फिर मैंने फरहान से कहा- “आपी के प्यारे प्यारे मम्मों को आराम से चूसना। आपी के इन दोनों मम्मों पर हम दोनों भाई का ही तो हक है!”
आपी ने मुझे रोकते हुए कहा- “मेरे बूब्स क्या! मेरी चूत, मेरी गांड, मेरे पूरे बदन पर मेरे दोनों प्यारे प्यारे छोटे भाइयों का ही हक है। तुम दोनों को मेरे साथ जो भी करना हो, वह करो लेकिन आराम से!”
आपी ने फरहान को गले लगा कर कहा- “चल, अब आराम से चूस मेरी चूचियों को और मेरी चूत में खुजली भी होने लगी है इसमें में भी उंगली कर!”
आपी के इतने कहते ही फरहान के चेहरे पर मुस्कान आ गई और फरहान मेरे लंड को छोड़ कर आपी की चूत में उंगली करने लगा। अब आपी ने मेरा लंड को अपने हाथों से पकड़ा और मेरी मुट्ठी मारने लगीं।
उन्होंने जोर जोर से सिसकारियां ले हुए मुझसे कहा- “सगीर … मेरे सोहने भाई मुझे किस कर!”
मैं आपी को किस करने लगा। दस मिनट तक हम तीनों भाई बहन ऐसे ही लगे रहे। अचानक से मुझे हनी का ख्याल आया। मैंने आपी को किस करना रोक दिया और आपी का हाथ अपने लंड से हटा लिया।
मैं सोफे से उठकर वहां से जाने लगा तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए पूछा- “क्या हुआ सगीर … कहां जा रहा है?”
मैंने आपी से कहा- “आपी जान, मैं हनी को लेने उसके कमरे में जा रहा हूं”
आपी ने मुझसे कहा- “ठीक है सगीर लेकिन हनी की मर्जी हो, तभी उसे यहां लेकर आना”
मैंने कहा- “ठीक है आपी”
मैं हनी को बुलाने चला गया।
आपी ने फरहान से कहा- “चल फरहान, अब खड़ा हो जा… और मेरी चूत में अपना लंड डाल दे”
फरहान उठा और उसने पोजीशन बना कर आपी की चूत में अपना लंड डाल दिया।
वह पूरे दम से आपी की चूत मारने लगा और आपी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां निकालने लगीं- “ओह आह हहहा आआह ईई … और जोर से फरहानन … आह और जोर से”
इधर मैंने हनी के कमरे में जाकर देखा कि हनी अपनी आंखें बंद करके आपी की चुदाई की सिसकारियां सुन कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी।
मैं उसके पास गया और उसकी चूत पर हाथ रख कर मैंने उससे कहा- “हनी … चल मेरी प्यारी छोटी बहना… बड़ी बहन के साथ तेरी भी चूत की खुजली मिटा देते हैं। तू यह सब बाहर ही कर लेना और देखना कि फरहान के लंड से आपी कितने मजे ले रही हैं, चल बाहर!”
हनी ना नुकरर करने लगी।
मेरे थोड़ा समझाने के बाद वह मान गई और मुझसे कहने लगी- “मेरी एक शर्त है कि भाईजान आप मुझे अपनी बांहों में उठा कर ही बाहर ले चलें”
मैं सोचने लगा कि हनी तो बड़ी जल्दी खुल गई जबकि आपी को मेरे साथ खुलने में बहुत समय लगा था।
मुझे सोचते देख कर हनी ने कहा- “क्या हुआ भाईजान?”
