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Adultery मौके पर चौका
#7
Heart 
यह कह कर मैं वहां से चला आया। मेरे दिल और दिमाग में भयंकर जद्दोजहद चल रही थी।

जहाँ दिल इस मौके का फायदा उठाने की कह रहा था वहीँ दिमाग इस किसी अनजान के साथ सेक्स करने को रोक रहा था। क्या पता वीणा के दिमाग में क्या चल रहा हो, हो सकता है कोई चाल हो...

हालाँकि उसने मुझे खुद का अपने उसी ब्लड बैंक के द्वारा ब्लड डोनेशन का सर्टिफ़िकेट दिखाया जिसमे मैं भी डोनेट करता हूँ। छः बड़ी बीमारियों की मुफ़्त जांच के विवरण भी थे जिनमें एच आई वी और हेपेटाइटिस भी शामिल थे, सब के सब सामान्य। मैंने मन ही मन सोचा कि जो भी कोई इसका मिलने वाला है वो मुझे भी बहुत अच्छे से जानता है, इसमें कोई दो राय नहीं अन्यथा मैं भी ब्लड डोनर हूँ, इसका पता किसी सामान्य को तो नहीं ही होगा। कौन हो सकता है वो?

खैर मैंने अभी फ़िलहाल के लिए वीणा का मैटर बहुत सोच विचार कर कदम उठाने के लिए छोड़ दिया और मैं अपनी पुरानी दिनचर्या से चलने लगा।

कुछ दिन बाद हनी ने शाम को खाना खाते वक़्त एक कार्ड मेरे सामने रख दिया। सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे, मैंने पूछने वाले अंदाज़ में हनी की तरफ देखा तो उसने बाद में बताने का इशारा कर दिया। अब्बू अम्मी खाना खा कर अपने कमरे में चले गए। हम चारो ही रह गए तब मैंने हनी से पुछा, "ये किसकी शादी का कार्ड है?"

हनी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "मेरी फ्रेंड सुनीता की दीदी रंजना की शादी है परसों, अब याद आया?"

मेरे दिमाग में जैसे बल्ब जल गया। ओह! तो ये उसकी शादी का है। ये दोनों बहने तो मुझसे कई बार चुद चुकीं थीं।

(इनके बारे में आप मेरी दूसरी कहानी में पढ़ पाएंगे)

यह सोच कर तो मेरा लण्ड ही टायट हो गया।

"ऐ हनी, इधर आ... एक बात बता, मेरी सोनी बहना क्या इसकी चूत मारने की वहां कोई जुगाड़ नहीं बन सकती?"

"बस्स्स... जहाँ लड़की देखी और ज़नाब का लण्ड चोदने को तैयार? अरे कमीने ये तो सोच तू अपनी सगी बहन से चूत का इंतज़ाम करने को कह रहा है" -आपी मेरी तरफ देखकर बोलीं

"क्या आपी... आप भी ना? अगर मेरा लण्ड किसी और चूत को चोद लेगा तो घिस थोड़े ना जायेगा। अरे आप लोग क्यों परेशां होते हो, मैंने आप लोगों की चुदाई में कभी कोई कमी रक्खी है? यार रोज़ रोज़ रसमलाई खाते खाते कभी कभी सादा दाल रोटी खाने को भी दिल करता है" -मैंने आपी को मक्खन लगाते हुए कहा

"चलो आप भी क्या याद करोगे, मैं कुछ ना कुछ करती हूँ" -हनी ने अपनी छाती और फुलाते हुए कहा

मैं नियत दिन हनी के साथ शादी में पहुँच गया, रंजना की मम्मी पापा व भाई बहन सब मुझसे परचित थे सो मुझे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी।

"क्या सगीर! अब तो तुमने घर आना ही बंद कर दिया, कोई बात हो गई क्या?" -सुनीता की मम्मी ने मेरे पास आकर कहा

"अरे नहीं आंटी, वो जबसे शोरूम पर जाना शुरू किया है, ये शिकायत सभी को मुझसे हो गई है" -मैंने जवाब दिया

"हाँ सो तो है, अच्छा तुम और सुनील को ही सब देखना है, ध्यान रखना कहीं भी किसी चीज़ की कमी ना होने पाए" -आंटी ने मुझसे कहा

