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Adultery चित्रा और मैं (जिस्मो की आग)
#9
बहुत बोर होती हूँ अकेली यहाँ घर पर तुम्हारे कॉलेज चले जाने के बाद। यहाँ कोई दोस्त भी तो नहीं है आस-पास में, समझ नहीं आता कि दिन कैसे काटूँ?” तो मैंने पूछा “आप अपने घर पर खाली समय में क्या करती थीं?” वोह बोली कि “वहां अपनी बहनों और सहेलियों से गप लड़ाती थी, या उनके साथ घूमने निकल जाती थी।” मैंने कहा कि ‘यह समस्या तो है, लेकिन इसमें मैं क्या मदद करूं?”
चित्रा बोली कि “वह सोच के बताएगी और पूछा कि मैं कॉलेज मे़ अपने दोस्तों के साथ किस टॉपिक पर अक्सर बातें करता हूँ?” अब मेरी बारी थी सोच में पड़ने की, लेकिन बहुत हिम्मत करके बोल ही पड़ा मैं: “हम लड़के लोग तो ज़्यादातर कुछ एडल्ट टॉपिक्स पर बातें ही करते हैं, या फिर कभी क्रिकेट, टेनिस या फुटबॉल के मैच चल रहे होते हैं तो उनके बारे में बातें होती हैं।”
साफ़ दिखाई दे रहा था कि चित्रा की आँखों में मेरे जवाब से अचानक एक चमक सी आ गयी थी। उसने अपनी कुर्सी थोड़ी मेरे पास खिसकाते हुए कहा “थोड़ा खुल कर बताओ ना-एडल्ट टॉपिक्स पर बातें मतलब? क्या बताते या पूछते हो?” मैंने टालते हुए कहा “में आपको ऐसी-वैसी बातें जो मेरे दोस्त लोग करते हैं कैसे बताऊँ?आप कहीं मुझसे पूछ कर मेरे बताने से मम्मी से मेरी शिकायत तो नहीं कर दोगी?”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चित्रा और मैं (जिस्मो की आग) - by neerathemall - 27-04-2024, 12:52 AM



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