08-04-2024, 09:46 AM
कुछ देर तक मैं दोनों को देखता रहा, दोनों ही गहरी नींद सो रहे थे, उनको देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उनके बीच कुछ हुआ होगा। मगर मेरा दिमाग तो शैतान का दिमाग बन गया था, इसकी वजह पिछले कुछ दिनों से सलोनी का व्यवहार ही था जो कुछ मैंने देखा और सुना था उसको जानकर कोई धर्मात्मा भी विश्वास नहीं करता कि यहाँ बंद कमरे में सलोनी और अमित अकेले हों वो भी ऐसी स्थिति के बाद जिसमे सलोनी को पूरी नंगी देख लिया हो, ना केवल नंगी देखा बल्कि उसको लगभग नंगी ही अपनी गाड़ी में बिठाकर लाया हो फिर भी कुछ ना हुआ हो। सब कुछ सोचकर असंभव सा ही लगता था।
ना जाने कितने विचार मेरे दिमाग में घूम रहे थे और सोचते सोचते ना जाने कब मैं सो गया। वैसे भी सुबह के 5 तो बज ही गए थे और थकान भी काफी हो गई थी, शारीरिक भी और मानसिक भी।
कोई तीन घंटे मैं सोता रहा। मुझे कुछ नहीं पता कि इस बीच क्या हुआ??? काफी गहरी नींद आई थी और अच्छी भी। मेरी उठने की वजह स्वयं नहीं थी बल्कि वो आवाज थी जो मैंने सुनी, मुझे लगा जैसे कुछ बहुत तेज गिरा हो।
मेरी नींद तो खुल गई थी परन्तु मैंने आँख नहीं खोली थी। मैं लेटे लेटे ही आवाज की दिशा और स्थान का अवलोकन करता रहा। कुछ समय बाद फिर हल्की आवाज आई, यह मेरे बैडरूम से तो नहीं आई थी। अरे यह आवाज तो बाथरूम से आई थी।
अब मैंने अपनी पूरी आँखें खोल देखा, कमरे में अभी भी अँधेरा ही था, शायद सलोनी ने इसलिए लाइट नहीं जलाई और परदे नहीं हटाये थे ताकि मुझे कष्ट ना हो और आराम से सोता रहूँ। मेरी आँखें अभी भी खुलने को मना कर रही थी क्योंकि नींद पूरी नहीं हुई थी।
मैंने पास से मोबाइल उठाकर टाइम देखा, सवा आठ हो चुके थे। मैं उठकर बाथरूम के दरवाजे तक गया और कान लगाकर आवाज सुनने लगा। अरे…! सलोनी अंदर अकेली नहीं थी, उसके साथ अमित भी था।
और रात वाले सभी विचार तुरंत मेरे दिमाग में आ गए, इसका मतलब ये आपस में पूरी तरह खुल गए हैं और अभी भी मस्ती कर रहे हैं। साफ लग रहा था कि दोनों एक साथ स्नान कर रहे हैं। अमित को तो सलोनी पहले से ही पसंद करती थी, फिर कल जो उसने हमारी मदद की थी, उससे तो वो मेरा भी चहेता हो गया था। फिर सलोनी तो वैसे भी, जो उसकी जरा भी परवाह करता है, उस पर जान न्यौछावर कर देती है।
अब यह जानना था कि क्या अमित उसकी वो पसंद बन गया था कि उससे चुदवा भी ले या अभी तक उसको भी उसने केवल ऊपरी मस्ती के लिए ही रखा था। अब इतने समय में मैं यह तो जान गया था कि सलोनी हर किसी से तो नहीं चुदवाती। उसको ऊपरी मस्ती करने और लेने का शौक ही था। और बहुत कम मर्द ही उसकी पसंद थे जिनसे वो चुदवाती थी, मेरे सामने उसको केवल मस्ती करने में मजा आता था, वो मेरे सामने चुदवाना भी नहीं चाहती थी। शायद उसको डर था कि ऐसा देखने के बाद मेरा प्यार उसके लिए कम हो जायेगा। ये केवल मेरे विचार थे जो कुछ मैंने अभी तक उसको जाना था।
मेरा दिल बाथरूम के अंदर देखने का कर रहा था मगर अंदर देखने का कोई साधन मेरे पास नहीं था। हाँ बाथरूम से बाहर देखने के लिए तो मैंने जुगाड़ कर लिया था मगर बाहर से अन्दर का नज़ारा नहीं देखा जा सकता था।
