12-04-2024, 06:41 PM
"बस बस बहुत हो गया। चूस कर ही खतम कर दोगी तो तुझे चोदेंगे कैसे।" कहकर वह झटके से अलग हो गया।
"चल अब जल्दी से कुतिया बन जा।" उसके कहने की देर थी कि मैं उसकी गुलाम की तरह वहीं फर्श पर चौपाया बन गई। मुझे उस वक्त जरा भी गुमान नहीं था कि घुसा के दिमाग में क्या चल रहा था। जैसे ही मैं चौपाया बनी, घुसा तुरंत पीछे से मुझ पर चढ़ गया और मेरी कमर पकड़ कर अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। मेरी चूत से रिसते लसलसे चिकनाई से अपने लंड को लिथड़ा कर सहसा वह अपने लंड के सुपाड़े को मेरी गांड़ की छेद पर टिका दिया और बोला,
"आज तेरी गांड़ की बारी है बिटिया। आज मना मत करना।"
"यह कककक्या कह रहे हो तुम?" मैं उसके इरादे को भांप कर कांप उठी और बोली।
"तो छोड़ो आज हम नहीं चोदेंगे।" कहकर वह पीछे हटने लगा। हे भगवान, मुझे इस हालत में वह छोड़ देगा तो मर ही जाऊंगी मैं। यह सरासर ब्लैकमेल था, लेकिन उस वक्त मेरी जो स्थिति थी उसमें उसकी इच्छा का मान रखने के अलावा मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। चलो आज उसकी बात रख लेती हूं और देखती हूं कि लोग गांड़ मरवाने में क्या मजा पाते हैं। यही सोच कर जल्दी से बोली,
"अच्छा अच्छा चोद ले मेरी गांड़।"
यही तो चाहता था वह कमीना। बहुत ही उपयुक्त समय में उसका ब्लैकमेल काम आया और मेरी सहमति पाकर तो खुशी के मारे पागल ही हो गया। वह खेला खाया माहिर चुदक्कड़ इस सुनहरे मौके को गंवाना नहीं चाहता था। "तू इसी तरह कुतिया की तरह झुकी रह, फिर देख हम कितना मजा देते हैं तुमको।" वह बोला।
"कमीना कहीं का, तुम्हारी कुतिया तुम्हारे सामने झुकी हुई ही तो है। अब जो करना है जल्दी कर।" मैं तड़प कर बोली। अंधे को और क्या चाहिए, बस दो आंखें ही तो। मौका सुनहरा था। तेल वगैरह की व्यवस्था वह पहले ही कर चुका था और अपनी पहुंच के पास ही रखा था। वह सोच चुका था कि उसे आज किसी भी कीमत पर मेरी गांड़ मारनी है, इसलिए पहले से पूरी तैयारी कर चुका था। हाथ बढ़ा कर तेल की बोतल से अपनी हथेली पर तेल लिया और अपने लंड पर लसेड़ कर हमला करने को तैयार हो गया। अब उसने मेरी कमर को मजबूती से अपनी गिरफ्त में लेकर अपने तेल चुपड़े लंड के विशाल सुपाड़े को मेरी गांड़ के छेद पर टिकाया और अपने लंड का दबाव देने लगा जिससे उसके लंड का उतना बड़ा चिकना सुपाड़ा फिसलते हुए मेरी गांड़ के प्रवेश द्वार को फैलाते अंदर दाखिल होने लगा।
"आआआआआआह......." दर्द से मैं चीख पड़ी। तेल की चिकनाई से सराबोर उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गांड़ के मुंह के अंदर पुच्च से घुस गया और एक बार उसके लंड को रास्ता मिल गया तो फिर गांड़ की तंग गुफा को फैलाते हुए अंदर घुसता चला गया। करीब आधा लंड अंदर घुस चुका था और मैं दर्द के मारे बेहाल हो रही थी। "आआआआह हरामी मादरचोओओओओओद निकाल निकाल बाहर साला फाड़ दिया मेरी गांड़ ओओओहहह।" मैं पसीना पसीना हो गई। घुसा जानता था कि उसने किला फतह कर लिया था। वह उसी तरह मुझे जकड़ कर कुछ सेकंड रुक गया। उसका आधा लंड मेरी गांड़ के अंदर था और मेरी जान निकली जा रही थी। जोश जोश में होश खोने का यही नतीजा होना था। मगर अब पछताए क्या होता है। मेरी गांड़ का बंटाधार तो हो चुका था।
