29-04-2024, 05:51 AM
"मेरी बात छोड़िए।" वह झट से बोली।
"ऐसे कैसे छोड़ दें। सबका बाजा बजाई है। अब मैं बजाऊंगी इसकी।" मैं झट से बोली। इतनी देर में मैं काफी कुछ देख चुकी थी और सीख चुकी थी। वैसे भी मुझे अपनी शारीरिक क्षमता पर पूरा विश्वास था।
"कर लोगी?'" सभी आश्चर्यचकित हो कर मुझसे बोले। राधा भी अविश्वास से मुझे देख रही थी।
"अभी दिखाती हूं।" कहकर मैंने राधा की कमर से कृत्रिम लिंग उतार लिया और किसी अभ्यस्त चुदक्कड़ की तरह उसे अपनी कमर पर फिक्स किया। यह सब करते हुए मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था। जब मैं उस खास कृत्रिम लिंग को पहन रही थी तो उसकी बनावट में एक खासियत पर मैंने गौर किया कि लिंग के पीछे हल्का सा उभार बना हुआ था। वह उभार ठीक मेरी चूत के ऊपर जा कर टिक गया था। जैसे ही उस उभार का स्पर्श मेरी चूत में हुआ, मैं गनगना उठी। मैं इसे बनाने वाले की बुद्धि की दाद देने लगी। इसका दोहरा फायदा होने वाला था। एक तो यह अपने स्थान से इधर उधर खिसकेगी नहीं और दूसरा, इसके घर्षण का आनंद मुझे भी मिलने वाला था। अब मैं तैयार थी।
"पकड़ो साली को।" मैं ने हुक्म दिया। मेरी आवाज़ में जो आत्मविश्वास था उससे वे प्रभावित हो गयीं और मेरे हुक्म की तालीम करने आगे बढ़ीं। राधा के साथ जोर जबरदस्ती की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि आखिर वह भी एक युवती ही थी। कृत्रिम लिंग लगा कर वह मर्द तो नहीं बन गयी थी। हमें चोदते वक्त भी वह महिला ही थी। स्त्री सुलभ उत्तेजना का उदय उसके अंदर भी तो हुआ था। चुदास से तो वह भी मरी जा रही थी होगी। कद काठी में वह वह थोड़ी सी ही मुझसे बीस थी। बाकी तीनों सहेलियों से कम उम्र होने के बावजूद शारीरिक रूप से मैं ही उसकी बराबरी करने को सर्वथा उपयुक्त दिखाई दे रही थी। यहां इस वक्त अपनी सहेलियों की तुलना में मैं ही उसे चोद कर संतुष्ट करने में सक्षम दिखाई दे रही थी।
"मुझे फ्री छोड़ दो। मैं ऐसे ही चुदने के लिए मरी जा रही हूं और यह भी जानती हूं कि इस लड़की में दम है। आजा लड़की, चोद ले।" वह समर्पण की मुद्रा में बेड पर पसर गई।
"ऐसे कैसे छोड़ दें। पहले हम मिलकर तेरे शरीर से भी उसी तरह खेलेंगे जैसा हमारे साथ हुआ है। जरा हम भी तो फील करके देखें कि तुम्हारा सामान कैसा है। देखने में तो बड़ा जबरदस्त दिखाई दे रहा है।" रश्मि बोली।
"तुम सब बड़ी ज़ालिम हो। यहां मेरे बदन में आग लगी हुई है और आप लोगों को मस्ती सूझ रही है। अच्छा जो करना है जल्दी करो, मुझसे और रहा नहीं जा रहा है।" वह हथियार डालते हुए बोली। उसके बोलने की देर थी कि हम सब उस पर टूट पड़े। शीला उसकी दाईं चूची को पकड़ कर चूमने लगी तो रश्मि बाईं चूची को।
"बड़ी इतनी बड़ी बड़ी चूचियां हैं लेकिन बड़ी सख्त हैं।" रश्मि चूसती हुई बोली।
"मुझे पता है। मैं तो खूब चूसती हूं। बड़ा मज़ा आता है।" शीला बोली।
