18-04-2024, 01:00 PM
मैं- “अरे तो मैं ऐसा क्या कर रहा हूँ? मैं तो केवल काम ही देख रहा हूँ और यह तो मेरी आदत ही है। अच्छा एक बात बताओ, आज कच्छी नहीं पहनी ना तुमने?”
रोजी बुरी तरह शरमा गई और अपनी गर्दन नीचे झुकाये हुए ही बोली- “क्या सर? आप भी ना, बहुत गंदे हैं”
मैं- “अरे नहीं भई! यकीन मानो, मेरी कोई गन्दी मनसा नहीं है। मैं जो भी करता हूँ वो कभी तुमको कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा। और यकीन मानना मैं वही सब करूँगा जिसमें तुम्हारी मर्जी होगी और तुमको अच्छा लगेगा, इसके अलावा कुछ भी नहीं करूँगा”
मैंने कसम खाने वाले अंदाज़ में कहा।
रोजी मुझे देख जोर से हंसी और अचानक उसने मेरी माथे पर चूम लिया वो फिर से वहीं मेरे पास आकर खड़ी हो गई, बोली- “आप सच बहुत अच्छे हैं”
मैं- “एक बार सही से फ़ैसला कर लो कि अच्छा हूँ या गन्दा हूँ। हा हा…”
वो भी हंसने लगी।
मैंने हंसते हुए ही उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने पास किया और उसके चेहरे को झुका उसके माथे का एक चुम्बन ले लिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया पर बोली- “अब यह क्या है?”
मैं- “जो तुमने किया, मैं कुछ अपने पास नहीं रखता बल्कि सूद समेत वापस कर देता हूँ। समझी? तुमने मुझे किस किया तो मैंने भी। जैसे कल कि बात याद है ना जब मैंने तुमको शूशू करते देखा था तो तुम्हारे सामने खुद भी दिखाया था ना?”
अब उसके चेहरे पर एक कातिल सी मुस्कान आ गई थी वो कल की तरह ही खुलने लगी थी। कभी लगता था कि उसको पटाने में समय लगेगा और कभी यह लगता था कि वो तैयार है बस साड़ी उठाओ और डाल दो लण्ड।
पर मैंने कोशिश जारी रखी उसकी एक झिझक मेरी बीवी सलोनी से भी हो सकती है।
रोजी की मस्त भरी जवानी मेरे केबिन में लहरा रही थी, उसकी प्रिंटेड साड़ी इतनी झीनी थी कि अगर वो प्लेन होती तो मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसके तराशे हुए बदन का हर कोण आसानी से नुमाया होता।
रोजी के अंदर ख्वाइशें तो बहुत थीं पर उन पर उसकी शर्म ने पर्दा डाला हुआ था इसीलिए वह खुलकर कुछ भी करने से बहुत ज्यादा ही डर रही थी। मैं उसके बारे में और सब स्थिति के बारे में सोच-सोच कर बहुत रोमांचित हो रहा था।
सलोनी अपने आप में बहुत ज्यादा मॉडर्न और खुले विचारों की लड़की थी, उसने बचपन से को-एड में पढ़ाई की थी और आधुनिक परिवेश में रही थी। वो जो कुछ भी कर रही थी केवल खुद की मस्ती और ख़ुशी के लिए, इसके अलावा उसके मन में कुछ नहीं था, वो मुझसे बहुत प्यार करती थी और मेरे लिए कुछ भी कर सकती थी।
अगर मैं उससे एक बार कह दूँ कि ये सब मुझे पसंद नहीं है तो वो यकीनन सब कुछ छोड़ देगी, उसको मेरी भी हर पसंद का बहुत ख्याल है और सेक्स को केवल कुछ समय का मजा समझती है न कि प्यार की गहराई।
प्यार दिल की गहराई से किया जाता है और सेक्स चूत की गहराई से। इसका अंतर उसको अच्छी तरह से पता है।
हाँ वो मेरे सामने चुदवाने से जरूर संकोच करती है पर मजे में उसको कोई आपत्ति नहीं है। पर शायद मैं उससे भी आगे हूँ या सलोनी को इसमें कोई आपत्ति नहीं कि मैं उसके सामने भी किसी को चोदूँ बल्कि चोद भी चुका हूँ। हाँ थोड़ी बहुत झिझक जरूर होती है। पर उस झिझक को नशा दूर कर देता है, यह मैंने अच्छी तरह जान लिया था।
