02-05-2024, 04:51 PM
"अरे मम्मी बिगड़ती काहे हो। यह तो चाय के बर्तन लेने कमरे में आई थी।" शीला, राधा की तरफ से सफाई देने लगी थी।
"बस बस, अब इसकी तरफदारी मत कर। सब समझती हूं तुम लोगों को।" कहकर शीला की मां लाड़ से डांटती हुई अपने कमरे की ओर बढ़ गयी। हम सबके चेहरों की घबराहट पल भर में छूमंतर हो गई थी और हम सभी के होंठों पर वही चिरपरिचित अंदाज में मुस्कान तैर रही थीं।
"हम सब यहां इसके मोबाईल में फोटो और वीडियो देखने आई थीं और यहां तो बकायदा लाईव शूटिंग हो रही थी।" रेखा बोली।
"हम जैसी चंडाल चौकड़ी जहां रहेंगी वहां यही तो होगा। वैसे इसकी मोबाईल के फोटो और वीडियोज कब देखेंगी हम?" रश्मि बोली।
"मैं वह तुम सबको भेज दूंगी।" मैं बोली।
"हां यह ठीक रहेगा।" सबने सहमति जताई।
"जो भी बोलो, लेकिन बड़ा मज़ा आया।" शीला बोली।
"सच बोली। शीला की मेहरबानी से नयी चीज का पहली बार अनुभव हुआ। क्या जुगाड़ रखी है घर में, मजा ही आ गया।" रेखा बोली।
"इसको पार्टनर भी तो वैसी ही मिली है। बढ़िया जोड़ी है तुम लोगों की।" रश्मि बोली।
"इस राधा में तो मर्दों को भी फेल करने का माद्दा है।" राधा की प्रशंसा करती हुई रेखा बोली। मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी।
"क्या रे छुटकी, तू काहे चुप है। तू भी कहां कम है।" अब राधा बोली।
"मैं सोच रही हूं कि मेरी ब्रा कौन पहनी है।" मैं बोली।
"शायद मैंने। तभी तो मैं सोच रही हूं कि मुझे इतनी ढीली क्यों हो रही है।" रेखा बोल उठी।
"तेरे चक्कर में मैं बिना ब्रा के टी शर्ट पहनी हूं।" मैं गुस्से से बोली।
"इतनी बड़ी बड़ी चूचियों वाली की ब्रा तुम जैसी लौंडिया पर ढीली नहीं होगी तो और क्या होगी। पक्का इसकी लार्ज साईज है। बहुत जल्दी एक्स एल भी पहनेगी साली।" शीला बोली।
"ठीक बोली। इसी उम्र में यह बहुत सेक्सी फिगर की मालकिन हो गई है। साली दम खम भी रखती है। लगता है यह अपने नौकर का बहुत बढ़िया इस्तेमाल कर रही है। इसके नौकर की तो निकल पड़ी है।" रेखा मेरी खिंचाई करती हुई बोली।
"चुप साली हरामजादी। जो हुआ बस कल ही तो हुआ।" मैं शर्म से लाल होती हुई फिर झूठ बोली।
"हाय हाय, जरा इसकी सूरत तो देखो। कैसे लाल हुई जा रही है।" शीला बोली।
"जो भी बोलो, लेकिन इस लड़की में बहुत जान है।" राधा बोली और वहां से जाने के लिए मुड़ी ही थी कि तभी शीला की मां वहां आ गयी। उसने राधा की बातें सुन ली थीं।
"जान नहीं होगी? जरा देखो इस लड़की को और सीखो कि अपने बदन को कैसे मेनटेन किया जाता है, काहिल कहीं की। इस शीला को देखो तो, कैसी ढीली ढाली बदन है इसकी। थोड़ा वर्कआउट किया करो बोलती हूं तो इसकी नानी मरती है। राधा भी इसी के रंग में रंग कर इसे बर्बाद ही किए जा रही है।" शीला की मां ने राधा की बातें सुनकर कहा। वह अभी अभी अपने कमरे से बाहर निकली थी। अच्छा हुआ कि उन्होंने हमारी पूरी बातें नहीं सुनी थी, वरना हमलोगों के प्रति उसकी धारणा ही बदल जाती।
"मम्मी तुम फिर शुरू हो गई? तुम्हें पता भी है कि रोजा का नौकर कितनी अच्छी तरह से इससे योगा और कसरत करवाता है?" शीला बोल तो अपनी मां से रही थी लेकिन उसकी बातों में मेरे लिए जो ताना था वह हम सभी सहेलियां समझ रही थीं।
"तो राधा किस मर्ज की दवा है। तू भी इसकी सहायता लिया कर। लेकिन तुझसे यह तो होगा नहीं। आराम करने और मस्ती मारने से फुर्सत मिले तब ना?" शीला की मां उसे उलाहना देती हुई बोली।
"आपसे तो बहस करना ही बेकार है।" शीला बात खत्म करते हुए बोली।
"हां हां, बेकार की बहस ही तो कर रही हूं। कुछ फायदा तो होगा नहीं।" उसकी मां झल्ला कर बोली। "अरे मैं भी क्या पचड़ा लेकर बैठ गई। तुमलोग खाना खाकर जाओगी ना?" उसकी मां ने फिर हमारी ओर मुखातिब हो कर कहा।
"नहीं नहीं आंटी, हमलोग अभी निकलने ही वाले थे। हमलोग अब चलती हैं।" मैं बोली।
"ठीक है मैं भी तुम लोगों को रोकूंगी नहीं। इसी तरह बीच बीच में आती रहना तुमलोग। तुमलोगों से मिल कर अच्छा लगा। इस गधी को भी तुम लोगों की तरह थोड़ी अक्ल आ जाए तो मुझे बड़ा अच्छा लगेगा।" उसकी मां बोली।
