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Adultery रंगीली बीबी
रोजी के साथ ऑफिस का काम निबटाने में बहुत ही मजा आ रहा था। अब हम काफी हद तक खुल गए थे, मेरे मजाक करने और हमेशा खिलखिलाने से वो बहुत सहज हो गई थी।

फिर मैं उसके सामने ही टॉयलेट के लिए गया- “ऐ रोजी, सुनो… कल का बदला पूरा हो गया है, अब मैं शूशू करने जा रहा हूँ तो देखने की कोशिश नहीं करना ओके? हा हा हा हा…”

वो भी जोर से हंस पड़ी। मैं भी बेशर्मो की तरह दरवाजा बिना बंद किये मूतने लगा। मुझे लगा वो मुझे नहीं देखेगी पर मेरा दिल ख़ुशी के मारे उछलने लगा जब मैंने उसको तिरछी नजर से अपनी ओर देखते हुए पाया।

भले ही उसको मेरा लण्ड नहीं दिख रहा था पर खुले लण्ड का अहसास तो वो कर ही रही होगी।

इसका अहसास मुझे बाहर आते ही हो गया। रोजी बड़ी कातिल नजरों से मुझे देख रही थी और उसके लाल रक्तमय होंठों पर हल्की मुस्कान भी थी। मेरे बाहर आते ही वो भी बाथरूम की ओर बढ़ी।

मैं- “क्या हुआ? हा हा हा… मुझे देखकर लग गई या पहले से रोकी हुई थी? हा हा…”

पर रोजी ने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुझे देखते हुए ही एक मुस्कुराहट दी, वो भी कुछ गुस्से में, प्यार वाला गुस्सा!

उसके टॉयलेट जाने के बाद मैं कुछ काम करने लगा पर जैसे ही मैंने दरवाजे की ओर देखा, मेरा माथा ठनका…

अरे यह क्या?? रोजी ने दरवाजा पूरा बन्द नहीं किया था, उसने दरवाजे पर थोड़ा सा हाथ मार कर बंद किया था, मुझे दरवाजा बंद होने वाली जगह से एक झिर्री नजर आई जहाँ से रोशनी बाहर आ रही थी। अब मेरा दिल फिर से बेकाबू होने लगा कि कुछ करूँ या नहीं!

पर ऐसे तो मैं बेवकूफ कहलाऊँगा अब उसने मेरे यहाँ रहते अगर दरवाजा खुला छोड़ दिया तो कुछ तो वो भी मस्ती के मूड में थी। अब चाहे जो हो, मैंने कुछ तो शरारत करने का फैसला कर ही लिया था।

मैं जल्दी से दरवाजे के पास पहुँचा और मैंने दरवाजे पर हाथ मारते हुए ऐसे ही कहा- “अरे रोजी, तुमने दरवाजा लॉक नहीं किया?”

हाथ लगते ही दरवाजा खुल गया, सामने रोजी कमोड पर बैठी थी।

मैंने बिल्कुल सही समय पर ही दरवाजा खोला था। वो शायद अभी अभी ही मूतने बैठी थी और उसने करना शुरू कर दिया था क्योंकि उसके मूतने की शर्रर…शर्रर… की आवाज और कमोड में पेशाब गिरने की भी आवाज आ रही थी।

अब ना तो वो उठ सकती थी और ना ही कुछ कर सकती थी।

उसकी साड़ी कमर तक सिमटी थी जो उसने अपने हाथों से पकड़ी हुई थी और उसकी गोरी गोरी सफ़ेद टांगें, जो पूरी चिकनी थीं, नंगी दिख रही थी।

दरवाजे से उसकी चूत या फिर उससे निकलता मूत तो नहीं दिख रहा था परन्तु उसके नंगेपन का पता चल रहा था।

वो भौंचक्की सी मुझे देख रही थी। मैं उसको मूतते हुए देख कर हंस रहा था। जब उसकी मूतन क्रिया पूरी हुई, तब उसको कुछ होश आया।

मेरे अपने ऑफिस का बाथरूम मेरे लिए वरदान साबित हो रहा था, मेरे स्टाफ की लड़कियाँ ज्यादातर इसी का प्रयोग करती थीं, बार-बार पेशाब करने जाना, खुद को व्यवस्थित करना और कभी सैनिटरी पैड बदलना। मैं सोच रहा था कि यार क्यों ना अपने बाथरूम में कैमरा लगवा लूँ और अपना पूरा स्टाफ बदलकर प्यारी प्यारी लड़कियों को ही रख लूँ।