रोजी हिंदुस्तानी संस्कृति से बंधी लड़की है, उसके लिए शादी मतलब एक आदमी के प्रति पूरा समर्पित रहना है, वो इस सोच से निकलना तो चाहती थी परन्तु उसके संस्कार गुलामी वाले थे कि पति चाहे जितना जुल्म करे, पर तुमको सहते रहना है।
मुझे नहीं पता कि उसका पति कैसा है पर इतना अहसास हो गया था कि रोजी उसको पसंद नहीं करती अब यह देखने वाली बात थी कि संस्कारो में बंधी लड़की अपनी नापसंद चीज को कितनी जल्दी और कितने हद तक दरकिनार करती है। रोजी अपनी जंजीरों से बाहर आना चाहती थी पर खुद उन जंजीरों को खोलने को राजी नहीं थी।
उसको अपने बदन पर परपुरुष का हाथ मजा तो देता था पर उसका दिल उसको गलत ही समझता था। मैं रोजी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करना नहीं चाहता था पर उसको इस खूबसूरत जिंदगी का कुछ अहसास कराना जरूर चाहता था।
मेरे अंदर एक जिज्ञासा यह भी थी कि सलोनी को तो मैंने अच्छी तरह देख परख लिया था कि वो सेक्स को किस हद तक ले जा सकती है।
पर रोजी तो शायद शादी से पहले मर्द के स्पर्श को भी नहीं पहचानती थी।
मैं पूरे पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि वो सुहागरात के समय कुआंरी होगी और अपने पति के अलावा उसने कभी किसी से कुछ करना तो छोड़ो, किसी और के बारे में कुछ अलग सोचा भी नहीं होगा।
अब यह देखना था कि अगर रोजी अपनी दबी हुई इच्छाओं को बाहर निकालने में कामयाब हो जाती है तब वो कैसा महसूस करती है और किस हद तक अपनी इच्छाओं को पूरा करती है।
सलोनी और रोजी दोनों ही शादीशुदा हैं पर दोनों में धरती आसमान का अंतर है। एक आज़ाद एवं खुले विचारों वाली और दूसरी संकीर्ण विचारों वाली!
रोजी के साथ सेक्स की बातें करने में और उसका शरमा-शरमा कर जवाब देने में बहुत मजा आ रहा था।
मैं समझ सकता था कि जीवन में पहले बार किसी परपुरुष का हाथ अपने नाजुक बदन पर महसूस करके उसको कितना आनन्द आ रहा होगा और उसने कैसा महसूस किया होगा कि एक गैर मर्द ने उसकी उस नाजुक चूत को देखा है जिसे आज तक उसने बाहर की हवा भी अकेले या फिर उसके अपने पति के सामने ही पड़ने दी थी।
केवल एक दिन की मस्ती ही ने उसको इतना खोल दिया था कि आज वो बिना कच्छी के आ गई थी। यह भी शायद पहली बार ही हुआ होगा जो उसने इतनी हिम्मत की।
हो सकता है शायद नीलू ने ही उसको इसके लिए बोला हो, पर उसका शरमाना और संकुचाना मुझे बहुत भा रहा था।
अपने चूतड़ों पर मेरा हाथ महसूस करके ही उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था और जब मैंने कच्छी के बारे में बात की तब तो उसका चेहरे के साथ-साथ उसका पूरा बदन ही सिमट रहा था।
रोजी शर्म के मारे दोहरी हुई जा रही थी, लग ही नहीं रहा था कि उसने कभी लण्ड भी देखा हो या कभी चुदाई भी कराई हो।
बिल्कुल कुँवारी, नाजुक कली की भान्ति ही शरमा रही थी इस समय रोजी! कल जो वो ज्यादा खुल गई थी या कुछ ज्यादा बोल्ड व्यबहार कर रही थी, उसकी वजह शायद नीलू थी।
एक लड़की दूसरी लड़की के सामने खुद को थोड़ा ताकतवर महसूस करती है और अधिक बोल्ड हो जाती है।
मैंने सोचा शायद इसीलिए दो लड़के और एक लड़की या फिर दो लड़कियाँ और एक लड़का जैसे थ्री-सम में उन लोगों को ज्यादा मजा आता होगा। मन ही मन मुस्कुराते हुए मैं इस ट्रिक को भी आजमाने की सोचने लगा।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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