अरे आज नीलू आई ही नहीं थी। पर उसने मुझे बताया क्यों नहीं???
तभी रोजी केबिन में आई। हल्के हरे, प्रिंटेड शिफॉन की साड़ी में वो क़यामत लग रही थी। स्लीवलेस ब्लाउज और नाभि के नीचे बाँधी हुई साड़ी उसको और दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा सेक्सी दिखा रही थी। शायद पिछले दिन की घटना ने उसको काफी बोल्ड बना दिया था और वो मुझे रिझाना चाह रही थी।
यह नहीं भी हो सकता था, यह तो केवल मेरी सोच थी। हो सकता है वो सामान्य रूप से ऐसे ही कपड़े पहन कर आई हो पर मुझे पहले से ज्यादा सेक्सी लग रही थी।
मैं रोजी की ख़ूबसूरती को निहार ही रहा था कि वो मेरी नजरों को देखते हुए मुस्कुराते हुए बोली- “आज कहाँ रह गए थे सर? बड़ी देर कर दी?”
मैं उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराया। वाकयी कल की घटना ने उसको बहुत ज्यादा खोल दिया था। पहले वो कभी मुझसे ऐसे नहीं बोली थी, बल्कि बहुत डर कर बोलती थी।
उसको ऑफिस में आये हुए समय ही कितना हुआ था केवल एक महीना। इस एक महीने में वो केवल ‘हाँ… जी…’ में ही जवाब देती थी पर कल हुई घटना ने उसको बिंदास बना दिया, अब उसको मुझसे डर नहीं लग रहा था बल्कि प्यार ही आ रहा था।
मैं उसकी चूची और चूतड़ों को सहला चुका था और उसकी नजर में मैं उसको पूरी नंगी देख चुका था, उसने भी मेरे लण्ड को पकड़ लिया था।
मेरे ख्याल में जब नारी को यह लगने लगता है कि इस आदमी ने तो मुझे पूरी नंगी देख ही लिया है और वो उसको पसंद भी करती हो तो शायद वो उससे पूरी खुल जाती है, फिर उसके सामने उसको नंगी होने में शर्म नहीं आती।
यही ख्याल मेरे दिल में आ रहे थे कि शायद रोजी अब दोबारा मेरे सामने नंगा होने में ज्यादा नखरे नहीं करेगी पर वो एक शादीशुदा नारी है और उसने अभी तक बाहर किसी से सम्बन्ध नहीं बनाये थे इसलिए मुझे बहुत ध्यान से उस पर कार्य करना था, मेरी एक गलती से वो बिदक भी सकती है।
मेरा लण्ड मुझे संयम नहीं करने दे रहा था वो पैन्ट से अंदर बहुत परेसान कर रहा था। मैंने सोचा था कि ऑफिस जाते ही नीलू को पेलूँगा .पर उसने तो मुझे धोखा दे दिया था, पता नहीं उसको क्या काम पड़ गया था।
मैंने रोजी को ही अपने शीशे में उतारने की सोची।
मैं- “अरे रोजी, नीलू कहाँ है आज?”
रोजी- “क्यों उसने बताया नहीं आपको? बोल तो रही थी कि वो फोन कर लेगी आपको”
मैं- “अरे तो क्या वो आई थी? फिर कहाँ चली गई, उसको तबियत तो सही है ना?”
रोजी- “अर्र हाँ सर… वो बिलकुल ठीक है। उसके किसी दोस्त का एक्सीडेंट हुआ है शायद, मुझे बताकर गई थी कोई 2 घंटे पहले”
मैं- “ओह…”
मैंने सोचा उसको फोन करके पूछ लूँ कि किसी चीज की जरूरत तो नहीं पर उसका फोन ही नहीं लगा।
“लगता है नीलू के फोन की बैटरी डाउन हो गई इसीलिए मुझे भी कॉल नहीं कर पाई”
रोजी- “हाँ सर, यही लगता है, मैं भी कोशिश कर रही थी पर नहीं लग रहा। कोई काम हो तो बता दीजिये सर, मैं कर देती हूँ”
मैं- “अरे नीलू वाला काम तुम नहीं कर पाओगी”
वो बिना सोचे समझे बोल गई- “क्यों नहीं कर पाऊँगी सर? आप बोल कर तो देखिये?”
