11-04-2024, 04:34 PM
पता नहीं साला यह कैसा प्यार है जो केवल एक उस छोटे से छेद के लिए होता है जिसको आमतौर पर हम गन्दा, छी और ना जाने क्या क्या बोलते हैं। अरे नारी के शरीर में सबसे जरूरी अगर कुछ है तो वो उसका दिल है और अगर उसका दिल आपसे खुश है तभी वो आपसे सच्चा प्यार कर पाती है। बस इतनी सी बात मुझे समझ आ गई थी और मैंने महसूस किया था कि पिछले दिनों में हमारा प्यार बहुत बढ़ गया था।
मैं अब हर पल बस सलोनी के बारे में ही सोचता रहता था पहले भी मैं कई दूसरी लड़कियों और स्त्रियों से सम्बन्ध बना चुका था पर उस समय उनकी चुदाई करते हुए मैं कभी सलोनी के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचता था पर इस समय चुदाई के समय भी मुझे सलोनी ही दिखाई देती थी और मैं सलोनी की ही बात करता रहता था।
बिल्कुल सच कह रहा हूँ। इसका कारण सलोनी की मस्ती या चुदाई के बारे में जानना ही नहीं था बल्कि मैं उसके हर पल के बारे में जानकारी रखना चाहता था, उसके हर पल में बस उसके निकट रहना चाहता था कि उस पर कोई मुसीबत ना आये। वो जो चाहती है उसको वो सारी ख़ुशी मिले।
सच मेरा प्यार सलोनी के प्रति ओर भी ज्यादा हो गया था। सेक्स तो हमको कहीं से भी मिल जाता है पर वो ख़ुशी क्षणिक या कुछ पल की ही होती है मगर सच्चा प्यार केवल पत्नी से ही मिलता है जो तहेदिल से हमारा ख्याल रखती है बिना किसी स्वार्थ के। वो ख्याल ही मेरे लिए सच्चा प्यार है।
पहले मैं सोच रहा था कि सलोनी से खुलकर बात करता हूँ और दोनों मिलकर खूब मजे करेंगे, एक दूसरे के सामने खूब ऐश करेंगे, वो अपनी चुदाई के किस्से मुझे बताएगी और मैं अपनी चुदाई के किस्से उसको बताऊँगा। मगर भाभी से चुदाई करने के बाद मैंने यह विचार त्याग दिया। अगर हम एक दूसरे के सामने दूसरों की चुदाई के किस्से बताते हैं और एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी करने लगे तो फिर हमारा प्यार खत्म ही हो जायेगा फिर दूसरे भी हमको गलत समझने लगेंगे। हो सकता है हम बदनाम हों जाएँ और सब कुछ ख़त्म हो जाये।
इसलिए मैंने सलोनी के बारे में जानने के लिए दूसरे जरिये निकाले। वॉइस रिकॉर्डर तो था ही फिर घर पर मधु थी और अब ये नलिनी भाभी भी बता सकती थी।
अभी वीडियो रिकॉर्डिंग या वीडियो कैमरे के बारे में मैंने कुछ नहीं सोचा था क्योंकि इसके लिए बहुत योजना से काम करना पड़ता।
हाँ, एक काम मैंने और सोच लिया था कि कभी सलोनी को बताये बिना अगर घर में रहना हो तो मेरे बेडरूम में ही एक स्टोर था जो बहुत छोटा था, उसमें लाइट भी नहीं थी उसमें केवल बेकार डिब्बे और फ़ालतू सामान पड़ा था, उसको मैंने थोड़ा सा साफ़ कर लिया था। इस स्टोर में सलोनी कभी नहीं आती थी। डर के कारण, उसको अँधेरे से बहुत डर लगता था।
इसी का फायदा मैंने उठाने की सोची। अगर मैं इस स्टोर में छुप जाता हूँ तो सलोनी को मेरे घर पर होने की जानकारी नहीं हो सकती थी और मैं आराम से उसको देख सकता था।
बस यही सब मैंने सोचकर रखा था कि अबकी बार जब पारस आएगा तो मैं यही करूँगा जिससे उनकी चुदाई पूरी तरह देख सकूँ। फिलहाल तो मैंने नलिनी भाभी को पूरी तरह खुश कर दिया था, उनकी चूत की खूब कुटाई करने के बाद हम दोनों नंगे ही बाथरूम में नहाये, फिर मैंने एक बार फिर उनकी गाण्ड को भी चोदा, साबुन के चिकने झाग लगाकर उनकी गांड मारने में खूब मजा आया।
फिर भाभी ने नंगे बदन ही रसोई में मेरे लिये नाश्ता गर्म किया, बल्कि मैंने ही उनको एक भी कपड़ा नहीं पहनने दिया था। उन्होंने जब गाउन पहनने के लिए सीधा किया, तभी मैंने खींचा और वो फट गया। वो नाराज भी हुई मगर मैंने उनको बोल दिया कि नाश्ता तभी करूँगा जब आप बिल्कुल नंगी रहोगी क्योंकि सलोनी मुझे ऐसे ही नाश्ता करवाती है।
नलिनी मेरी चुदाई से इतनी खुश थी कि मेरी हर बात मानने को तैयार थी, हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए ही नाश्ता किया। फिर मेरे दिमाग में एक शरारत आई, मैंने सोचा नलिनी भाभी भी अब सलोनी की तरह ही सेक्स को पसंद करने लगी हैं, अब उनको भी सलोनी की तरह ही खोलना चाहिए, तभी वो सलोनी से पूरी तरह ओपन हो पाएँगी और फिर सलोनी भी अपनी सभी बातें उनसे करने लगेगी तो भाभी से मेरे को पता लगती रहेंगी।
बस मैंने भाभी को खोलने का प्लान अभी से शुरू कर दिया, वैसे वो बिस्तर पर सलोनी से भी ज्यादा खुल चुकी थी, चुदाई के समय मैंने जो किया और कहा, उन्होंने उसमें पूरा साथ दिया मगर वो बेडरूम के अंदर की बात थी, अब मैं उनको बाहर भी खोलना चाहता था क्योंकि रसोई में नंगी रहकर नाश्ता गर्म करते हुए या साथ नाश्ता करते हुए वो उतना सुविधाजनक महसूस नहीं कर रही थी जितना कपड़े पहने हुए रहती हैं।
जबकि सलोनी नंगी भी काम करती थी तो ऐसा लगता था जैसे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता, वो इस सबकी आदी हो चुकी थी। मैं ऐसा ही नलिनी भाभी को भी बनाना चाहता था, एक दो बार ऐसे ही नंगी रहने से वो भी इसे सामान्य रूप से लेने लगेंगी।
तैयार होने के बाद मैंने उनसे पूछा- “भाभी, यहीं रुकोगी या अपने फ्लैट पर जाओगी?”
