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Adultery रंगीली बीबी
Heart 
उसका शरीर उसके मन के विचारों से बगावत कर रहा है, वो बुरी तरह काँप रही थी। मैं अगर इस समय उसको चोदना चाहता तो वो बिल्कुल भी मना नहीं करती।

पर बाद में उसको ग्लानि हो सकती थी इसलिए मैं उसके साथ सेक्स नहीं बल्कि उसके विचारों को बदलना चाहता था। रोज़ी मेरी ऑफिस की मेज पर अधलेटी मेरे बाहों में बंधी थी, मेरा एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे और दूसरा उसके पेट पर रखा था।

पेट वाले हाथ से मैं हल्के हल्के गुदगुदी कर रहा थाजिससे उसकी साड़ी सिमट गई थी, अब मेरा हाथ उसके नंगे पेट पर रखा था। मैं बहुत धीरे धीरे उस हाथ को उसके पेट पर फिसला रहा था, रोज़ी की साँसें बहुत तेज-तेज चल रही थी, उसके वक्ष के उभार तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे।

मैं अपना चेहरा उसके पास ले गया और उसके गालों से अपने होंठों को चिपका दिया।

अचानक उसने अपनी गर्दन को मेरी ओर घुमाया। यही वो क्षण थे जब उसके लाल, कांपते हुए लबों से मेरे होंठ जुड़ गए।

शायद उसके बदन की जरूरत ने उसके संकीर्ण विचारों पर पूर्ण विराम लगा दिया था और वो भी अब मस्ती में डूब जाना चाहती थी। अब वो हर पल का पूरा लुफ्त उठाना चाहती थी।

मैं दस मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा, इस बीच हम दोनों की जीभ ने भी पूरी कुश्ती लड़ी। मैं लगातार उसके पेट को सहलाते हुए अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही उसके बेशकीमती खजाने, रोज़ी की चूत के ऊपर ले गया और साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया।

बिल्कुल ऐसा लगा जैसे नंगी चूत ही हाथ में आ गई हो। रोज़ी की साड़ी और पेटीकोट इतने पतले थे कि नंगी चूत का अहसास हो रहा था, ऊपर से उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी।

मैं मस्ती के साथ उसकी चूत को मसलने लगा।

अब रोज़ी के मुख से मजेदार सिसकारियाँ निकलने लगी- “अह्ह्हाआआ पुच अह्हाआआ… अह्ह्हाआआ पुच अह्हाआआआ पुच… अहआ पुच अह्हाआआआ पुच …”

अब मुझे लगने लगा था कि रोज़ी अपनी चूत को दिखाने के लिए मना नहीं करेगी, अब वो अपनी चूत को नंगी करने को तैयार हो जाएगी, मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए ही कहा- “हाँ तो अब क्या सोचती हो जानेमन? अब तो अपनी बुर को साफ़ कराने को तैयार हो? अगर महारानी जी की इजाजत हो तो इस परदे को हटाऊँ?”

मैंने रोज़ी की साड़ी को पकड़ते हुए पूछा।

रोज़ी की जिस गुलाबी चूत को इतने नजदीक से देखने के लिए मैं मर रहा था, उस कोमल चूत को देखने और छूने का समय आ गया था।

रोज़ी अब मेरी किसी भी हरकत का खुलकर विरोध नहीं कर रही थी, जो भी थोड़ा बहुत ना-नुकुर या फिर इधर उधर वो कर रही थी, वो उसकी नारी सुलभ लज़्ज़ा थी या फिर पहली बार किसी बाहरी पुरुष के इतने नजदीक जाने का अहसास।

लेकिन यह निश्चित था कि यह सब छेड़खानी उसको बहुत ज्यादा भा रही थी। उसकी महकती हुई, मचलती हुई जवानी मेरी बाहों में थी और मुझे ज़माने भर का सुख दे रही थी।

उसकी पतली साड़ी के ऊपर से मैंने रोज़ी की चूची, चूत और चूतड़ों को खूब मसल लिया था, अब बारी इन सभी अंगों को नंगा करने की थी जिसकी शुरुआत मैंने कर दी थी।

मैंने साड़ी खोलने की बजाए पहले उसकी साड़ी को उठाकर उसके बेशकीमती खजाने, रोज़ी की कोमल सी बुर को नंगी करने की सोची। एक बार उसकी बुर अच्छी तरह गर्म हो जाए और कामरस से भर जाए, वो खुद साड़ी, पेटीकोट उतार फेंकेगी और मेरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लेगी।