"चल अब जल्दी से कुतिया बन जा।" उसके कहने की देर थी कि मैं उसकी गुलाम की तरह वहीं फर्श पर चौपाया बन गई। मुझे उस वक्त जरा भी गुमान नहीं था कि घुसा के दिमाग में क्या चल रहा था। जैसे ही मैं चौपाया बनी, घुसा तुरंत पीछे से मुझ पर चढ़ गया और मेरी कमर पकड़ कर अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। मेरी चूत से रिसते लसलसे चिकनाई से अपने लंड को लिथड़ा कर सहसा वह अपने लंड के सुपाड़े को मेरी गांड़ की छेद पर टिका दिया और बोला,
"आज तेरी गांड़ की बारी है बिटिया। आज मना मत करना।"
"यह कककक्या कह रहे हो तुम?" मैं उसके इरादे को भांप कर कांप उठी और बोली।
"तो छोड़ो आज हम नहीं चोदेंगे।" कहकर वह पीछे हटने लगा। हे भगवान, मुझे इस हालत में वह छोड़ देगा तो मर ही जाऊंगी मैं। यह सरासर ब्लैकमेल था, लेकिन उस वक्त मेरी जो स्थिति थी उसमें उसकी इच्छा का मान रखने के अलावा मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। चलो आज उसकी बात रख लेती हूं और देखती हूं कि लोग गांड़ मरवाने में क्या मजा पाते हैं। यही सोच कर जल्दी से बोली,
"अच्छा अच्छा चोद ले मेरी गांड़।"
यही तो चाहता था वह कमीना। बहुत ही उपयुक्त समय में उसका ब्लैकमेल काम आया और मेरी सहमति पाकर तो खुशी के मारे पागल ही हो गया। वह खेला खाया माहिर चुदक्कड़ इस सुनहरे मौके को गंवाना नहीं चाहता था। "तू इसी तरह कुतिया की तरह झुकी रह, फिर देख हम कितना मजा देते हैं तुमको।" वह बोला।
"कमीना कहीं का, तुम्हारी कुतिया तुम्हारे सामने झुकी हुई ही तो है। अब जो करना है जल्दी कर।" मैं तड़प कर बोली। अंधे को और क्या चाहिए, बस दो आंखें ही तो। मौका सुनहरा था। तेल वगैरह की व्यवस्था वह पहले ही कर चुका था और अपनी पहुंच के पास ही रखा था। वह सोच चुका था कि उसे आज किसी भी कीमत पर मेरी गांड़ मारनी है, इसलिए पहले से पूरी तैयारी कर चुका था। हाथ बढ़ा कर तेल की बोतल से अपनी हथेली पर तेल लिया और अपने लंड पर लसेड़ कर हमला करने को तैयार हो गया। अब उसने मेरी कमर को मजबूती से अपनी गिरफ्त में लेकर अपने तेल चुपड़े लंड के विशाल सुपाड़े को मेरी गांड़ के छेद पर टिकाया और अपने लंड का दबाव देने लगा जिससे उसके लंड का उतना बड़ा चिकना सुपाड़ा फिसलते हुए मेरी गांड़ के प्रवेश द्वार को फैलाते अंदर दाखिल होने लगा।
"आआआआआआह......." दर्द से मैं चीख पड़ी। तेल की चिकनाई से सराबोर उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गांड़ के मुंह के अंदर पुच्च से घुस गया और एक बार उसके लंड को रास्ता मिल गया तो फिर गांड़ की तंग गुफा को फैलाते हुए अंदर घुसता चला गया। करीब आधा लंड अंदर घुस चुका था और मैं दर्द के मारे बेहाल हो रही थी। "आआआआह हरामी मादरचोओओओओओद निकाल निकाल बाहर साला फाड़ दिया मेरी गांड़ ओओओहहह।" मैं पसीना पसीना हो गई। घुसा जानता था कि उसने किला फतह कर लिया था। वह उसी तरह मुझे जकड़ कर कुछ सेकंड रुक गया। उसका आधा लंड मेरी गांड़ के अंदर था और मेरी जान निकली जा रही थी। जोश जोश में होश खोने का यही नतीजा होना था। मगर अब पछताए क्या होता है। मेरी गांड़ का बंटाधार तो हो चुका था।