नलिनी भाभी- “अरे जाना वहीं था पर तुमने छोड़ा कहाँ जाने लायक, अब क्या नंगी ही जाऊँगी? लाओ, मुझे कोई सलोनी का ही गाउन दो, कम से कम कुछ तो छुपेगा”
मैं- “क्या भाभी आप भी… इतनी खूबसूरत लग रही हो और इस खूबसूरती को छुपाने की बात कर रही हो। मेरी बात मानो, आप ऐसे ही रहा करो”
नलिनी भाभी ने मेरा कान पकड़ते हुए- “हाँ बदमाश, तू तो यही चाहेगा। जैसा सलोनी को बना दिया है तूने, कोई कपड़ा पहनना ही नहीं चाहती”
मैं- “अरे सच भाभी, आप उससे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हो”
नलिनी भाभी- “ना जी मुझे तो बक्श ही दो। मुझसे बिना कपड़े के नहीं रहा जायेगा। ऐसा लग रहा है जैसे सब मुझे ही देख रहे हों”
मैं- “अभी कहाँ भाभी, चलो ऐसे ही मुझे नीचे पार्किंग तक छोड़ने चलो। हा हा हा… फिर देखना कितना मजा आता है”
नलिनी भाभी- ये सब तो तेरी सलोनी को ही मुबारक, देखा मैंने कि कैसे नंगी आई थी। मैं ऐसा नहीं कर सकती, अब तुम जाओ, मैं कर लूंगी कुछ इन्तजाम”
मैं- “नहीं भाभी, आप को बाहर तक तो मुझे छोड़ने आना ही होगा”
नलिनी भाभी- “तुम पागल हो गए हो क्या? मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती”
मैं- “देख लो भाभी, वरना मैं नहीं जाऊँगा और अभी अंकल आकर आपको ऐसे मेरे साथ देख लेंगे”
नलिनी भाभी- “ओह… तुम तो बहुत ज़िद करते हो। दोपहर के 12 बज रहे हैं, कोई भी बाहर हो सकता है और तुमको देर नहीं हो रही?”
मैं- “बिल्कुल नहीं, आपको ऐसे तो छोड़कर नहीं जा सकता”
नलिनी भाभी थोड़ी देर ना नुकुर करने के बाद मान गई बल्कि उन्होंने कहा कि तुम अब अपना फ्लैट बंद ही कर दो, मैं अपने फ्लैट में चली जाती हूँ।
वाह… नलिनी भाभी नंगी मेरे फ्लैट से अपने फ्लैट तक जाएँगी, मजा आ जायेगा। मैं सोचने लगा, काश कोई बाहर उनको नंगा देख भी ले फिर मैं उनके चेहरे के भावों का मजा लूंगा।
पर उन्होंने ज़िद की- “पहले तुम देखो, जब कोई नहीं होगा तभी मैं बाहर निकलूँगी”
मैंने बाहर आकर देखा, कोई नहीं था, मैंने उसको बताया कि बाहर कोई नहीं है। मेरे फ्लैट से उनका फ्लैट बायीं ओर कोई 20 कदम के फासले पर था, हमारी बिल्डिंग के हर फ्लोर पर केवल दो ही फ्लैट हैं तो ऐसे किसी के आने का ज्यादा डर नहीं रहता। हाँ अगर ऊपर से कोई नीचे आ रहा हो तो वो भी सीढ़ी से तभी किसी के देखने की संभावना थी।
इसीलिए भाभी बाहर नंगी आने को तैयार हो गई थीं वो तो रोज ही घर ही रहती थीं, उनको पूरा आईडिया होगा कि दोपहर को इस समय सुनसान ही होता है क्योंकि ज्यादा चहल पहल सुबह-शाम ही रहती है। मैंने कुछ देर इन्तजार भी किया मगर कोई नहीं आया। अब मुझे ऑफिस भी जाना था इसलिए मैंने भाभी को आने का इशारा कर दिया।
उन्होंने भी मेरे पीछे से बाहर झांक कर देखा, जब वो संतुष्ट हो गई तो तन कर बाहर निकली जैसे उन्होंने कोई किला जीत लिया हो।
नलिनी भाभी- “देखा… मैं कितनी बहादुर हूँ”
वो नंगी ऐसे चल रही थी कि अगर कोई देख ले तो बेहोश हो जाए।
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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