03-05-2024, 03:20 PM
यह सारी बातें सुनने के बाद मैंने दीदी से पूछा- क्या तुमको यह सब करते हुए शर्म हया नहीं आई?
तो दीदी कहने लगीं- शुरू में तो आती थी लेकिन अब नहीं आती है।
मेरे आग्रह करने पर वो कहने लगीं कि ऐसे रिश्तों का अपना मजा होता है.. जो नाजायज़ होते हैं। मैंने जितनी बार भी अब्बू के साथ सेक्स किया, मुझे अपने पति के मुकाबले अधिक मजा आया है। उसके साथ सेक्स करके मुझे कभी इतना मजा नहीं आया।
मैं यह सब बातें सुनकर हैरत में पड़ गई और सोचने लगी कि क्या इस दुनिया में ऐसा भी होता है।
ये सब बातें सोचते-सोचते कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए। फिर एक रात ऐसा हुआ कि अब्बू नशे की हालत में घर आए। मैं सो रही थी और वे मेरे पास आकर लेट गए। उनकी उपस्थिति का अहसास होते हुए भी मैं अनजान बनी रही। मैं यह देख रही थी कि अब्बू क्या करते हैं।
अब्बू मेरी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी छाती पर हाथ फेरने लगे। मैं यह सब महसूस करके यह पता करने की कोशिश कर रही थी कि मुझे कुछ पता नहीं है। मैंने खुद को अब्बू की दया पर छोड़ दिया।
मेरा कोई विरोध न पाकर अब्बू ने मेरी शर्ट ऊपर करके मेरे ब्रा को निकाल दिया। मैं अपनी आँखें बंद रखे हुए चुप लेटी रही। फिर धीरे-धीरे अब्बू ने मेरी सलवार को भी निकाल दिया और मेरी फुद्दी में उंगली करने लगे। जब यह सब मेरी बर्दाश्त से बाहर होने लगा तो मैंने दूसरी तरफ़ करवट बदल ली।
लेकिन अब्बू लगातार मेरी छाती पर अपना मुँह रख कर मेरे निप्पल को चूस रहे थे, जिसकी वजह से मेरी बर्दाश्त से यह सब बाहर हो गया।
बाप बेटी की चुदाई की कहानी
अब्बू ने मेरी टांगों को खोल कर अपने कंधे पर रख लीं अपने लंड को मेरी चूत में पेलने लगे। कुछ ही पलों में उनका लंड मेरी बुर में घुस गया और मैं दर्द से तड़फ उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब्बू मेरी चूत में अपना लंड का सुपारा पेल कर ऊपर-नीचे करने लगे। उनके ऐसा करने से मेरी जान निकल रही थी लेकिन मैंने अपनी आंखें बंद रखी थीं।
इसी बीच अब्बू ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और जोर-जोर से झटके मारने लगे। थोड़ी सी तकलीफ कि बाद मुझे भी मजा आने लगा और मैं भी उनका साथ देने लगी। थोड़ी देर अब्बू मेरे अन्दर बह गए।
मुझे बेचैनी सी हो रही थी क्योंकि मैं अभी बाकी थी। अब्बू समझ गए कि मैं रिलॅक्स नहीं हुई। फिर उन्होंने अपनी उंगली से मुझे चोदा और मैं रिलॅक्स हो गई।
मुझे पता भी नहीं चला और मैं वैसे ही सो गई। जब मैं सुबह उठी तो बिस्तर पर खून के निशान देखकर रात वाली घटना याद आई और मैं बहुत परेशान हो गई।
उस दिन मैं कॉलेज नहीं गई.. सारा दिन घर में बिस्तर पर पड़ी रही और रात वाली घटना को सोच-सोच कर परेशान होती रही।
अचानक से दीदी की कॉल आई और उनसे इधर-उधर की बातें करने के बाद वो मुझसे रात वाली घटना के बारे में बात करने लगीं.. शायद अब्बू ने उनसे कहा होगा कि मुझे समझा दें।