मैं पूरे मनोयोग से आवाजें सुनने लगा। बाहर पूरी शांति थी तो हर आवाज मुझे स्पष्ट सुनाई दे रही थी।
अमित- “हम्म्म्म पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च पुचच च च…”
सलोनी- “ओह बस्स्स्स ना… कल से हजार से ज्यादा बार चूम चुके हो…”
अमित- “पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… कहाँ मेरी जान… अभी एक ही बार तो…”
सलोनी- “देखो अमित, मैंने तुम्हारी सारी इच्छाएँ पूरी कर दी हैं। अब तुम घर जाओ, रुचिका भी तुम्हारा इंतजार कर रही होगी। कल से कितनी बार उसने फोन किया है”
अमित- “पुचच च च पुचच च च पुच च च… तुम बहुत सेक्सी हो सलोनी सच… पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… आई लव यू जानेमन… पुचच च च पुचच च च पुचच च च…”
सलोनी- “ओह… फिर से… अह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ क्या करते हो? फिर से गीला कर दिया … अह्ह्हाआआआ…”
अमित- “अह्हा पुचच च च क्या चूत है यार तुम्हारी… हजारों में एक… पुचच च च… वाह क्या टेस्ट है… पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च…”
सलोनी- “अह्ह्हाआआ अब क्या खा जाओगे...? अह्ह्हाआआ ओह्ह नहीईइइइ अह्ह्हाआआआ बस्स्स्स्स्स्स अमित बस ना…”
अमित- “सुनो जानेमन, अभी मेरी एक इच्छा रह गई है… उसको अब तुम्हारे ऊपर है… कैसे पूरा करती हो”
सलोनी- “पागल हो गए तुम… कल से कितनी सारी तुम्हारी इच्छाएँ पूरी की है… तुमको याद भी हैं या नहीं… और फिर से एक और इच्छा... अब तुम रुचिका की इच्छाए पूरी करवाओ… तुम्हारी सभी हो गई हैं”
अमित- “पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… जानेमन इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता… और मेरी तो केवल 3-4 ही हैं”
सलोनी- “अह्हहाआआआ 3-4… अहा… कितनी सारी तो मैंने ही पूरी की… बस्स्स्स्स्स्स ना… ओह क्यों काटते हो?”
अमित- “पुचच च च पुचच च च अच्छा इतनी सारी बताओ फिर…”
सलोनी- “अह्ह्हाआआ अब गिनानी भी होंगी… तो सुनो… पहली- चलती गाड़ी में चुसवाया तुमने अपना…”
अमित- “पुचच च च हा हा क्या?? देखो नाम बोलने की शर्त थी… हैं… पुचच च च पुचच च च च पुचच च च…”
सलोनी- “हाँ और दूसरी इन सबके गंदे नाम भी बुलवाये… जो मैं केवल इनके सामने ही बोल पाती थी… पर तुम्हारे सामने भी बोलने पड़े…”
अमित- “तो मजा तो उसी में ही है जानेमन… पुचच च च पुचच च च पुचच च च… पर अभी भी गच्चा दे देती हो…”
सलोनी- “जी नहीं… तुमने अपना लण्ड नहीं चुसवाया था चलती गाड़ी में… और फिर मेरी चूत भी चाटी थी… अह्ह्हाआआ बस ना…”
अमित- “और क्या किया था? बस चाटी ही थी ना… चोदा तो नहीं था… अभी तो चलती गाड़ी में चोदने का भी मन है…”
सलोनी- “हाँ फिर कहीं भिड़ा देना… अह्ह्हाआआ... गाड़ी को…”
अमित- “पुचच च च पुचच च च पुचच च च… अरे नहीं जानेमन बहुत एक्सपर्ट हूँ... मैं इसमें... रुचिका तो अक्सर ऐसे ही चुदवाती है… अह्हाआआ… अछआ… तो ये भी… अरे इतने कसकर नहीं यार… दर्द होता है… आखिर ये लण्ड भी अब तुम्हारा ही है…”
सलोनी- “हाँ बहुत शैतान है यह तुम्हारा लण्ड… पुचच च च पुचच च च…”
अमित- “अह्ह्हाआआ फिर…?”
