर धोखा न हो जाए, नीचे से मैं अपने लॅंड को उनकी चूत पर रगड़ रहा था।

दीदी की चूत से निकलते पानी ने उनकी नाइटी को गीला कर दिया था। मैने बाज़ू में लेट कर उनकी नाइटी में हाथ घुसा कर उनकी पनीली चूत को अपनी मुट्ठी मे भर लिया,

"मतलब तू रूही को भी चो... मेरा मतलब पेल देता???" - दीदी ने अपनी चूत से बिना मेरे हाथ को हटाए फिर पूछा।

"हाँ दीदी, मैं आपी को भी चोद देता बशर्ते आपी भी चुदना चाहें तो और क्या आप भी बार बार हमारे बीच आपी को ला रहीं हैं। क्या मेरी मौज़ूदगी आप को अच्छी नहीं लग रही। यदि ऐसा है तो आप कहो मैं चला जाता हूँ" -मैं दीदी की चूत को सहलाते हुए बोला।

मुझे पता था कि अब लोहा पूरी तौर पर गरम हो चुका है अब दीदी को चुदने से कोई नहीं बचा सकता था।

दीदी थोड़ा सा कसमसाते हुए बोली, "अरे...रे... मेरा सोहना भाई... लगता है नाराज़ हो गया, अच्छा अब मैं रूही की कोई बात नहीं करूँगी"

"मैं अक्सर रातों को ख्वाबों में आपको देखता था, ऊपर वाले से मन्नत माँगता था कि कब वो आपको मेरी बाहों में आने देंगे, आज मेरी मन्नत पूरी हो गई लगता है" - मैं दीदी को कस कर अपने से चिपकाते हुए बोला।

मैं उनके गालों से होता हुआ अब गर्दन पर अपनी जीभ घुमा रहा था. उनके पसीने और डियो की मिली जुली खुश्बू मुझे मदहोश किए दे रही थी।

दीदी से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था. वो मेरे हाथों को अपनी चूचियों पर रगड़ते हुए बोलीं, "ओ सग़ीर... मेरे भाई... मेरे सरताज़... मिटा दे अपनी इस बहन के शरीर की आग को, कर ले अपने ख्वाबों को पूरा... मेरी भी चाहत थी कि कोई तेरे जैसा मर्द मेरे शरीर को तोड़ कर रख दे, रौंद दे मेरी इस जवानी को... आह... मेरे राजा... बुझा दे मेरी प्यास... तेरी ये बहन तेरी हमेशा लौंडी बन के रहेगी"

मुझसे दीदी का इतना कहना काफ़ी था क्योंकि मुझ में भी अब बर्दाश्त करने का माद्दा नहीं बचा था. मैने दीदी की नाइटी को उनकी गर्दन से बाहर खींच कर फेंक दिया.

मैं दीदी के ऊपर चढ़ कर उस के होठों को बेदर्दी से चूसने लगा, दीदी भी मेरा पूरा साथ दे रहीं थीं. मेरे हाथ दीदी की चूचियों पर पहुंच जाते है मैं अपनी बहिन चूचियों को मसलने लगता हूँ, दीदी की तनी हुई चूचियों को छूते ही मेरे शरीर में करंट दौड़ जाता है, मेरे अंदर सुबह से दबी वासना फिर से जग जाती है, मैं  दीदी की ब्रा खोल कर उस की चूचियों को मुँह में भर कर पीने लगता हूँ, दीदी भी अपनी कुँवारी चूचियों पर अपने भाई के होठों को महसूस करके सिसकने लगती है और मज़े की अधिकता में मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर कस कर दबाने लगती हैं.

मैं दीदी की चूचियों को दबा दबा कर चूस रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे शायद मेरे दबाने से उनमें से दूध निकलना शुरू हो जाएगा. मेरा लॅंड बुरी तरह से मचल रहा था. मैने धीरे से अपना हाथ नीचे बढ़ा कर दीदी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. 

दीदी अपनी चूत पर मेरा हाथ महसूस करते ही एक दम से सिसक पड़ीं, उनके अंदर की काम वासना मचलने लगी थी. वो, 'आह... सग़ीर... उम्म्म... मेरे भाई... हाय...' की आवाज़ें मुँह से निकाल रहीं थीं.

मैने जल्दी से दीदी की ब्रा को भी खोल कर फेंक दिया. अब वो बिल्कुल मादरजात नंगी बेड पर बाज़ू में लेटी थीं. मैं उठ कर दीदी की टाँगों के बीच में आ गया और उनकी जांघों को फैला कर उनकी कुँवारी कमसिन गुलाबी चूत को सहलाने लगा. 

