03-05-2024, 02:37 PM
"हाय अल्ला, मुझे जल्दी से नाइटी दे" -दीदी ने बुरी तरह से शरमाते हुए अपने कुर्ते से अपनी चूचियों को छिपाते हुए कहा। उनकी गोरी गोरी टांगो के बीच उनकी चूत बड़ी मस्त लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे आज मेरे लिए ही दीदी ने चूत को चिकना किया था।
"ओह सॉरी दीदी, मैंने सोचा आपने नाइटी पहन ली होगी, कोई बात नहीं दीदी, अगर आपकी तबियत सही नहीं है तो इसमें शर्माना कैसा? आखिर बीमारी में डाक्टर के सामने भी तो कभी कभी हमें नंगा होना पड़ता है और फिर मै कोई गैर तो हूँ नहीं आखिर आपका प्यारा सा भाई ही तो हूँ" -यह कह कर मैने पीछे से दीदी को अपनी बाँहों मे भर लिया, दीदी की हाइट कम होने से मेरा लॅंड अब उनकी कमर पर ठोकर मार रहा था। मैं उनके चिकने मक्खन जैसे पेट पर हाथ फेरने लगा।
औरत का परपुरुष से लज्जा करना प्राकृतिक है और ये संस्कार भी है परन्तु एक अनुभवी और कामक्रीङा मे पारंगत कामातुर स्त्री हर समय एक तगड़े दमदार पुरुष के ही स्वप्न देखती है जो अपने बलशाली बाहुपाश मे जकड़ के ऐसे ठाप मारे की औरत का अंग अंग ही नहीं अपितु नस नस भी ढीली हो जाये। अगर उसको मनचाही संतुष्टि नहीं मिलती है तो वह बेचैन रहती है कि किसी तरह उसको भी सभी औरतों की तरह संतुष्टि मिलें। कोई उसके भी पैर चूमे, जांघें चूमें, पीठ पर चुम्बन करें। उसकी चूत को अपनी लपलपाती जीभ से चाटे।
"नहीं पगले, मुझे बहुत शरम आ रही है, मुझे जल्दी से नाइटी दे" -दीदी ने कहा।
मैंने बेमन से दीदी को छोड़ कर नाइटी उठा कर दी। उस वक़्त मेरा मन कर रहा था कि दीदी को उठा कर बेड पर पटक दूँ और एक झटके में ही पूरा लंड उनकी मस्त चूत में ठांस दूँ लेकिन मै पूरे सब्र से काम ले रहा था क्योंकि ज़रा सी ज़ल्दबाजी सारे बने बनाये खेल को चौपट कर सकती थी। दीदी ने नाइटी पहन ली थी। मैंने उन्हें सहारा देकर बेड पर लिटा दिया।
अब मुझे सिर्फ उसे चुदने के लिए तैयार करना था सो उसी प्रयास में दीदी को मक्खन लगाते हुए बोला- "दीदी क्या मै थोड़ी देर आप के कमरे में ही रुक जाऊ? अभी मुझे नींद नहीं आ रही है और फिर पता नहीं कहीं आप की हालत फिर से ना बिगड़ने लगे"
"अरे इसमे पूछने की क्या बात है, तू तो मेरा छोटा सा प्यारा शैतान भाई है” - दीदी ने पूरा प्यार ज़ताते हुए कहा।
अब तो मेरा मन बल्लियों उछल रहा था व लंड भी दीदी की मस्त चूत के दीदार के लिए दीवाना हो रहा था। तभी उनकी निगाह मेरे अंडरवियर में बने तंबू पर गई जिसे देख उनकी आँखे चौड़ी हो गईं पर उन्होने ऐसा ज़ाहिर किया जैसे कि कुछ देखा ही न हो।
मैं अंडरवियर बनियान में उनके बेड पर बगल में ही लेट गया। मेरी निगाह दीदी की नाइटी के ऊपर से उनकी बिना चड्डी की मस्त चूत को महसूस कर रही थी। हर साँस के साथ उनकी चूचियाँ उठ गिर रहीं थीं, अब दीदी की पलकें बोझिल सी हो रही थी।
अब मुझे डर लगने लगा कि दीदी कहीं सो ना जाएँ अतः मै उन्हें जगाये रखने को बोला- "क्या दीदी, कितने दिन बाद तो हम मिले है और तुम्हें नींद आ रही है। कुछ बातचीत करो ना मेरी प्यारी दीदी" यह कह कर मै उनके बगल में लेट गया और मैंने प्यार जताने के से अंदाज़ में अपना एक हाथ उनकी चूची को टच करते हुए पेट पर व अपनी एक टांग उनकी टांग पर रख कर छोटे बच्चे की तरह जिद करते हुए कहा।
"धत पगले! चल बता क्या बात करू" दीदी बोली
मेरा लंड आज पूरी तरह से चूत के लिए दीवाना था, मै आज सोच चुका था कि आज मै किसी ना किसी तरह दीदी की चूत में अपना लंड डाल के रहूँगा। मुझे आज अपना सपना अब सच होता दीख रहा था।
मै समझ चुका था कि लोहा पूरी तौर से गरम हो चुका है, ज़रूरत है तो बस एक आख़िरी चोट की और अब यह सही वक़्त है उनकी छुपी वासना को जगाने का। मैंने शोख अंदाज़ में धीरे से अपना हाथ उनकी चूची पर रख कर टांग से टांग रगड़ते हुए कहा, क्योंकि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन दीदी का भी चुदने के लिए तैयार होना ज़रूरी था।
"दीदी, आपका कोई बॉय फ्रेंड है क्या?"
