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Adultery कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया
#57
धीरे धीरे अनिल ने मेरी पत्नी को बड़े प्यार से दोबारा चोदना शुरू किया। नीना को तो जैसे कोई चैन ही नहीं था। अनिल के शुरू होते ही नीना ने अपने चूतड़ों को उछालना शुरू किया। वह अनिल की चुदाई का पूरा आनंद लेना चाहती थी। अनिल की चोदने रफ़्तार जैसे बढती गयी वैसे ही नीना की अपने कूल्हों को उछाल ने की रफ़्तार भी बढ़ गयी। अनिल के हाथ तब भी मेरी बीबी के मम्मों को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे। नीना ने अनिल का सर अपने हाथों में लिया और चुदाई करवाते हुए नीना ने अनिल को अपने स्तनों को चूसने को इशारा किया। मुझे ऐसा लगा की अनिल के नीना के मम्मों को चूसना नीना को ज्यादा ही उत्तेजित कर रहा था।

उनकी चुदाई देख कर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था। मैं तब समझा की अनिल और नीना कई हफ़्तों या महीनों से एकदुसरेको चोदने और चुदवाने के सपने देख रहे होंगे। ऐसा लग रहा था की दोनों में से कोई भी दूसरे को छोड़ने को राजी नहीं था। मुझे इन दोनों की चुदाई से इतनी उत्तेजना हो रही थी की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने नीना की चूत पर हाथ रखा और मेरे अंगूठे और तर्जनी (अंगूठे के पास वाली उंगली) से अनिल के पिस्टन जैसे लण्ड को दबाया। अनिल अपने लण्ड को नीना की चूत के अंदर घुसेड़ रहा था और निकाल रहा था। उसकी फुर्ती काफी तेज थी। जब मैंने अंगूठे और तर्जनी से उसके लण्ड को मुठ में दबाने की कोशिश की तो शायद अनिल को दो दो चूतो को चोदने जैसा अनुभव हुआ होगा। नीना ने भी मेरा हाथ पकड़ा और वह मेरी इस चेष्टा से वह बड़ी खुश नजर आ रही थी।

तब अचानक अनिल थम गया। नीना अनिल को देखने लगी की क्या बात है। अनिल ने नीना की चूत में से अपना लण्ड निकाल दिया और मेरी बीबी की कमर को पकड़ कर उसे पलंग से नीचे उतरने का इशारा किया। नीना पहले तो समझ न पायी की क्या बात है। पर जब अनिल ने उसे पलंग से सहारा लेकर झुक कर खड़ा होने को कहा वह समझ गयी की अनिल उसे डोगी स्टाइल में (जैसे कुत्ता कुतीया को चोदता है) उसे चोदना चाहता है। नीना उस ख़याल से थोड़ा डर गयी होगी की कहीं अनिल उसकी गांड में अपना लण्ड घुसेड़ न दे, क्योंकि उसने मेरी और भयभरी आँखों से देखा। उसके डर का कारण मैं समझ गया था। मैंने उसे शांत रहने को और धीरज रखने का इशारा किया।

शायद मेरा इशारा समझ कर वह चुपचाप पलंग पर अपने हाथ टीका कर आगे की और झुक कर फर्श पर खड़ी हो गयी। अनिल मेरी बीबी की खूबसूरत गांड को अपने हाथों में मसलने लगा। आगे की और झुकी हुई और अपनी गांड और चूत अनिल को समर्पण करती हुई मेरी पत्नी कमाल लग रही थी। ऐसे लग रहा था की कोई कुतिया अपने प्यारे कुत्तेसे चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी। नीना पूरी गर्मी में थी। उस पर अनिल से चुदवाने का जनून सवार था। उस समय यदि अनिल मेरी बीबी की गांड में अपना लण्ड पेल भी देता तो वह दर्द से कराहती और शोर भी जरूर मचाती पर शायद अनिल को छोड़ती नहीं और उस से अपनी गांड भी मरवा लेती।

