27-04-2024, 11:40 PM
दीदी को शक हो गया और बोली- क्या बात है, बहुत समय लगा दिया बाथरूम में?
मैंने कहा- बस, ऐसे ही बाहर घूम रहा था मैं तो!
वे बोली- क्लास के समय बाहर क्यों घूम रहे थे, पढ़ाई करनी है या नहीं?
मैं बोला- बस मेरा मन नहीं था।
बस फिर दीदी ने कुछ नहीं कहा।
उस दिन के बाद क्लास के समय मैं रोज ही अब राशिदा की गांड और चूत चोदने लगा।
अब मुझे धीरे धीरे इसकी लत पड़ने लगी।
वे लोग मुझे रोज वो पाउडर देती थीं और मुझे चुदाई का पूरा मजा आता था।
मैं अब इस सब के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता था।
फिर अचानक राशिदा कॉलेज में से गायब रहने लगी।
मैंने उसकी सहेलियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि वह अपने पापा के साथ विदेश घूमने गई हुई है एक महीने की छुट्टी लेकर!
यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गई और मैं सोचने लगा कि मैं एक महीना बिना चुदाई के कैसे रहूंगा।
मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगी।
अब तक मुझे नशे और चूत की लत लग चुकी थी।
कई दिन तो मैंने मुठ मारकर काम चला लिया लेकिन अब चूत के बिना नहीं रहा जा रहा था।
मैंने राशिदा की सहेली खुशी से कहा कि वह मेरी मदद करे, मेरे साथ सेक्स कर ले।
लेकिन वह भी पूरी रंडी थी, वह पहले तो मानी ही नहीं।
फिर मैंने उससे मिन्नतें कीं कि वह जो कहेगी मैं करने के लिए तैयार हूं।
ये सुनकर वो मुस्कराई और बोली- सोच लो?
मैंने कहा- सोच लिया, अब मैं बिना चुदाई करे नहीं रह सकता हूं। और मैं किसी लड़की से भी नहीं मिल सकता हूं क्योंकि दीदी हर वक्त मेरे साथ ही रहती है। अब तुम ही मेरी मदद कर सकती हो।
वह बोली- ठीक है, लेकिन तुम्हें मेरी दूसरी सहेलियों को भी चोदना होगा।
यह सुनकर मैं तो और ज्यादा खुश हो गया।
वह बोली- लेकिन तुम्हें वैसे ही सेक्स करना होगा, जैसे हम कहेंगी।
खुशी मुझे बाथरूम में ले गई।
वहां पर उसकी और भी सहेलियां थीं जिनका नाम रेणु और प्रीति था।
खुशी ने कहा कि मुझे उन तीनों को एकसाथ खुश करना होगा।
फिर खुशी ने अपनी जींस पैंट खोल कर पैंटी खींचकर नीचे कर दी और कहा- मेरी गांड को खुश करो।
मैंने अपना लंड निकला और गांड पर लगाया तो खुशी मेरी तरफ मुस्करा कर बोली- ऐसे नहीं।
मैं उसे देखने लगा तो पास खड़ी रेणु और प्रीति भी हंस पड़ीं।
रेणु बोली- ये तो एकदम बुद्धू है। खुशी इसे बताओ कि कैसे खुश करना है।
खुशी मुस्कराते हुए बोली- बहन के लंड, पहले इसे चाट!
मैंने उन लड़कियों के मुंह की तरफ देखा तो तीनों मुस्करा रही थीं।
अब मुझे भी बहुत जोर से चुदाई की तलब लगी थी इस लिए मैंने उसकी गांड चाटना चालू कर दिया।
पहले खुशी, फिर रेणु, और फिर प्रीति … तीनों ने जमकर अपनी गांड चटवाई और एक-एक करके सभी ने मेरे मुंह में पानी भी झाड़ा और मेरे मुंह में ही मूता भी।
उन्होंने मेरा लंड हाथ से हिलाकर मेरा पानी निकलवा दिया।
अब रोज वे मुझे गांड-चूत चटवती और मेरे मुंह में ही पेशाब करती, और अपना चूत का पानी निकालती।
मैं दीदी से दूर रहने लगा।
दीदी मुझ पर नजर रखती लेकिन फिर भी मैं उन तीनों से किसी न किसी तरह मिल ही लेता था।
राशिदा भी आ गई कुछ दिन बाद … अब चारों मेरे साथ सेक्स करने लगीं।
मुझे तो अब इनकी गांड चाटने की लत लग गई थी।
अब पढ़ाई में भी मैं बहुत कमजोर हो गया और शरीर से भी!