खैर, यह सब संभव नहीं था पर सोचकर बहुत अच्छा लग रहा था। फिलहाल मेरा ध्यान इस देसी कुड़ी, रोज़ी की ओर ही था, बहुत ही मस्त है साली।

देखने को भी मना करती है और दरवाजा भी खुला छोड़ मेरे बाथरूम में नंगी होकर बैठ जाती है, इतने प्यारे पोज़ में उसको बैठे देख मैं यह सोच रहा था कि काश यह इंडियन सीट होती तो मजा आ जाता, इसकी मक्खन जैसी चूत के दोनों खुले होंट दिख जाते। मेरा लण्ड इतना बैचेन हो गया था कि उसमें दर्द होने लगा था।

मैं उसको अपनी साड़ी कमर तक उठाये, अपने दोनों हाथों से पकड़े, उसकी चिकनी सफ़ेद टांगों को घूरता हुआ खड़ा ही था कि उसने मुझे जाने का इशारा किया।

मैं भी शराफत से एक ओर को हो गया, मैंने दरवाजा बंद नहीं किया और उसकी नजर से तो कुछ बच गया पर अपनी नजर उसी पर रखी।

हाँ, पीछे जरूर हट गया, उसने भी मेरे से नजर हटाई और खड़ी होकर एकदम से अपनी साड़ी को हाथों से छोड़ दिया, बस एक पल के लिए ही मुझे उसकी चूत के दर्शन हुए। उसने बिना मेरी ओर देखे फ़्लश चलाया और हाथ धोकर बाहर आ गई।

वो बहुत हल्के से ही मुझ पर नाराज हुई- “यह क्या करते हो सर आप? मुझे बहुत शर्म आ रही थी”

मैं- “अरे यार तुम भी ना, मैं तो केवल दरवाजा बंद करने को ही कह रहा था। हा हा… और फिर क्या हो गया अब तो हम दोस्त हो गए ना!”

रोज़ी ने कुछ नहीं कहा, जैसे उसने ये सब स्वीकार कर लिया हो।

मैंने बहुत ही प्यार से रोज़ी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- “तुम भी ना यार, इतना ज्यादा शरमाती हो। अरे यार ये सब तो नार्मल है, इसे एन्जॉय करना चाहिए”

उसने अपनी पलकें झुकाकर अपनी स्वीकृति दी।

तभी मैंने एकदम से चौंकते हुए ही कहा- “अरे रोज़ी यह क्या? तुमने मूतने के बाद अपनी योनि साफ़ नहीं की?”

मैंने जानबूझ कर ही चूत शब्द का प्रयोग नहीं किया क्योंकि मुझे पता था कि उसको अच्छा नहीं लगेगा।

उसने अपनी आँखों को हल्का सा सिकोड़ा और कुछ भौंचक्की आँखों से मुझे देखा पर मेरी बात का आशय समझते ही उसका चेहरा एक बार फिर पूरा लाल हो गया।

मैं- “अरे यार, अब इसमें क्या शरमाना… ये तो नार्मल बात ही है। क्या तुम अपनी बुर गन्दी ही रखती हो। मूतने के बाद तो साफ़ करना चाहिए ना”

रोज़ी- “जी नहीं, मैं हमेशा पानी से साफ़ करती हूँ”

मैं- “अच्छा तो आज क्यों नहीं की? एक तो कच्छी नहीं पहनी ऊपर से मूतने के बाद बुर साफ़ भी नहीं की?”

रोज़ी को अब मेरी बातों में रस आने लगा था, उसने ना तो अपना हाथ ही मेरे हाथों से छुड़ाया और ना ही कुछ विरोध कर रही थी।

रोज़ी- “जी केवल आपकी वजह से जल्दबाजी में नहीं की, आपने कैसे दरवाजा खोल दिया था हम्म्म्म??”

