27-04-2024, 12:37 PM
मैंने कच्छी के ऊपर से ही उसकी बुर को सहलाते हुए पूछा- अरे यह क्या, तूने आज कच्छी पहनी है… तेरी दीदी ने तो नहीं पहनाई होगी?
वो लाल आँखें लिए मुझे मुस्कुराकर देख रही थी- हाँ.. दीदी तो मना कर रही थी पर मुझे शर्म आ रही थी इसलिए पहन ली।
मैं- और तेरी दीदी ने पहनी या वो ऐसे ही गई है?
मधु- वो कहाँ पहनती हैं, वो तो ऐसे ही गई हैं, मैंने तो उन अंकल की वजह से पहन ली, मुझे उनसे शर्म आ रही थी।
मैं तुरंत समझ गया कि अरविन्द अंकल ही होंगे, इसका मतलब उन्होंने ही सलोनी को तैयार किया होगा।
मैं- इसका मतलब तुम दोनों अंकल के सामने ऐसे ही घूम रही थी?
मधु ने कोई जवाब नहीं दिया…
मैं- तो अंकल ने तुझे कच्छी में देख लिया?
मधु- अरे उन्होंने तो मुझे पूरा भी देख लिया… ये दीदी भी ना…
मैं उसकी बात सुन रहा था पर फिलहाल तो मुझे मधु का रस पीना था, मैंने उसकी कच्छी की इलास्टिक में उंगली फंसाई और उसको नीचे सरकाना शुरू कर दिया।
मधु ने भी अपने गोल मटोल चूतड़ों को उठाकर आराम से कच्छी को निकालने में पूरा सहयोग किया, मैंने उसकी कच्छी को उसके पैरों से निकालकर बेड के नीचे डाल दिया।
अब उसका बेशकीमती खजाना ठीक मेरे आँखों के सामने था… उसकी बुर मधु के रंग के मुकाबले काफी गोरी थी, इस समय बुर काफी लाल हो रही थी।
मैं- क्या तुम दोनों अंकल के सामने ही तैयार हुई… और तेरी यह बुर भी क्या अंकल ने लाल की?
मधु- अरे भैया… मैं तो नहा रही थी… दीदी ने ही अंकल को अंदर भेज दिया… फिर उन्होंने ही बहुत तेज रगड़ा था।
मैं- ओह.. तो यह बात है… फिर अंकल ने सलोनी के साथ क्या किया… और क्या तेरे साथ कुछ ऐसा वैसा भी?
मधु- नहीई…ईई न मेरे साथ नहीं… मुझे तो बस नहलाया ही था… पर दीदी को उन्होंने बहुत देर तक परेशान किया।
मैं- परेशान मतलब… क्या कुछ जबरदस्ती?
मधु- नहीं… वो सब कुछ ही ना…
मैं एकदम से उठकर बैठ गया…
मधु- क्या हुआ?
मैं- तू मुझसे इतना आधा आधा क्यों बोलती है… पहले सब बात खुलकर मुझे बता… नहीं तो मैं तेरे से बिल्कुल नहीं बोलूँगा।
मधु बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, वो मेरी हर बात मानने को तैयार थी।
उसने कसकर मुझे अपने पर झुका लिया… मैं भी अब उसको छोड़ तो सकता ही नहीं था, मैंने उसकी नाजुक बुर को सहलाते हुए ही पूछा- देख मधु, मैं तेरे से बहुत प्यार करता हूँ… चल बता.. क्या-क्या किया उन्होंने तेरी सलोनी दीदी के साथ… सब कुछ अच्छी तरह से खुलकर बता?
मधु- अह्हा बाद में भैया… पहले तो… यहाँ बहुत खुजली हो रही है।
मधु बिल्कुल बच्चे जैसा ही व्यवहार कर रही थी, उसने बड़ी मासूमियत से अपनी बुर को खुजाया।
मैं उसकी मासूमियत देख उसका कायल हो गया और उसकी बुर को सहलाते हुए चूम लिया, फिर मैंने कुछ देर तक उसकी चूत को चाटा।
मैं अच्छी तरह जानता था कि कैसे उससे सब कुछ उगलवाना है।
मैंने उसके लांचे की कोई परवाह नहीं की, मैं मधु को लांचे से साथ ही चोदना चाहता था।
मैंने मधु को सही से बिस्तर के किनारे पर सेट किया और उसके दोनों पैर घुटने से मोड़कर उसके पेट से लगा दिए।
जैसे एक फूल की सारी कलियाँ बाहर को खिलती हैं.. ऐसे ही उसकी बुर की पुत्ती बाहर को हो गई।
मधु की चूत के अंदर का लाल हिस्सा भी चमकने लगा… मधु की चूत और गांड दोनों के सुरमई द्वार बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रहे थे।
पर मैं तो इस समय केवल चूत के छेद को ही देख रहा था… मेरा ध्यान बिल्कुल गांड की ओर नहीं था… अभी तो मधु की चूत भी गांड से भी ज्यादा टाइट थी… फिर गांड के बारे में कौन सोचता !