मैं हंसने लगा- “हा हा हा…”
अब उसका चेहरा देखने लायक था, वो समझ गई कि मैं किस काम के लिए कह रहा था, मगर उसमें कुछ गुरुर के भाव भी थे जो उसको झुकने नहीं दे रहे थे इसलिए उसने अब भी हामी भरी- “अरे, आप हंस क्यों रहे हैं। मैं नीलू से कमजोर नहीं हूँ। ऑफिस का कोई भी काम कर सकती हूँ”
मैं उसकी बातों का मंतव्य समझते हुए ही उससे खेलने की सोचने लगा, रोजी के मासूम चेहरे को देखते हुए मैं सोच रहा था कि इसको बहुत प्यार से टैकल करूँगा।
इस समय वो बहुत मासूम लग रही थी, मैंने रोजी के साथ ऑफिस के काफ़ी कामों के बारे में चर्चा की, नीलू ने उसको सभी कार्य बहुत अच्छी तरह समझा दिए थे और सबसे बड़ी बात वो आसानी से सब समझ गई थी, उसने सभी काम अच्छी तरह किये थे।
मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि चलो मुझे एक और कर्मी अपने काम करने के लिए मिल गया था।
अब मेरी ऑफिस की चिंता कुछ और कम हो जाने वाली थी, नीलू और रोजी मिलकर मेरे सारे काम आसानी से कर सकती थीं। नीलू ने तो पूरी ज़िंदगी शादी ना करने की कसम खाई थी, उसने कई बार मुझसे कहा था कि वो ऐसे ही काम करती रहेगी, मेरी बीवी की तरह ही रहेगी और ऑफिस में काम करती रहेगी।
अब रोजी भी उसी तरह काम सँभालने को राजी थी, भले ही उसकी शादी हो गई थी पर वो लम्बे समय तक काम कर सकती थी, मैं उस पर भरोसा कर सकता था।
अब अगर वो नीलू की तरह ही मेरे मस्ती में भी साथ देने लगे तो मजा आ जाये, ऑफिस के काम करते हुए मैं रोजी से थोड़ी बहुत छेड़छाड़ भी करने लगा जिसका वो बुरा नहीं मान रही थी। एक बार मुझे कुछ बताने के लिए जब वो मेरे बराबर में खड़ी थी, मैंने नीलू की तरह ही उसके गोल मटोल चूतड़ों पर हाथ रख दिया।
उसने तिरछी नजरों से मुझे देखा और बोली- “सर आपके हाथ फिर से गलत प्रॉपर्टी पर जा रहे हैं”
मैंने मुस्कुराते हुए उसके चूतड़ों के चारों ओर अपनी हथेली को घुमाया और बोला- “दूसरे की प्रॉपर्टी कैसे? मेरे ऑफिस में जो भी है, वो तो मेरी प्रॉपर्टी हुई, नीलू ने तो कभी ऐसा नहीं कहा”
मेरी होंटों पर एक मुस्कान थी पर वो थोड़ा अलग हटकर खड़ी हो गई। मेरा हाथ उसके चूतड़ों से हट गया पर इस दौरान मैंने महसूस किया था कि उसने कच्छी नहीं पहनी है। पतली सी साड़ी और पेटीकोट जो उसने इतने कसकर बांधे थे कि चूतड़ों पर पूरी तरह कसी थी।
शायद चूतड़ों का उभार दिखने के लिए मुझे ऐसा ही लगा कि जैसे नंगे चूतड़ों पर हाथ फिराया हो मगर मेरे हाथ को कहीं कच्छी का अहसास नहीं हुआ। मतलब साड़ी के नीचे वो नंगी चूत लिए घूम रही है।
अगर पिछले दिन मैंने उसकी कच्छी नहीं देखी होती तो ज्यादा शक नहीं होता, सामान्य ही लगता क्योंकि सलोनी भी कच्छी कौन सा पहनती है और हो सकता है वो भी इस समय अपने कॉलेज में ऐसे ही विकास के ऑफिस में अपने चूतड़ उससे सहलवा रही हो।
सलोनी की याद आते ही मुझे रोजी से सेक्स की बातें करने का एक बहुत अच्छा आईडिया आ गया- “क्या हुआ? अरे यार, ऐसे कैसे काम कर पाओगी इतनी दूर से?”
रोजी- “सॉरी सर, ऐसी बात नहीं है पर आपके हाथ रखते ही पता नहीं क्यों सनसनी सी हो जाती है। वो क्या है कि मैं बहुत अलग रही हूँ और ऐसा मैंने कभी नहीं किया”
TO BE CONTINUED.....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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