29-04-2024, 04:23 PM
देर रात तक जागती, कभी कभी उसका पलंग से आवाज आने लगता, मैंने धीरे धीरे नोटिस करना चालू किया की वो आखिर रात में करती क्या है की जोर जोर से पलंग हिलता और आवाज आती. मुझे ऐसा लगने लगा की वो शायद अपने चूत में कुछ डालती है और थोड़े देर में शांत होती है और फिर सो जाती है. ये सारे कारनामा हम रोज रोज देखते थे, क्यों की हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे, पर अलग अलग पलंग पर सोते थे, कुछ दिन बाद मैंने नोटिस किया की वो रात में अपनी पेंटी और ब्रा खोल कर सोने लगी. क्यों की उसकी चूचियां साफ़ साफ़ नजर आती थी उसकी नाईटी से, बड़ी बड़ी सॉलिड सॉलिड, दोस्तों मेरा भी मन ख़राब होने लगा, अपनी बहन की इस हरकत से, है भी बहूत ही हॉट, सरिता दीदी की साइज ३६-२४- ३६ है, दोस्तों किसी का भी दिमाग ख़राब हो जाये उसके चूतड़ को पीछे से देखकर और आगे से उनकी चूचियों को देखकर, बड़े बड़े लंबे लंबे बाल गुलाबी होठ, लंबी और गोरी जबरदस्त दिखती है. जब वो काजल और होठ को गुलाबी रंग से रंगती है तब तो वो सेक्स की देबि लगती है.
दोस्तों ऐसे ही दिन बीतने लगा. मैं भी रात में मजे लेने लगी. अब मैं भी अपनी आँख अपनी बहन को देखकर सेकने लगा. उस दिन की बात है जब माँ नानी के यहाँ गई थी. रात के करीब ११ बजे थे गर्मी का दिन था. वो हल्का सा बेडशीट ओढे थी. मैं सोने का नाटक करने लगा. तभी फिर से उसका पलंग हिलने लगा. फिर करीब दस मिनट में ही शांत हो गई. मैं समझ गया की मेरी दीदी आज भी अपने चूत में शायद बैगन पेल रही है. तभी वो उठी, उसकी चुचिया साफ़ साफ़ टाइट दिख रही थी. निप्पल भी साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. जब वो उठी और बाथरूम के तरफ जाने लगी. उसकी चूतड़ हिलोरे मारते हुए चलने लगी. गजब की लग रही थी बाल निचे तक थे खुला हुआ, मैं तो मर गया दोस्तों, मेरा लंड खड़ा हो गया, ऐसा लग रहा था की मैं चोद दू,तभी वो वापस आने लगी. मैं चुपचापहो गया, शांत हो गया पर मेरा लंड शांत नहीं था, वो तम्बू बना कर खड़ा था. सरिता दीदी जैसे ही आई बोली आलोक तुम जाग रहे हो. मैं कुछ भी नहीं बोला, वो फिर से बोली तू जाग रहे हो.
दोस्तों ऐसे ही दिन बीतने लगा. मैं भी रात में मजे लेने लगी. अब मैं भी अपनी आँख अपनी बहन को देखकर सेकने लगा. उस दिन की बात है जब माँ नानी के यहाँ गई थी. रात के करीब ११ बजे थे गर्मी का दिन था. वो हल्का सा बेडशीट ओढे थी. मैं सोने का नाटक करने लगा. तभी फिर से उसका पलंग हिलने लगा. फिर करीब दस मिनट में ही शांत हो गई. मैं समझ गया की मेरी दीदी आज भी अपने चूत में शायद बैगन पेल रही है. तभी वो उठी, उसकी चुचिया साफ़ साफ़ टाइट दिख रही थी. निप्पल भी साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. जब वो उठी और बाथरूम के तरफ जाने लगी. उसकी चूतड़ हिलोरे मारते हुए चलने लगी. गजब की लग रही थी बाल निचे तक थे खुला हुआ, मैं तो मर गया दोस्तों, मेरा लंड खड़ा हो गया, ऐसा लग रहा था की मैं चोद दू,तभी वो वापस आने लगी. मैं चुपचापहो गया, शांत हो गया पर मेरा लंड शांत नहीं था, वो तम्बू बना कर खड़ा था. सरिता दीदी जैसे ही आई बोली आलोक तुम जाग रहे हो. मैं कुछ भी नहीं बोला, वो फिर से बोली तू जाग रहे हो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.