मैंने बेड के किनारे रखी क्रीम की ट्यूब उठाई और मधु के बुर पर रख कर दबा दी, ढेर सारी क्रीम वहाँ इकठ्ठी हो गई।
मैंने उंगली की सहायता से उसकी बुर के अंदर तक क्रीम भर दी तो उसकी बुर बहुत चिकनी हो गई थी।
मैं बहुत ही खुश था… मेरी अपनी ही बीवी की मदद से मुझे आज इस कुआँरी कली से खेलने का मौका मिल रहा था।
मधु जैसी छोटी और बंद चूतों का मैं दीवाना था जिनकी चूत पर अभी बाल भी निकलना शुरू नहीं हुआ हो।
ऐसी चूत के कच्चे रस का पानी मेरे लण्ड को और भी ज्यादा मोटा कर देता था।
यह शौक मुझे काफ़ी पहले से ही लग गया था जब कॉन्वेंट और कोएड में पढ़ने के कारण बहुत सारी लड़कियाँ मेरी दोस्त थी और वो सभी ही अच्छे घरों से थीं, खूब गोरी और चिकनी… वो सब भी इस सबका बहुत मजा लेती थी।
अपने इसी गंदे शौक के कारण मेरी अपने ही घर में काफी बेइज्जती भी हुई थी, मुझसे छोटी मेरी तीन बहनें हैं, मुझे उनकी फ़ुद्दी से भी खेलने का शौक हो गया और मैंने एक एक कर तीनों को ही पटा लिया था… फिर एक दिन डैडी ने हमको रंगे हाथों पकड़ लिया।
हम चारों ही नंगे होकर खेल रहे थे, पर मैं सबसे बड़ा था और मेरे खड़े लण्ड के कारण पूरी सजा मुझे ही मिली और बाकी की पढ़ाई मुझे बाहर हॉस्टल में रहकर ही करनी पड़ी थी।
फिलहाल मुझे मधु के साथ वही मजा आ रहा था, मधु की बुर उसकी टांगें उठने से पूरी खुलकर सामने आ गई थी, मुझे लग रहा था कि मुझे अपना लण्ड उसकी बुर में प्रवेश कराने के लिए बहुत ही मेहनत करनी होगी क्योंकि उसकी बुर की दोनों पुत्तियाँ आपस में बुरी तरह से चिपकी थी, उसकी बुर का छेद जिसमें लण्ड को प्रवेश होना था, लाल भभूका हो रहा था इसीलिए दिख भी रहा था, वरना उसका पता भी नहीं चलता…
मेरे से भी रुकना अब बहुत मुश्किल था… मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी बुर के छेद पर रखा और हल्का सा ही दबाव दिया।
मुझसे कहीं ज्यादा जल्दी मधु को थी, उसने अपने चूतड़ ऊपर को उचकाए… और मेरा मोटा सुपाड़ा उसकी मक्खन की टिकिया को चीरते हुए भक्क की आवाज के साथ अंदर घुस गया।
मधु- अहाआह्ह्ह ह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ…
बस एक जोर से सिसकारी ही ली मधु ने, उसको शायद कोई ज्यादा दर्द नहीं हुआ था।
य्ह इसीलिए हुआ होगा कि या तो मधु बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी या फिर उसकी बुर में बहुत चिकनाई थी जो उसने इतना मोटा सुपाड़ा आसानी से ले लिया था।
पर हाँ… उसने अपने चूतड़ को पीछे करना चाहे पर मैं उसके छोटे मगर कोमल से दोनों चूतड़ों के गोले कसकर पकड़े रहा, मैंने उसको हिलने तक का भी मौका नहीं दिया।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी बुर में फंस गया था। उसको तकलीफ तो हो रही थी मगर ज्यादा नहीं, यह मुझे पता लग गया था।
इससे पहले भी मैंने कुआंरी बुर में लण्ड को डाला था इसलिए मुझे पूरा अनुभव है।
मैं कुछ देर तक ऐसे ही लण्ड को उसकी बुर में फंसाये रहा फ़िर मैंने देखा वो अब खुद ही अपने चूतड़ों को उठाकर लण्ड को अंदर करने की कोशिश कर रही है।
उसकी इस प्यारी सी हरकत पर मेरा दिल खुश हो गया, मैंने उसके चूतड़ों को कसकर पकड़ कर अपनी कमर को एक धक्का दिया।
मधु- आअह्ह ह्ह्हाआ आआ…
इस बार जरा जोर से सिसकारी क्योंकि धक्का थोड़ा जोर से लग गया था।
मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी कोमल सी बुर को चीरता हुआ अंदर चला गया था और कमाल तो तब हो गया जब मेरा पूरा लण्ड मधु की बुर में बिना किसी रुकावट के चला गया।
अगले दो ही प्रयासों में मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी बुर में डाल दिया, मधु ने कोई ज्यादा विरोध नहीं किया, उसने बहुत प्यार से मेरा पूरा लण्ड ग्रहण कर लिया।
CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All