मैंने सोचना छोड़ा और हनी को गोदी में उठा कर बाहर ले आया। बाहर पड़े दीवान पर उसे लिटा दिया। हनी अपनी चड्डी और लेगिंग पहले से ही घुटनों तक किए अपनी चूत सहला रही थी, जिन्हें मैने टाँगों से खींचकर अलग कर दिया फिर उसे हाथ पकड़ कर उसकी कुर्ती भी निकाल दी. कुर्ती उतरते ही उसने अपनी ब्रा खुद ही उतार कर फेंक दी और पूरी नंगी होकर मस्त अंगड़ाई लेकर मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी।
वो कमरे में बहुत देर से अपनी चूत सहला रही थी जिससे उसकी फुद्दी पहले से फड़फड़ा रही थी ऊपर से मुझे आपी का भी डर था कि पता नहीं वो कब फरहान को इधर भेज कर मुझे अपनी चूत चोदने को बुला लें इसलिए मैं बिना वक़्त बर्बाद किए फटाफट अपने कपड़े उतार कर हनी को चोदने के लिए नंगा हो गया.
फरहान आपी की चूत मार रहा था और वह काफी तेज गति से झटका दे रहा था। उसके नीचे आपी अपनी आंख बंद करके जोर जोर से कराह रही थीं और चीख रही थीं- “आहहहह उउ ईई फरहान … रगड़ दे मुझे आह!”
मैं आपी और फरहान को चुदाई करते देख हनी की चूत में उंगली करने लगा। मुझे मालूम था कि मेरा लॅंड फरहान से लंबाई और मोटाई में सवाया था जिससे हनी को चुदने में तक़लीफ़ होने वाली थी जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था। मैं धीरे धीरे हनी की चूत में उंगली को आगे पीछे करने लगा। उसकी चुत पहले से ही गीली थी पर अभी बहुत कसी हुई थी.
थोड़ी देर बाद मैं जोर जोर से उंगली करने लगा उससे हनी जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी। हनी की कामुक सिसकारियां सुनकर आपी ने अपनी आंख खोलकर हनी की तरफ देखा।
आपी ने कहा- “आ गई तू?”
फिर उन्होंने फरहान से कहा- “फरहान, मुझे छोड़ और हनी की चूत में अपना लंड घुसा दे”
आपी ने मेरी तरफ इशारा करके कहा- “सगीर, तुम मेरे पास आ जाओ और मेरी चूत रगड़ो”
मैंने आपी से कहा- “लेकिन आपी, मैं तो हनी की चूत मारना चाहता हूं, मैंने अब तक हनी की चूत नहीं मारी है। आपकी तो सुबह ही मारी थी!”
आपी ने मेरी इच्छा समझते हुए कहा- “चल ठीक है… फरहान तुम मेरी चूत मारते रहो”
मैंने हनी की चूत में से अपनी उंगली निकाल ली और लंड को हनी की चूत पर लगाने लगा.
इतने में आपी बोल उठीं- “सगीर हनी की चुत थोड़े आराम से मारना। तुम्हारे लंड से तो मेरी चूत को ही बहुत दर्द होता है। हनी की चूत तो अभी नाजुक है … आराम से करना”
मैंने कहा- “ठीक है आपी”
मैने अपने सुपाड़े को हनी की चूत की दोनो फांकों के बीच में रगड़ना शुरू कर दिया, अब तो हनी ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेकर बड़बड़ाने लगी, "जी भाईजान... ऐसे ही... बहुत मज़ा आ रहा है... हाय अल्ला... भाईजान अब पेल दो अपने लॅंड को मेरी चूत में... अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा... पेलो ना भाईजान... प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज़..."
मैं धीरे धीरे हनी की चूत में अपना लंड फंसाने लगा। पहले मैंने हनी की चुत में हल्के से जोर लगाया और मेरा तीन इंच लंड हनी की चूत में घुस गया। हनी दर्द से कराह उठी।
मैंने ऐसे ही अपना लंड हनी की चूत में रोक दिया और उसके होंठों को चूमने लगा साथ ही उसकी चूचियों को हाथ से मसलने लगा। थोड़ी देर में उसकी चूचियों को मसलने और उसके होंठों को चूसने के साथ, मैं फिर धीरे धीरे अपना लंड हनी की चुत में हिलाने लगा।
वह फिर से सिसकारियां लेने लगी लेकिन मेरा मुँह उसके मुँह को चूस रहा था तो उसकी सिसकारियां बाहर सुनाई नहीं दे रही थीं। अचानक मैने जोश में आकर एक झटके में पूरा लॅंड हनी की चूत में ठोंक दिया.