दीदी ये सब नोटिस कर रही थी, दीदी ने कई बार मुझसे बात करने की कोशिश की लेकिन मैं दीदी से कुछ नहीं बोलता था।
तो दीदी ने पापा को भी बोल दिया.
पापा ने मुझे बहुत डांटा क्योंकि मेरे नंबर बहुत कम आए थे जबकि दीदी फर्स्ट डिविजन से पास हुई थी।
एक दिन जब हम चारों सेक्स कर रहे थे तो मैं राशिदा और खुशी की बारी बारी से गांड चाट रहा था।
तभी दीदी बाथरूम में आ गईं।
मुझे इस हालत में देख कर वो गुस्से से चिल्लाई।
मैंने दीदी को नजरंदाज कर दिया तो वे चारों भी हंसने लगीं।
खुशी बोली- ये तो हमारी गांड का कीड़ा है; हमारा कुत्ता है ये!
प्रीति बोली- आ जा, मेरा पानी निकलने वाला है, पी ले।
मैं दीदी से बोला- तुम जाओ, मुझे बहुत मजा आ रहा है।
यह बोलकर मैं प्रीति की चूत चाटने लगा।
दीदी ने बाहर चलने के लिए कहा लेकिन उन चारों ने कहा कि अगर मैं बाहर गया तो फिर वे मुझसे कभी नहीं मिलेंगी।
इतने में रेणु पेशाब करने बैठ गई और बोली- आ, मेरा अमृत पी ले!
मैं उसकी चूत से मूत की धार देखकर पागल हो गया।
मैंने दीदी से अपना हाथ छुड़ाया और रेणु का पेशाब पीने लगा।
दीदी मुझे वहीं पर छोड़कर आ गई।
मैंने कहा- बस, ऐसे ही बाहर घूम रहा था मैं तो!
वे बोली- क्लास के समय बाहर क्यों घूम रहे थे, पढ़ाई करनी है या नहीं?
मैं बोला- बस मेरा मन नहीं था।
बस फिर दीदी ने कुछ नहीं कहा।
उस दिन के बाद क्लास के समय मैं रोज ही अब राशिदा की गांड और चूत चोदने लगा।
अब मुझे धीरे धीरे इसकी लत पड़ने लगी।
वे लोग मुझे रोज वो पाउडर देती थीं और मुझे चुदाई का पूरा मजा आता था।
मैं अब इस सब के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता था।
फिर अचानक राशिदा कॉलेज में से गायब रहने लगी।
मैंने उसकी सहेलियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि वह अपने पापा के साथ विदेश घूमने गई हुई है एक महीने की छुट्टी लेकर!
यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गई और मैं सोचने लगा कि मैं एक महीना बिना चुदाई के कैसे रहूंगा।
मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगी।
अब तक मुझे नशे और चूत की लत लग चुकी थी।
कई दिन तो मैंने मुठ मारकर काम चला लिया लेकिन अब चूत के बिना नहीं रहा जा रहा था।
मैंने राशिदा की सहेली खुशी से कहा कि वह मेरी मदद करे, मेरे साथ सेक्स कर ले।
लेकिन वह भी पूरी रंडी थी, वह पहले तो मानी ही नहीं।
फिर मैंने उससे मिन्नतें कीं कि वह जो कहेगी मैं करने के लिए तैयार हूं।
ये सुनकर वो मुस्कराई और बोली- सोच लो?
