16-04-2024, 02:12 PM
गुड्डू- “अरे कुछ नहीं जीजू, वो मुझे चेंज भी करना था। मैं जल्दी में ऐसे ही आ गई थी। अब अगर इन कपड़ों में उस पार्टी से मिली तो मुझे मैनेजर नहीं चपरासी समझेंगे”
मैं- “हा हा हा... क्या यार?”
उसने मेरे द्वारा चूतड़ पर हाथ मारने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गई थी।
मैं- “इतनी सेक्सी तो लग रही हो, अब क्या करोगी?”
मुझे यह तो पता था कि गुड्डू बहुत बोल्ड है पर मेरे से ज्यादा खुलकर बात करने का मौका कभी नहीं मिला था।
पर आज उसने अपनी बोल्डनेस मुझे दिखा दी।
गुड्डू- “क्या जीजू! इन घर के कपड़ों में भी मैं आपको सेक्सी लग रही हूँ। हा हा हा… इनमें तो सब कवर है कुछ भी नहीं दिख रहा”
मैं- “वाओ मेरी साली साहिबा, तो क्या दिखाना चाह रही हो?”
गुड्डू- “अरे आप तो हमारे प्यारे जीजू हैं… जो देखना चाहो… बस इशारा कर देना”
मैं उससे बात कर ही रहा था कि जैसे ही बैक मिरर में देखा। ओह गॉड! उसने अपना टॉप निकल दिया था वो केवल एक माइक्रो ऑफ व्हाइट ब्रा में बैठी थी।
मैं- “अरर्र…रेए… यह क्या कर रही हो?”
गुड्डू- “हा हा हा हा… अरे अपने ही तो कहा था कि देखना है… हा हा”
मैं- “अरे ऐसे तो नहीं… चलती सड़क है… अओर…”
गुड्डू- “अरे जीजू घबराओ मत… बस कपडे चेंज कर रही हूँ… अब वहाँ जाकर तो कर नहीं पाऊँगी”
और वो बिना किसी डर के मेरी गाड़ी के पीछे बैठ आराम से अपने कपड़े बदल रही थी। उसने अपनी बेग से एक लाल सूर्ख सिल्की टॉप निकाला जो अजीब कटिंग से बना था।
मैंने सोचा कि वो इसे जल्दी से पहन ले पता नहीं फिर कहीं कोई सिक्युरिटी वाला न देख ले। अबकी बार तो जरूर बुरा फंस जाऊँगा। मगर वो तो पूरे मूड में थी, उसने अपनी ब्रा भी निकाल दी।
एक पल को तो मेरी धड़कन भी रुक गई, ना जाने वो क्या करने वाली थी?
क्या चूचियाँ थी उसकी, एकदम सुन्दर आकार में… गोल तनी हुई और गुलाबी निप्पल, दर्पण में देखकर ही दिल वावरा हो गया और मैं पीछे चेहरा घुमाकर देखने लगा।
गुड्डू- “अर रे जीजू… क्या करते हो? प्लीज आगे देखो ना…”
मैं- “क्यों अब शर्म आ रही है क्या?”
गुड्डू- “अरे नहीं… जीजू... कोई शर्म नहीं… आप गाड़ी चला रहे हो ना इसीलिए। अभी आप गाड़ी चलाइये इनको फिर कभी देख लेना, मैं कहीं भागी नहीं जा रही”
मैं मुँह बाये बस उसको देखे जा रहा था। गुड्डू ने अपनी दोनों चूची को सहलाकर ठीक किया और फिर अपना टॉप पहन लिया।
टॉप बहुत ही मॉडर्न स्टाइल का था। कई जगह से कट लिए हुए, यह समझो जैसे बहुत कम छिपा रहा था और काफी कुछ दिखा रहा था। मैं अब आगे देखकर गाड़ी चला रहा था परन्तु मेरी नजर बैक व्यू मिरर पर ही थी।
जैसे मैं कोई भी दृश्य चोदना नहीं चाह रहा था मैं गुड्डू के बदन के हर हिस्से को नंगा जी भरकर देखना चाहता था। गुड्डू के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कुराहट थी, उसको मेरी सारी स्थिति का पता था और वो इसका पूरा मजा ले रही थी।
मेरे लिए इतना ही काफी था कि यह खूबसूरत मछली अब मेरे जाल में थी, इसकी छोटी मछली को मैं कभी भी मसल-कुचल सकता हूँ। पर आज मैं गुड्डू की मछली को देखने के लिए पागल था।
अब उसने अपनी मिनी स्कर्ट को ठीक किया और अपनी जींस की कमर में लगा बटन खोलने लगी। मैं सांस रोके उसको देख रहा था। मुझे एक और चूत के दर्शन होने वाले थे।
मैं पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता पर पक्का ही था कि जब सलोनी कच्छी नहीं पहनती तो गुड्डू ने भी नहीं पहनी होगी आखिर यह तो सलोनी से भी ज्यादा मॉडर्न है। मैं जीन्स से एक खूबसूरत चूत के बाहर आने का इन्तजार कर ही रहा था।