अनिल नीना के पीछे आ गया और उसने थोड़ा झूक कर अपना लण्ड नीना की गांड पर और फिर उसकी चूत पर रगड़ा। फिर अनिल ने और झूक कर नीना के मम्मों को दोनों हाथों में पकड़ा और उन्हें दबाने, मसलने और खींचने लगा। उसने अपने दोनों अंगूठे नीना के स्तनों पर दबा रखे थे। फिर उसने अपना लण्ड बड़े प्यार से मेरी बीबी की गरमा गरम चूत में धीरेसे डाला। अनिल का स्निग्ध चिकनाहट भरा लण्ड मेरी बीबी की चूत में घुस तो गया, पर जैसे ही अनिल ने एक धक्का देकर उसे थोड़ा और अंदर धकेला तो नीना दर्द से चीख उठी। उसने अनिल को पीछे हटाने की कोशिश की। अनिल ने अपना अंदर घुसा हुआ लण्ड थोडा सा वापस खिंच लिया। मेरी सुन्दर पत्नी ने एक चैन की साँस ली। पर अनिल ने फिर एक धक्का मारा और अपना लण्ड फिर अंदर घुसेड़ा। नीना के मुंह से फिर चीख निकल गयी। फिर अनिल ने थोड़ा वापस लिया और फिर एक धक्का मार कर और अंदर घुसेड़ा।

तब मैंने देखा की मेरी पत्नी अपनी आँखे जोर से बंद करके, अपने होठ भींच कर चुप रही। उसने कोई चीख नहीं निकाली, हालांकि उसे दर्द महसूस हो रहा होगा। नीना के कपोल पर पसीने की बूंदें झलक रही थी। आज तक मेरा लण्ड कभी भी मेरी पत्नी की चूत की उस गहरायी तक नहीं पहुँच पाया था, जहाँ तक अनिल का लण्ड उस रात पहुँच गया था।

अनिल और मेरी सुन्दर एक रात की छिनाल पत्नी अब एक दूसरे से आनंद पानेकी कोशिश कर रहे थे। धीरे धीरे नीना का दर्द कम होने लगा होगा। क्योंकि अब वह दर्द भरे भाव उसके चेहरे पर नजर नहीं आ रहे थे। उसकी जगह वह अब अनिल के धक्कों के मजे ले रही थी। अनिल ने धीरे से अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ाई। साथ ही साथ वह मेरी बीबी के मम्मों को भी अपनी हथेली और अंगूठों में भींच रहा था। नीना मेरे मित्र के इस दोहरे आक्रमण से पागल सी हो रही थी। तब मेरी बीबी को शायद थोड़ा दर्द, थोड़ा मजा महसूस हो रहा होगा। अनिल की बढ़ी हुयी रफ़्तार को मेरी बीबी एन्जॉय करने लगी थी।

अनिल के अंडकोष मेरी पत्नी की गांड पर फटकार मार रहे थे। उनके चोदने की फच्च फच्च आवाज कमरे में चारो और गूंज रही थी। नीना ने तब कामातुरता भरी धीमी कराहट मारना शुरू किया। वह अनिल के चोदने की प्रक्रिया का पूरा आनंद लेना चाहती थी। शायद कहीं न कहीं उसके मन में यह डर था की क्या पता, कहीं उसे अनिल से दुबारा चुदवा ने का मौका न मिले।