"बस बस, अब इसकी तरफदारी मत कर। सब समझती हूं तुम लोगों को।" कहकर शीला की मां लाड़ से डांटती हुई अपने कमरे की ओर बढ़ गयी। हम सबके चेहरों की घबराहट पल भर में छूमंतर हो गई थी और हम सभी के होंठों पर वही चिरपरिचित अंदाज में मुस्कान तैर रही थीं।
"हम सब यहां इसके मोबाईल में फोटो और वीडियो देखने आई थीं और यहां तो बकायदा लाईव शूटिंग हो रही थी।" रेखा बोली।
"हम जैसी चंडाल चौकड़ी जहां रहेंगी वहां यही तो होगा। वैसे इसकी मोबाईल के फोटो और वीडियोज कब देखेंगी हम?" रश्मि बोली।
"मैं वह तुम सबको भेज दूंगी।" मैं बोली।
"हां यह ठीक रहेगा।" सबने सहमति जताई।
"जो भी बोलो, लेकिन बड़ा मज़ा आया।" शीला बोली।
"सच बोली। शीला की मेहरबानी से नयी चीज का पहली बार अनुभव हुआ। क्या जुगाड़ रखी है घर में, मजा ही आ गया।" रेखा बोली।
"इसको पार्टनर भी तो वैसी ही मिली है। बढ़िया जोड़ी है तुम लोगों की।" रश्मि बोली।
"इस राधा में तो मर्दों को भी फेल करने का माद्दा है।" राधा की प्रशंसा करती हुई रेखा बोली। मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी।
"क्या रे छुटकी, तू काहे चुप है। तू भी कहां कम है।" अब राधा बोली।
"मैं सोच रही हूं कि मेरी ब्रा कौन पहनी है।" मैं बोली।
"शायद मैंने। तभी तो मैं सोच रही हूं कि मुझे इतनी ढीली क्यों हो रही है।" रेखा बोल उठी।
"तेरे चक्कर में मैं बिना ब्रा के टी शर्ट पहनी हूं।" मैं गुस्से से बोली।
"इतनी बड़ी बड़ी चूचियों वाली की ब्रा तुम जैसी लौंडिया पर ढीली नहीं होगी तो और क्या होगी। पक्का इसकी लार्ज साईज है। बहुत जल्दी एक्स एल भी पहनेगी साली।" शीला बोली।
"ठीक बोली। इसी उम्र में यह बहुत सेक्सी फिगर की मालकिन हो गई है। साली दम खम भी रखती है। लगता है यह अपने नौकर का बहुत बढ़िया इस्तेमाल कर रही है। इसके नौकर की तो निकल पड़ी है।" रेखा मेरी खिंचाई करती हुई बोली।
"चुप साली हरामजादी। जो हुआ बस कल ही तो हुआ।" मैं शर्म से लाल होती हुई फिर झूठ बोली।
"हाय हाय, जरा इसकी सूरत तो देखो। कैसे लाल हुई जा रही है।" शीला बोली।
"जो भी बोलो, लेकिन इस लड़की में बहुत जान है।" राधा बोली और वहां से जाने के लिए मुड़ी ही थी कि तभी शीला की मां वहां आ गयी। उसने राधा की बातें सुन ली थीं।
"जान नहीं होगी? जरा देखो इस लड़की को और सीखो कि अपने बदन को कैसे मेनटेन किया जाता है, काहिल कहीं की। इस शीला को देखो तो, कैसी ढीली ढाली बदन है इसकी। थोड़ा वर्कआउट किया करो बोलती हूं तो इसकी नानी मरती है। राधा भी इसी के रंग में रंग कर इसे बर्बाद ही किए जा रही है।" शीला की मां ने राधा की बातें सुनकर कहा। वह अभी अभी अपने कमरे से बाहर निकली थी। अच्छा हुआ कि उन्होंने हमारी पूरी बातें नहीं सुनी थी, वरना हमलोगों के प्रति उसकी धारणा ही बदल जाती।
"मम्मी तुम फिर शुरू हो गई? तुम्हें पता भी है कि रोजा का नौकर कितनी अच्छी तरह से इससे योगा और कसरत करवाता है?" शीला बोल तो अपनी मां से रही थी लेकिन उसकी बातों में मेरे लिए जो ताना था वह हम सभी सहेलियां समझ रही थीं।
"तो राधा किस मर्ज की दवा है। तू भी इसकी सहायता लिया कर। लेकिन तुझसे यह तो होगा नहीं। आराम करने और मस्ती मारने से फुर्सत मिले तब ना?" शीला की मां उसे उलाहना देती हुई बोली।
"आपसे तो बहस करना ही बेकार है।" शीला बात खत्म करते हुए बोली।
"हां हां, बेकार की बहस ही तो कर रही हूं। कुछ फायदा तो होगा नहीं।" उसकी मां झल्ला कर बोली। "अरे मैं भी क्या पचड़ा लेकर बैठ गई। तुमलोग खाना खाकर जाओगी ना?" उसकी मां ने फिर हमारी ओर मुखातिब हो कर कहा।
"नहीं नहीं आंटी, हमलोग अभी निकलने ही वाले थे। हमलोग अब चलती हैं।" मैं बोली।
"ठीक है मैं भी तुम लोगों को रोकूंगी नहीं। इसी तरह बीच बीच में आती रहना तुमलोग। तुमलोगों से मिल कर अच्छा लगा। इस गधी को भी तुम लोगों की तरह थोड़ी अक्ल आ जाए तो मुझे बड़ा अच्छा लगेगा।" उसकी मां बोली।