सलोनी- “फिर मुझे नंगी ही पार्किंग से यहाँ तक लाये। वो तो गनीमत थी कि किसी ने नहीं देखा, कितना डर गई थी मैं? पागल… अह्हाआआ पुचच च च पुचच च च…”
अमित- “यही तो मजा है जानेमन… मजा भी तो कितना आया था… अह्ह्हाआ ओह…”
सलोनी- “और फिर तुम्हारी वो सारी इच्छाएँ… पुचच च च पुचच च च पुचच च च अह्ह्हाआआ हो गया…”
अमित- “अह्ह्हाआआ अह्हाआआ अह्ह्ह अउउउ हह्ह्ह्ह्ह कम्माल कर दिया तुमने जाने मन… इतनी जल्दी …अह्ह्हाआआआ…”
सलोनी- “बस्सस्स्स्स न हो गया ना… चलो अब… जल्दी करो… मुझे कॉलेज भी जाना है… अंकल भी आने वाले होंगे… चलो जल्दी करो…”
अमित- “अंकल क्यों?”
सलोनी- “वो कॉलेज में साड़ी पहनकर जाना होता है… और मुझे पहननी नहीं आती… इसीलिए वो मदद करते हैं”
उनकी इतनी बात सुनकर ही मुझे काफी कुछ पता चल गया था कि दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई है।
अब आगे आगे देखना था कि क्या होता है?
मैं अपनी जगह आकर सो गया। आधे घंटे तक दोनों बाहर वाले कमरे में ही थे। हाँ 1-2 बार कुछ काम करने या कपड़े लेने सलोनी आई थी, उसने मुझे चूमा भी था। पर मैं वैसे ही सोने का बहाना करता रहा। फिर शायद अंकल जी आ गए थे और अमित भी चला गया था, अब मुझे भी तैयार होकर काम पर जाना था, 9 से भी ऊपर हो गए थे।
तभी सोचा कि एक बार अंकल को साड़ी पहनाते देखकर बाथरूम में चला जाऊँगा, और मैं उठकर बाहर कमरे में देखने लगा।
मैंने देखा सलोनी ने पेटीकोट और ब्लाउज पहले ही पहना हुआ है, फिर भी अंकल ने कुछ मजा लेते हुए उसको साड़ी पहनाई। आज इतना जरूर हुआ कि सलोनी ने खुद ही पहनी और अंकल ने केवल उसको गाइड किया। पर मैंने इतना जरूर सुना कि अंकल को पता था हम रात देर से आये और सलोनी अमित के साथ आई थी। मगर उनकी बातें मुझे ज्यादा साफ़ साफ़ नहीं सुनाई दी। हाँ इतना भी पता चला कि विकास उसको लेने आने वाला है क्योंकि कॉलेज बहुत दूर है।
तभी मुझे याद आया और मैंने अपना पेन रिकॉर्डर जो पहले ही फुल चार्ज कर लिया था, ओन करके सलोनी के पर्स में डाल दिया। फिर मैं बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
बाथरूम में नहाते हुए मैं सोचने लगा कि कल का पूरा दिन बहुत ही खूबसूरत था और रात तो उससे भी ज्यादा सेक्सी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने अपनी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन जी लिया हो।
सबसे बड़ी बात, मेरी जान सलोनी वो तो इतनी खुश दिख रही थी जितना मैंने आज तक नहीं देखा था, उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वो बहुत खुश है !
और मुझे क्या चाहिए?!!?
अगर यह सब मेरे संज्ञान के बिना होता तो शायद गलत होता मगर हम दोनों को ही ऐसा मजेदार जीवन पसंद था। हम इस सबका भरपूर मजा ले रहे थे।
सुबह अमित चला गया, वो मुझसे बिना मिले ही गया, पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था मगर अब ये सब मुझे कोई बुरा नहीं लगा, उसको अगर सलोनी पसंद है और सलोनी भी उसको पसंद करती है तो दोनों को रोमांस करने दो। मुझे भी दूसरी लड़कियों का मजा मिल रहा है और सलोनी को इस तरह फ़्लर्ट करते देखने में भी मजा आ रहा है।
कोई दस मिनट बाद मुझे बस सलोनी की आवाज सुनाई दी- “सुनो, मैं जा रही हूँ, नाश्ता आपको भाभी दे देंगी”
मैं सोच ही रहा था कि कौन भाभी और यह मधु क्यों नहीं आई? उसने तो सुबह-शाम आने को कहा था।
मधु की मीठी मीठी यादों में नहाकर में बाहर निकला, हमेशा की तरह नंगा। मधु की कोमल चूत को याद करने से मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था, जो इस समय बहुत प्यारा लग रहा था।
बाहर आते ही एक और सरप्राइज तैयार था…
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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