मैं अपनी एक उंगली से दीदी की फुद्दी को सहला रहा था वहीं दूसरे हाथ की उंगली से उनकी चूत के छेद को कुरेद रहा था. मैं दीदी की चूत की दोनों फांकों को अलग करके उस अनछुई कुँवारी कच्ची कली को देख कर मस्त हो गया.

अब दीदी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकालनी शुरू हो गयीं थीं।

मैंने दीदी से कहा " ओ मेरी प्यारी दीदी, आज तुमने जो मेरे साथ किया है वो शायद मेरी सगी बहन भी नहीं करती, क्या शानदार चूचियां है तुम्हारी, बिल्कुल बड़े बड़े नागपुरी संतरे की तरह, और चूत… वो तो लाज़बाब है, क्या मस्त हल्के हल्के रोंयेदार चूत है आपकी" -मै दीदी की चूत को सहलाते हुए बोला

"ये बहुत गलत बात है कि तूने मुझे तो बिल्कुल नंगा कर दिया और तू अभी तक अंडरविअर पहने है" दीदी ने शोख आवाज़ में गहरी सांसों के साथ जैसे मेरे मन की बात कह दी

"सॉरी दीदी, मै आपकी मस्त मस्त चूत और शानदार चूचियों में भूल गया" -यह कह कर मैंने फटाक से अंडरवियर उतार कर फ़ेंक दिया। जैसे ही लंड आज़ाद हुआ वह भी फनफना के खडा हो गया।

"हाय अल्ला, कित्ता मोटा और बड़ा लंड है तेरा" -दीदी मेरे लंड को देखकर आश्चर्य से बोली।

"अरे दीदी, हाथ में लेके इत्मीनान से देखो ना, वैसे और किस किस के लंड आपने देखे है" -मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड थमाते हुए शरारत से पूछा

"धत बेशरम, वो तो कभी कभी किसी किसी का सड़क के किनारे पेशाब करते चुपचाप लंड देखा है या फिर एक दो बार अब्बू का देखा था, छूकर तो आज पहली बार देख रही हूँ" -दीदी ने शरमाते हुए बताया

"जी भर के देखो मेरी प्यारी दीदी , आखिर तुम भी तो मुझे अपनी चूत और चूचियों से मज़ा लेने दे रही हो तो भाई होने के नाते मेरा भी तो कोई फ़र्ज़ बनता है " मैंने उनकी मलाईदार चूत को सहलाते हुए कहा। 

मै समझ चुका था कि दीदी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है और अब मुझे सिर्फ उनकी चूत को चुदने के लिए तैयार करना था। सो मैने दीदी के होंठो को चूसते हुए उन्हें अपने सीने से कस कर चिपका लिया और लंड को उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा।

"मेरी प्यारी दीदी, तुम मेरा लंड चूसना पसंद करोगी क्या?" -मैंने दीदी से पूछा

"आज मै सब पसंद करुंगी मेरे भाई, आज तो तूने मेरी सारी मन की मुरादे पूरी कर दी मेरे राजा" -दीदी कामुक अंदाज़ में बोली

"ज़रा मुझे भी तो बताओ मेरी प्यारी दीदी, तुम्हारी क्या क्या मन की मुरादे है" -मैंने दीदी को चुदने के लिए तैयार करते हुए कहा

"हर लडकी एक उमर के बाद यह सब करना चाहती है जो तू मेरे साथ कर रहा है" -दीदी बोली।

दीदी शायद अभी भी थोडा शरम की वजह से यह नहीं कह पा रहीं थीं कि वो चुदासी है व चाहती है कि मै अपना लंड उनकी चूत में पेल कर उन्हें खूब चोदूं लेकिन मै उनके बिना कहे ही सारी बात समझ गया। मै उठ कर दीदी की चूत के ऊपर मुंह करके उल्टा लेट गया अब मेरा लंड दीदी के होंठो को छू रहा था।

"लो दीदी, अब मै आपकी चूत चूसूंगा और आप मेरा लंड चूसो" -यह कह कर मैंने दीदी की चूत में उंगली करते हुए उनकी फुद्दी को चूसना शुरू कर दिया। दीदी ने भी मेरे लंड को मुठ्ठी में लेकर सटासट चूसना शुरू कर दिया।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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RE: यादों के झरोखे से - by KHANSAGEER - 04-05-2024, 01:22 PM



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