आपी ने मुझको रोकते हुए कहा- "सगीर तुम नीचे आ जाओ, मैं तुम्हारे ऊपर बैठ कर चुदवाना चाहती हूं"
मैं आपी की बात मानकर उनके ऊपर से हटकर बेड पर लेट गया और आपी मेरे लंड के ऊपर चढ़ गईं।
आपी ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत की फांकों में रगड़ा और फंसा लिया था। उसी वक्त मैंने अपने कूल्हे उठाकर एक करारा धक्का चूत में दे दिया और लंड अन्दर तक घुसता चला गया।
मैं कूल्हे उठा उठाकर आपी को चोदने लगा। थोड़ी देर बाद आपी भी उछल उछलकर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं।
वे जोर जोर से सिसकारियां निकालती हुई कहने लगीं- “आह … और जोर से चोद मेरे भाई … चूत में बड़ा मज़ा आ रहा है और जोर से चोद बहनचोद … पेल बहन के लौड़े!”
मैंने आपी को टोकते हुए कहा- “आपी आप तो गाली बकने लगीं!”
आपी शर्माती हुई बोलीं- “मैंने कब बकी गाली … तुम झूठ बोल रहे हो!”
इतने में फरहान भी बोल उठा- “हां आपी, आपने अभी गाली बकी थी. आप भाईजान से बहनचोद कह रही थीं”
हनी भी फरहान की हां में हां मिलाती हुई बोली- “आपी आपने गाली बकी है, तो मान लो न!”
आपी झुंझलाती हुई बोली- “हां मैंने बकी है गाली … कौन मेरा क्या करेगा!”
मैंने कहा- “आपी आपका कोई क्या बिगाड़ सकता है. पर आपके गाली बकने से मुझमें और जोश आ रहा है. चलो आप गाली बकती रहो”
आपी ने कहा- “ठीक है, तुम कह रहे हो तो बक रही हूं … तू रुक क्यों गया भोसड़ी के … जोर से चोद न मां के लौड़े … चोद डाल अपनी बहन को … आह और जोर से मादरचोद… बहनचोद…”
यही सब गालियां बकती हुई आपी और जोर जोर से उछल कर चुदने लगीं।
आपी के मुँह से गाली सुनना मुझे अच्छा लगा। मैं और ताकत से चूत में धक्के लगाने लगा. मेरी तरह ही फरहान हनी को चोद रहा था और हनी भी फरहान को गाली बक रही थी।
पूरे कमरे में बस फच फच और आपी और हनी की सिसकारियां और गालियों की आवाज गूंज रही थी। हम चारों बीस मिनट तक ऐसे ही चुदाई करते रहे।
फिर फरहान हनी की चूत में झड़ गया और उसके थोड़ी देर बाद मैं भी आपी की चूत में झड़ गया। आपी और हनी की चूत मेरे और फरहान के वीर्य से भर गई।
जोरदार चुदाई के बाद आपी निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गईं और हनी फरहान के ऊपर गिर गई। हम चारों बहन भाई कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे।
फिर आपी उठीं…
उन्होंने पहले मेरे झुके हुए लंड का सुपारा नीचे किया और मेरा लंड चूसने लगीं।
वे कहने लगीं- “सगीर, तुम्हारे लंड का स्वाद बहुत अच्छा है”
उधर हनी भी फरहान के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी थी। दोनों लड़कियों ने हमारे मुरझाए हुए लौड़े खड़े कर दिए।
मैं आपी की चूत पर अपना लंड लगाने लगा।
पर आपी ने मुझे रोक कर कहा- “मैं अब फरहान से चुदना चाहूँगी. तुम हनी को चोद लो”
फिर आपी ने हनी को मेरी तरफ कर दिया और खुद फरहान की तरफ जाकर उसका लंड अपनी चूत में लगा कर चुदने लगीं। मैंने हनी को लेटाकर उसकी चूत में अपना लंड सैट कर दिया और उसे चोदने लगा। हम चारों ने एक एक राउंड चुदाई और की उसके बाद हम चारों भाई बहन ऐसे ही नंगे सो गए।
सुबह मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि हनी मेरे लंड पर अपना थूक लगा कर उससे चिकना करके अपने मुँह में ले रही थी। मैंने आपी की तरफ देखा तो फरहान आपी की चूत चाट रहा था। आपी नींद में ही सिसकारियां निकालने लगी थीं।
मैंने आपी को जगाया, तो आपी ने कहा- “क्या हुआ सगीर?”
मैंने कहा- “देखो रूही आपी, हमारे दोनों छोटे भाई बहन कैसे हमारे लंड और चूत को चाट और चूस रही हैं”
आपी ने फरहान की तरफ देख कर कहा- “हां फरहान ऐसे ही करो, मजा आ रहा है”
वे मेरा मुँह अपनी तरफ़ करके मुझे किस करने लगीं, तो मैं भी आपी को किस करने लगा।
मैने आपी की चूत सहलाते हुए बात आगे बढ़ाई, “आपी एक दिन गुज़र गया, परसों अम्मी अब्बू वापस आ जाएँगे. आप और हनी एक वादा करो कि मैं और फरहान जो कुछ भी जैसे भी करना चाहें आप दोनों मना नहीं करोगे, चुदाई में किंतु परंतु बॅट लेकिन नहीं चलता, बस जैसा करने से दिल और दिमाग़ को सुकून मिले वही करना चाहिए”
"आख़िर तुम कहना क्या चाहते हो सग़ीर?" -आपी ने मेरी तरफ चेहरा घुमा कर पूछा.