तभी सुनीता बोल पड़ी, "और हाँ भैय्या, हनी साथ है तो रात में ही वापस मत जाना, रास्ता बहुत सुनसान है, अब सुबह ही जाना"

"हाँ सुनीता ठीक कह रही है बेटा, ज़माना बहुत ख़राब है और साथ में जवान बहन भी है। तुम अब सुबह ही जाना" -आंटी ने कहा

"ठीक है आंटी" -मैंने कहा

वैसे तो आंटी लगभग चालीस की होंगीं पर उन्होंने अपने को बहुत मेन्टेन कर के रखा था। वो बिलकुल भी तीस से ऊपर की नहीं लगतीं थीं, इस उमर में भी बड़ा कंटीला माल थीं।

मैं रंजना के पास तो नहीं जा सका क्योंकि उसके आस पास बहुत से रिश्तेदार उसे घेरे थे परन्तु बीच बीच में मौका निकाल कर मैं सुनीता के चूतड़ या चूचियों को मसल देता था जिससे वह मुस्करा देती थी पर बुरा नहीं मान रही थी।

गीत संगीत का कार्यक्रम चल रहा था, मुझे भी सुनीता खींच कर स्टेज पर ले गई, थोड़ा डांस वगैरह हुआ फ़िर खाना आदि चला। खाना समाप्त करते करते रात के बारह बज गये। मैं इन्तजाम देखता रहा।

सुनीता ने मुझे कहा कि मुझे तो घर तक पहुंचने में और थोड़ा सा समय लगेगा, यदि आप चाहो तो घर तक पहुंचवा देती हूँ तो मैंने मना कर दिया और कहा कि सबके साथ ही चलेंगे, हिसाब किताब कर के घर तक जाते जाते लगभग एक बज रहा था।

घर पहुँच कर सुनीता ने मुझे कहा कि देखो थोड़ा सा कंजेशन है भैय्या, एडजस्ट करना होगा।

तो मैंने कहा कि कैसी बात करती हो यार, चार पांच घन्टे की बात ही तो है, मैं एड्जस्ट कर लूंगा।

फिर मैंने रंजना के बारे में पूछा तो वो मुस्करा कर बोली, "आज तो इतने सारे घर में मेहमान हैं कि मैं या दीदी में से किसी से भी मिलन संभव नहीं है"

मैं मायूस होकर उसके पीछे पीछे चल दिया। एक कमरे में हमने जाकर देखा तो उसमे बिलकुल भी जगह नहीं थी। फिर सुनीता मुझे दूसरे कमरे में ले गई जो बहुत छोटा था और उसमें सब लोग ज़मीन पर गद्दे बिछा कर सो रहे थे। उसमें दीवार कि तरफ एक इंसान के लेटने लायक पर्याप्त जगह थी।

मैंने सुनीता कि तरफ देखा तो वह बोली, "यहाँ एडजस्ट हो जायेंगे क्या?"

"क्या बात करती हो? बस थोड़ी देर की तो बात है, मुझे कोई दिक्कत नहीं" -मैंने सुनीता की गांड पर हाथ फेरते हुए कहा

"आज बहुत रंगीन हो रहे हो वरना इतने महीने गुज़र गए एक बार भी याद नहीं किया" -उसने धीरे से मुझसे शिकायत कर ही दी

"तुमने भी तो घर आना बंद कर दिया और कोई संपर्क भी नहीं किया"

"क्या करती, तब तो स्कूल जाने के बहाने घर से निकल आती थी अब जब खुलेंगे तब ही आना होगा" -यह कह कर वो मेरे होठों पर किस करके चली गई

मैं किसी तरह जगह बनाता हुआ दीवार तक पहुंचा और लेट गया। थकन भी हो रही थी और सुबह घर जाकर तैयार होकर शोरूम जाने की भी चिंता थी।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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Messages In This Thread
मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 27-04-2024, 12:09 PM
RE: मौके पर चौका - by sri7869 - 27-04-2024, 02:22 PM
RE: मौके पर चौका - by KHANSAGEER - 03-05-2024, 02:14 PM
RE: मौके पर चौका - by Chandan - 05-05-2024, 10:14 AM
RE: मौके पर चौका - by Eswar P - 27-05-2024, 12:50 PM



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