हनी की मुँह से चीख निकलने वाली थी कि मैने अपने लॅंड को उसकी बच्चे दानी पर महसूस करते हुए वहीं रोक कर उसके होठों से अपने होंठ चिपका दिए। वो 'गून्न...गुन्न...उम्म्म्म...' करती हुई मेरे नीचे छटपटाने लगी पर इतना आगे बढ़ने के बाद वापस लौटना मेरी फ़ितरत में नहीं था। मैं उसे अपने नीचे दबाए उसके होंठ चूसते हुए चूचियाँ मसलता रहा। उसकी गोरी गोरी चूचियाँ मेरे मसलने से लाल पड़ गई थीं।
थोड़ी देर बाद उसने मचलना बंद कर दिया और नीचे से धीरे धीरे अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए। मैने हल्के से लॅंड को बाहर खींच कर फिर पेल दिया। इस बार हनी बिल्कुल भी नहीं कसमसाई. मैं बेखौफ़ होकर उसे चोदने लगा। उसी दौरान आपी जोर से कराह उठीं और उनका पूरा शरीर स्खलन के कारण अकड़ने लगा। जल्दी ही आपी झड़ गई और निढाल होकर लेटी रहीं.
थोड़ी देर बाद ही फरहान भी झड़ने लगा और उसने अपने लंड का सारा माल आपी की चूत में छोड़ दिया। वह भी निढाल होकर आपी के ऊपर ही गिर कर लेट गया और आपी के मम्मों को चूमने लगा। आपी और फरहान को झड़ता देख, मैंने हनी की चूत में लंड के झटके तेज कर दिए और जोर जोर से हनी को चोदने लगा।
हनी जोर से सिसकारियां निकलने लगी- “आआह… आआह… उईई ईई… आपीईई… मैं मर गईई…!”
आपी ने आंख खोल कर हनी को देखा और फिर आंखें मूँद लीं। मुझे पता नहीं क्या हो गया था, मैं बिना हनी की चीखों की परवाह किए उसे भकाभक चोदे जा रहा था जबकि वो अब गिड़गिडाना शुरू कर दी थी। मैं सुपाड़े तक लॅंड बाहर खींच कर उसकी चूत में एक झटके में पेलता हुआ चोद रहा था। हर ठोकर के साथ मेरा लॅंड सीधा उसकी बच्चे दानी पर चोट कर रहा था। मुझे पता नहीं क्या हो गया था कि मैं बिना रहम खाए उसकी चूत फाड़ने में लगा था।
"ओ... भाईजान... अब... छोड़... दो..., बहुत... दर्द... हो... रहा... है, प्लीज़... फाड़ दी मेरी चूत आपने... भाईजान... बू...हू...हू..."
मैं दस मिनट तक हनी को चोदता रहा और हनी चीखती रही।
इस दौरान हनी तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं हनी को चोदने में लगा रहा। आपी ने दो चार बार मेरी तरफ आँख खोल कर देखा भी पर वो कुछ बोलीं नहीं, फरहान भी हैरत से मुँह फाड़ कर मेरी इस चुदाई को देख रहा था.
शायद आपी सोच रहीं थीं कि हनी को एक न एक दिन ये दर्द झेलना ही था, मेरे लॅंड से जिस दिन भी वो चुदती इतनी ही तक़लीफ़ होनी थी।
अचानक मेरे लॅंड की नसें तनने लगीं, ऐसा लगा पूरे बदन का लहू मेरे लॅंड में इकठ्ठा हो रहा है।
थोड़ी देर बाद ही मेरे लॅंड ने हनी की चूत में पिचकारी छोड़ना शुरू कर दी, मैं अपना लॅंड उसकी बच्चे दानी पर टिका कर झड़ता चला गया और निढाल होकर उससे लिपट गया।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All