रेखा उसकी चूत पर धावा बोली। "साली झांट वाली चिकनी टाईट चूत चाटने का मजा ही कुछ और होगा," कहकर वह उसकी चूत चाटने लगी और मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगी। राधा तो उत्तेजना के मारे पागलों की तरह कभी मेरी जीभ चूसती कभी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसेड़ कर नचाती। कुछ ही देर में राधा इतनी उत्तेजित हो गई कि उसने पूरी ताकत से हम सबको ढकेल कर अलग कर दिया। उसकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।
"चोदना है तो जल्दी चोदो, ऐसे ही तड़पा तड़पा कर मार डालने का इरादा है क्या?" वह तड़प कर बोली।
"चोदती हूं बाबा चोदती हूं, लेकिन ऐसे नहीं।" मेरे दिमाग में शैतानी घूम रही थी।
"फिर कैसे?" वह असमंजस में बोली। उस वक्त मेरे दिमाग में घुसा से चुदने वाली मुद्रा का ध्यान आया।
"चौपाया बन जा। मैं पीछे से तुझ पर चढ़ुंगी।" मैं बोली। मैं इस मुद्रा में चुद कर जन्नत का मजा ले चुकी थी और अब मौका मिला था उसी मुद्रा में किसी लड़की को चोदने का तो इस मौके का फायदा उठा कर उस रोमांचक चुदाई को दुहराने का लोभ संवरन नहीं कर पा रही थी। हां, उस वक्त मैं नीचे थी और घुसा ऊपर, उस वक्त मैं चुद रही थी और इस वक्त चोदने वाली मैं थी। उस वक्त लगाम किसी और के के हाथ में था और इस वक्त लगाम मेरे हाथ में था। एक अजीब तरह के रोमांच से भर चुकी थी मैं। मैं आत्मविश्वास से भरी हुई थी। राधा मेरी आवाज़ की दृढ़ता से चमत्कृत रह गई। बाकी लड़कियां भी मेरे आत्मविश्वास को देख कर चकित थीं।
"क्या बोल रही हो लड़की?" वह बोली।
"वही बोल रही हूं जो तू सुन रही है और समझ रही है। मैं तुझे कुत्ते की तरह चोदने जा रही हूं।" मैं बोली।
"ऐसे कैसे छोड़ दें। सबका बाजा बजाई है। अब मैं बजाऊंगी इसकी।" मैं झट से बोली। इतनी देर में मैं काफी कुछ देख चुकी थी और सीख चुकी थी। वैसे भी मुझे अपनी शारीरिक क्षमता पर पूरा विश्वास था।
"कर लोगी?'" सभी आश्चर्यचकित हो कर मुझसे बोले। राधा भी अविश्वास से मुझे देख रही थी।
"अभी दिखाती हूं।" कहकर मैंने राधा की कमर से कृत्रिम लिंग उतार लिया और किसी अभ्यस्त चुदक्कड़ की तरह उसे अपनी कमर पर फिक्स किया। यह सब करते हुए मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था। जब मैं उस खास कृत्रिम लिंग को पहन रही थी तो उसकी बनावट में एक खासियत पर मैंने गौर किया कि लिंग के पीछे हल्का सा उभार बना हुआ था। वह उभार ठीक मेरी चूत के ऊपर जा कर टिक गया था। जैसे ही उस उभार का स्पर्श मेरी चूत में हुआ, मैं गनगना उठी। मैं इसे बनाने वाले की बुद्धि की दाद देने लगी। इसका दोहरा फायदा होने वाला था। एक तो यह अपने स्थान से इधर उधर खिसकेगी नहीं और दूसरा, इसके घर्षण का आनंद मुझे भी मिलने वाला था। अब मैं तैयार थी।
"पकड़ो साली को।" मैं ने हुक्म दिया। मेरी आवाज़ में जो आत्मविश्वास था उससे वे प्रभावित हो गयीं और मेरे हुक्म की तालीम करने आगे बढ़ीं। राधा के साथ जोर जबरदस्ती की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि आखिर वह भी एक युवती ही थी। कृत्रिम लिंग लगा कर वह मर्द तो नहीं बन गयी थी। हमें चोदते वक्त भी वह महिला ही थी। स्त्री सुलभ उत्तेजना का उदय उसके अंदर भी तो हुआ था। चुदास से तो वह भी मरी जा रही थी होगी। कद काठी में वह वह थोड़ी सी ही मुझसे बीस थी। बाकी तीनों सहेलियों से कम उम्र होने के बावजूद शारीरिक रूप से मैं ही उसकी बराबरी करने को सर्वथा उपयुक्त दिखाई दे रही थी। यहां इस वक्त अपनी सहेलियों की तुलना में मैं ही उसे चोद कर संतुष्ट करने में सक्षम दिखाई दे रही थी।