ये थी वो घटना जब मेरे अब्बू ने मुझे चोद दिया।
तो दीदी कहने लगीं- शुरू में तो आती थी लेकिन अब नहीं आती है।
मेरे आग्रह करने पर वो कहने लगीं कि ऐसे रिश्तों का अपना मजा होता है.. जो नाजायज़ होते हैं। मैंने जितनी बार भी अब्बू के साथ सेक्स किया, मुझे अपने पति के मुकाबले अधिक मजा आया है। उसके साथ सेक्स करके मुझे कभी इतना मजा नहीं आया।
मैं यह सब बातें सुनकर हैरत में पड़ गई और सोचने लगी कि क्या इस दुनिया में ऐसा भी होता है।
ये सब बातें सोचते-सोचते कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए। फिर एक रात ऐसा हुआ कि अब्बू नशे की हालत में घर आए। मैं सो रही थी और वे मेरे पास आकर लेट गए। उनकी उपस्थिति का अहसास होते हुए भी मैं अनजान बनी रही। मैं यह देख रही थी कि अब्बू क्या करते हैं।
अब्बू मेरी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी छाती पर हाथ फेरने लगे। मैं यह सब महसूस करके यह पता करने की कोशिश कर रही थी कि मुझे कुछ पता नहीं है। मैंने खुद को अब्बू की दया पर छोड़ दिया।
मेरा कोई विरोध न पाकर अब्बू ने मेरी शर्ट ऊपर करके मेरे ब्रा को निकाल दिया। मैं अपनी आँखें बंद रखे हुए चुप लेटी रही। फिर धीरे-धीरे अब्बू ने मेरी सलवार को भी निकाल दिया और मेरी फुद्दी में उंगली करने लगे। जब यह सब मेरी बर्दाश्त से बाहर होने लगा तो मैंने दूसरी तरफ़ करवट बदल ली।
लेकिन अब्बू लगातार मेरी छाती पर अपना मुँह रख कर मेरे निप्पल को चूस रहे थे, जिसकी वजह से मेरी बर्दाश्त से यह सब बाहर हो गया।
बाप बेटी की चुदाई की कहानी
अब्बू ने मेरी टांगों को खोल कर अपने कंधे पर रख लीं अपने लंड को मेरी चूत में पेलने लगे। कुछ ही पलों में उनका लंड मेरी बुर में घुस गया और मैं दर्द से तड़फ उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब्बू मेरी चूत में अपना लंड का सुपारा पेल कर ऊपर-नीचे करने लगे। उनके ऐसा करने से मेरी जान निकल रही थी लेकिन मैंने अपनी आंखें बंद रखी थीं।
इसी बीच अब्बू ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और जोर-जोर से झटके मारने लगे। थोड़ी सी तकलीफ कि बाद मुझे भी मजा आने लगा और मैं भी उनका साथ देने लगी। थोड़ी देर अब्बू मेरे अन्दर बह गए।
मुझे बेचैनी सी हो रही थी क्योंकि मैं अभी बाकी थी। अब्बू समझ गए कि मैं रिलॅक्स नहीं हुई। फिर उन्होंने अपनी उंगली से मुझे चोदा और मैं रिलॅक्स हो गई।
मुझे पता भी नहीं चला और मैं वैसे ही सो गई। जब मैं सुबह उठी तो बिस्तर पर खून के निशान देखकर रात वाली घटना याद आई और मैं बहुत परेशान हो गई।
उस दिन मैं कॉलेज नहीं गई.. सारा दिन घर में बिस्तर पर पड़ी रही और रात वाली घटना को सोच-सोच कर परेशान होती रही।
अचानक से दीदी की कॉल आई और उनसे इधर-उधर की बातें करने के बाद वो मुझसे रात वाली घटना के बारे में बात करने लगीं.. शायद अब्बू ने उनसे कहा होगा कि मुझे समझा दें।
ये थी वो घटना जब मेरे अब्बू ने मुझे चोद दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.