09-04-2024, 02:38 PM
थोड़ी देर में बस में रश ज्यादा होने लगा था और भीड़ बढती जा रही थी / मैंने मम्मी को फिर से सीट पर बैठने के लिए कहा लेकिन मम्मी ने मन कर दिया था / रश के साथ एक ,., अंकल जी मम्मी के पीछे आ कर खड़े हो गए वो पापा की उम्र के थे / मैंने उनकी रेस्पेक्ट करते हुए उनको अपनी वाली सीट पर बैठने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया / उनसे बातचीत करने पर पता चला की उनका नाम असलम था वो एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और हिंदी के शिक्षक थे / मैंने उनको अंकल कह कर संबोधित किया था / उन्होंने सफ़ेद रंग की धोती और सफ़ेद रंग का ही कुरता डाला हुआ था / उनका शरीर बहुत ही सॉलिड था शायद उनको पहलवानी का शौक था / उनका डील डौल मस्त था वो सर से पूरे गंजे थे और क्लीन शैव थे / अंकल मम्मी के साथ बिलकुल साथ जुड़कर खड़े थे / थोड़ी देर बाद मम्मी थोडा-२ सा हिलने लगी / मुझे लगा कि मम्मी खड़े खड़े थक गई होगी / इसलिए मैंने मम्मी से पुछा मम्मी आप खड़े खड़े थक गई होंगी तो आप मेरी जगह पर बैठ जाओ / मम्मी ने हँसते हुए मन कर दिया / फिर अचानक मेरे मन में एक ख्याल आया की कहीं अंकल जी मम्मी के साथ कुछ? ऐसा सोचते ही मेरे लौड़े में हलचल होने लगी / मुझे कहीं कहीं थोडा थोडा सा भरोसा था की बस में अगर ऐसी भीड़ हो और ऐसी मस्त मस्त भरे भरे शरीर वाली औरत अगर सामने खड़ी हो तो किसी का मन भी डोल सकता है न /
हाय मम्मी !!!
हाय मम्मी !!!
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!