मैंने कहा- सोच लिया, अब मैं बिना चुदाई करे नहीं रह सकता हूं। और मैं किसी लड़की से भी नहीं मिल सकता हूं क्योंकि दीदी हर वक्त मेरे साथ ही रहती है। अब तुम ही मेरी मदद कर सकती हो।
वह बोली- ठीक है, लेकिन तुम्हें मेरी दूसरी सहेलियों को भी चोदना होगा।
यह सुनकर मैं तो और ज्यादा खुश हो गया।
वह बोली- लेकिन तुम्हें वैसे ही सेक्स करना होगा, जैसे हम कहेंगी।
खुशी मुझे बाथरूम में ले गई।
वहां पर उसकी और भी सहेलियां थीं जिनका नाम रेणु और प्रीति था।
खुशी ने कहा कि मुझे उन तीनों को एकसाथ खुश करना होगा।
फिर खुशी ने अपनी जींस पैंट खोल कर पैंटी खींचकर नीचे कर दी और कहा- मेरी गांड को खुश करो।
मैंने अपना लंड निकला और गांड पर लगाया तो खुशी मेरी तरफ मुस्करा कर बोली- ऐसे नहीं।
मैं उसे देखने लगा तो पास खड़ी रेणु और प्रीति भी हंस पड़ीं।
रेणु बोली- ये तो एकदम बुद्धू है। खुशी इसे बताओ कि कैसे खुश करना है।
खुशी मुस्कराते हुए बोली- बहन के लंड, पहले इसे चाट!
मैंने उन लड़कियों के मुंह की तरफ देखा तो तीनों मुस्करा रही थीं।
अब मुझे भी बहुत जोर से चुदाई की तलब लगी थी इस लिए मैंने उसकी गांड चाटना चालू कर दिया।
पहले खुशी, फिर रेणु, और फिर प्रीति … तीनों ने जमकर अपनी गांड चटवाई और एक-एक करके सभी ने मेरे मुंह में पानी भी झाड़ा और मेरे मुंह में ही मूता भी।
उन्होंने मेरा लंड हाथ से हिलाकर मेरा पानी निकलवा दिया।
अब रोज वे मुझे गांड-चूत चटवती और मेरे मुंह में ही पेशाब करती, और अपना चूत का पानी निकालती।
मैं दीदी से दूर रहने लगा।
दीदी मुझ पर नजर रखती लेकिन फिर भी मैं उन तीनों से किसी न किसी तरह मिल ही लेता था।
राशिदा भी आ गई कुछ दिन बाद … अब चारों मेरे साथ सेक्स करने लगीं।
मुझे तो अब इनकी गांड चाटने की लत लग गई थी।
अब पढ़ाई में भी मैं बहुत कमजोर हो गया और शरीर से भी!
दीदी ये सब नोटिस कर रही थी, दीदी ने कई बार मुझसे बात करने की कोशिश की लेकिन मैं दीदी से कुछ नहीं बोलता था।
तो दीदी ने पापा को भी बोल दिया.
पापा ने मुझे बहुत डांटा क्योंकि मेरे नंबर बहुत कम आए थे जबकि दीदी फर्स्ट डिविजन से पास हुई थी।
एक दिन जब हम चारों सेक्स कर रहे थे तो मैं राशिदा और खुशी की बारी बारी से गांड चाट रहा था।
तभी दीदी बाथरूम में आ गईं।
मुझे इस हालत में देख कर वो गुस्से से चिल्लाई।
मैंने दीदी को नजरंदाज कर दिया तो वे चारों भी हंसने लगीं।
खुशी बोली- ये तो हमारी गांड का कीड़ा है; हमारा कुत्ता है ये!
प्रीति बोली- आ जा, मेरा पानी निकलने वाला है, पी ले।
मैं दीदी से बोला- तुम जाओ, मुझे बहुत मजा आ रहा है।
यह बोलकर मैं प्रीति की चूत चाटने लगा।
दीदी ने बाहर चलने के लिए कहा लेकिन उन चारों ने कहा कि अगर मैं बाहर गया तो फिर वे मुझसे कभी नहीं मिलेंगी।
इतने में रेणु पेशाब करने बैठ गई और बोली- आ, मेरा अमृत पी ले!
मैं उसकी चूत से मूत की धार देखकर पागल हो गया।
मैंने दीदी से अपना हाथ छुड़ाया और रेणु का पेशाब पीने लगा।
दीदी मुझे वहीं पर छोड़कर आ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.