"आपका बार बार फरहान को उसकी मन की करने से रोक देना, मुझे अपने हिसाब से डाइरेक्सन देते हुए चुदाई करवाना... आपी अब इसमें मज़ा नहीं आ रहा"
"तो क्या चाहते हो तुम?" -आपी ने फिर से पूछा।
"मैं चाहता हूँ कि आज तक जैसा आपने कहा ठीक उसी तरह मैं और फरहान करते आए, अब इसी वक़्त से आप वादा करो कि हम दोनों को अपने मन की करने से नहीं रोकोगी" -मैं अपने शैतानी दिमाग़ में जाल बुनता हुआ बोला।
"ठीक है, अब से दो दिन तक तुम दोनों पूरी तरह अपनी मनमानी करने को फ्री हो, पर थोड़ा हनी का ख्याल रखना, बेचारी अभी तुम दोनों का वहशीपन झेलने के लायक नहीं है" -आपी ने अपनी रज़ामंदी देते हुए कहा।
तभी फरहान बीच में टपक पड़ा, "ये हनी जो भाईजान के लॅंड से कल हचक के चुदी है, इसे आप नाज़ुक कह रहे हो? ये तो माशाअल्लाह अब गधे के लॅंड से भी चुद जाएगी"
यह सुनकर हनी ने उसकी पीठ में एक धौल जमा दी परंतु मेरे शैतानी दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था।
मैने आपी को किस करते हुए कुतिया बनने को बोला, वो बिना मेरे मंसूबों को समझे पलट कर अपने चूतड़ उचका दीं. मैं उनके पीछे आया और चूत पर लॅंड टिका कर पेल दिया। थोड़ी देर तक चोदने के बाद मैने अपने दोनो हाथ से उनके चूतड़ चीर दिए। वैसे ही उनकी गाँड़ का छेद उभर कर ऊपर आ गया। मैने बिना देर किए उनकी गाँड़ में थूक दिया जिसे वो चुदाई की मस्ती में महसूस नहीं कर पाईं।
अपने अंगूठे से थूक को उनके गुलाबी छेद पर मलते हुए मैने धीरे से गाँ ड़ में घुसा दिया। आपी ने चिहुँक कर पीछे देखा, "ये क्या कर रहा है?"
"आपी! आपने वादा किया है कि आप मुझे और फरहान को किसी भी तरह रोकेंगीं नहीं" मैने अपना अंगूठा उनकी गाँ ड़ में अंदर बाहर करते हुए कहा।
"हाँ... आं...पर...?"
"नही आपी! अब आप वादा ख़िलाफी कर रहीं हैं"
"वो सब ठीक है... पर सग़ीर, मैने गाँड़ मरवाने का वादा तो नहीं किया था"
अंगूठा करते करते आपी की गाँड़ कुछ मुलायम होकर खुलने लगी थी, मैने फिर से ढ़ेर सा थूक उनकी गाँड़ में थूक कर अब अंगूठा निकाल कर दो उंगली घुसेड दीं।
"मान जाओ सग़ीर... मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ... मेरी गाँड़ तुम्हारा ये लॅंड बर्दाश्त नहीं कर पाएगी"
"कुछ नहीं होगा आपी, याद करो, चूत मरवाने से पहले आप कितना मना करतीं थीं फिर चुदने में मज़ा आया या नहीं?"
हनी और फरहान आपी की गाँड़ मारने की बात सुनकर उठ कर गौर से देख रहे थे। मैने फरहान से कहा, "जैसा मैं आपी के साथ कर रहा हूँ वैसे वैसे ही तू हनी के साथ कर लेकिन खबरदार जो हनी को कोई तक़लीफ़ हुई तो?"
फरहान ने हामी भरते हुए फुर्ती से हनी की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ घुमा लिया। हनी ने आपी की तरफ पूछने वाली निगाह से देखा।
"अब कुछ नहीं हो सकता हनी और फिर ये दोनो कमीने एक न एक दिन हमारी गाँड़ मारेंगे ज़रूर तो आज इन्हें अपने मन की कर लेने दो" -आपी ने हथियार डालते हुए कहा।
"आपी! दर्द तो नहीं होगा ना?" -हनी ने फरहान के आगे अपनी गाँड़ उठाते हुए कहा।
"क्या तू भी, बायो की स्टूडेंट होकर ऐसी बात करती है... चूत में तो झिल्ली फटती है तो दर्द होता है, गाँड़ में कौन सी झिल्ली फटनी है... और तू सुबह सुबह जब पॉटी करती है तो वो कम मोटे होते हैं क्या? -फरहान उसकी गाँड़ में थूक लगा कर उंगली से रवाँ करता हुआ ज्ञान पेलता बोला।
आपी की गाँड़ में अब मेरी दो उंगलियाँ सटासॅट अंदर बाहर हो रहीं थीं, अब मैने उनकी गाँड़ मे फिर थूक कर आपी की चूत से उनके रस से भीगा लॅंड उनकी गाँड़ पर टिका दिया।
अपनी गाँड़ पर लॅंड को महसूस करके आपी का शरीर काँप गया पर वो कुछ भी बोल नहीं रहीं थीं।
"सग़ीर! मेरी जान, बहुत आराम से करना मेरे भाई..." -आपी ने काँपती आवाज़ में कहा।
"आप बिल्कुल परेशान न हो मेरी जान, आख़िर आप मेरी आपी हो, मैं आपको तक़लीफ़ कैसे दे सकता हूँ" -मैने उनकी गाँड़ पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा।
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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