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Adultery यादों के झरोखे से
#16
Heart 
मैने कहा, "तो चलो आओ, मैं आपके सिर में तेल लगा कर हल्के हाथों से चम्पी कर देता हूँ तुरंत आराम मिल जाएगा"

"नहीं, पहले रोटी बना देतीं हूँ तब तक तुम मुझे दवा के बॉक्स में से एस्प्रिन की दो टेबलेट लाकर दे दो"

मैने दीदी को एस्प्रिन लाकर दी साथ ही मैने अपनी टाइमिंग बढ़ाने वाली दवा भी निकाल ली।

दीदी ने एस्प्रिन कप में डालते हुए पूछा, "तुम किसकी दवा ले रहे हो सग़ीर?"

"दीदी! मेरा पेट कुछ अज़ीब सा भारी हो रहा है तो ये डायजेशन की दवा है"

एस्प्रिन लेकर दीदी रोटियाँ बनाने लगीं, मैं किचिन के बाहर कुर्सी पर बैठा दीदी की बेलते समय हिलती गाँड़ देख कर अपने लॅंड को मसल रहा था। मेरी भूख प्यास सब मर गई थी। मैं तो बस चाह रहा था कि ये किसी तरह अपना काम ख़तम करके बेड पर चलें फिर मैं इन्हें चोद ने की कुछ तरक़ीब सोचूँ।

मैं इसी सोच में डूबा था कि दीदी की आवाज़ आई, "सग़ीर! मैने अपने और रज़िया के लिए चार चार रोटी बाला लीं हैं, तेरे लिए कितनी बना लूं"

मैने लॅंड मसलते हुए जवाब दिया, "अरे दीदी, जो दिल करे बना लो, आधी रात तो निकल चुकी है"

दीदी ने मुझे लॅंड मसलते देख मुस्करा कर कहा, "कपड़े तो चेंज कर ले, अलमारी से अब्बू का तहमद ले लो"

मैं उठ कर जब तक कपड़े बदल कर आया तो दीदी कुछ अज़ीब हरकतें कर रहीं थीं। वो कभी अपनी लेफ्ट चूची दबातीं तो कभी सिर पकड़ लेतीं।

मैं दौड़ कर उनके पास आकर बोला, "क्या हुआ दीदी? तुम ठीक तो हो ना?"  

दीदी ने अजीब सी आवाज़ में कहा "अरे सग़ीर, ये मुझे क्या हो रहा है, अजीब सी फीलिंग हो रही है, हाथ पैर झनझना से रहे है"

मुझे कुछ शक हुआ तो मैने दीदी से पूछा, "घर में ब्लड प्रेशर नापने की मशीन है क्या?"

दीदी ने हाँ में सिर हिलाया और मामू के कमरे की तरफ इशारा किया, मैने उन्हे मौके का फ़ायदा उठाते हुए तुरंत गोद में उठा लिया।

"अरे...रे... क्या...करता...है, मैं चल सकती हूँ" -दीदी ने शरमाते हुए कहा।

"आप बिल्कुल अब चुप रहेंगीं, मुझे जो करना है वो पता है" -मैने अधिकार जमाते हुए कहा।

मैने कमरे में जाकर दीदी को बेड पर लिटा दिया और मामू के कमरे से जाकर ब्लड प्रेशर नापने की मशीन उठा लाया। बी पी लो हो गया था और शायद यही कारण था जो उनकी यह हालत हो गई थी।

घर में कोई लो बी पी की दवा नहीं थी सो मैं तुरंत किचन में गया और एक कप पानी में एक ढेढ़ चम्मच सफेद नमक घोल कर ले आया और उनका सिर उठा कर धीरे से पिला दिया।

"अब आप दस मिनट आँख बंद करके चुपचाप लेटी रहिए, ऊपर वाले ने चाहा तो आप बिल्कुल ठीक हो जाएँगीं" -मैने उनके पास लेटते हुए कहा।

मैं बाज़ू में लेट कर उनके बालों में धीरे धीरे उंगलियाँ चलाने लगा। करवट से होने के कारण मेरा लॅंड उनकी जाँघ से रगड़ रहा था, दूसरा हाथ अभी भी उनकी गर्दन के नीचे था। तहमद पता नहीं इस हड़बड़ में कहाँ खुल कर गिर गया था, मैं केवल अंडरवियर बनियान में था। मेरा लॅंड अंडरवियर से फुंफ़कार मारता हुआ सॉफ नज़र आ रहा था।

अपने लेफ्ट हाथ को उनकी गर्दन के नीचे से थोड़ा और आगे बढ़ा कर उनका सिर अपने कंधे पर कर लिया, अब लेफ्ट हाथ की उंगलियाँ सीधी उनकी लेफ्ट चूची के ऊपर तक पहुँच रहीं थीं। राइट हाथ से उनके बालों में उंगलियाँ चलाते हुए मैने लेफ्ट हाथ को उनकी चूची पर रख दिया।

मैं इस बात का विशेष ख़याल रख रहा था कि मेरी हर हरक़त बेखयाली में हुआ लगे।

बालों में उंगली के साथ साथ मैं रह रह कर अपनी हथेली से उनकी लेफ्ट चूची को भी दबाता जा रहा था पर दीदी उसका कोई नोटिस नहीं ले रहीं थीं।

बी पी इतना ज़्यादा लो नहीं था कि कोई ख़तरे की बात हो, टेंशन और प्रॉपर डाइट ना लेने से हमेशा बी पी की शिकायत होती है।

मेरा एक हाथ दीदी के बालों मे चल रहा था तो दूसरे हाथ से कभी मैं उनके गाल को सहला देता था तो कभी चूची पर रख कर दबा देता था। दीदी आँखें बंद किए चुपचाप पड़ीं थीं।