मैंने बहुत अरमानों के साथ ही उसकी साड़ी का निचला सिरा पकड़ लिया और बोला- “लाओ जानेमन! अब तो इज़ाज़त दे दो, तुम्हारी बुर को अच्छी तरह साफ़ करने की”

रोज़ी- “अरे तो अभी तक आप क्या कर रहे थे? मैं तो समझी आप मेरी साफ़ ही कर रहे हैं”

मैं- “अरे, यह भी कोई साफ करना होता है? एक बार वैसे साफ करवा कर देखो फिर तो हर बार मुझे ही याद करोगी”

मैंने फिर से अपनी जीभ की नोक को हिलाकर सेक्सी इशारा किया कि कैसे अपनी जीभ से तेरी चूत को कुरेद-कुरेद कर साफ़ करूँगा।

रोज़ी के चेहरे पर अब ना बुझने वाली मुस्कान सेक्सी मुस्कान लगातार झलक रही थी।

रोज़ी- “अच्छा तो चलिए उसे भी देख लेते हैं”

मैं रोज़ी की साड़ी को नीचे से पकड़ ऊपर उठाने लगा, मेरे दिल की धड़कने लगातार बढ़ रही थी, उसकी साड़ी अभी घुटने के ऊपर ही आई थी कि रोज़ी ने कहा- “ओह! सुनिए सर, सोफे पर चलें यहाँ यह चुभ रहा है”

मैंने तुरंत अपने लण्ड की ओर देखा जो उसकी जांघ से चिपका था। मगर वह मेज से नीचे उतर अपने चूतड़ों को सहला रही थी। ओह, मतलब मेज पर कुछ चुभ रहा था उसका आशय मेरे लण्ड से नहीं था।

मैंने भी हँसते हुए उसके चूतड़ों को सहलाया- “कहाँ जान? मैं तो कुछ ओर समझा?”

वो भी मेरे लण्ड की ओर देखते हुए मुस्कुराती हुई सोफे पर चली गई। सोफ़ा बहुत अच्छी जगह था, यह शीशे वाली दीवार से लगा था। सोफे के पीछे वाला परदा हटते ही शीशे से बाहर वाले कमरे में पूरा स्टाफ काम करते हुए नजर आने लगता था, जिसका मजा में हमेशा नीलू को चोदते हुए लेता था।

रोज़ी बड़े आराम से सोफे पर अधलेटी हो गई, मैं उसके पैरों के पास बैठ गया और धीरे से उसकी साड़ी ऊपर उठाने लगा। रोज़ी ने अपनी आँखे बंद कर ली थीं वो आने वाले सुख का पूरा मजा लेना चाहती थी। इसी का फ़ायदा उठाते हुए मैंने सीसे पर से परदा हटा दिया और सारा स्टाफ मुझे दिखने लगा।

अब ऐसा लग रहा था जैसे में कहीं भीड़भाड़ या पब्लिक प्लेस में हूँ और यह सब मस्ती कर रहा हूँ।

रोज़ी की शर्म अभी भी पूरी तरह नहीं मिटी थी। उसने अपनी टाँगें ढीली नहीं छोड़ी थीं बल्कि कसकर मुझे साड़ी नहीं उठाने दे रही थी।

रोज़ी- “प्लीज, ऐसे ही कर दीजिये न साफ़, मुझे बहुत शर्म आ रही है”

उसके नखरे देख मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैंने रोज़ी को चूमते हुए सोफे पर सही से लिटा दिया, उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर उसके चेहरे पर डाल दिया।
रोज़ी- “देखिये सर, मुझे बहुत शर्म आ रही है। केवल एक बार ही, जल्दी से साफ़ कर देना फिर मैं उठ जाऊँगी। एक दो बार से ज्यादा मैं नहीं कराऊंगी, पक्का?”
मैं- “हा हा हा… अरे मैं कौन सा घंटे लगाऊँगा, बस गीलापन साफ़ करूँगा, कसम से हा हा…”

पहले उसकी शर्म को कुछ दूर करना जरूरी था। मैं सोफे के नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया। मैंने अपने होंठ रोज़ी की नाभि के ऊपर रख दिए और जीभ से चाटने लगा। अब रोज़ी मचलने लगी।

मैंने एक हाथ उसके घुटनों पर रख उसकी साड़ी को पकड़ लिया, रोज़ी के मचलने से और मेरे प्रयास से उसकी साड़ी ऊपर होने लगी और कुछ ही क्षणों में साड़ी जाँघों तक आ गई।

