आपी के मुँह से ‘आआहह आआअहह… आआहह आअहह...’ की आवाज़ आ रही थी। कुछ मिनट बाद ही आपी ने नीचे से अपनी गाण्ड को हिलाना चालू कर दिया तो मैं समझ गया कि आपी का दर्द कम हो गया है।
अब मैंने तेज़ी से अपने लण्ड को आपी की चूत के अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया।
आपी भी मेरा साथ दे रही थीं और मज़े से ‘ऊऊओह... ऊऊहह...’ की आवाज़ें निकाल रही थीं।
मैं ऐसे ही धक्के मारते हुए आपी के ऊपर झुक कर आपी को किस करने लगा। मैंने आपी को 5 मिनट तक इसी पोज़ में चोदा और 5 मिनट बाद लण्ड बाहर निकाल कर खड़ा हो गया।
मैंने आपी को भी बिस्तर से उठा कर खड़ा कर दिया।
आपी बोलीं- “क्या हुआ है?”
तो मैंने कहा- “आपी आज एक न्यू पोज़ ट्राई करते हैं”
मैंने आपी का मुँह अपने मुँह के सामने किया। आपी की सीधी टांग को ऊपर उठाया और अपनी कमर के साथ रख कर अपने दूसरे हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर आपी की चूत में पेल दिया। आपी की हाइट मेरे जितनी थी इसलिए लण्ड सीधा आपी की चूत में चला गया।
अब मैंने आपी की चूत में धक्के मारने चालू कर दिए। मैंने ऐसे खड़े-खड़े ही आपी को कुछ मिनट तक चोदा तभी आपी ने मुझसे कहा- “सगीर मैं छूटने वाली हूँ रुकना मत”
अब आपी की आवाज़ में तेज़ी आ गई- “उफफ्फ़ सगीर... मैं गई... ऊऊहह...”
इसी के साथ ही आपी ने पानी छोड़ दिया।
मैं भी अपनी मंज़िल के नज़दीक था। मैंने दो झटके और मारे और आपी की चूत में धारें मारने लगा।
हम दोनों ऐसे ही खड़े थे तभी अचानक फरहान की आवाज़ आई ‘आआअहह...’
उसके लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया था। सारा पानी हनी की चूत में छोड़ दिया था जो कि थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ गया और बिस्तर पर गिर गया।
हम चारों बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे।
आपी ने हनी से पूछा तो उसने कहा- “बहुत दर्द हो रहा है… इस फरहान के बच्चे ने मेरी चूत पूरी फाड़ कर रख दी आपी... बू...हू...हू..." -और यह कह कर उसने रोना शुरू कर दिया।
किसी तरह आपी ने उसे समझा बुझा कर शांत किया। इसी तरह बातें करते करते हम सो गए।
जब सुबह आँख खुली तो टाइम साढ़े 6 के करीब हो रहा था। हम सब ऐसे ही कपड़ों के बिना लेटे हुए थे। मैंने सब को उठाया और कपड़े पहनने को कहा। मैंने खुद भी मुँह हाथ धोकर कपड़े पहने और आपी को नीचे आने का कह कर मैं भी नीचे चला गया।
मैं टीवी लाउन्ज में पहुँचा तो अम्मी नाश्ता बना रही थीं और अब्बू टीवी देख रहे थे। वो दोनों नाश्ते के फ़ौरन बाद निकलने के लिए तैयार थे। मुझे बैठे हुए अभी 5 मिनट ही हुए थे कि आपी भी नीचे आ गईं और सीधा किचन में चली गईं।
अब्बू ने मुझसे कहा- “जाओ उन दोनों को भी उठा कर लाओ, उनके कॉलेज का टाइम हो रहा है”
मैंने फरहान को आवाज़ दी कि उठ जाओ तो उसने कहा- “हम तैयार हो कर आ रहे हैं”
मैं दोबारा वहीं सोफे पर बैठ गया। आपी ने नाश्ता लगाना चालू किया।
अब्बू ने आपी से कहा- “तुम आज यूनिवर्सिटी मत जाना, घर को खाली नहीं छोड़ना और सगीर तुम याद से कॉलेज से दुकान पर चले जाना”
तो मैंने कहा- “जी अब्बू…”
मैं नाश्ता करने लगा। सबने नाश्ता किया और फरहान और हनी तैयार हो कर बाहर निकल गए। मैंने सोचा कि पीछे से आपी अकेली होंगी तो कॉलेज जा कर क्या करना है।