"मुझे फ्री छोड़ दो। मैं ऐसे ही चुदने के लिए मरी जा रही हूं और यह भी जानती हूं कि इस लड़की में दम है। आजा लड़की, चोद ले।" वह समर्पण की मुद्रा में बेड पर पसर गई।
"ऐसे कैसे छोड़ दें। पहले हम मिलकर तेरे शरीर से भी उसी तरह खेलेंगे जैसा हमारे साथ हुआ है। जरा हम भी तो फील करके देखें कि तुम्हारा सामान कैसा है। देखने में तो बड़ा जबरदस्त दिखाई दे रहा है।" रश्मि बोली।
"तुम सब बड़ी ज़ालिम हो। यहां मेरे बदन में आग लगी हुई है और आप लोगों को मस्ती सूझ रही है। अच्छा जो करना है जल्दी करो, मुझसे और रहा नहीं जा रहा है।" वह हथियार डालते हुए बोली। उसके बोलने की देर थी कि हम सब उस पर टूट पड़े। शीला उसकी दाईं चूची को पकड़ कर चूमने लगी तो रश्मि बाईं चूची को।
"बड़ी इतनी बड़ी बड़ी चूचियां हैं लेकिन बड़ी सख्त हैं।" रश्मि चूसती हुई बोली।
"मुझे पता है। मैं तो खूब चूसती हूं। बड़ा मज़ा आता है।" शीला बोली।
रेखा उसकी चूत पर धावा बोली। "साली झांट वाली चिकनी टाईट चूत चाटने का मजा ही कुछ और होगा," कहकर वह उसकी चूत चाटने लगी और मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगी। राधा तो उत्तेजना के मारे पागलों की तरह कभी मेरी जीभ चूसती कभी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसेड़ कर नचाती। कुछ ही देर में राधा इतनी उत्तेजित हो गई कि उसने पूरी ताकत से हम सबको ढकेल कर अलग कर दिया। उसकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।
"चोदना है तो जल्दी चोदो, ऐसे ही तड़पा तड़पा कर मार डालने का इरादा है क्या?" वह तड़प कर बोली।
"चोदती हूं बाबा चोदती हूं, लेकिन ऐसे नहीं।" मेरे दिमाग में शैतानी घूम रही थी।
"फिर कैसे?" वह असमंजस में बोली। उस वक्त मेरे दिमाग में घुसा से चुदने वाली मुद्रा का ध्यान आया।
"चौपाया बन जा। मैं पीछे से तुझ पर चढ़ुंगी।" मैं बोली। मैं इस मुद्रा में चुद कर जन्नत का मजा ले चुकी थी और अब मौका मिला था उसी मुद्रा में किसी लड़की को चोदने का तो इस मौके का फायदा उठा कर उस रोमांचक चुदाई को दुहराने का लोभ संवरन नहीं कर पा रही थी। हां, उस वक्त मैं नीचे थी और घुसा ऊपर, उस वक्त मैं चुद रही थी और इस वक्त चोदने वाली मैं थी। उस वक्त लगाम किसी और के के हाथ में था और इस वक्त लगाम मेरे हाथ में था। एक अजीब तरह के रोमांच से भर चुकी थी मैं। मैं आत्मविश्वास से भरी हुई थी। राधा मेरी आवाज़ की दृढ़ता से चमत्कृत रह गई। बाकी लड़कियां भी मेरे आत्मविश्वास को देख कर चकित थीं।
"क्या बोल रही हो लड़की?" वह बोली।
"वही बोल रही हूं जो तू सुन रही है और समझ रही है। मैं तुझे कुत्ते की तरह चोदने जा रही हूं।" मैं बोली।