01-05-2024, 03:52 PM
भाग १ - अनजान हसीना
मैं अपने रोज़ के रूटीन की तरह अपनी इलेक्टॉनिक्स की शॉप पर बैठा था। शॉप में कुछ कस्टमर टीवी फ्रिज कूलर एसी वगैरह घूम घूम कर देख रहे थे। मैं हमेशा की तरह अपने केबिन में बैठा था। शॉप के सभी स्टाफ कस्टमर के साथ व्यस्त थे क्योंकि गर्मी ख़तम हो चुकी थीं इसके मद्देनज़र मेरे यहाँ गर्मी के सभी प्रोडक्ट्स पर बम्पर छूट चल रही थी। इसी के चलते मेरे शोरूम में काफी भीड़ भाड़ रहती थी।
अचानक एक बला की खूबसूरत लड़की और एक लड़का शीशे का दरवाजा खोल कर शॉप में अंदर दाखिल हुए। वह इधर उधर निगाह दौड़ाने लगे क्योंकि कोई स्टाफ ख़ाली नहीं था।
जब मैंने उन्हें खोजते देखा तो मैं खुद केबिन से निकल कर उनके पास जाकर बोला, "गुड मॉर्निंग मैम, हाउ कैन आई हेल्प यू?"
"हाय! इट्स वीणा, एंड ही इज़ माय हस्बैंड मि० वरुण, वी वांट टू परचेज ए मिक्सर प्लीज़"
"ओह, श्योर मैम, माय सेल्फ सगीर, प्लीज़ कम दिस साइड"
उसका रंग बिलकुल ऐसा कि किसी ने दूध में चुटकी भर सिंदूर मिला दिया हो। उसकी चूचियां लगभग चौतींस कि रही होंगी। स्लिम बॉडी उभरी हुई गांड, कद यही कोई पांच फुट चार या पांच इंच; कुल मिला कर ऊपर वाले ने उसको बिलकुल फुर्सत से बनाया लगता था। उसके साथ वाला बिलकुल भी उससे मैच नहीं कर रहा था। अजीब सा खोया खोया इंसान लग रहा था। ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई गम है जो उसे अंदर ही अंदर खाये जा रहा हो।
“एक्चुअली हमें किसी ने आपके शोरूम के बारे में बताया कि आप के यहाँ से मैं बेफिक्र होकर कोई भी इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान ले सकती हूँ और आपकी सर्विस 'आफ्टर सेल' भी बहुत अच्छी है। कोई भी दिक्कत होने पर आप डोर स्टेप सर्विस देते हैं।" -वो वीणा नाम की लेडी बोली
"जी मेम! आपने बिलकुल सही सुना है, हमारे यहाँ बिक्री से पहले सारे प्रोडक्ट्स को अच्छे से चेक करके ही शोरूम पर लाया जाता है। बिक्री के हफ्ते दस दिन बाद तक भी यदि कोई दिक्कत आती है तब भी हम पूरा सहयोग करते हैं। उसके बाद कस्टमर को सर्विस सेंटर का पूरा पता दे दिया जाता हैं" -मैंने उसकी चूचियों को घूरते हुए जवाब दिया
उसने डार्क ग्रीन डीप गले की कुर्ती के साथ वाइट कलर कि टाइट लेगिंग पहन रखी थी। थोड़ा सा भी झुकने से उसकी कुर्ती के गले से उसकी आधे से ज्यादा दूधिया चूचियां नुमाया हो जातीं थीं जिन पर उसने ब्लैक कलर कि ब्रा पहन रखी थी जो उसके बार बार झुकने से चूचियों के साथ दिख रही थी।
उसका हस्बैंड चूतियों की तरह कुर्सी पर बैठ कर अपने मोबाइल में कुछ कर रहा था। उसको देख कर लग ही नहीं रहा था कि वह अपनी बीबी के साथ आया है।
वीणा मेरी निगाह पहचान गई थी। अब वह मेरे सामने झुकने से पहले अपना एक हाथ अपने सीने पर रख लेती थी फिर मेरे चेहरे पर मायूसी देख कर मुस्कराने लगती थी। मैंने भी ऐसा जाहिर किया कि अगर वह नहीं दिखाना चाहती तो मैं भी इंटरेस्टेड नहीं हूँ।
थोड़ी देर इधर उधर कि बात करने के बाद वह बिना किसी खास वजह के भी झुक जाने लगी परन्तु अब मैंने उसको अनदेखा करना शुरू कर दिया।
जिससे उसके चेहरे पर झुंझलाहट के भाव आ गए थे। मैं उसकी यह हालत देख कर मन ही मन मुस्करा रहा था।
दोस्तो! किसी भी लड़की को अगर आप देख कर भी अनदेखा कर देते हो तो वह तिलमिला जाती है। वो पूरी ताक़त लगा देती है आपकी तवज्जो पाने के लिए। उसके मन में एक ही भाव आता है 'इस लड़के ने मुझे इग्नोर कैसे कर दिया'।
आखिर उसे एक फिलिप्स का मिक्सर पसंद आ गया जिसे उसने चेक करके पैक करवाने को बोला।
उसके साथ आये उसके हस्बैंड ने कार्ड निकाल कर उसे पेमेंट करने को बोला। पेमेंट के समय मैंने मोबाइल और एड्रेस पूछा तो वह बोली, "आप मेरा नंबर ले लीजिये और अपना नंबर भी दे दीजिये प्लीज़, अगर कोई प्रॉब्लम हुई तो मैं काम से काम आप से डायरेक्ट बात तो कर पाऊँगी"
उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कराते हुए अपना मोबाइल नंबर तथा एड्रेस नोट करवा कर वह बिल और मिक्सर लेकर मेरी तरफ एक मुस्कराहट देकर चली गई।
शाम तक वह मेरे दिमाग से निकाल गई, मैं अपने डेली रूटीन की तरह ही मशरूफ हो गया। सुबह से शाम तक शोरूम रात को घर पहुँच कर आपी हनी और फरहान के साथ मस्ती फिर थक कर सो जाना। इसके आलावा और कुछ सोचने के लिए समय भी नहीं था।
अचानक एक दिन मेरे मोबाइल पर किसी अनजान नंबर से कॉल आई। मैंने उठाया तो ऐसा लगा कि किसी ने कानों में शहद घोल दिया हो।
"क्या मेरी बात सगीर जी से हो रही है?"