मैं रोज़ी के पेट को चूमते हुए ही नीचे उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा, साथ ही साथ साड़ी, पेटीकोट के साथ ऊपर उसकी कमर तक भी लाने का कार्य जारी था। और जल्दी ही साड़ी कमर तक पहुँच गई। मैं भी घूमकर अब उसकी टांगों के बीच आ गया।

वाह! कितनी चिकनी और सफ़ेद टांगें थी रोज़ी की। बिल्कुल केले के तने जैसी तराशी हुई टांगों को देखकर ही मेरा दिल बाग़-बाग़ हो गया। मैंने उसके पैरों को सहलाते हुए अपना पूरा चेहरा वहाँ रख दिया, उसके पैरों को सहलाते हुए मैं ऊपर को बढ़ने लगा।

रोज़ी बहुत कसमसा रही थी पर जैसे ही मैं उसकी जांघो तक पहुँचा, उसने खुद ही अपनी टांगों के बीच मुझे जगह दे दी।

अब मैंने उसकी दोनों टांगों को घुटने से हल्का सा मोड़ते हुए, उसकी जाँघों के अंदर वाले भाग को चूमते हुए दोनों को इतना फैला दिया कि मेरा सर सरलता से वहाँ घुस गया। अब मैं रोज़ी की चूत के बिल्कुल नजदीक पहुँच गया था। इतनी सब करने के बाद मैंने पहली बार रोज़ी की गुलाबी चूत को देखा।

कसम से मेरे लण्ड ने हल्का सा पानी छोड़ दिया। क्या चूत थी… गुलाबी तो थी ही और इस समय उसके सफ़ेद रस से भरी हुई। उसकी चूत का पानी उसके चूत के छेद और बाहर भी निकल कर चारों ओर फ़ैल गया था, वो चमक रहा था जिससे चूत की ख़ूबसूरती कई गुना बढ़ गई थी।

मैंने अपनी नाक ठीक उसके चूत के छेद पर रख उसकी मदमस्त खुशबू ली। मेरी सांस जैसे ही वहाँ पड़ी रोज़ी ने एक जोर की सिसकारी ली- “अह्ह्ह्हा आआआ आह्ह… आआअ ओह…”

उसकी साड़ी तो शायद पूरी खुल ही गई थी और पेटीकोट के साथ उसके कमर से भी ऊपर उसके पेट पर फैला था। पैरों के तलुए से लेकर पेट तक जहाँ रोज़ी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा बाँधा था, वहाँ तक पूरी नंगी वो मेरे सामने लेटी थी। उसके पैरों में घुँघरू वाली पायल लगातार बज रही थी जो बहुत खूबसूरत लग रही थी।

दोनों पैर थोड़े उठे घुटनों तक मोड़े हुए उसके चूतड़ों की गोलाई, चूतड़ों के बीच सुरमई छेद और गुलाबी दरार, उसके ऊपर गुलाबी गद्देदार, गुदगुदे, हल्के से उभरे हुए पर आपस में चिपके हुए उसकी चूत के होंठ, रोजी की कमर से नीचे के सौन्दर्य को अच्छी तरह दिखा रहे थे।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 18-02-2024, 02:17 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 19-02-2024, 10:11 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 12:42 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 06:09 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 22-02-2024, 08:58 PM
RE: रंगीली बीबी - by sri7869 - 23-02-2024, 12:54 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 25-02-2024, 05:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vamp - 26-02-2024, 04:53 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 01-03-2024, 04:19 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 02-03-2024, 11:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 06-03-2024, 06:58 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 06-03-2024, 08:05 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 10-03-2024, 02:08 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 11-03-2024, 10:33 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 02:53 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 05:54 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 18-03-2024, 09:06 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 18-03-2024, 09:29 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 19-03-2024, 07:07 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 26-03-2024, 09:25 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-03-2024, 07:28 AM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 28-03-2024, 08:26 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 31-03-2024, 10:13 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 01-04-2024, 04:26 PM
RE: रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 20-04-2024, 02:49 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 24-04-2024, 02:04 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 24-04-2024, 10:52 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-04-2024, 10:14 PM
RE: रंगीली बीबी - by Samar78 - 29-04-2024, 04:18 PM
RE: रंगीली बीबी - by Apkeliya - 20-05-2024, 10:08 AM
RE: रंगीली बीबी - by urb0nd - 23-05-2024, 02:00 PM



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