मैं अब जोर से हंसा- “हा हा हा… तो इसमें भी मेरे ऊपर ही इल्जाम! चलो कोई बात नहीं इसका हर्जाना भी भर देते हैं”

मैंने मेज पर सामने रखा नेपकिन पेपर उठाते हुए कहा- “लाओ जी, मैं अपने हाथ से साफ़ कर देता हूँ”

रोज़ी- “हाय राम! क्या कह रहे हैं आप सर, इस पेपर से… आप?”

मैंने उसकी बात पूरी नहीं होने दी- “अच्छा पेपर से नहीं तो फिर क्या जीभ से करूँ?”

और मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर जीभ की लम्बी नोक हिलाकर उसको दिखाया।

उसका हाथ जो मेरे हाथ में ही था, मैंने साफ़ महसूस किया उसमें जोर का कम्पन हुआ, उसने एक जोरदार झुरझुरी ली थी। इसका मतलब मेरी बातों का असर हो रहा था, रोज़ी की अन्तर्वासना की अग्नि महसूस कर रही थी और उसे बहुत मजा आ रहा था।

उसने अजीब सी आँखों से मुझे देखा, मैंने जीभ को लहराते हुए ही कहा- “अरे हाँ डियर, नीलू की भी मैं जीभ से ही साफ़ करता हूँ। उसको यह बहुत पसंद है और मुझे भी इसका स्वाद बहुत अच्छा लगता है। नीलू तो हमेशा मूतने के बाद अपनी बुर मुझसे ही साफ़ करवाती है”

रोज़ी अब कुछ नहीं कर रही थी, उसने अपना हाथ अभी तक मेरे हाथ में पकड़ा रखा था बल्कि अब तो मैं उसकी पकड़ अपने हाथ पर महसूस कर रहा था।

रोज़ी- “तो क्या नीलू आपके सामने नंगी लेट जाती है?”

मैं- “ओह, तो इसमें क्या हुआ? और क्या मैंने अभी तुमको नंगी नहीं देखा। अरे मेरी जान, इसमें क्या तुम्हारी बुर काली हो गई या मेरी आँखें ख़राब हो गई। जब दोनों को अच्छा लगा तो इसमें बुराई क्या है, बताओ?”

उसने कोई जवाब भी नहीं दिया पर कुछ कर भी नहीं रही थी, मैंने ही उसके हाथ को पकड़ अपनी मेज पर झुका दिया।

उसने कुछ नहीं कहा।

मैं- “बताओ ना जान, क्या तुम्हारी इजाजत है? क्या मैं तुम्हारी प्यारी, राजदुलारी बुर को प्यार से साफ़ कर सकता हूँ?”

रोज़ी बैचेनी भरी नजरों से मुझे देखे जा रही थी, मैंने भी उसकी साड़ी उठाने की कोई जल्दी नहीं की। रोज़ी की लाल आँखे बता रही थीं कि वो वासना की आग में जल रही है।
to be continued ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 18-02-2024, 02:17 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 19-02-2024, 10:11 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 12:42 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 20-02-2024, 06:09 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 22-02-2024, 08:58 PM
RE: रंगीली बीबी - by sri7869 - 23-02-2024, 12:54 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 25-02-2024, 05:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vamp - 26-02-2024, 04:53 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 01-03-2024, 04:19 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 02-03-2024, 11:12 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 06-03-2024, 06:58 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 06-03-2024, 08:05 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 10-03-2024, 02:08 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 11-03-2024, 10:33 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 02:53 AM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 12-03-2024, 05:54 PM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 18-03-2024, 09:06 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 18-03-2024, 09:29 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 19-03-2024, 07:07 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 26-03-2024, 09:25 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-03-2024, 07:28 AM
RE: रंगीली बीबी - by Vnice - 28-03-2024, 08:26 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 31-03-2024, 10:13 PM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 01-04-2024, 04:26 PM
RE: रंगीली बीबी - by KHANSAGEER - 19-04-2024, 06:34 PM
RE: रंगीली बीबी - by Dgparmar - 24-04-2024, 02:04 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 24-04-2024, 10:52 AM
RE: रंगीली बीबी - by saya - 28-04-2024, 10:14 PM
RE: रंगीली बीबी - by Samar78 - 29-04-2024, 04:18 PM
RE: रंगीली बीबी - by Apkeliya - 20-05-2024, 10:08 AM
RE: रंगीली बीबी - by urb0nd - 23-05-2024, 02:00 PM



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