गुड्डू ने बैठे बैठे ही अपने चूतड़ों को उठाकर अपनी जीन्स को नीचे किया। दर्पण से मुझे नीचे का हिस्सा कुछ साफ़ नहीं दिख रहा था, मैंने शीशे को थोड़ा सा और नीचे को किया।
अब गुड्डू ने अपने पैर को उठाकर अपनी जीन्स को दोनों पाँव से निकाला, उसकी जाँघों के जोड़ को देखने के लिए एक बार फिर मुझे पीछे को गर्दन घुमानी पड़ी पर इस बार मेरी उम्मीदों को झटका लगा, गुड्डू ने एक डोरी वाली गुलाबी पैंटी पहन रखी थी जो बहुत ही सुंदर लग रही थी पर गुड्डू के बेशकीमती खजाने को छुपाये हुए थी।
मैंने बड़ी नाउम्मीदी से अपनी गर्दन आगे कर ली।
मेरे बिगड़े हुए मुहं को देख गुड्डू जोर से हंस पड़ी पर उसने मुझ पर कोई रहम नहीं किया, उसने अपनी स्कर्ट की ज़िप खोल उसको कमर से बांध अपनी स्कर्ट को ठीक कर लिया।
गुड्डू- “क्या हुआ जीजू? बड़ा ख़राब मुँह बनाया। क्या मैं इतनी बुरी लगी... हा हा…”
मैं- “अरे यार जब इंसान को भूख लगी हो और कोई खाने पर कवर लगा हो तो ऐसा ही होता है”
गुड्डू- “हा हा हा जीजू… आप भी न बहुत मजाक करते हो। यह किसी और का खाना है, आप अपना खाना घर जाकर खा सकते हो ना”
मैं- “वो तो सही है यार, बाहर का खाना चखने को तो मिल ही जाता है पर यहाँ तो देखने को भी नहीं मिला”
गुड्डू- “हा हा हा… क्या बात करते हो जीजू… इतना तो देख लिया”
और गुड्डू अपने कपड़े वहीं पिछले सीट पर छोड़ जब फिर से आगे आने के लिए उसने पैर आगे रखा… तो… वाओ…
उसकी पीठ मेरी ओर थी। उसकी स्कर्ट ऊपर तक हो गई और उसके नंगे चूतड़, कयामत चूतड़… क्या मजेदार गोल गोल चूतड़ थे… पूरे नंगे ही दिख रहे थे क्योंकि उसकी पैंटी की डोरी बहुत पतली थी जो चूतड़ों की दरार से चिपकी थी।
मैंने उसके सीधे होने से पहले ही उसके चूतड़ों के एक गोले पर अपने बायां हाथ रख दिया।
गुड्डू- “क्या कर रहे हो जीजू?”
उसने सीधा होने की कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई।
मैं- “मेरी प्यारी साली साहिबा जी, देख रहा हूँ कि खाना गर्म है या ठण्डा। तुम बहुत खूबसूरत हो यार…”
और मैंने अपने अंगूठे से गुड्डू की चूत को भी हल्का सा कुरेद दिया तो अब बस वो जल्दी से सीधी हो बैठ गई, उसने अपनी स्कर्ट सही की और बोली- “जीजू, यह खाना हमेशा गर्म ही रहता है”
मैं- “अब मुझे क्या पता? तुम ना तो कभी खिलाती हो और ना ही कभी चखाती हो”
गुड्डू- “ठीक है कभी आपके साथ भी हम मीटिंग कर लेंगे फिलहाल तो अपना काम कर लें। बस यहीं रोक दीजिये। मुझे इसी कम्पनी में जाना है”
और वो वहीं उतर गई मगर एक उम्मीद फिर से दे गई।
गुड्डू- अपने कपड़े यहीं छोड़ कर जा रही हूँ अगर आप खाली होंगे तो लौटते समय मैं फोन कर लूँगी वरना फिर बाद में ले लूँगी।
मैं- “अरर्र नहीं… ये तो तुमको आज ही देने आ जाऊँगा अगर सलोनी ने देख लिए तो? हा हा हा…”
वो भी हंसी और हम दोनों अपनी मंजिल की ओर निकल गए।
सलोनी, नलिनी भाभी, नीलू, रोजी… अभी कुछ देर पहले मैं सभी को खूब याद कर रहा था।
नलिनी भाभी को जमकर चोदकर आया था और नीलू को ऑफिस जाकर चोदने की सोच रहा था, सलोनी कैसे अपने आशिकों के साथ मजे कर रही होगी वो सोच रहा था और रोजी की चूत के बारे में सोच सोच कर लार टपका रहा था।
इतना सब पास होने के बावजूद एक ही पल में इस गुड्डू की सेक्सी और मस्त जवानी ने सब कछ भुला दिया था। जब तक गुड्डू पास रही, कुछ याद ही नहीं रहा, केवल गुड्डू गुड्डू और गुड्डू पर अब उसके जाते ही मैं फिर से धरातल पर आ गया था। अब मुझे फिर से सब कुछ याद आ गया था।
मैं तेजी से गाड़ी चलाकर ऑफिस पहुँचा, वहाँ पहुँच कर एक झटका लगा।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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