मैं नाश्ता करके उठा और आपी के पीछे किचन में गया और आपी के पास खड़े हो कर कहा- “आपी अम्मी-अब्बू के जाते ही मैं वापिस आ जाऊँगा”
आपी ने कहा- “सगीर ध्यान से, अब्बू को शक न हो”
मैंने कहा- “आप फ़िक्र मत करो, मैं बाइक साथ ले जा रहा हूँ”
यह कह कर मैं घर से निकल गया और सीधा पास ही एक मेडिकल स्टोर पर चला गया। वहाँ से आई-पिल और टाइमिंग वाली गोलियाँ लीं और उस आदमी के साथ ही खड़े होकर बातें करने लगा। कोई 15 मिनट गुज़रने के बाद मैंने सोचा कि अब घर चलना चाहिए क्योंकि अम्मी-अब्बू निकलने के लिए बस रेडी ही थे। अब तक चले गए होंगे।
मैं वहाँ से निकला और सीधा घर चला गया। मैंने दरवाज़ा खोला और अन्दर दाखिल हो कर देखा और चैन की सांस ली कि गाड़ी नहीं थी मतलब अब्बू चले गए हुए थे।
मैं सीधा टीवी लाउन्ज में गया तो वहाँ कोई नहीं था। आपी किचन में काम कर रही थीं। मैंने आपी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया जिससे आपी एकदम चौंक गईं और मुझे डाँटने लगीं- “शर्म करो तुमने तो मुझे डरा ही दिया है”
मैंने कहा- “आपी छोड़ो ना ये काम बाद में करना, चलो ना पहले कुछ और करते हैं। आज तो घर भी कोई नहीं है। आज सारा दिन मेरे साथ गुजारो ना!”
तो आपी बोलीं- “सगीर बस दस मिनट और तुम बाहर बैठो मैं ये काम ख़त्म करके आती हूँ वरना सारा दिन पड़ा रहेगा”
मैंने कहा- “ओके, पर मैं बाहर नहीं जा रहा हूँ यहीं आपके पास खड़ा रहता हूँ”
आपी ने कहा- “तुम खड़े ना रहो, रात को दूध नहीं पिया था हमने खुद भी पियो और मुझे भी पिलाओ”
मैंने कहा- “ओके” और दूध फ्रिज से निकाला और आपी से पूछा- “आपी आप कितना पियोगी?”
आपी बोलीं- “जितना तुम चाहो उतना”
तो मैंने कहा- “और जैसे मैं चाहूँ वैसे ही पीना पड़ेगा”
आपी बोलीं- “ठीक है मैं वैसे ही पियूंगी जैसे तुम चाहोगे”
मैंने दूध जग में डाला और आधा जग भर लिया चीनी डाल कर मिक्स करने लगा।
मैंने मिक्स करते हुए आपी से कहा- “आपी अभी तो मुझे आपका दूध भी पीना है, आज बहुत दिल कर रहा है”
तो आपी बोलीं- “शरम करो, बहन हूँ मैं तुम्हारी”
और ये कह कर वे हँसने लगीं।
मैंने कहा- “आपी आप बहन के बाद मेरा प्यार भी तो हो ना और मेरी सेक्स पार्ट्नर भी हो तो इसलिए मुझे हक है”
हम दोनों हँसने लगे।
दूध में मैंने चीनी घोली और आपी से कहा- “आपी आप रेडी हो?”
तो आपी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
मैंने कहा- “ओके, फिर लो अपने होंठ लाओ इधर”
जग से मैंने एक घूँट अपने मुँह में भरा और आपी की तरफ अपना मुँह किया तो आपी ने भी अपना मुँह मेरी तरफ किया। मैंने अपने होंठ आपी के होंठों से ज़ोड़ कर खोल दिए और दूध आपी के मुँह में डालने लगा।
पूरा घूँट मैंने आपी के मुँह में डाल दिया और आपी के होंठों को चूसने लगा। आपी ने भी मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया जिससे आपी के मुँह में बचे हुए दूध की धार बाहर आपी के होंठों से होती हुई आपी के बूब्स के अन्दर जाने लगी। आपी के गर्दन गीली हो गई।
कुछ सेकेंड किस करके आपी बोलीं- “सगीर तुम पागल कर दोगे मुझे”
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All

