यह सुनकर फरहान का मुँह सूख गया, वो लगभग चिल्लाते हुए बोला, "बहन की लौंडी, पहले नहीं बोल सकती थी... भाईजान आप कुछ करो ना वरना मेरा क्या होगा, आपके लिए चोदने को तो आपी हैं, मैं क्या फिर से मुठ मारूँगा"
"घबराओ नहीं, मैं हनी को दवा दे दूँगा जिससे ये भी चुदने लायक हो जाएगी" -मैने फरहान को तसल्ली देते हुए कहा.
यह सुनकर फरहान के चेहरे पर थोड़ा सुकून दिखाई दिया.
आधा घंटा बाद आपी ने आवाज लगाई- "चलो खाना बन चुका है, सभी हाथ मुँह धोकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाओ"
हम तीनों उठे और हाथ मुँह धोकर खाना खाने बैठ गए.
आपी ने खाना लगा दिया और हम सभी ने मस्ती मजाक करते हुए खाना खाया.
खाने के बाद मैंने आपी से कहा- "अब बताओ रात का क्या प्लान है मेरी हॉट और सेक्सी आपी जान!"
आपी को मेरे मुँह से अपने लिए हॉट और सेक्सी सुनकर अच्छा लगा.
उन्होंने शर्माते हुए कहा- "तुम और फरहान अपने कमरे में जाओ, फिर पता चलेगा कि क्या प्लान है"
फरहान ने कहा- "क्या प्लान है आपी … प्लीज बताओ ना!"
हनी ने फरहान से कहा- "आपी ने कहा ना … कमरे जाकर पता चल जाएगा तो चुपचाप कमरे में चले जाओ"
फरहान कुछ कहने वाला ही था कि मैंने उसे रोकते हुए इशारा किया और खुद कमरे की तरफ चलने लगा.
तो फरहान भी मेरे पीछे आ गया और कहने लगा- "भाईजान आपने कुछ कहने क्यों नहीं दिया?"
मैंने कहा- "पागल, आपी हमको सरप्राइज देना चाहती हैं, इसी लिए तो मैंने भी कुछ नहीं कहा और तुम्हें भी रोक दिया"
मैं और फरहान बिस्तर पर लेट गए.
इतने में आपी और हनी कमरे के अन्दर आईं.
हनी और आपी को देखकर फरहान और मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
आपी ने सफेद और गोल्डन मिक्स कलर का लहंगा पहना था और उनका ब्लाउज बड़े गले का था.
उसमें से आपी की आधी चूचियों दिखाई दे रही थीं और उनका ब्लाउज पीठ पर केवल दो डोरियों से बंधा हुआ था.
ऐसे ही हनी ने भी लंहगा चोली पहना था लेकिन उसके लहंगे का रंग लाल था.
आपी और हनी घूम घूम कर अपने लहंगे दिखाने लगीं.
तब आपी और हनी के हुस्न को देखकर फरहान और मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने आपी को पकड़ कर अपनी बांहों में भर लिया और हनी को फरहान ने अपनी बांहों में भर लिया.
आपी को अपनी बांहों में भर कर मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और आपी भी मेरे होंठों को चूसने लगीं.
फरहान हनी का ब्लाउज खोलने लगा पर उससे हनी का ब्लाउज नहीं खुल पा रहा था.
वह गुस्से में कहने लगा- “बहन का लौड़ा! ब्लाउज खुल ही नहीं रहा है”
आपी ने किस छोड़कर फरहान और हनी की तरफ देखा.
तब आपी फरहान को डांटती हुई बोलीं- "थोड़ी सी देर का सब्र नहीं होता है, हमेशा जल्दी में रहेगा … सेक्स भी आराम से नहीं होता क्या!"
आपी ने हनी का ब्लाउज खोला और कहा- "ले चूस ले हवशी अपनी बहन के मम्मों को!"
फरहान आपी की डांट से जरा खिसिया गया और वह हनी की तरफ आराम से बढ़कर बड़े प्यार से उसके रसीले मम्मों को चूसने लगा.
आपी मेरी तरफ आईं.
आपी के करीब आते ही मैं फिर से आपी पर टूट पड़ा और उनको बेड पर गिरा लिया.
मैं भी आपी का ब्लाउज खोलने लगा.
मुझे जल्दी बाजी करते देख आपी ने कहा- "तुमको क्या हुआ सगीर … रोज तो तुम भी आराम से करते थे, आज क्या तुम भी फरहान बने रहे हो?"
मैंने कहा- "आपी, आपको इससे लहंगे में देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा"
आपी का ब्लाउज खोलकर में उनके एक दूध को चूसने लगा और दूसरे को मसलने लगा.
तो वे भी मेरे लंड को मेरी पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं.
आपी ने मेरे लंड को पैंट से बाहर निकाल लिया और मुझे सीधा लिटा कर मेरे लंड को मुँह में लेने लगीं.
जैसे ही आपी ने मेरा लंड अपने मुँह में घुसाया, मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं उनके मुँह को ही चूत समझ कर पूरे वेग से चोदने लगा.
मेरा लंड आपी के गले तक जा रहा था.
हालांकि आपी मेरे लौड़े को काफी अन्दर तक ले लेती थीं लेकिन आज मेरी हवश के आगे उनको तकलीफ़ भी होने लगी थी.
यही एक बात मेरी आपी के अन्दर खुश कर देने वाली थी कि वे मेरी खुशी के लिए मेरा लंड चुपचाप चूसे जा रही थीं.
उनकी आंखों से आंसू तक निकलने लगे थे लेकिन उन्होंने एक बार भी नहीं रोका.
आपी के आंसू को देखकर मैंने लंड के झटके रोकते हुए आपी से कहा- "रूही आपी, अब आप रहने दो … कितना प्यार करती हैं आप मुझे … चलिए अब मैं आपकी चूत चाटूंगा"
मैंने आपी को चित लेटाया और उनके लहंगे को उतार दिया.
आपी ने आज पैंटी पहनी ही नहीं थी.
उनकी रसीली चूत पानी पानी हुई पड़ी थी.
मैंने उनकी टांगों में अपना मुँह घुसेड़ा और आपी की चूत के दाने को अपनी जीभ से कुरेदने लगा.
वे सिहरने लगीं और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं- "आह चाट ले न … क्या गुदगुदी कर रहा है!"
यह सुनते ही मैंने आपी की चूत के दाने को अपने दांतों से पकड़ा और हल्के से काटने लगा; दाने को दांतों से पकड़ कर खींचने लगा.
आपी की जान हलक में आ गई; वे जोर जोर से सिसकारियां निकालने लगीं.
मैं उनकी चूत की फांकों को भर भर कर चाटने लगा.
थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा.
इस बीच आपी दो बार झड़ चुकी थीं लेकिन वे अभी भी मेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ रही थीं.
आज शायद आपी कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थीं, ऐसा न जाने आपी ने क्या खा लिया था.
मैंने आपी की चूत में अपना लंड डाला और आपी को पूरी ताकत से चोदने लगा.
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All

