12-04-2024, 06:45 PM
"हम बोले थे ना, बहुत मजा आएगा? अब आगे आगे देखो कितना मजा आने वाला है।" कहकर थीरे धीरे घुसा अपना लंड बाहर निकालने लगा तो मुझे अपने अंदर खालीपन का अहसास होने लगा लेकिन आधा लंड बाहर निकालने के बाद वह दुबारा अंदर घुसेड़ दिया। यह क्रम कुछ देर चला और मैं चकित थी कि अब मुझे जरा भी पीड़ा का अहसास नहीं हो रहा था। घुसा को भी मालूम हो गया कि अब मैं सुगमता पूर्वक गांड़ चुदाने में सक्षम हो चुकी हूं। बस इसी का तो इंतजार कर रहा था वह कमीना। अब तो उसकी निकल पड़ी थी। धीरे धीरे वह मेरी गांड़ चोदने लगा और फिर उसके धक्कों की रफ्तार बढ़ने लगी। इसी के साथ वह मेरी चूचियों और चूत से खेलता रहा ताकि मुझे पूरी तरह गांड़ चुदाई का मजा मिलता रहे। यही हुआ भी। मैं पूरी मस्ती में डूब कर अब कमर नचा नचा कर गांड़ चुदाई का मजा लेने लगी। यह धक्कमपेल करीब दस मिनट तक चलता रहा। धीरे धीरे उसकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी कि हम दोनों चर्मोत्कर्ष में पहुंच गए। मैं चर्मोत्कर्ष में पहुंची क्यों कि मेरी गांड़ में घुसा के लंड का अद्भुत घर्षण हो रहा था और उस घर्षण से मेरा तन बदन तरंगित होता रहा था। इधर मेरी चूत में घुसा की उंगलियों का जादू भी चल रहा था। उधर घुसा का तो कहना ही क्या था। वह तो मेरी चिकनी गांड़ की तंग सुरंग को चोदने की मस्ती में डूब कर मानो स्वर्ग की सैर कर रहा था और इसी स्वर्गीय सुख में डूबते-उतराते चर्मोत्कर्ष तक जा पहुंचा था। चर्मोत्कर्ष में पहुंच कर उसके लंड से जो गरमागरम वीर्य की पिचकारी छूटी वह मेरी गांड़ के अंदरुनी हिस्से को सींचते हुए मेरी जांघों से होता हुआ नीचे बह निकला था। उफ, क्या सुखद स्खलन था वह मेरा। गांड़ मरवाने में भी इतना मज़ा आता है यह मुझे आज पहली बार मालूम हुआ। हम दोनों खल्लास होकर एक-दूसरे से चिपके हुए ऐसे हांफ रहे थे मानो मीलों दौड़ कर आए हों। तन मन में इन सुखद पलों की मिठास अभी तारी ही थी कि तभी,
"हे भगवान, यह क्या हो रहा है यहां।" यह मेरी मां की चीख थी। वासना की असह्य गर्मी और चुदाई की बेकरारी में हम दरवाजा बंद करना भी भूल गए थे और यह भी भूल गए थे कि मेरी मां कभी भी पहुंच सकती है, जिसका नतीजा यह हुआ कि हम रंगे हाथ पकड़े गए। मम्मी दरवाजे पर खड़ी आंखें फाड़कर अविश्वास के साथ यह गंदा दृश्य देखते हुए जड़ हो गई थी। हमनें इस स्थिति की कल्पना भी नहीं की थी।हम उसी स्थिति में जड़ हो गये थे। मैं मादरजात नंगी चौपाया बनी हुई थी और घुसा भी मादरजात नंगा किसी बनमानुष की तरह मुझ पर सवार था। उसका लंड अब भी मेरी गांड़ में समाया हुआ था।
इस घटना का अगला भाग अगली कड़ी में पढ़िए कि आगे क्या हुआ। तब-तब के लिए अपनी गरम रोजा का इंतजार कीजिए।
"हे भगवान, यह क्या हो रहा है यहां।" यह मेरी मां की चीख थी। वासना की असह्य गर्मी और चुदाई की बेकरारी में हम दरवाजा बंद करना भी भूल गए थे और यह भी भूल गए थे कि मेरी मां कभी भी पहुंच सकती है, जिसका नतीजा यह हुआ कि हम रंगे हाथ पकड़े गए। मम्मी दरवाजे पर खड़ी आंखें फाड़कर अविश्वास के साथ यह गंदा दृश्य देखते हुए जड़ हो गई थी। हमनें इस स्थिति की कल्पना भी नहीं की थी।हम उसी स्थिति में जड़ हो गये थे। मैं मादरजात नंगी चौपाया बनी हुई थी और घुसा भी मादरजात नंगा किसी बनमानुष की तरह मुझ पर सवार था। उसका लंड अब भी मेरी गांड़ में समाया हुआ था।
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