"जी हाँ, मैं सगीर खान बोल रहा हूँ, बताइये मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ?" -मैंने फोन पर जवाब दिया।
"जी मैं वीणा बोल रही हूँ, अभी दस बारह दिन पहले आपके यहाँ से एक फिलिप्स का मिक्सर लेकर गई थी" -वीणा ने अपने नाम के मुताबिक़ वीणा जैसी आवाज़ में कहा
"हाँ हाँ याद आया, क्या हुआ मैम?... कोई दिक्कत आ रही है क्या?"
"नहीं ऐसा कुछ खास तो नहीं पर वो चल नहीं रही है, अब उसमे कुछ कमी है या मैं गलत तरीके से ऑपरेट कर रही हूँ, कह नहीं सकती"
"कोई बात नहीं, मैं कल किसी सर्विस इंजीनिअर को भेज देता हूँ"
"नहीं नहीं, अगर मेरी गलती निकली तो उसके सामने मेरी बेइज़्ज़ती हो जाएगी, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि एक बार पहले आप देख लेते?"
"मैं?... मेरी टाइमिंग बड़ा ओड होती है मैम, मैं या तो सुबह दस बजे तक आ सकता हूँ या फिर रात को साढ़े नौ के बाद, और फिर कल फ्राइडे है तो इस दिन हमारा शोरूम बंद रहता है" - मैंने अपनी परेशानी बताते हुए कहा
"तो जिस दिन शो रूम बंद रहता है उस दिन आप क्या करते है?" -वीणा ने पूछा
"वो... उस दिन कुछ नहीं बस घर या अब्बू के काम में ही व्यस्त हो जाता हूँ, खास कुछ नहीं"
"तो फिर कल उन्ही बिना खास काम में से थोड़ा समय हमारे लिए भी निकाल लीजिये, कसम से चाय मैं बहुत अच्छी बनाती हूँ"
उसके बात करने के अंदाज़ से मेरे मुंह से ना निकल ही नहीं पाई।
"हा... हा... हा... चलिए ठीक है, मैं कल खुद ही आने कि कोशिश करता हूँ, आप मुझे अपना एड्रेस व्हाट्सप्प कर दीजियेगा"
उसके बात करने के तरीके से मैं खुद हाँ कहने से रोक नहीं पाया पर मेरे मन में अभी तक कोई गलत ख्याल नहीं आया था। बस उसका अंदाज़ कुछ ऐसा था जो मुझे पसंद आया था।
थोड़ी देर बाद ही व्हाट्सप्प पर उसने अपनी लोकेशन शेयर कर दी साथ ही एक इस्माइली बना कर भी भेज दी।
दूसरे दिन सुबह नौ बजे मेरे व्हाट्सप्प पर मैसेज आया 'कितने बजे तक साहब इस नाचीज़ के गरीबखाने पर तशरीफ़ लेकर आ रहे है'
पढ़ कर ही मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई, मैंने लंच बाद आने का वादा करके फोन रख दिया।
थोड़ी देर अपने कमरे में हनी के साथ मौज मस्ती करने के बाद हम सब लोग नीचे आ गए। आपी ने सबका खाना परोस दिया था। हम सबने खाना खाया, अम्मी अपने रूम में चलीं गई और मैं आपी को एक कंप्लेंट पर जाने को बोल कर उस लोकेशन पर निकल गया।
वहां पहुँच कर देखा तो मेरी आँखें खुली रह गई। वह कोई आम घर नहीं बल्कि लगभग सात आठ हजार स्कवायर फ़ीट में बनी एक विशाल कोठी थी।
TO BE CONTINUED....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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