लगभग आठ दस मिनट बाद मैने दीदी के गाल पकड़ कर उनका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और एक किस लेकर पूछा, "दीदी! अब कैसी तबीयत है आपकी"

उन्होने धीरे से आँख खोल कर कहा, "अब तो कुछ बेटर लग रही है"

"आप उठ कर खाना खा लो जिससे और अच्छा महसूस होगा, बहुत ज़्यादा तो नहीं पर हाँ थोड़ा सा बी पी लो हो गया था" -यह कह कर मैने उनके होठों पर अपने होंठ रगड़ कर कस के अपने सीने से लगा लिया।

"चलो उठो, अब खाना खा लिया जाए, सुबह समय से उठ कर फिर हम दोनों को अस्पताल भी जाना है" -ये कह कर मैं बेड से उठ गया।

मैने दीदी को सहारा देकर बेड से उठाया और बाहर टेबल तक ले आया।

फिर हम दोनों खाना खाने बैठ गए। खाना खाते हुए मेरी निगाह उनकी चुचियों पर ही टिकी थी। वह जब भी खाने के लिए थोड़ा सा झुकती थी तो कुर्ते के वी शेप गले से उनकी आधी मस्त दूधिया चूचियां नुमाया हो जाती थी। यह सीन देख कर मेरा लंड टायट हो रहा था।

" तेरा ध्यान कहाँ है" -दीदी ने पूंछा।
"कुछ नहीं दीदी, बस आपके बारे में ही सोच रहा था" -मैंने सकपकाते हुए ज़बाब दिया।
"मेरे बारे में? क्या सोच रहा है? मुझे अजीब सी फीलिंग हो रही है, दिल में गुदगुदी हो रही है व हाथ पैरों से कंट्रोल ख़तम हो रहा है" -दीदी ने खाना ख़तम करते हुए कहा।

"अरे कोई नहीं दीदी, चलो मै आपको बेड तक ले चलता हूँ" -मैंने दीदी को बांह पकड़ कर सहारा देते हुये उठाया।

दीदी चलते हुए लडखडा रही थी, उन्होंने कस कर मेरी बांह पकड़ रखी थी। मैं उनकी बांह कम पकड़ रहा था अपनी उँगलियों से उनकी चूचियों को टच ज्यादा कर रहा था, अचानक मैंने सहारा देने के बहाने उनके चूतड पर हाथ रख कर हल्के से दबा दिया जिसको दीदी ने कोई नोटिस नहीं लिया। पर मैं एक बात नहीं समझ पा रहा था कि ज़रा से बी पी लो में इतनी कमज़ोरी तो नहीं आती, ज़रा सा चलने के लिए वो मेरी तरफ़ देख रहीं थीं। मेरी सेहत पर इस बात से कुछ फ़र्क नहीं पड़ना था।

मैं उन्हें कमरे में बेड के पास ले जा कर उनके दोनो गालों को अपनी हथेलियों में भर कर बोला, "दीदी, आप तब तक कपडे चेंज करके नाईट ड्रेस पहनो मै टॉयलेट होकर आता हूँ"

"ठीक है, लेकिन मेरी नाइटी वार्डरोब से निकाल कर देता जा" -दीदी ने कहा।

मैने वार्डरोब से नाइटी निकाल कर वहीं दीदी के सामने बेड पर डाल दी और अटैच्ड बाथरूम में घुस गया, मैंने जानबूझ कर दरवाजा थोड़ा खुला छोड़ दिया और दरवाजे के पीछे से छुप कर दीदी को कपडे बदलते हुए देखने लगा। दीदी ने सलवार का नाडा खोल कर सलवार उतार दी फिर कुरता उतारने लगी। 

दीदी ने चड्डी नहीं पहन रक्खी थी। दीदी की क्या टाँगें थीं, शफ्फाक़ सफेद गोरी, उन पर एक भी रेशा नहीं था, इतनी चिकनी कि कमर पर एक बूँद पानी गिरे तो सीधा एड़ी तक फिसलता चला जाए और हर कदम पर थिरकते चूतड़। माशा अल्लाह... ऐसा लग रहा था दो सफेद मीडियम साइज़ के सफेद रंग के तरबूज़ जैसे कोई दो फल ऊपर वाले ने पिछवाड़े पर लगा दिए हो।

यह देख कर अब मेरा लंड कंट्रोल से बाहर होने लगा सो मैं अंडरवीयर से लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगा, मानों उसे तसल्ली दे रहा था कि चिंता मत करो आज तुम्हे दीदी की चूत में ज़रूर पेलूँगा।

जैसे ही दीदी ने कुर्ता उतारा, दीदी ने कुर्ती उतारने के लिए बाँहें ऊपर करते हुए वो थोड़ा सा बाथरूम की तरफ घूमीं, मुझे बिज़ली का चार सौ चालीस वोल्ट जैसा झटका लगा। उनकी नंगी चूत मेरे सामने थी, दो टाँगों के बीच ऐसा लग रहा था कि किसी बड़े संतरे की दो फांकों को छील करके एक दूसरे के मुँह से लगा कर वहाँ चिपका दीं हों। 

मैं यही मुनासिब वक़्त जान कर लॅंड को किसी तरह अंडरवियर में ठूंस कर बाथरूम से बाहर आ गया, दीदी पूरी नंगी केवल ब्रा में मेरे सामने खड़ी थीं। 

उनकी कुर्ती उनके हाथ में थी मुझे देख कर उन्होने कुर्ती से अपना सीना ढँक लिया, खुलीं तो चूत भी थी पर शायद वो यह भूल गयीं थीं कि वो चड्डी नहीं पहने हैं।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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RE: यादों के झरोखे से - by KHANSAGEER - 02-05-2024, 03:22 PM



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