"अब्बू को देखा है ना, छोटा छोटा काट कर नदी में बहा देंगे"
"यार, ये अम्मी अब्बू लोग हम लोगों की फीलिंग्स को समझते क्यूँ नहीं, खुद तो ज़िंदगी का पूरा मज़ा ले चुके बल्कि अभी तक ले रहे हैं और बच्चों पर सारी पाबंदियाँ लगा रखीं हैं"
"तुझे कैसे पता कि अभी तक ले रहे हैं" -दीदी ने शरारत से मुस्कुराते हुए पूछा
"व्वो...वो...दीदी...वो…”
"क्या वो वो कर रहा है?"
"वो दीदी, मैने एक बार देखा था, गर्मियों में अम्मी अब्बू रात में छत पर सोते थे, एक रात जब लाइट चली गई तो मैं ऊपर गया तो वो अम्मी के साथ कर रहे थे" -मैं शरमाते हुए बोला।
झुंझलाहट में मुँह से निकल तो गया पर बाद में सोचा कि मैं ये क्या बोल गया।
"बड़ा कमीना है तू, एक तो सब देख लिया ऊपर से सबको बता भी रहा है"
"एक ही घर में, वो भी खुली छत पर यदि आप ऐसा करोगे तो कब तक छुपेगा, आप ने नहीं देखा मामू को ये सब करते हुए?"
"चल हट, तू तो मेरी सोच से भी बड़ा कमीना है रे!" -यह कह कर दीदी मेरी तरफ पीठ करके लेट गई।
उन्हें इन सब बातों में मज़ा पूरा आ रहा था पर ज़ुबान साथ नहीं दे रही थी और मुझे किसी भी तरह उनकी ज़ुबान खुलवानी थी।
मैने अपनी एक टाँग उनकी क़मर पर रख कर पीछे से पकड़ लिया। मेरा लॅंड उनकी पतली सी नाइटी के ऊपर से उनके दोनों चूतड़ के बीच में सेट हो गया था जिसे वह पूरा महसूस कर रही होंगीं परंतु ना तो वो कुछ कह रहीं थीं और ना ही मुझे हटा रहीं थीं।
"बताओ ना दीदी, आपको मेरी कसम" -मैने उनके पेट को सहलाते हुए धीरे से अपना हाथ उनकी चूची की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“ओफ्फो... क्या बता दूँ तुझे? तूने ही तो कहा एक घर में कब तक छिपेगा, तो मेरी भी एक दो बार निगाह पड़ गई पर इसका मतलब यह तो नहीं कि हम वहीं रुक कर देखते ही रहें" -दीदी ने गरम साँसों के साथ ज़वाब दिया।
मैने उन्हें कंधे से पकड़ कर अपनी तरफ घुमा लिया, लोहा तेज़ी से गर्मी पकड़ रहा था। अब मेरा लॅंड उनकी चूत के ऊपर ठोकर मार रहा था और चूचियाँ मेरे सीने से दबी थीं, मुझे अपने बीच से इन कपड़ों की दीवार को और गिराना था।
मैंने उनकी नाइटी के ऊपर से ही अपना लंड उनकी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया। मै उन्हें कस कर चिपका के उनकी पीठ भी सहलाता जा रहा था। अब दीदी मेरे सीने से चिपकी गहरी गहरी सांसे ले रही थी, अचानक मैं उन्हें अपनी बाँहों में लेकर पीठ के बल सीधा लेट गया और उनकी दोनों टाँगो के बीच अपने पैर फँसा कर चौड़ा कर दिया. दीदी बहुत गहरी गहरी साँसें ले रहीं थीं.
"सग़ीर! हम ये ग़लत तो नहीं कर रहे ना? क्या ये सब ज़ायज़ है?"
मेरा लॅंड दीदी की चूत के ऊपर ठोकर मार रहा था जैसे उससे ये कपड़ों की दीवार बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
"इसमें ग़लत क्या है दीदी, आख़िर अपनी ख्वाहिशों का क़त्ल करना भी तो ज़ायज़ नहीं है" मैने उनके चूतड़ मसलते हुए कहा।
"अगर यहाँ मेरी जगह रूही होती तब?"
मुझे लगा कि अब मुझे अपने और आपी के संबंधों के बारे में बता देना चाहिए, उससे शायद ये खुल कर अपनी चूत में मेरा लॅंड ले पाएँगीं लेकिन में बिना पूरी तरह मुतमईन हुए एक दम से ये राज़ नहीं खोलना चाह रहा था।
contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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