नीना ने उंह्कार मारना शुरू किया तो अनिल को और भी जोश चढ़ा। अब वह मेरी बीबी की चूत में इतनी फुर्ती से अपना मोटा और लंबा लण्ड पेल रहा था की नीना अपना आपा खो रही थी। उधर जैसे ही अपना लण्ड एक के बाद एक तगड़े धक्के देकर अनिल मेरी बीबी की चूत में पेलता था, तब अनायास ही के उसके मुंह से भी "ओह... हूँ.... " की आवाजें निकलती जा रही थी। मेरी पत्नी और मेरा मित्र दोनों वासना के पाशमें एक दूसरे के संग में सारी दुनिया को भूल कर काम आनन्दातिरेक का अनुभव कर रहे थे। पुरे कमरे में जैसे चोदने की आवाजें और हम तीनों के रस और वीर्य की कामुकता भरी खुशबु फैली हुई थी।

नीना की उंह्कार तेज होने लगी। अब वह दर्द के मारे नहीं पर उत्तेजना और कामाग्नि के मारे हर एक धक्के पर कराह रही थी। जैसे जैसे वह अपने चरम शिखर पर पहुँच रही थी वैसे वैसे नीना ने जोर से कराहना शुरू किया और फिर अनिल को और जोरसे चोदने के लिए कहने लगी। 'अनिल, मुझे और चोदो। और जोरसे। मेरी चूत का आज भोसड़ा बना डालो। रुकना मत। मैं अब झड़ने वाली हूँ। चोदो मुझे। हाय..... आह.... बापरे..... ऑफ़..... " ऐसे कराहते हुए मेरी बीबी उस रात पता नहीं शायद चौथी या पांचवी बार झड़ी।

नीना के झड़ने से अनिल जैसे ही थम रहा था वैसे ही मेरी बीबी ने उसे लताड़ दिया। "अरे तुम रुक क्यों गए? मैं झड़ी हूँ पर अभी भी खड़ी हूँ। खैर, पीछे हटो। चलो अब मैं तुम्हें चोद्ती हूँ।" ऐसा कह कर मेरी बीबी ने अनिल का हाथ पकड़ कर उसे पलंग पर लेटाया। खुद वह अनिल के ऊपर चढ़ गयी और उसकी दोनों टाँगों को फैला कर अपनी दोनों टांगों को अनिल की फैली हुयी टांगो के बिच रख कर अपनी टांगों को टेढा कर अपने घुटनों पर बैठ गयी। धीरे से नीना ने अनिल का तना और मोटा लण्ड अपनी चूत के अंदर डाला और उसे अपने शरीर को नीचे की और दबा कर अंदर घुसेड़ा।

धीरे धीरे जैसे नीना अपने चूतड़ों को ऊपर निचे उठाने लगी, वैसे ही अनिल भी निचे से अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर नीना की चूत में अपने लण्ड को घुसेड़ रहा था। पर नीना को कोई दर्द नहीं बल्कि उसके चेहरे पर एक अद्भुत आनंद की लहर दौड़ रही थी। वह उस रात हमारी सेक्स की स्वामिनी बनी हुई थी। अनिल और मैं हम दोनों जैसे नीना के सेक्स गुलाम थे, और वह हमारी मलिका।

मैं हैरान इस बात पर था की कोई भी आसन में या पोजीशन में अनिल नीना के मम्मों को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था। उसने मेरी बीबी के स्तनों पर जैसे अपना एक मात्र अधिकार जमा रखा था। मैं अनिल का नीना के मम्मों के प्रति पागलपन को समझ सकता था। जब एक इंसान इतने महीनों से जिस के सपने देखता हो। जो इतने महीनो से जिसको पाने के लिए जीता हो और वह उसे मिल जाए तो भला उसे आसानी से कैसे छोड़ेगा?

मेरी पत्नी पर तो जैसे चुदने का बुखार चढ़ा था। वह उछल उछल कर अनिल को चोद रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी रात अनिल को नहीं छोड़ेगी। उनकी रफ़्तार इतनी तेज हो गयी थी की मैं डर रहा था की कहीं उसके शरीर पर उसका विपरीत असर न हो जाय। जैसे नीना उछलती तो उसके मम्मे भी उछलते थे। और साथ में अनिल के हाथ जिसमें अनिल ने उन मम्मों को दबा के पकड़ रखा था। सारा दृश्य देखने लायक था। मैंने पहेली बार मेरी पत्नी को इतने जोश में चोदते देखा था।

जब नीना मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद्ती थी, तब उसे भी और मुझे भी चुदाई में अनोखा आनंद मिलता था। नीना भी बहुत उत्तेजित हो जाती थी, और मैं भी। हम दोनों जल्दी ही झड़ जाते थे। नीना इन दिनों थक जाने का बहाना करके मेरे ऊपर चढ़ कर चोदने से बचना चाहती थी। पर उस रात की बात कुछ और ही थी। पता नहीं शराब का असर था या शबाब का। उस रात मेरी पत्नी के चेहरे पर थकान का नामो निशान नहीं था।

वह जैसे ही एक धक्का मार कर अनिल के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में घुसेड़ ती तो उसके साथ एक कामुकता भरी आवाज में "ऊम्फ...." की आवाज निकालती। जैसे महिला खिलाडी टेनिस के मैच में जब गेंद को रैकेट से मारकर कराहते हैं, बिलकुल वैसे ही। मेरी प्यारी और सेक्सी बीबी नीना बहुत जल्द झड़ने वाली थी। उसके चेहरे का उन्माद बढ़ने लगा था। उसका पूरा ध्यान उसकी जननेन्द्रिय पर हो रहे सम्भोग के आनंदातिरेक पर था। वह अनिल को शारीरिक सम्भोग का पूरा आनंद देना चाहती थी और अनिल से पूरा शारीरिक सम्भोग का आनंद लेना चाहती थी।

हाँ मैं यह जानता था की अब वह तुरंत अपना फव्वारा खोलने वाली थी। उसके कपोल पर तनी लकीरों से और चेहरे के भाव से यह स्पष्ट था की वह अब अपनी सीमा पर पहुँच ने वाली है। नीना ने अनिल के निप्पलों को अपनी उँगलियों में जोर से भींचा और कामुकता भरी दबी आवाज में बोल पड़ी, "हाय...... अनिल.... राज.... ऑफ़..... ओह... मैं अब अपना रस छोड़ने वाली हूँ।" ऐसे कहते हुए नीना ने अपनी रफ़्तार बढ़ाई।

मैंने महसूस किया की अनिल भी तब अपनी कामुकता की चोटी पर पहुँच रहा था। वह मेरी बीबी के मम्मों को कस कर अपनी हथेलियों में भींचते हुए बोल पड़ा, "नीना, मैं भी छोड़ने वाला हूँ। क्या मैं इसे बाहर निकाल लूँ?"

नीना ने उसकी छाती पर एक सख्त चूँटी भरते हुए कहा, "नहीं अनिल, आज मैं सुरक्षित हूँ। तुम अपना सारा वीर्य मेरी चूत में भर दो। मैं आज तुम दोनों के वीर्य को अपनी चूत में सारी रात भर के रखना चाहती हूँ। तुम खुल कर मेरी चूत भर दो।"

अचानक मैंने देखा की अनिल और मेरी बीबी एक दूसरे से चिपक गए। दोनों ने एक दूसरे को अपनी आहोश में इतना कस कर भींच लिया जैसे वह एक ही हो जाना चाहते हों। उनके मुंह एक दूसरे ऐसे चिपके थे की उन दोनों के मुंह में क्या हो रहा था वह सोचा ही जा सकता था। अनिल शायद उस समय मेरी पत्नी को न मात्र अपने लण्ड से बल्कि वह नीना को अपनी जीभ से भी चोद रहा था। जैसे ही दोनों ने एक साथ अपना रस छोड़ा तो दोनों की कामुक कराहट से सारा कमरा गूंज उठा। मैंने इस से पहले ऐसा दृश्य ब्लू फिल्मों में भी नहीं देखा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया - by neerathemall - 02-05-2024, 03:55 PM



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